तेजपत्ता (Bay Leaves in Hindi)– उपयोग, फायदे और न्यूट्रिशनल वैल्यू
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Table of Contents
तेजपत्ता सिनामोमम तमाला नामक पौधे की सूखी पत्तियां होती हैं। यह सिनामोमम वंश के लौरेसी परिवार का पौधा होता है जिसकी 270 प्रजातियां हैं और प्रमाणिक रूप से ये सभी एशिया और ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती हैं।
तेजपत्ता को भारतीय बे-लीफ़ भी कहा जाता है जो छोटे सदाबहार या बारहमासी वृक्ष पर होते हैं जिसका मतलब है कि इनकी पैदावार साल भर होती है और अपने जीवन काल में हर साल फल देते हैं।
सामान्य तौर पर, वृक्ष 12 मीटर ऊँचा होता है और इसकी पत्ती लगभग 12-20 सेमी लम्बी तथा 5-8 सेमी चौड़ी होती है जिसके मध्य में तीन लम्बी तंत्रिकाएं होती हैं जो पत्ती के आधार से शीर्ष तक जाती हैं।
प्राकृतिक रूप से भारतीय बे-लीफ़ उत्तर-पश्चिमी हिमालय के क्षेत्र, सिक्किम, असम, मिजोरम, मेघालय, उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) और उपोष्णकटिबंधीय (सब -ट्रॉपिकल) एशिया, दक्षिण एशिया, प्रशांत क्षेत्र एवं ऑस्ट्रेलिया पाया जाता है। मसाला के रूप में इसका उपयोग विभिन्न व्यंजनों, खासकर उत्तर भारतीय व्यंजनों में किया जाता है और यह इन्हें खुशबूदार गंध और स्वाद प्रदान करता है।1
भारतीय बे-लीफ़ को अंग्रेजी के कई नामों से जाना जाता है जैसे
भारत के स्थानीय भाषाओं में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे
भाग की मात्रा | 1 छोटा चम्मच = 0.6 ग्राम |
मात्रा प्रति भाग | |
कैलोरी | 1.9 किलो कैलोरी |
कुल वसा | 0.1 ग्राम |
कोलेस्ट्रॉल | 0.0 ग्राम |
कुल कार्बोहाइड्रेट | 0.5 ग्राम |
प्रोटीन | 0.1 ग्राम |
1 छोटे चम्मच तेजपत्ता पाउडर में माइक्रोन्यूट्रिएंट की उपस्थिति4
भाग की मात्रा | 1 छोटा चम्मच = 0.6 ग्राम |
मात्रा प्रति भाग | |
विटामिन ए | 1.850 माइक्रोग्राम |
विटामिन बी 1 | 0.000 माइक्रोग्राम |
विटामिन बी 2 | 0.003 मिलीग्राम |
विटामिन बी 3 | 0.012 मिलीग्राम |
विटामिन बी 6 | 0.010 मिलीग्राम |
विटामिन बी9 | 1.080 माइक्रोग्राम |
विटामिन बी 12 | 0.000 माइक्रोग्राम |
विटामिन सी | 0.300 मिलीग्राम |
विटामिन डी | 0.000 माइक्रोग्राम |
कैल्शियम | 5.000 मिलीग्राम |
आयरन | 0.300 मिलीग्राम |
सोडियम | 0.100 मिलीग्राम |
पोटैशियम | 3.2 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम | 0.72 मिलीग्राम |
मैंगनीज | 0.049 मिलीग्राम |
फॉस्फोरस | 0.68 मिलीग्राम |
सेलेनियम | 0.02 माइक्रोग्राम |
राख | 0.1 ग्राम |
पानी | 0.1 ग्राम |
Tejpatta (Bay Leaves) ke sambhavit upyog:
इस औषधीय पौधे के कई प्रकार के उपयोग हैं [संभावित फ़ायदे और उपयोग और फ़ायदे जो निम्नवत हैं2,5,6,7
कई अध्ययनों से पता चला है कि भारतीय बे-लीफ़ के अर्क में एंटीडिप्रेसेंट गुण होते हैं, इसका मतलब है कि या व्यक्ति के मिजाज को प्रफुल्लित कर सकता है। इसमें चिंता से राहत पहुँचाने वाले गुण होते हैं, इसका अर्थ है कि चिंतित व्यक्ति को यह शान्ति प्रदान कर सकता है। अतः इसमें मनोवैज्ञानिक विकारों का प्रबंधन करने वाले गुण हो सकते हैं।5 यद्यपि यदि आप मनोवैज्ञानिक समस्या से जूझ रहे हैं तो अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करना ज़रूरी है।
