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चुकंदर (Beetroot in Hindi): इसका उपयोग, फायदे, न्यूट्रिशनल वैल्यू और अन्य जानकारी!

By Dr. Nikita Toshi +2 more

परिचय :

लाल चुकंदर या बीटरूट का वैज्ञानिक नाम बीटा वल्गेरिस है और यह एक जड़ वाली सब्जी है। इससे हमारे शरीर को बहुत सारे फायदे मिलते हैं जिसकी वजह से अक्सर इसे एक फंक्शनल फूड कहा जाता है। चुकंदर (बीटरूट) दुनिया भर के कई देशों में उगाया जाता है और कई समुदायों में यह उनकी डाइट का अहम हिस्सा है। यह मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में रंग के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। चुकंदर (बीटरूट) ऐसे कई एक्टिव कंपाउंड से भरपूर है जिनसे हमारी सेहत को बहुत सारे फायदे मिलते हैं। बहुत सारे न्यूट्रिशनल फायदों के कारण चुकंदर (बीटरूट) का सदियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है। कुछ लोग इसे कच्चा खाते हैं, और सलाद, सूप और अन्य सब्जियों की करी में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। पारंपरिक चीनी और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में चुकंदर (बीटरूट) को एक सामग्री के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

beetroot


चुकंदर (बीटरूट) से सेहत को होने वाले फायदों और इसके इस्तेमाल के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ना जारी रखें।

चुकंदर (बीटरूट) की न्यूट्रिशनल वैल्यू

चुकंदर (बीटरूट) में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट और फाइबर होता है। यह रंगीन सब्ज़ी विटामिन और मिनरल से भी भरपूर होती है। नीचे प्रति 100 ग्राम चुकंदर (बीटरूट) की न्यूट्रिशनल वैल्यू बताई गई है।

पोषक तत्वन्यूट्रिशनल वैल्यू
एनर्जी 43 कैलोरी
कार्बोहाइड्रेट 9.56 ग्राम
प्रोटीन1.61 ग्राम
फाइबर2.8 ग्राम
कुल फैट0.17 ग्राम
कैल्शियम16 मिलीग्राम
आयरन0.8 मिलीग्राम
मैग्नीशियम 23 मिलीग्राम
सोडियम 40 मिलीग्राम
पोटैशियम 325 मिलीग्राम 
फ़ास्फ़रोस 40 मिलीग्राम
विटामिन C4.9 मिलीग्राम
थायमिन 0.031 मिलीग्राम
राइबोफ्लेविन 0.04 मिलीग्राम
फोलेट109 μ ग्राम
विटामिन B-60.067 मिलीग्राम 

टेबल 1: प्रति 100 ग्राम चुकंदर (बीटरूट) की न्यूट्रिशनल वैल्यू 

Read in English : Apple: Uses, Benefits, Side Effects, and More!

चुकंदर (बीटरूट) के गुण:

फ्लेवोनोइड्स, फेनोलिक्स, बेटासायनिन, बीटानिन और बीटानिडीन जैसे कई फाइटोकेमिकल्स के कारण चुकंदर (बीटरूट) में कई गुण होते हैं। नीचे चुकंदर (बीटरूट) के संभावित गुण बताए गए हैं:

  • चुकंदर (बीटरूट) में एंटीऑक्सीडेंट गुण हो सकते हैं
  • इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हो सकते हैं
  • यह ब्लड ग्लूकोज़ कम करने में मदद कर सकता है
  • यह ब्लड प्रेशर कम करने में मदद कर सकता है
  • इसमें एंटी कैंसर गुण हो सकते हैं
  • यह कैंसर होने से रोकने में मदद कर सकता है
  • यह वजन सही रखने में मदद कर सकता है
  • यह लिपिड कम करने में मदद कर सकता है

चुकंदर (बीटरूट) के संभावित उपयोग:

चुकंदर (बीटरूट) एक प्राकृतिक नाइट्रिक ऑक्साइड (एनओ) स्रोत के रूप में एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी भोजन के तौर पर काम कर सकता है। यह नाइट्रिक ऑक्साइड की कम उपलब्धता के कारण होने वाली कई सेहत संबंधी समस्याओं जैसे कि जैसे दिल और दिमाग के विकार को मैनेज करने और रोकने में मदद कर सकता है। चुकंदर (बीटरूट) के कई संभावित उपयोग हैं, जिनके बारे में नीचे विस्तार से चर्चा की गई है।

