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आपको कैसे और क्यों हस्तमैथुन (Masturbation in Hindi) बंद करना चाहिए?

परिचय

हस्तमैथुन करना हर पुरुष के लिए सामान्य बात है और इसे स्वस्थ माना जाता है। ऐसा करना बिल्कुल मानवीय है क्योंकि यह सेक्स के आनंद को बढ़ाता है और अच्छी सेक्स लाइफ को बनाए रखता है। लेकिन यह लत नहीं बनना चाहिए। सेक्स ड्राइव को बढ़ावा देने वाली एक मजेदार गतिविधि को अपने नियंत्रण से बाहर नहीं जाने देना चाहिए। तो, इस आर्टिकल में हम पढ़ेंगे कि हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) कैसे बंद करें और आपको ऐसा क्यों करना चाहिए।

क्या आप बहुत ज़्यादा हस्तमैथुन कर रहे हैं?

आपको कैसे पता चलेगा कि आप ज़्यादा हस्तमैथुन कर रहे हैं? यह आपके सोचने, काम करने और समाज में महसूस करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है। आप अपने व्यवहार में ऐसे बदलाव देखेंगे जो आपके आस-पास के माहौल को प्रभावित कर सकते हैं। और आप ऐसी स्थिति में कभी नहीं आना चाहेंगे,  सही कहा ना? इसे रोकने का पहला कदम यह है कि आप इस बात को स्वीकार करें कि आपको यह समस्या है और फिर इस आदत को कम करने के लिए समाधान ढूंढें। यहां कुछ पॉइंटर दिए गए हैं जिनसे आप पता लगा सकते हैं कि आप बहुत ज़्यादा हस्तमैथुन कर रहे हैं।

ध्यान दें : हर कोई हस्तमैथुन करता है और ऐसा करना गलत नहीं है। अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट और असंतुष्ट, दोनों तरह के लोग हस्तमैथुन करते हैं। आपको सिर्फ यह ध्यान रखने की ज़रुरत है कि आप इसे ज़्यादा न करें।

हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) के बारे में रोचक फैक्ट्स

यहां कुछ रोचक फैक्ट्स दिए गए हैं जो आपको इस टॉपिक और इसके अन्य पहलुओं के बारे में जानकारी देंगे।

लोग हस्तमैथुन क्यों करते हैं?

हस्तमैथुन करना बिल्कुल सामान्य है और लोग ऐसा क्यों करते हैं इसके कई कारण हैं। ज्यादातर लोग नीचे बताए गए कारणों से ऐसा करते हैं।

हस्तमैथुन करना कैसे बंद करें?

अगर आपके लिए हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) पर नियंत्रण रखना मुश्किल है तो इसका मतलब है कि आपको कोई समस्या है और यहां कुछ आसान तरीके बताए गए हैं जो इसे नियंत्रित करने में आपकी मदद करेंगे।

1. पोर्नोग्राफी (अश्लील चीज़ों) से दूर रहें  

पोर्नोग्राफी (अश्लील सामग्री)  उन लोगों के दिमाग पर काफी असर डालती है जो बहुत ज़्यादा हस्तमैथुन करते हैं। यह किसी इंसान को मानसिक रूप से इस तरह प्रभावित करता है कि समाज में उसके सोचने और काम करने के तरीके में बदलाव आ जाता है। ऐसे अश्लील फोटो , वीडियो और वेबसाइटों सर्च करने से बचें जो जिनसे आपकी सोच वापस पहले जैसी हो जाती है।

2. कुछ नया करें

अपना दिमाग को किसी और तरफ डाइवर्ट करना और कुछ और काम करना भी एक ऐसा तरीका है जो आपकी मदद करेगा। एक नया शौक चुनने पर विचार करें और यह हस्तमैथुन पर लगने वाले समय को बदल सकता है। अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों पर काम करना शुरू करें और उन्हें एक पर्सनल डायरी में लिख लें। अपने आप से कहें कि आप इस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे और यह आपको मजबूत बनाए रखता है। यह आपकी एनर्जी को अन्य चीजों पर लगाने में मदद करेगा और फिर आप हस्तमैथुन करने के बारे में नहीं सोचेंगे।

3. डॉक्टर से परामर्श लें

आपको अपनी समस्या के बारे में बात करनी चाहिए। आपको यह भी समझना होगा है कि आप इससे अकेले नहीं लड़ सकते हैं। कोई हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट इस समस्या के बारे में जानने में आपकी मदद करेगा। ज़्यादा हस्तमैथुन आपको मानसिक तौर पर प्रभावित कर सकता है और आपको ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर (ओसीडी) की समस्या हो सकती है जो आपके लिए चीजों को बदतर बना सकता है। इसके बारे में किसी मनोवैज्ञानिक या डॉक्टर  से ज़रूर बात करें।

4. लोगों से मिलें

क्या आप जानते हैं कि कुछ लोग अन्य लोगों से जाकर इसलिए मिलते होते हैं क्योंकि वे अकेलापन महसूस करते हैं? जी हां, खाली दिमाग शैतान का घर होता है और यह आप सोच भी नहीं सकते उससे कहीं ज्यादा नुकसान कर सकता है। लोगों के साथ मिलने-जुलने से आपका दिमाग किसी और दिशा में नहीं जाता है। इसलिए परिवार, दोस्तों के साथ मेलजोल बढ़ाने या  अपने शरीर को ज़्यादा प्रोडक्टिव बनाए रखने के लिए जिम जाएं।

5. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें

नियमित एक्सरसाइज करने से आप मानसिक तौर पर मजबूत रहते हैं। दौड़ना, तैरना, टहलना और जॉगिंग करना  जैसी सामान्य एक्सरसाइज पॉजिटिविटी बढ़ा सकती हैं और आपका ध्यान भटकने नहीं देती है। यह तनाव को कम करती है और आपके दिमाग को शांत रखती है। रोज़ाना 30 मिनट की आसान एक्सरसाइज से आपको अच्छा महसूस होगा।

बहुत ज़्यादा हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) करने के पीछे की साइकोलॉजी

बहुत ज़्यादा हस्तमैथुन एक ऐसी मानसिक स्थिति का संकेत है जो व्यवहार संबंधी समस्या पैदा कर सकती है। हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) करने के बाद ग्लानि की भावना इस तरफ इशारा करती हैं कि यह एक लत बन गया है। इसकी वजह से आप ज़्यादा शराब पीने लग जाते है। इस प्रकार अगर हस्तमैथुन(मास्टरबेशन) करना आपके काबू में नहीं रहता तो एक समस्या बन जाता है। हस्तमैथुन करना ठीक है लेकिन इसे अपने ऊपर हावी न होने दें।

क्या हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) के साइड इफेक्ट होते हैं?

हाँ, बहुत ज़्यादा हस्तमैथुन के शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के बहुत सारे साइड इफेक्ट होते हैं।

ध्यान दें : इससे पहले कि यह बीमारी आपको खाए, अपने डॉक्टर से परामर्श लें। याद रखें कि हस्तमैथुन करना स्वस्थ है और हर इंसान के लिए अच्छा होता है, लेकिन ज़्यादा हस्तमैथुन करने से काफी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) के साइड इफेक्ट आपको मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से प्रभावित कर सकते हैं। आप नहीं चाहेंगे कि ऐसा कुछ आपके साथ हो। दिन में दो बार हस्तमैथुन करना अच्छा और सेहतमंद है, लेकिन हफ्ते में 15 से 20 बार से ज्यादा हस्तमैथुन करते हैं, तो इस पर ध्यान देने की ज़रुरत है। यहां कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल हैं जो आपको इस विषय में गहराई से जानकारी प्रदान करेंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

क्या महिलाएं हस्तमैथुन करती हैं?

जी हाँ, महिलाएं अपनी उंगलियों का इस्तेमाल कर हस्तमैथुन करती हैं। इसे ऑर्गेज़्म भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में योनि के अंदर 2 उंगलियां डालकर यौन आनंद लिया जाता है। जैसे पुरुष अपने हाथों का इस्तेमाल करते हैं, वैसे ही महिलाएं अपनी उंगलियों का इस्तेमाल करती हैं। खुद के बारे में तथा अपनी वाइल्डेस्ट फेंटेसी के बारे में जानना हमेशा अच्छा होता है।

क्या हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) से पिंपल्स होते हैं?

नहीं, यह काल्पनिक बात है कि हस्तमैथुन से पिंपल्स होते हैं। वास्तव में हार्मोनल होने के कारण आपकी त्वचा ज़्यादा ऑयली हो जाती है जिससे पिंपल्स होते हैं। ऐसा अक्सर तब होता है जब कोई जवान हो रहा होता है।

हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) आपकी सेहत के लिए कैसे अच्छा होता है?

हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) से आपको मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से मदद मिलती है। यह आपको तनाव से मुक्त करता है और शारीरिक रूप से यह आपके इरेक्टाइल डिसफंक्शन (स्तंभन दोष) के जोखिमों को रोकता है। यह सेक्स करने का सबसे सुरक्षित तरीका है जिससे आप गर्भवती होने के जोखिमों से दूर रहते हैं और आपको यौन संचारित बीमारियों (एसटीडी) से बचाते हैं। हस्तमैथुन करना अच्छा होता है।

हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) से जुड़ी कौन-कौन सी काल्पनिक बाते हैं?

ऐसे कई लोग होंगे जिन्होंने आपको बताया होगा कि हस्तमैथुन खराब है और इससे कई सेक्सुअल हेल्थ समस्याएं हो सकती हैं। यहां कुछ काल्पनिक बातें बताई जा रही हैं जिन्हें आपको जानना जरूरी है।
– अंधापन
– लिंग का टेढ़ा हो जाना
– इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता)
– लिंग का सिकुड़ जाना
– शरीर पर बहुत सारे बाल आना
– बांझपन
– शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाना
आपको यह समझने की ज़रुरत है कि बहुत ज़्यादा हस्तमैथुन से लिंग की त्वचा फटना, डिप्रेशन और व्यवहार में बदलाव हो सकता है लेकिन ऊपर जो काल्पनिक बातों की लिस्ट दी गई है उनमें से कुछ भी नहीं होता है।

क्या स्पर्म (वीर्य) पीने से महिला गर्भवती हो सकती है?

