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जायफल (Nutmeg in Hindi): इस्तेमाल, लाभ, सावधानियां, न्यूट्रिशनल वैल्यू और बहुत कुछ!

By Dr. Nikita Toshi +2 more

परिचय:

जायफल (नट्मेग) एक खोलदार, सूखा हुआ बीज है जो एक उष्णकटिबंधीय सदाबहार (ट्रॉपिकल एवरग्रीन) पेड़ मिरिस्टिका फ़्रेग्रेंस से प्राप्त होता है। जायफल (नट्मेग) से स्वास्थ्य को कई फ़ायदे होते हैं और यह अनेक तरह के प्रोटीन, खनिज, तेल और रेज़िन का स्रोत है। मिरिस्टिका फ़्रेग्रेंस इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) क्षेत्रों में उगता है।


इस वृक्ष की अलग-अलग प्रजातियां श्रीलंका, भारत और उत्तर-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती हैं। लाभकारी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने के अलावा, जायफल (नट्मेग) के तेल का इस्तेमाल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में सुगंध (फ़्रेग्रेंस) के रूप में भी किया जाता है।

जायफल (नट्मेग) का तेल निकालने के लिए आसवन प्रक्रिया (डिस्टिलेशन प्रोसेस) के एक हिस्से के रूप में जायफल (नट्मेग) के बीजों को खाने के लिए उन पर कीड़े छोड़ दिए जाते हैं। कीड़े बीज से स्टार्च और वसा यानी फ़ैट को हटा देते हैं जिसके परिणामस्वरूप तेल से भरपूर एक हिस्सा बच जाता है।1

जायफल (नट्मेग) में पौष्टिक तत्वों की मात्रा:

जायफल (नट्मेग) फ़ाइबर का एक अच्छा स्रोत है और यह आयरन, ज़िंक, फॉस्फोरस, कॉपर, मैंगनीज़, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन ए और मैग्नीशियम का भी स्रोत है। 2

कार्बोहाइड्रेट38%
प्रोटीन10%
कोलेस्ट्रॉल0%
ऊर्जा26%
आहार फ़ाइबर55%
विटामिन सी5%
विटामिन ए3.5%
सोडियम1%
पोटेशियम7.5%
कैल्शियम18%
कॉपर114%
आयरन38%
ज़िंक20%
फॉस्फोरस30%
मैग्नीशियम46%
मैंगनीज़126%

 100 ग्राम जायफल (नट्मेग) में पाए जाने वाले पोषक तत्व इस प्रकार हैं:2 

जायफल (नट्मेग) के गुण:

जायफल (नट्मेग) में मौजूद विभिन्न औषधीय गुणों के कारण इसका इस्तेमाल कई प्रकार की स्वास्थ्य स्थितियों के लिए किया जाता है जैसे:3

● इसमें सूजन, दर्द, लालिमा रोकने वाले गुण हो सकते हैं

● इसमें कफ़ निकालने वाली (श्वास नली से बलगम निकलना) गतिविधि हो सकती है

● इसमें एंटीसेप्टिक गुण हो सकते हैं

● इसमें हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक (कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले) गुण हो सकते हैं

● इसमें उत्तेजक (स्टिमुलेंट) गुण हो सकते हैं

● यह कार्मिनेटिव (गैस को इकट्ठा से रोकने वाली) गतिविधि दिखा सकता है

● इसमें कैंसर रोधी गुण हो सकते हैं

● इसमें एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) गतिविधि हो सकती है

● इसमें तनाव रोधी (एंटी-डिप्रेशन) गुण हो सकते हैं3

जायफल (नट्मेग) के संभावित इस्तेमाल

दिमाग के लिए जायफल (नट्मेग) के संभावित इस्तेमाल:

