आलूबुखारा (Plum in Hindi): इसका इस्तेमाल, फायदे, न्यूट्रिशनल वैल्यू और अन्य जानकारी!
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आलूबुखारा (प्लम) का वैज्ञानिक नाम प्रूनस डोमेस्टिका एल है। यह रोसेसी परिवार से संबंधित है और इसमें प्लम के पेड़ की लगभग 40 प्रजातियां शामिल हैं। यह एक छोटा, झाड़ीदार पर्णपाती (डेसिडियस) पेड़ है और आमतौर पर 6-15 मीटर लंबा होता है। यह पश्चिम एशिया, भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, पाकिस्तान, यूरोप और अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) और समशीतोष्ण क्षेत्रों (टेम्परेट रीजन) में काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। भारत में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और पंजाब के क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है।
आलूबुखारा (प्लम) के पेड़ का इसलिए इस्तेमाल किया जाता है क्योकि इसके बहुत सारे फायदे हैं और यह कई तरह की शारीरिक समस्याओं को काफी अच्छे तरीके से मैनेज कर सकता । आलूबुखारा (प्लम) हरा, लाल, बैंगनी, पीले रंग का होता और यह गेंद के आकार जैसा होता है। यह एंटी-ऑक्सीडेंट, पॉलीफेनोल्स और कैरोटीनॉयड (जो फल को रंग देते हैं) कंपाउंड से भरपूर होता है। सैंटा रोज़ा, ब्लैक ऐंबर, रेड ब्यूटी, अफ्रीकन रोज़ और ब्लैक ब्यूटी आलूबुखारा (प्लम) की कुछ प्रमुख किस्में हैं।
नीचे आलूबुखारे (प्लम) की न्यूट्रिशनल वैल्यू बताई गई है :
पोषक तत्व | वैल्यू |
एनर्जी | 46 किलो कैलोरी |
प्रोटीन | 0.7 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट | 11.4 ग्राम |
फैट | 0.28 ग्राम |
शुगर | 9.92 ग्राम |
फाइबर | 1.4 ग्राम |
ग्लुटामिक एसिड | 0.035 ग्राम |
एस्पार्टिक एसिड | 0.352 ग्राम |
लाइसिन | 0.016 ग्राम |
आइसोल्यूसिन | 0.014 ग्राम |
टेबल 1: प्रति 100 ग्राम कच्चे आलूबुखारे (प्लम) की न्यूट्रिशनल वैल्यू
पोषक तत्व | वैल्यू |
कैल्शियम | 6 मिलीग्राम |
आयरन | 0.17 मिलीग्राम |
पोटैशियम | 157 मिलीग्राम |
फास्फोरस | 16 मिलीग्राम |
ज़िंक | 0.1 मिलीग्राम |
कॉपर | 0.057 मिलीग्राम |
मैंगनीज़ | 0.52 मिलीग्राम |
फ्लोराइड | 2 माइक्रोग्राम |
विटामिन C | 9.5 मिलीग्राम |
थायमिन | 0.028 मिलीग्राम |
राइबोफ्लेविन | 0.026 मिलीग्राम |
नियासिन | 0.417 मिलीग्राम |
विटामिन B6 | 0.029 मिलीग्राम |
विटामिन K | 64 माइक्रोग्राम |
विटामिन E | 0.26 मिलीग्राम |
फोलेट | 5 माइक्रोग्राम |
कोलीन | 1.9 मिलीग्राम |
बीटा कैरोटीन | 190 माइक्रोग्राम |
विटामिन A | 345 इंटरनेशनल यूनिट |
टेबल 2: प्रति 100 ग्राम कच्चे आलूबुखारे (प्लम) मिनरल और विटामिन
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आलूबुखारा (प्लम) एक औषधीय पौधा माना जाता है और इसका इस्तेमाल ख़ास तौर से बायोलॉजिकल एक्टिविटीज़ (जैविक गतिविधियों) के लिए किया जाता है।1 आलूबुखारा (प्लम) के कुछ चिकित्सीय गुण इस प्रकार हैं:
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आलूबुखारा (प्लम) न सिर्फ स्वादिष्ट मौसमी फल है बल्कि यह बहुत उपयोगी भी है। अपने कई गुणों के कारण कई बीमारियों को मैनेज करने में उनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
डायबिटीज एक मेटाबोलिक असामान्यता है जो पर्याप्त इंसुलिन प्रोडक्शन न होने या इसकी पूर्ण कमी के कारण होती है। एक अध्ययन में पाया गया कि चूहों में किए गए एनिमल ट्रायल के दौरान आलूबुखारा (प्लम) के अर्क के एंटी-डायबिटिक गुणों ने ब्लड ग्लूकोज़ के लेवल को काफी कम कर दिया। एक अन्य अध्ययन ने पोस्ट-प्रांडियल हाइपोग्लाइसीमिया (खाने के बाद ज़्यादा ग्लूकोज प्रोडक्शन होना) की शुरुआती स्टेज को नियंत्रित करने में आलूबुखारा (प्लम) प्यूरी की क्षमता को दिखाया।1