दिल के लिए चुकंदर (बीटरूट) के संभावित उपयोग

एंडोथेलियल डिसफंक्शन (एक बीमारी जो रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती है) हाइपरटेंशन और एथेरोस्क्लेरोसिस जैसी कई दिल की बीमारियों और समस्याओं का कारण है। चुकंदर (बीटरूट) एंडोथेलियल फंक्शन को रेगुलेट करने में मदद कर सकता है जो संभावित रूप से दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करता है। चुकंदर (बीटरूट) खून में ब्लड प्रेशर और ब्लड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद कर सकता है।  इन गुणों या किसी भी दिल से संबंधित समस्याओं के लिए चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए और उचित डायग्नोसिस और इलाज करवाना चाहिए। अपने डॉक्टर से परामर्श किए बिना चुकंदर (बीटरूट) या किसी अन्य जड़ी-बूटी को दवा के तौर पर इस्तेमाल करने से बचें।

दिमाग के लिए चुकंदर (बीटरूट) के संभावित उपयोग

दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन कम होना कॉग्निटिव कामों (सोचना, याद रखना और तर्क करना) के बिगड़ने का प्राथमिक कारण है। दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन कम होने से ब्रेन डैमेज, अल्जाइमर या डिमेंशिया हो सकता है। चुकंदर (बीटरूट) दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने और कॉग्निटिव कामों को नुकसान से बचाने में आपकी मदद कर सकता है। अगर आपको ब्रेन से जुड़ी कोई भी समस्या है तो आपको अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए । ब्रेन से जुड़ी समस्याओं को कम करने या राहत पाने के लिए चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल न करें। डॉक्टर या मनोचिकित्सक से परामर्श करने से आपको बेहतर विकल्प चुनने में मदद मिलेगी।

इंफ्लेमेशन के लिए चुकंदर (बीटरूट) के संभावित उपयोग

इंफ्लेमेशन इंसान को नुकसान पहुंचाने वाले किसी ट्रोमा, इंफेक्शन और अन्य जीवों के लिए शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। इंफ्लेमेशन और कुछ नहीं बल्कि प्रभावित जगह का लाल होना, सूजन और दर्द है। चुकंदर (बीटरूट) में ऐसे कई संभावित एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड होते हैं जो इंफ्लेमेशन के रास्ते में रुकावट डाल सकते हैं। यह इंफ्लेमेटरी रिस्पॉन्स को कम करने और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। अगर आपके शरीर में कहीं भी इंफ्लेमेशन या सूजन है, तो चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें। इंफ्लेमेशन के लिए बिना डॉक्टर से परामर्श किए बिना चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल करने से स्थिति और खराब हो सकती है।

ऑक्सीडेटिव नुकसान के लिए चुकंदर (बीटरूट) के संभावित उपयोग

रिएक्टिव ऑक्सीजन और नाइट्रोजन प्रजातियां (आरओएनएस) ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं। ये इंफेक्शन, गर्मी से होने वाले नुकसान और बहुत ज़्यादा शारीरिक व्यायाम की प्रतिक्रिया में उत्पन्न होते हैं।आरओएनएस के साथ कोशिकाओं (सेल्स) का बहुत ज़्यादा संपर्क ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का कारण बनता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस  डीएनए, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और लिपिड जैसे महत्वपूर्ण जैव अणुओं (बायो-मोलेक्युल्स) को नुकसान पहुंचा सकता है।  चुकंदर (बीटरूट) के एंटीऑक्सीडेंट गुण कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं।

कैंसर के लिए चुकंदर (बीटरूट) के संभावित उपयोग

चुकंदर (बीटरूट) अपने कई गुणों के कारण कैंसर के विकास को रोकने में मदद कर सकता है। चुकंदर (बीटरूट) में  एंटी-प्रोलाइफरेटिव, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कैंसर की रोकथाम में मददगार हो सकता है। चुकंदर (बीटरूट) लैब अध्ययन के दौरान स्तन, फेफड़े, पेट और पेट के कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ एंटी-कैंसर गुण भी दिखा सकता है। बिना डॉक्टर के परामर्श के कैंसर जैसी किसी भी सेहत संबंधी समस्या के लिए चुकंदर (बीटरूट)  का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