जायफल (नट्मेग) दिमाग के लिए उत्तेजक (स्टिमुलेंट) के रूप में कार्य करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है। यह मानसिक गतिविधियों में सहायता कर सकता है। यह एकाग्रता यानी ध्यान लगाने में सुधार करने में मदद कर सकता है और दिमाग में खून के बहाव को बढ़ा सकता है। जायफल (नट्मेग) का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि इसका ज़्यादा इस्तेमाल बेसुध होने का कारण बन सकता है।2 जायफल (नट्मेग) से जुड़े जोखिम के कारण यह सलाह दी जाती है कि इसे केवल एक योग्य डॉक्टर द्वारा सुझाए जाने पर ही इस्तेमाल करें।

दिल के लिए जायफल (नट्मेग) के संभावित इस्तेमाल:

जायफल (नट्मेग) हृदय प्रणाली (कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम) के लिए एक बेहतरीन टॉनिक की तरह काम कर सकता है। यह खून के बहने की गति को बढ़ा सकता है और दिल के कार्यों में सुधार कर सकता है।2 इस प्रकार यह आपके दिल के स्वास्थ्य पर कुछ सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, दिल से संबंधित समस्याओं के लिए डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।

Read in English: Indian Diet Chart for Heart Patients

किडनी और लीवर के लिए जायफल (नट्मेग) के संभावित इस्तेमाल:

विषाक्त पदार्थों को खत्म करने वाली इसकी क्षमता के कारण जायफल (नट्मेग) का तेल लीवर के लिए एक टॉनिक के रूप में काम कर सकता है। यह किडनी के इंफ़ेक्शन को ठीक कर सकता है और गुर्दे (किडनी) की पथरी निकालने में मदद कर सकता है।2 मनुष्यों पर जायफल (नट्मेग) के सटीक प्रभाव को समझने के लिए और भी अध्ययनों की आवश्यकता है। जायफल (नट्मेग) का सेवन डॉक्टर के बताए जाने पर ही करना चाहिए।

Read in English: 8 Home Remedies for Kidney Stones

अच्छी नींद के लिए जायफल (नट्मेग) के संभावित इस्तेमाल:

जायफल (नट्मेग) अनिद्रा (नींद न आना) के लिए एक कारगर उपाय हो सकता है। यह सेरोटोनिन के लेवल को बढ़ा सकता है जो रिलैक्स होने में मदद कर सकता है। इसे किसी पेय (बेवरेज) या मिठाई के साथ भी लिया जा सकता है।2 जायफल (नट्मेग) का सेवन किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में ही करना चाहिए।

सांसों की बदबू के लिए जायफल (नट्मेग) के संभावित इस्तेमाल:

सांसों की बदबू को दूर करने के लिए जायफल (नट्मेग) का तेल काम में आ सकता है।  इसमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं और यह दांतों के दर्द और मसूड़ों की समस्याओं को ठीक करने में मददगार हो सकता है। इस गुण के कारण इस तेल को कई तरह के टूथपेस्ट में भी डाला जा सकता है।

अगर आपके डेंटिस्ट द्वारा दांत दर्द के लिए जायफल (नट्मेग) प्रिस्क्राइब किया गया है तो आप अपने आहार में इसे शामिल कर सकते हैं।5

पाचन क्रिया के लिए जायफल (नट्मेग) के संभावित इस्तेमाल:

जायफल (नट्मेग) पाचन क्रिया संबंधी समस्याओं जैसे कब्ज़, दस्त, पेट फूलना और सूजन को मैनेज करने में मदद कर सकता है। पेरिस्टलसिस और अलग-अलग आमाशय रस और एंजाइम के स्राव में सुधार करके जायफल (नट्मेग) एक पाचन टॉनिक के रूप में कार्य कर सकता है।6 जायफल (नट्मेग) के ये प्रभाव अभी तक साबित नहीं हुए हैं इसलिए पाचन क्रिया संबंधी किसी भी समस्या के लिए इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

दर्द के लिए जायफल (नट्मेग) के संभावित इस्तेमाल:

अपने सूजन, दर्द, लालिमा रोकने वाले गुणों के कारण जायफल (नट्मेग) पेट दर्द में मददगार हो सकता है। जायफल (नट्मेग) के तेल का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द, और मांसपेशियों के दर्द को काबू करने में किया जा सकता है। खाने के साथ जायफल (नट्मेग) लेने से घाव, गठिया और चोटों के कारण होने वाले दर्द से राहत मिल सकती है। जायफल (नट्मेग) पाउडर को तिल के तेल के साथ मिलाकर लगाने से गठिया रोग संबंधित दर्द, नसों का दर्द कम हो सकता है।6 हालांकि, दर्द को ठीक करने के लिए जायफल (नट्मेग) का सेवन करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से सलाह करनी चाहिए।

कैंसर के लिए जायफल (नट्मेग) के संभावित इस्तेमाल

अध्ययनों के अनुसार, मिरिस्टिका फ़्रेग्रेंस के एसेंशियल ऑयल ने साइटोटॉक्सिक प्रभाव (कैंसर सेल्स को मारना) दिखाया है। जायफल (नट्मेग) के बीजों के छिलके में कीमो प्रोटेक्टिव (कैंसर के इलाज के हानिकारक प्रभावों में मददगार) गुण हो सकते हैं। यह स्किन पैपिलोमा के रोगों को कम कर सकता है। जायफल (नट्मेग) कैंसर के स्तर को कम कर सकता है।6 कैंसर एक गंभीर बीमारी है और केवल योग्य डॉक्टरों द्वारा ही इसका निदान और इलाज किया जाना चाहिए। कृपया खुद से कोई दवा न लें।

दांतों के लिए जायफल (नट्मेग) के संभावित इस्तेमाल:

जायफल (नट्मेग) में एंटी बैक्टीरियल गुण हो सकते हैं और स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स के खिलाफ़ एक मज़बूत निरोधात्मक (इन्हिबिटॉरी) प्रभाव हो सकता है। स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स एक ओरल पैथोजेन है जो दांतों में सड़न के लिए ज़िम्मेदार होता है। जायफल (नट्मेग) पीरियोडोंटाइटिस (ऐसी स्थिति जहां दांत के मसूड़ों में सूजन होती है) के इलाज में भी मददगार हो सकता है, क्योंकि इसमें सूजन-रोधी और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। इस प्रकार, ओरल हाइजीन के दैनिक इस्तेमाल में शामिल करने पर जायफल (नट्मेग) मददगार हो सकता है।6

जायफल (नट्मेग) का सेवन कैसे करें:

जायफल (नट्मेग) को अपनी डाइट में कई तरह से लिया सकता है, जैसे1

● जायफल (नट्मेग) को कॉफ़ी, चाय, गर्म दूध या गर्म चॉकलेट में मिलाएं।

● इसका इस्तेमाल सब्ज़ियों में मसाले के तौर पर करें।

● इसे ब्रेकफ़ास्ट सीरीयल्स पर छिड़कें।

● जायफल (नट्मेग) को अपने पसंदीदा फल के ऊपर छिड़कें।

● बेक करने वाली चीज़ों में एक सामग्री के रूप में इस्तेमाल करें। 

● मुल्‍ड साइडर और मुल्‍ड वाइन जैसे मौसमी पेयों (बेवरेज) में इसे मिलाएं।

किसी प्रकार के हर्बल सप्लिमेंट का सेवन करने से पहले एक योग्य डॉक्टर से अवश्य सलाह लें। किसी योग्य डॉक्टर से सलाह किए बिना आधुनिक दवा के चल रहे इलाज को किसी आयुर्वेदिक/हर्बल रूप से तैयार दवा के साथ न बदलें और न ही इसकी दवाएं लेना बंद करें।

जायफल (नट्मेग) के साइड इफ़ेक्ट:

● जायफल (नट्मेग) के एंटीकोलिनर्जिक ज़हर के जैसे साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं। जब इसे ज़्यादा मात्रा में लिया जाता है, तो इससे झनझनाहट, मतिभ्रम, चक्कर आना और ज़्यादा उत्साह जैसे तंत्रिका संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) लक्षण पैदा हो सकते हैं। इन लक्षणों के बाद बेहोशी और अत्यधिक नींद आ सकती है।