कम ग्लाइसेमिक (ग्लूकोज़) इंडेक्स (जीआई) वाले खाद्य पदार्थ, खाने के बाद ब्लड इंसुलिन में होने वाली बढ़ोतरी और गिरावट को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसलिए जिसे डायबिटीज है उसे कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ खाने की सलाह दी जाती है। एक ह्यूमन स्टडी ने पुष्टि की है कि उपवास के दौरान सूखा आलूबुखारा (प्लम) खाने से इंसुलिन और प्लाज्मा ग्लूकोज़ के लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है।3 आलूबुखारा (प्लम) खाने से डायबिटीज वाले लोगों को मदद मिल सकती है, लेकिन डायबिटीज जैसी गंभीर समस्या के लिए किसी भी फल या सब्जियों का इस्तेमाल करने से पहले आपको अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर से संपर्क करना चाहिए।
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आलूबुखारा (प्लम) कब्ज़ और पाचन से जुड़ी समस्याओं जैसे कि पेट फूलना, अपच, ब्लोटिंग और सीने में जलन से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। आलूबुखारा (प्लम) को एक हल्के लैक्सेटिव के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। सूखे आलूबुखारे (प्लम) से तैयार जैम मल त्याग (बाउल मूवमेंट) को बढ़ाने और दवा के इस्तेमाल को कम करने में मदद करता है। सूखा आलूबुखारा प्लम) मल को नरम करने में भी मदद कर सकता है, जो कब्ज और पेट में दर्द, बेचैनी की समस्या से पीड़ित लोगों की मदद करता है।3
सूखे आलूबुखारे (प्लम) में कुछ फेनोलिक कंपाउंड होते हैं जो पाचन तंत्र में गति बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, जिससे पेट खाली करने में मदद मिलती है। आलूबुखारा (प्लम) में सेरोटोनिन होता है, जो आंतों के फ्लूइड प्रोडक्शन और आंत की गतिशीलता को बढ़ाता है। इनमें एक प्रीबायोटिक असर और काफी मात्रा में फाइबर कंटेंट भी होता है जो कोलन में मददगार बैक्टीरिया को बनाए रखने में मदद करते हैं।3 इसके इतने फायदों के बावजूद, अपने डॉक्टर से परामर्श किए बिना उनका इस्तेमाल करने से बचें। अगर आपको पाचन से जुड़ी कोई समस्या है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें और उचित डायग्नोसिस और इलाज कराएं।
आलूबुखारे (प्लम) के अर्क ने लैब स्टडीज के दौरान एक आवश्यक एंटी-ऑक्सीडेंट एक्टिविटी दिखाई। आलूबुखारे (प्लम) के गूदे और छिलके में सबसे ज़्यादा मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं।आलूबुखारे (प्लम) में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कैंसर कोशिकाओं से बाइंड कर सकते हैं और सिग्नलिंग पाथवे के लिए जिम्मेदार ख़ास एंजाइम की कार्रवाई को रोक सकते हैं। यह सिग्नलिंग पाथवे कैंसर कोशिकाओं को एंटी-कैंसर-दवाओं के प्रति ज़्यादा प्रतिरोधी बनाने के लिए जिम्मेदार है। इसके ये फायदे कैंसर में मदद कर सकते हैं, लेकिन मेडिकल समस्याओं के लिए किसी भी जड़ी-बूटी या फल का इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर या फिजिशियन से परामर्श करें।
आलूबुखारे (प्लम) में विटामिन K, कॉपर, पोटैशियम और बोरॉन होता है। विटामिन K हड्डी के मिनरलाइज़ेशन में मदद कर सकता है और पोटैशियम हड्डी की मिनरल डेंसिटी (खनिज घनत्व) को बनाए रखने में मदद करता है। एक लैब ट्रायल के दौरान आलूबुखारे (प्लम) अल्कोहल के अर्क को हड्डी के फिर से सोखने की प्रक्रिया को रोकने वाला और हड्डी की फॉर्मेशन को बढ़ाने वाला माना गया है।3