नहीं,सिर्फ वीर्य निगलने से कोई महिला गर्भवती नहीं हो सकती है। जब शुक्राणु योनि के सीधे संपर्क में आता है तभी गर्भवती हो सकते हैं। लेकिन, वीर्य को निगलने से आप यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) की चपेट में आ सकते हैं।

महिला के स्पर्म (शुक्राणु) का रंग कैसा होता है?

महिला के स्पर्म (शुक्राणु) का रंग थोड़ा ग्रे, सफेद और पीला होता है। अगर वीर्य में खून है तो यह गुलाबी या लाल रंग का दिखाई दे सकता है। एक स्वस्थ शुक्राणु का रंग ग्रे सफेद हो सकता है। कभी-कभी अगर आपको लगता है कि आपके वीर्य का रंग पीला है, तो यह बिल्कुल सामान्य है लेकिन कभी-कभी यह किसी मेडिकल समस्या का संकेत भी हो सकता है।

महिलाओं के लिए पुरुष स्पर्म (शुक्राणु) के क्या स्वास्थ्य लाभ हैं?

पुरुष स्पर्म (शुक्राणु) में मूड बदलने की क्षमता होती है जिसके कारण यह महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इससे महिलाओं की स्किन अच्छी होती है, नींद अच्छी आती है, यह प्यार बढ़ाता है और महिलाओं को खुश रखता है। अगर आपकी पार्टनर तनाव में लग रही है, तो अच्छा सेक्स इसका सटीक समाधान है। शुक्राणु (स्पर्म) में कई  विटामिन होते हैं और यह एक प्राकृतिक एंटीडिप्रेसेंट है।

क्या हस्तमैथुन करते समय महिला का कुछ भी महसूस नहीं होना सामान्य है?

आमतौर पर, हस्तमैथुन से संतुष्टि मिलती है और उत्तेजना होती है। अगर हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) से कोई भी एहसास नहीं होता है, तो यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति हो सकती है जिसे एनाडोनिया कहा जाता है जिसमें व्यक्ति को संतुष्टि महसूस नहीं होती है। ऐसा भी हो सकता है कि आप सिर्फ इसलिए कुछ महसूस नहीं कर रहे हों क्योंकि हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) में आपको रुचि नहीं है। वेजाइनल एरिया के इनरवेशन में समस्या के कारण भी उत्तेजना कम हो सकती है। इसका सही कारण जानने के लिए हेल्थ केयर प्रोवाइडर से परामर्श करना सबसे अच्छा रहता है।

क्या पुरुष और महिला के लिए संतुलित सीमा में हस्तमैथुन करना सुरक्षित है?

हर इंसान अलग तरीके से हस्तमैथुन करता है। चाहे आप पुरुष हैं या महिला, हस्तमैथुन पूरी तरह से स्वस्थ और सामान्य है। यह आपके शरीर को जानने और आपको क्या अच्छा लगता है, यह जानने का एक शानदार तरीका है। यह 100% सुरक्षित भी है और इसमें गर्भवती होने या यौन संचारित बीमारियों (एसटीडी) का कोई खतरा नहीं है।

पारस्परिक हस्तमैथुन (म्यूच्यूअल मास्टरबेशन) क्या होता है?

पारस्परिक हस्तमैथुन (म्यूच्यूअल मास्टरबेशन) वह होता है जिसमें दोनों पार्टनर एक दूसरे के जननांगों को उत्तेजित करने के लिए अपने हाथों या खिलौनों का इस्तेमाल करते हैं। यह दो या दो से ज़्यादा लोगों के बीच किया जा सकता है। पार्टनर द्वारा एक-दूसरे को खुश करने के लिए पारस्परिक हस्तमैथुन (म्यूच्यूअल मास्टरबेशन) एक अनूठा तरीका है। यह फोरप्ले का हिस्सा हो सकता है जो अन्य सेक्सुअल एक्टिविटीज तक ले जाता है या यह आपके और आपके पार्टनर के बीच एक अंतरंग (इंटीमेट) गतिविधि हो सकती है।
हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) करना बिल्कुल सामान्य बात है और यह सेक्स ड्राइव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्या आपको अच्छी सेक्स लाइफ चाहिए? तो इंटरकोर्स (संभोग) से पहले हस्तमैथुन करें। इससे आपकी अपनी वाइल्डेस्ट फेंटेसी को बाहर लाने में मदद मिलेगी और आपकी पार्टनर चाहेगी कि आप उसे ऑर्गेज़्म का सुख दें। सेहतमंद रहें और सुरक्षित रहें।

मास्टरबेशन करने से कौन सी बीमारी होती है?

हस्तमैथुन से कोई बीमारी नहीं होती. यह एक सामान्य और स्वस्थ यौन गतिविधि है जिसे संयमित मात्रा में करने पर कोई चिकित्सीय स्थिति उत्पन्न नहीं होती है। इसके कारण बीमारियाँ होने के बारे में गलत धारणाएँ वैज्ञानिक प्रमाणों द्वारा समर्थित नहीं हैं।

हस्तमैथुन करने से क्या होता है?

जब आप हस्तमैथुन करते हैं, तो आपका शरीर शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं से गुजरता है, जिसमें हृदय गति में वृद्धि, डोपामाइन जैसे फील-गुड हार्मोन का स्राव और अक्सर आराम और तनाव से राहत की भावना शामिल होती है। यह व्यक्तियों को उनकी यौन प्राथमिकताओं और प्रतिक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझने में भी मदद कर सकता है।

हस्तमैथुन अच्छा है या बुरा?