एथलीटों के लिए चुकंदर (बीटरूट) के संभावित उपयोग

चुकंदर (बीटरूट) के जूस में नाइट्रेट की काफी ज़्यादा मात्रा होती है। एथलीटों के लिए नाइट्रेट्स का सेवन फायदेमंद हो सकता है क्योंकि यह खेल में उनके प्रदर्शन में सुधार करता है। चुकंदर (बीटरूट) कई तरह से खेल में बेहतर प्रदर्शन में मदद कर सकता है। यह स्केलेटल की मांसपेशियों की ऑक्सीजन की खपत को कम करने, मांसपेशियों के तनाव को कम करने, मांसपेशियों के थकने में देरी करने और फाॅर्स और पावर बढ़ाने में मदद कर सकता है। इन सभी का मतलब यह हो सकता है कि एथलीटों पर इसका फायदेमंद असर हो सकता है, लेकिन लेकिन आम इंसानों पर इसके प्रभाव की सीमा स्थापित करने के लिए अध्ययन अपर्याप्त हैं।

हालांकि अध्ययन विभिन्न बीमारियों की स्थितियों में चुकंदर (बीटरूट) के फायदों को दिखाते हैं, लेकिन ये अध्ययन अपर्याप्त हैं और इंसान की सेहत पर चुकंदर (बीटरूट) के फायदों की सही सीमा स्थापित करने के लिए आगे और अध्ययन की ज़रुरत है।

चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल कैसे करें :

चुकंदर (बीटरूट) को अपनी डाइट में शामिल करने के कई तरीके हैं:

  • आप चुकंदर (बीटरूट) को अपनी नियमित डाइट का हिस्सा बना सकते हैं; इसे सूप, सलाद में डाला जा सकता है, इसका जूस बनाया जा सकता है, कच्चा या पका कर खाया जा सकता है।
  • इसके फायदे प्राप्त करने के लिए आप चुकंदर (बीटरूट) का जूस भी पी सकते हैं।

आपको नियमित तौर पर चुकंदर (बीटरूट)  का सेवन करने से पहले हमेशा अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। वे आपकी सेहत की स्थिति के हिसाब से इसका सही रूप और खुराक तय करने वाले सबसे सही इंसान होंगे। इसके अलावा, किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श किए बिना कोई भी जारी दवा या इलाज बंद न करें या इसे आयुर्वेदिक/हर्बल से रिप्लेस न करें।

चुकंदर (बीटरूट) के साइड इफेक्ट :

चुकंदर (बीटरूट) को नियमित डाइट का हिस्सा माना जाता है। हालांकि, इससे जुड़े कुछ साइड इफेक्ट भी बताए गए हैं:

  • जो लोग चुकंदर (बीटरूट) खाते हैं उनको लाल या गुलाबी रंग का पेशाब आ सकता है और वे इससे घबरा सकते हैं; चिंता न करें, ऐसा उन कंपाउंड के कारण है जो चुकंदर (बीटरूट) को ख़ास रंग देते हैं। यह खून नहीं है।
  • कई लोगों को चुकंदर (बीटरूट) खाने के बाद स्किन एलर्जी की शिकायत होती है।

अगर आपको चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल करने के बाद इनमें से किसी भी साइड इफेक्ट या एलर्जी का अनुभव होता है, तो इसका इस्तेमाल बंद कर दें और तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल करते समय सावधानियां

आपको चुकंदर (बीटरूट)  का इस्तेमाल करते समय यहां बताई जा रही सावधानियां रखनी चाहिए

  • गर्भवती महिला के लिए सावधानियां

गर्भावस्था के दौरान चुकंदर (बीटरूट) खाया जा सकता है। लेकिन सभी खाद्य पदार्थों की तरह, चुकंदर (बीटरूट) को भी कम मात्रा में खाना चाहिए।

  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सावधानियां

अगर आप स्तनपान कराने वाली महिला हैं तो चुकंदर (बीटरूट) खाने से शिशु में नाइट्रेट विषाक्तता नहीं होती है। बच्चा सुरक्षित है क्योंकि चुकंदर का नाइट्रेट कंटेंट स्तन के दूध में ज्यादा मात्रा में नहीं जाता है।   

  • बच्चों के लिए सावधानियां

चुकंदर (बीटरूट) में नाइट्रेट कंटेंट काफी ज़्यादा होता है और अगर इसे सीधा शिशुओं को दिया जाए तो यह नाइट्रेट विषाक्तता का कारण बन सकता है। तीन महीने या उससे कम उम्र के बच्चों को चुकंदर (बीटरूट) नहीं देना चाहिए।

सेहत पर किसी भी किसी प्रभाव के लिए चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल करने से पहले, अपने डॉक्टर या फिजिशियन से उन सावधानियों के बारे में बात करें जिन्हें आपको चुकंदर (बीटरूट)  का इस्तेमाल करते समय बरतने की आवश्यकता हो सकती है। अपने डॉक्टर से परामर्श करने से आपको बेहतर विकल्प चुनने और अपनी सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से बचने में मदद मिलेगी।