जानवरों पर हुए अध्ययनों में यह पाया गया है कि हड्डी की पहले से मौजूद क्षति पर आलूबुखारा (प्लम) बहुत असरदार था। आलूबुखारे (प्लम) के पाउडर के परिणामस्वरूप चूहों की हड्डी की मिनरल डेंसिटी (खनिज घनत्व) में बढ़ोतरी हुई और रीढ़ रिस्टोर हुई।3 ये फायदे जानवरों पर हुए अध्ययनों में सिद्ध हुए हैं और अभी तक इंसानों पर हुए ट्रायल में ऐसे फायदे नहीं देखे गए हैं । इसलिए, अपने हेल्थ सारे प्रोवाइडर से परामर्श किए बिना हड्डियों की किसी भी बीमारी की समस्या के लिए आलूबुखारे (प्लम) का इस्तेमाल करने से बचें।
जानवरों पर किए गए अध्ययनों में पाया गया है कि गर्भवती जानवरों को आलूबुखारे (प्लम) का अर्क देने से उनके बच्चे की हड्डी (ऑस्टोजेनेसिस) का विकास और निर्माण बढ़ता है। आलूबुखारे (प्लम) का अर्क सीरम कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाने में भी मदद करता है, जिसके परिणामस्वरूप एक लंबी हड्डी की मौजूदा लंबाई की तुलना में नई हड्डी का गठन का ज़्यादा अनुपात होता है। ये फायदे जानवरों पर किए गए अध्ययनों में देखे गए हैं और अभी तक इंसानों में ऐसे फायदों की पुष्टि नहीं हुई है। आपको गर्भावस्था के दौरान आलूबुखारे (प्लम) का इस्तेमाल करने से पहले आपको सावधानी बरतने की ज़रूरत है।
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बेर में पॉलीफेनोल्स और बायोएक्टिव कंपाउंड होते हैं, जो मोटे लोगों में एनर्जी के रेगुलेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, भोजन का सेवन बढ़ाते हैं और इंसुलिन जैसे और दिल को सुरक्षित रखने वाले प्रभावों को बढ़ाते हैं। आलूबुखारे (प्लम) के जूस में कम कैलोरी होती है, जो शरीर के वज़न को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।6
एक प्रीक्लिनिकल अध्ययन में पाया गया कि आलूबुखारे (प्लम) के जूस का सेवन शरीर के वज़न को कम करने के लिए उपयोगी था। आलूबुखारे (प्लम) के जूस में कम कैलोरी और ज़्यादा पॉलीफेनोल्स भी शरीर के वज़न को कम करने में मदद करते हैं।6
हालांकि अध्ययन विभिन्न बीमारियों की स्थितियों में आलूबुखारे (प्लम) के जूस के फायदों को दिखाते हैं, लेकिन ये अध्ययन अपर्याप्त हैं और इंसान की सेहत पर आलूबुखारे (प्लम) के जूस के फायदों की सही सीमा स्थापित करने के लिए आगे और अध्ययन की ज़रुरत है।
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आलूबुखारे (प्लम) का नीचे दिए गए तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है :
आपको नियमित तौर पर आलूबुखारे (प्लम) का सेवन करने से पहले हमेशा अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। वे आपकी सेहत की स्थिति के हिसाब से इसका सही रूप और खुराक तय करने वाले सबसे सही इंसान होंगे। इसके अलावा, किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श किए बिना कोई भी जारी दवा या इलाज बंद न करें या इसे आयुर्वेदिक/हर्बल से रिप्लेस न करें।
आलूबुखारे (प्लम) के साइड इफेक्ट पाचन संबंधी समस्याओं और एलर्जिक रिएक्शन से संबंधित हैं। आलूबुखारे (प्लम) के सबसे आम साइड इफेक्ट हैं:
हालांकि, अगर आप पर इसका कोई रिएक्शन होता है, तो तुरंत अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें, जिसने आपको इसका सेवन करने की सलाह दी थी । वे आपका सही इलाज कर सकेंगे।