हस्तमैथुन को आम तौर पर एक सामान्य और स्वस्थ यौन गतिविधि माना जाता है। यह तनाव को दूर करने और किसी के शरीर की बेहतर समझ को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। हालाँकि, अत्यधिक हस्तमैथुन से शारीरिक असुविधा हो सकती है या दैनिक जीवन में बाधा आ सकती है, इसलिए संयम महत्वपूर्ण है।

क्या हस्तमैथुन से प्रोटीन की हानि होती है?

हस्तमैथुन से महत्वपूर्ण प्रोटीन हानि नहीं होती है। वीर्य में प्रोटीन की मात्रा न्यूनतम होती है, और हस्तमैथुन सहित सामान्य यौन गतिविधि, शरीर के समग्र प्रोटीन स्तर को कम नहीं करती है।

क्या हस्तमैथुन से सूजन होती है?

हस्तमैथुन से आमतौर पर सूजन नहीं होती है। हालाँकि, अत्यधिक या ज़ोरदार हस्तमैथुन से जननांग क्षेत्र में अस्थायी जलन या मामूली सूजन हो सकती है। असुविधा से बचने के लिए संयम और सौम्य व्यवहार महत्वपूर्ण हैं।

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करी पत्ता (Curry Leaves in Hindi): उपयोग, लाभ और न्यूट्रिशनल वैल्यू

परिचय

करी पत्ते एक छोटे पर्णपाती सुगंधित झाड़ी का भाग होते हैं, जिसका वैज्ञानिक नाम मुरराया कोएनिगी होता है, जो रूटेशियाई कुल से संबंधित होता है। इसे प्राकृतिक औषधीय पौधा माना जाता है। दक्षिण एशिया इस पौधे का घर है, और यह श्रीलंका, बांग्लादेश, चीन और भारत जैसे देशों में पाया जाता है। भारत में, यह हिमालय के नीचे महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और असम जैसे राज्यों में पाया जाता है।1-3

इस पौधे में चमकदार हरे पत्ते होते हैं जो वसंत, ग्रीष्म और मानसून के दौरान वृद्धि करते हैं और ये सर्दियों में गिर जाते हैं। तमिल और कन्नड़ साहित्य में ऐसे संदर्भ हैं जो मुरराय कोएनिगी को ‘करी’ के रूप में वर्णित करते हैं, जिसका अर्थ है सब्जियों के लिए स्वाद एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला ‘मसालेदार सॉस’। यह भारत में सबसे लोकप्रिय मसाला और छौंक के रूप में पहचाना जाता है। इसे आमतौर पर हिंदी में कड़ीपत्ता या मीठा नीम, तमिल में करुवेप्पिलई और मलयालम में करिवेप्पिले कहा जाता है।2,3

करी पत्ते में पोषक तत्वों की मात्रा

सूखे और ताज़े दोनों तरह के करी पत्ते में अच्छे पोषक तत्व होते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद होते हैं। 

पोषक तत्वों की मात्राताज़ा करी पत्तेसूखे करी पत्ते
प्रोटीन (ग्राम)612
कार्बोहाइड्रेट्स (ग्राम)18.764.31
फ़ैट (ग्राम)15.4
विटामिन C (मिलीग्राम)44
β-कैरोटीन (माइक्रोग्राम)7560 5292 
कैल्शियम (मिलीग्राम)8302040
आयरन (मिलीग्राम)0.9312

टेबल 1: प्रति 100 ग्राम करी पत्तों के पोषक तत्वों की मात्रा 1,2

करी पत्ते के गुण

आयुर्वेद के अनुसार, करी पत्ते के बहुत से फ़ायदेमंद गुण हो सकते हैं: 1 

करी पत्ते के संभावित उपयोग

Curry patte (Curry Leaves) ke sambhavit upyog:

करी पत्तों के संभावित उपयोग अलग-अलग स्वास्थ्य स्थितियों के लिए हो सकते हैं। कई अध्ययनों में करी के पत्तों के फ़ायदे इस प्रकार हैंः

1. डाइबिटीज़ के लिए करी पत्ते के संभावित उपयोग

ब्लड शुगर के प्रबंधन में करी पत्तियों की प्रभावशीलता का अध्ययन 2012 में डुसाने एट अल द्वारा एक पशु मॉडल में किया गया था। यह ब्लड शुगर के स्तर में उल्लेखनीय कमी लाता है। पत्तियों के अर्क का यह ब्लड शुगर को कम करने वाला गुण,  ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। ये प्रभाव इंसुलिन के जैसे प्रभाव हो सकते हैं, जो ब्लड शुगर को या तो अग्नाशय के इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाकर या विशिष्ट एंजाइमों के कारण कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज अप-टेक करके कम कर सकता है। इससे पता चलता है कि करी पत्ता डायबिटीज़ मेलेटस के प्रबंधन में प्रभावी हो सकता है।1,3,4

डायबिटीज़ एक गंभीर बीमारी है और इसका उचित निदान किया जाना चाहिए। दुर्भाग्य से, उपरोक्त जानकारी अपर्याप्त है क्योंकि ये अध्ययन मनुष्यों पर नहीं किए गए हैं। हालांकि, शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने पर करी के पत्तों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाने के लिए अभी और अधिक मानव परीक्षणों को करने की आवश्यकता है। इसलिए डॉक्टरों से परामर्श लेना और इसे केवल दवा के रूप में लेना आवश्यक है।

