शिमला मिर्च (Capsicum in Hindi): उपयोग, फायदे और न्यूट्रिशनल वैल्यू
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मुझे खाया जा सकता है। मैं हरी हूँ। मैं पीली हूँ। मैं लाल हूँ। कभी-कभी तुम मुझे नारंगी रंग में भी पाओगे! यह रंगीन खाद्य पदार्थ क्या हो सकता है? शिमला मिर्च! शिमला मिर्च का वैज्ञानिक नाम कैप्सिकम एन्नम है और यह सोलेनेसी परिवार की सदस्य है। कैप्सिकम को अमेरिका में बेल पेप्पर, भारत में शिमला मिर्च और यूनाइटेड किंगडम में पेप्पर के नाम से जाना जाता है। शिमला मिर्च (कैप्सिकम) उत्तरी लैटिन अमेरिका और मैक्सिको से उत्पन्न हुई और हरे, लाल, पीले और नारंगी रंग के विभिन्न रंगों में उपलब्ध हैं। पिज्जा पर टॉपिंग के तौर पर खाने या सब्जी के तौर पर पकाने पर ये किस्में न सिर्फ स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि ये बहुत सेहतमंद भी होती हैं। चलिए इस सब्जी के कुछ रोचक फायदों के बारे में जानते हैं।1
Shimla Mirch(Capsicum) Ki Nutritional Value:
शिमला मिर्च (कैप्सिकम) में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जिनके बारे में जो नीचे दी गई टेबल में बताया गया है। यह विभिन्न प्रकार के फाइटोकेमिकल्स जैसे कि विटामिन, एंथोसायनिन, फ्लेवोनोइड्स, फेनोलिक एसिड, कैप्सैसिनोइड्स और कैरोटीनॉयड से भरपूर होती है।
शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के कई सारे गुण होते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है:
नीचे शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के कुछ संभावित फायदों के बारे में बताया गया है:
डिसलिपिडेमिया का मतलब अच्छे कोलेस्ट्रॉल या हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) में कमी और लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल), कुल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स में बढ़ोतरी होना है। अध्ययनों से पता चला है कि लाल शिमला मिर्च (कैप्सिकम) और इसके महत्वपूर्ण घटकों में से एक, कैप्सैसिन डिसलिपिडेमिया में परिवर्तित मापदंडों को संभावित तौर पर नियंत्रित कर सकता है। Zafar et al. ने 2012 में लिपिड प्रोफाइल पर शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के जलीय अर्क के प्रभाव का आकलन करने के लिए नर चूहों पर एक अध्ययन किया। जिन चूहों को शिमला मिर्च (कैप्सिकम) (200 मिलीग्राम/किग्रा) का जलीय अर्क दिया गया था, उनके अंदर कुल कोलेस्ट्रॉल, लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) और ट्राइग्लिसराइड्स में कमी और हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) में बढ़ोतरी देखी गई। यह इशारा करता है कि शिमला मिर्च का सेवन डिसलिपिडेमिया को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। हालाँकि, इन दावों का समर्थन करने के लिए इंसानों पर और ज़्यादा अध्ययन करने की ज़रुरत है।3
शिमला मिर्च (कैप्सिकम) में कैप्सैसिन और कैप्सिएट (कैप्सैसिन एनालॉग) जैसे फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव (ब्लड शुगर कम करना) प्रदर्शित कर सकते हैं। Sanati et al. ने टाइप-I DM वाले चूहों में ब्लड ग्लूकोज पर कैप्सैसि के प्रभाव का आकलन करने के लिए 2017 में एक अध्ययन किया। चूहों को 28 दिनों के लिए 6mg/kg कैप्सैसि और कैप्सिएट दिया गया। अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि कैप्सैसि और कैप्सिएट ब्लड ग्लूकोज को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह इशारा करता है कि शिमला मिर्च (कैप्सिकम) का सेवन ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। हालांकि, इंसानों में इन परिणामों की पुष्टि करने के लिए और ज़्यादा अध्ययन करने की ज़रुरत है।4
शिमला मिर्च (कैप्सिकम) में काफी अच्छी मात्रा में कैप्सैसिनोइड्स होते हैं, जो मेटाबोलिज्म में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। कैप्सैसिनोइड्स वासोडिलेटेशन (रक्त प्रवाह में बढ़ोतरी) को उत्तेजित करने के लिए जाना जाता है जो थर्मोजेनेसिस (ऊष्मा उत्पादन) को बढ़ाता है। थर्मोजेनेसिस में बढ़ोतरी से मेटाबोलिज्म की दर बढ़ जाती है। यह इशारा करता है कि शिमला मिर्च (कैप्सिकम) का सेवन मेटाबोलिज्म को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। हालाँकि, इन दावों का समर्थन करने के लिए और ज़्यादा अध्ययन की की ज़रुरत है।5
कैप्सैसिन एक बायोएक्टिव फाइटोकेमिकल है जो शिमला मिर्च (कैप्सिकम) में भरपूर मात्रा में होता है। Chapa et al.द्वारा 2016 में किए एक लिटरेचर रिव्यु में पाया गया कि कैप्सैसिन कैंसर कोशिका के जीवित रहने, एंजियोजेनेसिस और मेटास्टेसिस के विभिन्न चरणों में जीन की अभिव्यक्ति को बदल सकता है। इसलिए, ऐसी संभावना है कि शिमला मिर्च (कैप्सिकम) का सेवन कैंसर को मैनेज करने में मदद कर सकता है, लेकिन हमें इन दावों का समर्थन करने के लिए इंसानों पर और ज़्यादा अध्ययन करने की ज़रुरत है।6