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अगर आलूबुखारे (प्लम) का सेवन सही मात्रा में किया जाए तो इसे आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, आलूबुखारे (प्लम) का सेवन करते समय सामान्य सावधानियां बरतनी चाहिए।
विभिन्न फलों के जूस में फाइटोकेमिकल्स की एक अज्ञात मात्रा होती है और जब ये अन्य दवाओं के साथ लिए जाते हैं तो वे भोजन-दवाओं के इंटरेक्शन (परस्पर क्रिया) को जन्म दे सकते हैं जिसके कारण साइड इफेक्ट होते हैं। इसी तरह, आलूबुखारे (प्लम) के जूस में में भी कई फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो सिस्टम के एक्सपोज़र में बढ़ोतरी कर सकते हैं, जिसके कारण हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) हो सकता है।9 गंभीर सेहत संबंधी समस्याओं से बचने के लिए इस भोजन-दवाओं के इंटरेक्शन (परस्पर क्रिया) पर आपके आयुर्वेदिक डॉक्टर को विचार करना चाहिएहै। इसलिए जो आयुर्वेदिक डॉक्टर आपको यह दवा देता है उसकी सलाह का पालन करना चाहिए।
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हाँ। आलूबुखारे (प्लम) में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है और इसमें सोर्बिटोल भी होता है जो खून में ग्लूकोज के लेवल को कम करने में मदद करता है। अगर आप या आपका कोई परिचित डायबिटीज से पीड़ित है, तो अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर से परामर्श किए बिना किसी भी जड़ी-बूटी या फल का इस्तेमाल करने से बचें।
आलूबुखारा (प्लम) इम्यून सिस्टम मज़बूत करने, आंखों के पावर में सुधार करने और गठिया, अस्थमा, एनीमिया, हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया, अल्जाइमर और दिल की बीमारियों जैसी समस्याओं को रोकने में मदद करता है।1 हालांकि, डॉक्टर से परामर्श किए बिना किसी भी सेहत से जुड़ी समस्या के लिए आलूबुखारे (प्लम) का इस्तेमाल करने से बचें।
आलूबुखारे (प्लम) में विटामिन A, विटामिन B, विटामिन C, विटामिन K और विटामिन E होता है।2
विटामिन A मुंह और फेफड़ों के कैंसर से बचाता है। विटामिन B शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट को मेटाबोलाइज़ (चयापचय) करने में मदद करता है। विटामिन C नुकसानदेह एजेंटों के प्रति शरीर के प्रतिरोध को विकसित करने में मदद करता है और फ्री रेडिकल्स को भी नष्ट करता है। विटामिन K खून के थक्के एजेंट के रूप में काम करता है, हड्डी के मेटाबोलिज्म में मदद करता है और बुज़ुर्ग लोगों में अल्जाइमर को कम करता है।7
हाँ। अध्ययनों से पता चला है कि शुगर वाले ड्रिंक्स की जगह आलूबुखारे (प्लम) के जूस जैसे पॉलीफेनोल युक्त जूस से मोटापे को रोका जा सकता है, जिसके कारण वजन कम होता है।6 अपनी डाइट में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर या न्यूट्रिशनिस्ट से संपर्क करें क्योंकि इसका आपके सेहत पर प्रभाव पड़ सकता है।
हाँ। जब आलूबुखारे (प्लम ) का अर्क स्किन पर लगाया जाता है तो यह मच्छरों के लार्वा के खिलाफ एक्टिविटी दिखाता है, इसलिए मॉस्किटो रेपेलेंट (मच्छर विकर्षक) के रूप में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।1
आलूबुखारे (प्लम) के छिलके में काफी अच्छी मात्रा में फेनोलिक कंपाउंड होते हैं। यह हाई एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि दिखाता है, जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में मदद करता है।4 ऐसी गंभीर समस्या के लिए आपको एक योग्य डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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