2. त्वचा के लिए करी पत्ते के संभावित उपयोग

करी पत्तों और उनके असेंशियल ऑइल का फ़ायदा यह है कि वे सूजन कोशिकाओं के खिलाफ कार्य कर सकते हैं। जब यह बाहरी सतही चोटों पर लगाया जाता है जैसे कि त्वचा छिलने, जलने और खरोंच, तो ये घाव भरने वाली गतिविधि दर्शा सकते हैं। पत्तियों से बने असेंशियल ऑइल का उपयोग क्रीम और अन्य योगों में किया जा सकता है जो धूप से सुरक्षा, त्वचा की चमक को बढ़ाने और खुरदरी त्वचा को मॉइस्चराइज़ करने के लिए प्रभावी हो सकते हैं। करी पत्ते का तेल त्वचा की समस्याओं जैसे कि फोड़े, मुहांसे, खुजली, रिंगवर्म, ज़ख़्मी पैर आदि से निपटने में भी सहायक हो सकते हैं।1-3

त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए करी पत्तियों के लाभकारी प्रभावों को विकसित करने के लिए आगे के अध्ययनों की आवश्यकता है। इसलिए लोगों को करी के पत्तों से बने किसी भी हर्बल दवा के सेवन से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, हम आपको सलाह देते हैं कि डॉक्टर से परामर्श किए बिना आयुर्वेदिक या हर्बल दवा के साथ चल रही दवाओं को बंद या प्रतिस्थापित न करें।

3. ज़्यादा कोलेस्ट्रॉल के लिए करी पत्ते के संभावित उपयोग

ज़ी एट अल द्वारा 2006 में किए गए एक पशु अध्ययन में करी पत्ते ने कुल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड (वसा) के स्तर को काफ़ी कम कर दिया। करी पत्ते की यह हाइपोलिपिडेमिक (लिपिड कम करने वाली) कार्य इसके एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण हो सकती है। यह कोलेस्ट्रॉल और कम डेंसिटी वाले लिपिड (खराब कोलेस्ट्रॉल) को कम करने में मदद कर सकता है; इससे पता चलता है कि कोलेस्ट्रॉल और वसा के मेटाबोलिज़्म को कम करने में इसकी संभावित भूमिका हो सकती है।3,4,6

हालांकि, ये अध्ययन मनुष्यों पर प्रभाव को समझने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। हमें मानव शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रबंधित करने में करी पत्ते के फ़ायदों के बारे में ज़्यादा जानकारी की आवश्यकता है। इसलिए, कोलेस्ट्रॉल की जांच के लिए करी पत्ते का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से बात करना बेहतर होता है।

4. लीवर के लिए करी पत्ते के संभावित उपयोग

देसाई एट अल द्वारा 2012 में पशु मॉडल अध्ययन ने खुलासा किया कि करी पत्ते के रस ने लीवर एंजाइम के कार्य में काफ़ी वृद्धि की जो लीवर में लिपिड के ऑक्सीडैशन में सहायता करता है। रस ने लीवर की रक्षा करने वाले कार्य भी दिखाए जो लीवर की क्षति को रोकते हैं।4

ऊपर दी गई जानकारी अपर्याप्त है क्योंकि ये अध्ययन जानवरों पर किए गए हैं। हालांकि, मानव स्वास्थ्य पर करी पत्ते के फ़ायदों को जानने के लिए मनुष्यों पर और अध्ययन आवश्यक है। इसलिए, अपने संबंधित डॉक्टरों से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

करी पत्ते के अन्य संभावित उपयोग

हालांकि, कई स्वास्थ्य स्थितियों में करी पत्ते के फ़ायदों को दर्शाने वाले अध्ययन अपर्याप्त हैं और मानव स्वास्थ्य पर करी पत्ते के फ़ायदों की सही सीमा स्थापित करने के लिए आगे के अध्ययन की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त हर व्यक्ति इन जड़ी-बूटियों के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया दे सकता है। इसलिए, किसी भी चिकित्सीय स्थिति के लिए करी पत्ते का उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है।

करी पत्ते कैसे इस्तेमाल करें?

करी पत्तों का इस्तेमाल इन तरीकों से किया जा सकता है:

करी पत्ते से बने किसी भी हर्बल सप्लीमेंट को लेने से पहले लोगों को एक सही डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी होता है। हम सलाह देते हैं कि आप किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श किए बिना आयुर्वेदिक या हर्बल दवाइयों के साथ अपनी वर्तमान दवाओं को न बदलें या न ही उन्हें बंद करें।

करी पत्ते के साइड इफ़ेक्ट्स

कोई महत्वपूर्ण अध्ययन दर्ज प्रमाण नहीं है जो लोगों में करी पत्ते के लक्षण दिखाता है। वैसे, ज़ी एट अल द्वारा 2006 में कुछ अध्ययन में पशु मॉडल में स्थानीय आंतों में जलन दिखाई दी थी।6

हालांकि, अगर आपको पेट में ऐसी जलन महसूस होती है, तो आपको किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और तुरंत इलाज कराना चाहिए।