इस पौधे में त्वचा को चमकदार बनाने के गुण होते हैं। यह त्वचा में उपस्थित डार्क पिगमेंट मेलानिन उत्पन्न करने वाले टायरोसिनेस एंजाइम की क्रियाओं को बाधित कर सकता है।5,6 तेजपत्ता का तेल एक्जिमा जैसे त्वचा विकारों में उपयोगी हो सकता है, जिसमें त्वचा सूखी और परतदार हो जाती है। ये संभावित फ़ायदे इसके एंटीऑक्सीडेंट, जीवाणुरोधी एवं सूजनरोधी गुणों के कारण हो सकते हैं। कीटाणुरोधी कार्यों के कारण इस पत्ती का इस्तेमाल सिर के जूं हटाने के लिए किया जा सकता है।7 अगर आप इस तरह के संक्रमण से जूझ रहे हैं तो आपको किसी डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह परेशानी का कारण बन सकता है।
Read in English: 5 Ayurveda Herbs For Hair Growth
इसके एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद करता है तथा इन्सुलिन का बेहतर तरीके उपयोग करने के लिए शरीर पर कुछ प्रभाव भी डाल सकता है। साथ ही जब यह डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को दिया जाता है तो यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में भी मदद कर सकता है। मनुष्य पर बड़े स्तर पर अध्ययन करने से जिन लोगों को लम्बे समय से डायबिटीज है उनके महत्वपूर्ण अंगों के नुक्सान को रोकने में तेजपत्ता के प्रभाव का पता लगाने में मदद मिल सकता है। अतः, अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से बात किये बगैर डायबिटीज के लिए तेजपत्ता या अन्य हर्बल उपायों का इस्तेमाल करने से बचें।
तेजपत्ता में कीटनाशी गुण प्रदान करने वाली लॉरिक एसिड पाई जाती है जिसके कारण इसमें कीट निवारक की संभावित शक्ति होती है। इसमें मच्छरों को भगाने के गुण होते हैं तथा यह गेहूं, चावल, जई, और जौ को कीड़ों से बचाता है।7 कीट निवारक के रूप में तेजपत्ता के उपयोग का समर्थन करने के लिए और अध्ययन किये जाने की जरुरत है।
इस औषधि में सामान्य ठंड का इलाज करने की संभावित क्षमता होती है क्योंकि मरीजों में ठंड के कारण होने वाले शुरुआती लक्षण सर्दी को यह कम करता है। यह कफ को कम करके दमा में आराम पहुंचाता है। यह तपेदिक (टीबी) की परेशानियों में भी कुछ फ़ायदा पहुंचा सकता है। कफ ख़त्म करने के इसके गुण के कारण यह कफ को नियंत्रण में काम आ सकता है, और बलगम को बाहर करने में मदद करता है तथा सांस के निकलने के रस्ते को साफ़ करता है; इसलिए यह उपरोक्त स्थितियों में प्रभावी होता है।2 यद्यपि मनुष्य पर इसके फायदों के बारे में उपलब्ध आँकड़े पर्याप्त नहीं हैं और इसलिए फेफड़े के इलाज के लिए अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से बात किये बिना तेजपत्ता या अन्य हर्बल औषधियों का प्रयोग करने से बचें।
तेजपत्ता पर किये गये अध्ययन के अनुसार यह ख़राब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है जो कि LDL-कोलेस्ट्रॉल होता है तथा अच्छे HDL कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि करता है और ट्राइग्लिसराइड को कम करता है। अतः यह हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करता है।2,5,6 ब्लड शुगर स्तर और कोलेस्ट्रॉल स्तर के प्रभाव के कारण यह हृदय की रक्षा करता है अर्थात यह हृदय को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है। यद्यपि उपर्युक्त वर्णित संभावित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए और शोध किये जाने की जरुरत है। कोलेस्ट्रॉल स्तर जैसी गंभीर स्थितियों में डॉक्टर से परामर्श करें इसका निदान और इलाज डॉक्टर द्वारा ही किया जा सकता है।
इस पौधे से प्राप्त एथेनॉलिक अर्क अल्सररोधी का कार्य करता है क्योंकि यह एसिडिटी कम करता है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं।2,5,6 यद्यपि पेट की समस्या होने पर अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से संपर्क करना चाहिए।