● सामान्य नकारात्मक साइड इफ़ेक्ट में उल्टी, चक्कर आना, जी मिचलाना, पेट में दर्द, सिरदर्द, सीने में दर्द और कंपकंपाना शामिल हैं। जायफल (नट्मेग) में एलिमिसिन और मायरिस्टिसिन होते हैं जो  नारकोटिक होते हैं और मनोदैहिक प्रभाव (साइकोट्रॉपिक इफ़ेक्ट) पैदा करते हैं (मानसिक गतिविधि को प्रभावित करते हैं)।

● ज़्यादा मात्रा में जायफल (नट्मेग) का सेवन करने से अस्थायी कब्ज़, पेशाब करने में कठिनाई और लीवर पर फ़ैट जम सकता है। पिसा हुआ जायफल (नट्मेग) मतिभ्रम की औषधि के रूप में मददगार हो सकता है, लेकिन ज़्यादा सेवन से बेहोशी और मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं।7

जायफल (नट्मेग) का सेवन करते हुए बरती जाने वाली सावधानियां:

● जायफल (नट्मेग) का सेवन गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित नहीं है, इसलिए इस दौरान इससे बचना चाहिए। ज़्यादा मात्रा में लेने पर गर्भवती महिलाओं में उत्तेजना, तेज़ धड़कन, घबराहट, गला सुखना, धुंधली दृष्टि और सीने में जकड़न हो सकती है।

● यह ज़रूरी है कि इसका हाई डोज़ न लें क्योंकि इसमें मादक (नारकोटिक) प्रभाव होते हैं। 

● इससे अस्थमा हो सकता है और एलर्जी हो सकती है।

● स्तनपान कराने के दौरान जायफल (नट्मेग) के सुरक्षित सेवन के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। स्तनपान कराने के दौरान जायफल (नट्मेग) का सेवन न करना ही बेहतर है। 8,1

Read in English: Shikakai – Uses, Benefits, Side Effects & Precautions

अन्य दवाओं के साथ लिया जाना:

यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि इनमें से किसी भी दवा को लेते समय जायफल (नट्मेग) का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए: 8, 9

इसलिए, अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करना चाहिए, क्योंकि उनका प्रिस्क्रीप्शन आपकी स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में र(खते हुए दिया गया है। कृपया परामर्श के समय अपने डॉक्टर को आपको पहले से प्रिस्क्राइब किए गए और मौजूदा समय में ली जा रही सभी दवाओं के बारे में ज़रूर बताएं।

सुखाने वाली दवाएं (एंटीकोलिनर्जिक दवाएं)

जायफल (नट्मेग) इन दवाओं के असर को कम कर सकता है।

लीवर द्वारा मेटाबोलाइज़ की जाने वाली दवाएं

कुछ दवाएं लीवर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इस तरह की दवाओं के साथ जायफल (नट्मेग) का सेवन करने से कई साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं। इसलिए इन दोनों को एक-साथ लेते समय सावधानी बरतना ज़रूरी है। एक साथ इनका सेवन करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

एसिटाइलकोलिनेस्टरेज़ (AChE) इन्हिबिटॉर्स (अल्ज़ाइमर्स रोग के लिए दवाएं)

इन दवाओं के साथ जायफल (नट्मेग) का सेवन करने से अल्ज़ाइमर्स रोग के लिए ली जाने वाली दवाओं के साइड इफ़ेक्ट बढ़ सकते हैं। इसलिए, इन दोनों को एक-साथ लेने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करना बेहतर होगा।

CNS डिप्रेशन की दवाएं या सेडेटिव दवाएं

जायफल (नट्मेग) का सेवन करने से नींद आ सकती है। सेडेटिव दवाएं लेने से भी काफ़ी नींद आती है। इन्हें एक साथ लेने से पैथोलॉजिकल (रोगकारी) नींद आ सकती है जो खतरनाक हो सकती है।