करी पत्ते के सेवन में बरती जाने वाली सावधानियां

सामान्य तौर पर, करी पत्ते का उपयोग करना सुरक्षित होता है। हालांकि, किसी भी समस्या से बचने के लिए सामान्य सावधानियां बरतने की ज़रूरत होती है।

आपको नियमित रूप से करी पत्ते का सेवन करते समय अपने डॉक्टर द्वारा दी गई सामान्य सावधानियों और निर्देशों का पालन करना चाहिए और आपको कभी भी प्राकृतिक फलों, सब्जियों और जड़ी-बूटियों के साथ स्वयं औषधि नहीं लेनी चाहिए।

अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया

इसलिए, अपने डॉक्टर के साथ अपने चल रहे उपचारों पर चर्चा करना और जड़ी-बूटी की खुराक और रूप पर उनकी सलाह का पालन करना ज़रूरी है। वे आपको आपकी स्थिति के आधार पर करी पत्ता खाने का सबसे अच्छा तरीका सुझाएंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

करी पत्ते का स्वाद कैसा होता है?

करी पत्ते कड़वे होते हैं और उनमें तेज़, तीखी महक होती है।1

क्या हम पेट खराब होने पर करी पत्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं?

पत्तों को बारीक पीसकर छाछ के साथ लेने से खराब पेट का एक अच्छा घरेलू उपाय हो सकता है।1 हालांकि, लोगों को करी पत्ते का इस्तेमाल स्वयं औषधि के रूप में नहीं करना चाहिए। डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।

क्या हम मुंह के अच्छे स्वास्थ के लिए करी पत्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं?

करी पत्ते में मौजूद कैल्शियम और ज़िंक खनिज और बायोएक्टिव घटक जैसे फोलिक एसिड, बीटा कैरोटीन और राइबोफ्लेविन मौखिक स्वास्थ्य के लिए अच्छे हो सकते हैं और माउथवॉश को बनाने में उपयोग किए जाते हैं। हालांकि, यह जानकारी पर्याप्त नहीं है।1 मुंह के स्वास्थ्य पर करी पत्ते के फ़ायदों को प्रमाणित करने के लिए अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।

करी पत्ते में कौन से विटामिन होते हैं?

करी पत्ते के रस में विटामिन ए (β-कैरोटीन) और विटामिन सी होता है, जो बालों के समग्र स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है।

क्या करी पत्ते दस्त में कारगर होते हैं?

करी पत्ते अपने तत्वों के कारण दस्त से लड़ने का गुण दिखाते हैं, जो आंतों के हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ सकते हैं।3 लेकिन यह जानकारी अपर्याप्त है और हमें मानव स्वास्थ्य पर करी पत्ते के सही दायरे को प्रमाणित करने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।

References

  1.  Dipika Bhusal and Dhirendra Pratap Thakur. CURRY LEAF: A REVIEW. REVIEWS IN FOOD AND AGRICULTURE. [Internet]. March 23, 2021. Available from: https://rfna.com.my/archive/1rfna2021/1rfna2021-36-38.pdf.
  2. Jitendra Mittal, Manshu Jain,Ritu Gilhotra,Ravindra Pal Singh. Curry leaf (Murraya koenigii): a spice with medicinal property. MedCrave. [Internet]. November 21, 2017. Available from: https://medcraveonline.com/MOJBM/curry-leaf-murraya-koenigii-a-spice-with-medicinal-property.html.
  3. Dipak Supe, Padmanabh B. Deshpande, Priyanka Kandhare, Sandeep Swam. Multipurpose Role in Management of Human Health. International Journal of Pharmacy and Pharmaceutical Research. [Internet]. August 30, 2021. Available from: https://ijppr.humanjournals.com/wp-content/uploads/2021/09/6.Dipak-Supe-Padmanabh-B.-Deshpande-Priyanka-Kandhare-Sandeep-Swami.pdf.
  4. S.D Mankar, M.S. Bhosale, Mohini Shelke, Pankaj Sonawane. A Review on Murraya koenigii: for Hair Growth Promoter. Research Journal of Pharmacognosy and Phytochemistry. [Internet]. Available from: https://rjpponline.org/AbstractView.aspx?PID=2021-13-1-7.
  5. Jing-Tian Xie, Wei-Tien Chang, Chong-Zhi Wang, Sangeeta R Mehendale, Jing Li, Ramalingam Ambihaipahar, Umadevi Ambihaipahar, Harry H Fong, Chun-Su Yuan. Curry leaf (Murraya koenigii Spreng.) reduces blood cholesterol and glucose levels in ob/ob mice. Pubmed. [Internet]. Available from: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/16552838/.
  6. Kalyani H Barve* , Ginpreet Kaur, Aadesh Kumar and Saloni Daftardar. The Effect of Murraya koenigii Extract on Therapeutic Efficacy of Amlodipine in Rats: Possible Drug-Herb Interaction. General Medicine: Open Access . [Internet]. November 21, 2014. Available from: https://www.iomcworld.com/open-access/the-effect-of-murraya-koenigii-extract-on-therapeutic-efficacy-of-amlodipine-in-rats-possible-drugherb-interaction-2327-5146.1000153.pdf

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PCOS Diet: How to Use Food to Help Manage Your PCOS

Introduction

PCOS, or Polycystic Ovary Syndrome, is a common hormonal disorder that can lead to a range of health issues, including infertility. The three main factors associated with PCOS are irregular ovulation, increased levels of male hormones, and cystic ovaries. These factors can cause problems like hirsutism (unwanted hair growth), acne, and hair loss. In fact, more than 70% of women with PCOS have polycystic ovaries. But here’s the good news: your diet can play a crucial role in managing PCOS. 