अन्य दवाओं के साथ इंटरेक्शन (परस्पर क्रिया)

चुकंदर (बीटरूट) पाचन ट्रांज़िट समय को कम कर सकता है; इसलिए, चुकंदर (बीटरूट) खाने से कई ओरल दवाओं का अवशोषण कम हो सकता है। इसके विपरीत, टाइप 2 डायबिटीज वाले मोटे मरीज़ों में चुकंदर (बीटरूट) फाइबर डाइट  के सेवन से गैस्ट्रिक ट्रांज़िट समय बढ़ गया। अगर आप ओरल दवा ले रहे हैं तो उसके साथ चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल करने से बचना ही अच्छा रहता है।

इसके अलावा, अगरआप किसी सेहत से जुड़ी समस्या के लिए दवा ले रहे हैं, तो आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं कि आपको कौन से फल और सब्ज़ियां नहीं खानी चाहिए। वे चुकंदर (बीटरूट) के सुरक्षित इस्तेमाल के बारे में आपका मार्गदर्शन कर सकेंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल : 

चुकंदर से सेहत को क्या फायदे मिलते हैं?

चुकंदर (बीटरूट) में बड़ी संख्या में फाइटोकेमिकल और पोषण संबंधी कंपोनेंट मौजूद होने के कारण इससे सेहतर को कोई तरह के फायदे मिलते हैं। चुकंदर (बीटरूट) दिल की कई बीमारियों के साथ-साथ कैंसर को भी रोकने में मदद कर सकता है। यह ब्लड प्रेशर और ब्लड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम कर सकता है। चुकंदर (बीटरूट) दिमाग की कार्यप्रणाली के लिए अच्छा होता है। यह कोशिकाओं को सूजन और ऑक्सीडेटिव नुकसान से भी बचाता है। यह एथलीटों के खेल प्रदर्शन में सुधार कर सकता है। लेकिन चुकंदर (बीटरूट) के फायदों या किसी अन्य सेहत से जुड़ी समस्या के लिए इसका इस्तेमाल करने से पहले, अपने डॉक्टर या हेल्थ केयर प्रोवाइडर से परामर्श करें।

चुकंदर के पोषण संबंधी फायदे क्या हैं?

चुकंदर (बीटरूट) में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट और डाइटरी फाइबर जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। इसमें विटामिन C, विटामिन B-6, राइबोफ्लेविन और थायमिन जैसे विटामिन भी होते हैं। चुकंदर (बीटरूट) में आयरन, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम जैसे मिनरल भी मौजूद होते हैं।आप अपनी डाइट में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से बात कर सकते हैं।

क्या चुकंदर (बीटरूट) दिमाग के लिए अच्छा होता है?

हाँ, चुकंदर (बीटरूट) दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने में मदद कर सकता है, जिससे सोचने, याद रखने और तर्क करने में हानि को रोका जा सकता है। लेकिन अगर आपको दिमाग से जुड़ी कोई समस्या है , तो आपको डॉक्टर से संपर्क करने और डायग्नोसिस की ज़रुरत है। बिना डॉक्टर की सलाह के चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल करने से बचें।

क्या चुकंदर (बीटरूट) को कच्चा खाना सुरक्षित है?

हाँ, 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को छोड़कर, कोई भी चुकंदर (बीटरूट) को कच्चा खा सकता है।

क्या चुकंदर (बीटरूट) को कलरिंग एजेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है?

हाँ, चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल नेचुरल पिग्मेंट सोर्स के तौर पर  किया जाता है जिसे बीटालेन कहा जाता है। इसका इस्तेमाल फूड कलरिंग एजेंट के तौर पर किया जाता है जिसे E162 के नाम से जाना जाता है।

क्या चुकंदर (बीटरूट) का जूस अल्जाइमर को रोक सकता है?

चुकंदर (बीटरूट) के जूस का सेवन दिमाग में खून के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। दिमाग में बेहतर ब्लड सर्कुलेशन से ब्रेन डैमेज और अल्जाइमर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है। पर ऐसा नहीं कहा जा सकता की सिर्फ चुकंदर खाने से अल्जाइमर का खतरा पूरी तरह से  खत्म हो सकता है। अगर आपको अल्जाइमर  या कोई अन्य मनोवैज्ञानिक समस्या है, तो चुकंदर (बीटरूट) का इस्तेमाल शुरू करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें।

Disclaimer: 

The information included at this site is for educational purposes only and is not intended to be a substitute for medical treatment by a healthcare professional. Because of unique individual needs, the reader should consult their physician to determine the appropriateness of the information for the reader’s situation

References

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