ग्लॉकोमा आदि के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं (कोलिनर्जिक दवाएं)

जायफल (नट्मेग) के सेवन से दिल, दिमाग और शरीर के अन्य अंगों में कुछ केमिकल बढ़ सकते हैं। ग्लॉकोमा, अल्ज़ाइमर्स रोग, और अन्य बीमारियों के प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाएं भी इन केमिकल्स को प्रभावित कर सकती हैं। इन दवाओं को जायफल (नट्मेग) के साथ लेने से साइड इफ़ेक्ट ज़्यादा बढ़ सकते हैं।

Read in English: Safed Musli – Uses, Benefits, Side Effects & Precautions

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

1) जायफल (नट्मेग) का कॉस्मेटिक में क्या इस्तेमाल है?

औषधीय उद्देश्यों के अलावा, जायफल (नट्मेग) की पत्तियों और छाल में कुछ एसेंशियल तेल होते हैं जिनका इस्तेमाल साबुन, परफ़्यूम, मोमबत्तियाँ और मरहम बनाने के लिए किया जाता है। 2

2) क्या मुहांसों के लिए जायफल (नट्मेग) का इस्तेमाल किया जा सकता है?

हां, जायफल (नट्मेग) और काली मिर्च को एक बराबर मात्रा में मिलाकर मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।2 बेहतर सलाह के लिए अपने डर्मटॉलजिस्ट (त्वचा विशेषज्ञ) से संपर्क करें।

3) क्या कफ़ सिरप में जायफल (नट्मेग) का इस्तेमाल किया जा सकता है?

हां, जायफल (नट्मेग) में कफ़ निकालने वाले गुण होते हैं और इसका इस्‍तेमाल कफ़ सिरप में किया जाता है। अरोमाथैरेपी में भी यह काम आता है।2 हालांकि, मनुष्यों के लिए इसके लाभों का पता लगाने के लिए और अध्ययन आवश्यक हैं।

4) जायफल (नट्मेग) के अन्य नाम क्या हैं?

जायफल (नट्मेग) को जातिपत्री, जातिफल, मिरिस्टिका, मिरिस्टिका फ़्रेग्रेंस, मिरिस्टिका ऑफ़िसिनैलिस, नक्स मोक्षता, जातिफला, मस्केड और मस्कटबॉम जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।1

5) क्या जायफल (नट्मेग) भारत में पाया जाता है?

भारत में, जायफल (नट्मेग) की खेती तमिलनाडु, केरल, गोवा, कर्नाटक और उत्तर पूर्वी भारत में की जाती है।10

Read in English: Black Salt – Uses, Benefits, Side Effects & Precautions 

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References:

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  5. TRIPATHI NAGJA*, KUMAR VIMAL*, ACHARYA SANJEEV*. MYRISTICA FRAGRANS: A COMPREHENSIVE REVIEW. innovareacademics.in. [Internet]. December 30, 2015. Available from: https://journals.innovareacademics.in/index.php/ijpps/article/view/8552/5423 .
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  7. Ashish Deep Gupta 1, Deepak Rajpurohit 2. Chapter 98 – Antioxidant and Antimicrobial Activity of Nutmeg (Myristica fragrans). National Library of Medicine. [Internet]. April 8, 2011. Available from: https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/B9780123756886100982 .
  8. Chul-Ho Yun 1, Hye Suk Lee, Hee-Yong Lee, Sung-Kun Yim, Keon-Hee Kim, Eunhee Kim, Sung-Su Yea, F Peter Guengerich. Roles of human liver cytochrome P450 3A4 and 1A2 enzymes in the oxidation of myristicin. PubMed. [Internet]. February 3, 2003. Available from: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/12523956/#:~:text=The%20oxidation%20of%20myristicin%20to,%2D2%2C3%2Ddihydroxybenzene .
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Read in English: Tejpatta – Uses, Benefits, Side Effects & Precautions

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