Let us dive into the connection between PCOS and diet, and explore how making simple changes to what you eat can make a big difference in your journey to better health1.

What Is PCOS?

PCOS, which stands for Polycystic Ovary Syndrome, is a condition where a woman’s ovaries produce too many male hormones. This can lead to the formation of small fluid-filled sacs called cysts in the ovaries. Not all women with PCOS have these cysts; some women without PCOS can have them too.

Ovulation is the release of a mature egg from the ovary for possible reproduction. But in PCOS, sometimes a woman’s body doesn’t produce enough hormones for ovulation to happen. This may cause the ovaries to develop into many small cysts. These cysts produce male hormones, leading to problems with the menstrual cycle and causing the symptoms of PCOS2.

Types of PCOS?

According to a consensus panel from the NIH (National Institutes of Health), PCOS can be classified into different types based on its phenotypic presentation. The proposed classification includes four phenotypes:

These different phenotypes help in better understanding and classifying the diverse manifestations of PCOS based on the combination of symptoms and characteristics exhibited by individuals3.

What Foods Should You Eat?

When managing PCOS, it’s beneficial to include nutritious and delicious options in your diet. Here are some food choices from the Mediterranean diet that can help you maintain a healthy weight and manage PCOS symptoms:

By incorporating these food choices into your diet, you can support your overall health and effectively manage PCOS symptoms4.

What Foods Should You Avoid?

It is recommended for individuals with PCOS to avoid certain foods that can contribute to inflammation. Here are the foods to be avoided in PCOS:

By avoiding these foods, individuals with PCOS can help reduce inflammation and manage their condition more effectively4.

Tips for Following the PCOS Diet

To effectively manage PCOS, regular exercise, a healthy diet, and weight control are key. Here are tips to maintain a healthy PCOS-friendly diet:

Remember, adapting your diet may seem overwhelming, but support is available to help manage your symptoms and develop a personalized treatment plan5.

Meal Plan for PCOS

Day 1

Day 2

Day 3

Day 4

Day 5

It is recommended to stay hydrated by drinking an adequate amount of water throughout the day. It is also beneficial to reduce or eliminate the consumption of alcohol, sugary beverages, and processed foods. This meal plan is a suggested guideline for a PCOS diet and should not be taken as medical advice. 

To ensure your nutritional needs and dietary restrictions are met, it is recommended to seek guidance from a healthcare professional or registered dietitian to develop a personalized meal plan. This plan can be customized to align with your specific preferences and requirements, but it should emphasize the inclusion of whole foods, lean sources of protein, and a variety of fruits and vegetables. It is advisable to limit the intake of processed foods, sugar, and unhealthy fats6. Before following any of the diets consult your doctor or nutritionist and proceed.

Tips to Manage PCOS

Managing PCOS involves various strategies tailored to individual symptoms and goals. Following are some tips for managing PCOS:

1. Lifestyle Modifications

2. Medications

3. Specialist Referral

Remember, it is important to consult with healthcare professionals experienced in PCOS management to develop a personalized treatment plan based on individual needs and circumstances7.

Frequently Asked Questions (FAQs)

What are some other ways to manage PCOS aside from diet?

In addition to diet, regular exercise, stress management, and adequate sleep can help manage PCOS symptoms.

What is the best treatment option for PCOS?

The best treatment option for PCOS depends on individual symptoms and goals and may include a combination of lifestyle changes, medications, and/or fertility treatments.

Can PCOS be Cured?

PCOS cannot be cured, but symptoms can be managed effectively through lifestyle modifications and appropriate medical interventions.

Are there any specific diets recommended for PCOS?

There is no perfect diet for PCOS, but adopting a balanced and nutritious diet rich in whole foods, fibre, and lean proteins can be beneficial.

Can PCOS affect hair growth on the scalp?

Yes, some women with PCOS may experience thinning hair or hair loss.

References

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Does Masturbating Increase Risk of Prostate Cancer or Vice Versa?

Introduction

Discussing the pleasures and health benefits of certain solo endeavours may raise many eyebrows, such as in the case of masturbation and its association with prostate cancer. It is a malignant tumour of the prostate gland and is one of the main causes of death due to cancer in men worldwide. It is the third most common cancer in Indian men and has been linked to risk factors like vasectomy procedures, obesity, diabetes mellitus, and poor BMI1. Men will be glad to know that studies suggest that frequent ejaculation through intercourse or masturbation has health benefits, and lowering the risk of prostate cancer is one of them2. Contrary to popular belief, masturbation, if done in moderation, does not increase the risk of prostate cancer.

The Link between Masturbation and Prostate Cancer

Masturbation is a common sexual act that has been misunderstood and seen as taboo by society. It involves self-stimulation of the genitalia to achieve sexual release, orgasm, or ejaculation and feel sexual pleasure. People of all genders and sexual orientations can engage in this private activity. It can be both self or partner-assisted.