इसमें एंटीऑक्सीडेंट, सूजनरोधी, रोगाणुरोधी और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी की संभावित शक्ति के कारण यह छोटे जख्मों को जल्दी से ठीक कर सकता है।2,5,6 इस तथ्य को संपुष्ट करने के लिए और अध्ययन करने की आवश्यकता है।
इस औषधि में कई यौगिक होते हैं जो फ़्री रैडिकल्स से होने वाले नुकसान को कम करते हैं तथा कैंसर के जोखिम को घटाते हैं।2,5,6 आपको सलाह दी जाती है कि अपने डॉक्टर से परामर्श किये बिना किसी हर्बल औषधि का इस्तेमाल कैंसर ठीक करने या रोकने के लिए नहीं करें।
यद्यपि बहुत सारे अध्ययनों से यह पता चला है कि तेजपत्ता का उपयोग कई बीमारियों में किया जा सकता है, किन्तु ये पर्याप्त नहीं हैं और मनुष्य के स्वास्थ्य पर तेजपत्ता के फ़ायदों की सही सीमा निर्धारित करने हेतु और अध्ययन किये जाने की ज़रुरत है।
तेजपत्ता अथवा हर्बल औषधि का उपयोग करने के पहले योग्य डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है। इसी प्रकार, योग्य डॉक्टर से परामर्श किये बिना आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के अनुसार चल रही किसी दवा को बंद या किसी आयुर्वेदिक/ हर्बल औषधि से प्रतिस्थापित नहीं करें।
सामान्य औषधियों और आहारों से लोगों में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया हो सकती है। अतः इसका उपयोग करने के बाद यदि आपको किसी प्रकार के साइड इफ़ेक्ट का अनुभव होता है तो तुरंत अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से संपर्क करें।
तेजपत्ता बे-लीफ़ का एक प्रकार है जिसे भारतीय बे-लीफ़ (सिनामोमम तमाला) भी कहा जाता है।3
हाँ, इन दोनों में अंतर है। दालचीनी सिनामोमम ज़ेलेनिकम नामक छोटे वृक्ष की सुखी छाल होती है जबकि तेजपत्ता सिनामोमम तमाला (भारतीय बे-लीफ़) नामक वृक्ष की सूखी पत्ती होती है।
तेजपत्ता और दालचीनी अलग-अलग होते हैं। तेजपत्ता सिनामोमम तमाला की सूखी पत्ती होती हैं जो सिनामोमम वंश की होती हैं। इस वंश के अंतर्गत लगभग 270 प्रजातियों के पौधे आते हैं। सिनामोमम वेरम (सिनामोमम ज़ेलेनिकम का पर्यायवाची) वृक्ष के सूखे छाल को ही सामान्य तौर पर वास्तविक दालचीनी कहते हैं।1,12,13
पेड़ों को सूरज की पर्याप्त रोशनी की ज़रुरत होती है और नियमित वृक्षारोपण में इसे 3 x 2 मी. की दूरी पर रोपा जाता है। बीजों को जून-जुलाई के महीने में तैयार की गयी क्यारियों में बारीकी से बोया जाता है तथा बीजों के अंकुरण में 2-3 सप्ताह का समय लगता है। जब पौधे 15 सेमी तक ऊंचे हो जाते हैं या चार महीने के हो जाते हैं तो उन्हें 30 x 15 सेमी के आकार के पॉलिथीन बैग में रख दिया जाता है। फिर, 10-12 महीने बाद इन्हें खेत में रोप दिया जाता है और इन्हें कटाई की अवस्था में पहुँचने में 6-9 साल लगते हैं अर्थात जब वृक्ष 8-10 साल के हो जाते हैं तो पत्तियों को तोड़ा जा सकता है। सामान्य तौर पर पत्तियां अक्टूबर से लेकर दिसम्बर महीने तक तोड़ी जाती हैं किन्तु कुछ जगहों पर यह कार्य मार्च तक चलता रहता है।10
हां, लेकिन जितनी मात्रा भोजन में डाली जाती है उतनी ही, तथा पीसी हुई पत्ती का सेवन कुछ देर के लिए किया जा सकता है, कच्ची समूची पत्ती को नहीं खाया जा सकता है क्योंकि इन पत्तियों को पचाना बहुत मुश्किल होता है और गले में अटक सकती हैं या आंत की दीवारों को नुकसान पहुंचा सकती है।8
मुख्य रूप से इस औषधीय पौधे की पत्तियों और छाल का उपयोग विभिन्न हर्बल उत्पादों और भोज्य पदार्थों में किया जा सकता है।7
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