शिमला मिर्च (कैप्सिकम) में कैप्सैसिन और डायहाइड्रोकैप्सैसिन जैसे फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो परंपरागत रूप से घाव भरने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। हालांकि, इसके लिए वैज्ञानिक प्रमाण सीमित हैं। Ekom et al. ने 2021 में घाव भरने की प्रक्रिया के समर्थन के रूप में शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के अर्क की एंटीबैक्टीरियल क्षमता का आकलन करने के लिए चूहों पर एकअध्ययन किया। इस अध्ययन के नतीजों ने दवा किया कि एक एंटीबैक्टीरियल घटक के तौर पर शिमला मिर्च (कैप्सिकम) का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, इंसानों पर इन दावों की पुष्टि करने के लिए और ज़्यादा अध्ययन की ज़रुरत है।7
शिमला मिर्च (कैप्सिकम) में काफी अच्छी मात्रा में विटामिन C होता है। यह एक जैविक रूप से सक्रिय फाइटोकेमिकल है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है। ऐसा संभव है कि शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के नियमित सेवन से इम्युनिटी बढ़ाने में मदद मिले। हालाँकि, इन दावों का समर्थन करने वाले वैज्ञानिक प्रमाण सीमित हैं। इसलिए, इंसानों पर इन दावों का समर्थन करने के लिए और ज़्यादा अध्ययन की ज़रुरत है।1
शिमला मिर्च (कैप्सिकम) विटामिन B6 और मैग्नीशियम का एक अच्छा स्रोत है और ये दोनों नर्वस सिस्टम के सामान्य कार्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस तरह से यह एंग्जायटी को दूर कर सकता है और पैनिक अटैक को नियंत्रित कर सकता है। इसके अलावा, शिमला मिर्च (कैप्सिकम) में मौजूद मैग्नीशियम एंग्जायटी के कारण होने वाले मांसपेशियों के तनाव को दूर करने में मदद कर सकता है। यह इशारा करता है कि शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के सेवन से एंग्जायटी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, इन दावों का समर्थन करने के लिए वैज्ञानिक प्रमाण अपर्याप्त हैं और इंसानों पर इन दावों का समर्थन करने के लिए और ज़्यादा अध्ययन की ज़रुरत है।1
हालांकि ऐसे अध्ययन हैं जो विभिन्न समस्याओं की स्थितियों में शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के फायदों को दिखाते हैं, लेकिन ये अध्ययन अपर्याप्त हैं और इंसान की सेहत पर शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के फायदों की सही सीमा स्थापित करने के लिए आगे और अध्ययन की ज़रुरत है।
कोई भी हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले आपको किसी योग्य डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श किए बिना कोई भी जारी दवा या इलाज बंद न करें या इसे आयुर्वेदिक/हर्बल दवा से रिप्लेस न करें।
शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के सेवन से जुड़े कुछ साइड इफेक्ट्स में निम्नलिखित शामिल हैं
अगर आपको आप शिमला मिर्च (कैप्सिकम) से कोई उल्टा रिएक्शन होता है, तो आपको तुरंत डॉक्टर या अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए जिसने आपको शिमला मिर्च (कैप्सिकम) का सेवन करने के लिए कहा था। वे आपके लक्षणों के लिए सही मार्गदर्शन दे पाएंगे।
अन्य फलों और सब्जियों की तरह ही सामान्य मात्रा में शिमला मिर्च (कैप्सिकम) का सेवन करना ठीक है। लेकिन शिमला मिर्च (कैप्सिकम) का सेवन करते समय सामान्य सावधानियों का पालन करना चाहिए, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं:
अन्य दवाओं के साथ शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के इंटरेक्शन (परस्पर क्रिया) के संबंध में डेटा नहीं है। हालांकि, आपको हमेशा अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर से अन्य दवाओं के साथ शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के संभावित इंटरेक्शन (परस्पर क्रिया) के बारे में सलाह लेनी चाहिए और उनके प्रिस्क्रिप्शन का पूरी तरह से पालन करना चाहिए, क्योंकि वे आपकी सेहत की स्थिति और आपके द्वारा ली जा रही अन्य दवाओं के बारे में सबसे अच्छी तरह जानते हैं।
शिमला मिर्च (कैप्सिकम) ब्लड ग्लूकोज, डिसलिपिडेमिया (खून में लिपिड लेवल बहुत कम या ज़्यादा हो जाना), कैंसर को नियंत्रित करने और घावों को भरने में मदद कर सकती है। इसके अलावा, यह इम्युनिटी, मेटाबोलिज्म बढ़ाने, मोतियाबिंद को रोकने में मदद कर सकता है, और आर्थराइटिस (गठिया), क्रोहन रोग (आंतों में सूजन) और पीले बुखार में राहत प्रदान कर सकती है।
शिमला मिर्च का वैज्ञानिक नाम कैप्सिकम एन्नम है।
जब शिमला मिर्च (कैप्सिकम) का ज़्यादा मात्रा में सेवन किया जाता है, तो इससे पेट में दर्द, पसीना और सेंसिटिव लोगों में एलर्जी हो सकती है।9
शिमला मिर्च (कैप्सिकम) कैप्सैसिन से भरपूर होती है। हालांकि जानवरों पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के सेवन से डिसलिपिडेमिया (खून में लिपिड लेवल बहुत कम या ज़्यादा हो जाना) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, लेकिन इन दावों का समर्थन करने के लिए और ज़्यादा अध्ययन की ज़रुरत है। इसलिए, उचित उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।3
लिटरेचर स्टडीज कैंसर को नियंत्रित करने के लिए शिमला मिर्च (कैप्सिकम) के उपयोग का समर्थन करती है। लेकिन इंसानों पर इन नतीजों की पुष्टि करने के लिए और ज़्यादा अध्ययन की ज़रुरत है। इसलिए, उचित उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।3
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