The ejaculate in men is essentially semen, which contains a large portion of the seminal fluid, a sperm-nourishing liquid. The prostate gland, which is found in men just below the urinary bladder, is responsible for producing this seminal fluid. Hence, the close link between masturbation and prostate cancer cannot be ignored2.

Regular masturbation can be beneficial for the prostate’s health, which can thereby reduce the risk of prostate cancer. Here are a few benefits of masturbation:

One of the most extensive studies was published in European Urology in 2016, in which over 31,000 males were followed for over 20 years. The researchers concluded that frequent ejaculators (irrespective of masturbation or intercourse) had lower prostate cancer rates than other males4.

The precise reason for the positive relationship between masturbation and prostate cancer is not entirely understood since the cancer of the prostate gland is multifactorial. Studies show prolonged contact between the cells of the prostate gland and their secretions, such as seminal fluid, which contains sufficient levels of zinc, phosphates, citric acid, and the male hormone di-hydrotestosterone (DHT), may accelerate the growth of cancer5. Hence, it may be derived that masturbation reduces the contact between the cells and fluids of the prostate gland. However, this fact has yet to be proven.

Other Factors That Affect Prostate Cancer Risk

There are several factors as mentioned below that affect the risk of developing prostate cancer. While some of these factors are beyond our control, knowing them can still help men make wise choices regarding their health6. 

Also Read: Penile Cancer: Symptoms, Diagnosis & Treatment

The Benefits of Masturbation for Prostate Health

While the research on the specific benefits of masturbation for prostate health is still developing, several studies have been conducted to provide an overview of the psychological and physiological health advantages of masturbation and other sexual behaviours that cause ejaculation in men5,7

The following are a few potential advantages of masturbation for prostate health:

1. Reduces the Risk of Prostate Cancer

Masturbation and prostate cancer have an intricate relationship. As explained, prostate cancer risk can be decreased by ejaculations through sexual acts like masturbation5,7.

2. Stimulation of The Prostate Gland

Masturbation involves external genital stimulation, which indirectly affects the prostate gland. This stimulation may keep the gland active, induce the healthy formation of seminal fluid, and drain the fluid periodically. All of these processes are natural and necessary to maintain the health of a secretory gland5,7

3. Better Blood Flow to the Lower Abdomen and Groin

Sexual activity, including masturbation, improves blood flow to the genital area. An increase in blood flow can help the prostate gland function optimally by supplying it with oxygen and other vital nutrients5,7

4. Stress Relief and Happiness

Masturbation is a private, intimate, fulfilling, and pleasurable sexual activity that can help people unwind and reduce stress. Prostate difficulties and other health problems have been related to chronic stress. Masturbation may indirectly improve prostate health by lowering stress levels5,7

5. Masturbation Encourages Sexual Well-Being

Masturbation gives people a chance to know their bodies, sexual preferences, and reactions. Understanding sexual desires and pleasure can help with sexual self-awareness. Accepting your own sexuality and engaging in sexual behaviours that are pleasurable and satisfying, can both be beneficial for your sexual well-being5,7.

6. Ejaculation Affects Sperm Quality

Studies suggest that infrequent ejaculation can improve sperm count and volume, while frequent ejaculation can often enhance sperm quality, morphology, and DNA fragmentation (breakages and patterns in the genetic material of the sperm)8

7. Ejaculation Results in Better Sleep

Following an orgasm, your body releases oxytocin, a stress-reducing hormone, and blocks cortisol, a stress-inducing hormone. Research9 says that orgasms shorten the time it takes to fall asleep and enhance the quality of sleep. 

Also Read: How Exercise Can Help You Deal with Breast Cancer

Conclusion

The inverse relationship between masturbation and prostate cancer clearly requires more scientific studies. In a country like India, it is still difficult for physicians to record a detailed history of self-stimulation or masturbation. There is a long way to go before doctors start prescribing ‘masturbation’ for better sexual health. The majority of factors that increase the chances of prostrate cancer, such as age and family history of the illness, are unchangeable. Hence, if there exists a natural and pleasurable way of reducing the risks of prostate cancer, then why not try it?

Also Read: Is Daily Sex Good for Health?

Frequently Asked Questions (FAQs)

How many times should a man release sperm in a week?

The frequency of ejaculations varies greatly from person to person and is affected by factors like age, health, and sexual choices. There is no set quota or suggested frequency for ejaculation. However, excessive acts of masturbation could be bad.

Can ejaculating too much cause prostatitis?

An infection or inflammation of the prostate gland, known as prostatitis, is caused by bacteria or other elements. In some people, excessive intercourse, including many ejaculations, may cause momentary pain or annoyance in the prostate or pelvic region. A proposed reason for the symptoms of chronic Prostatitis/Chronic pelvic pain syndrome is frequent ejaculation-associated free radical and lactic acid accumulation, which results in noninfectious inflammation and muscle weakness, not prostatitis10

What aggravates prostate cancer?

Age, sedentary lifestyle, chronic stress, and processed food/ red meat are a few aggravating factors in prostate cancer. If you have a family history of prostate cancer, it is best that you stay away from these.

How can I naturally protect my prostate?

Maintain a healthy weight, avoid processed foods with preservatives, hydrate yourself better, exercise regularly and avoid self-medicating with hormonal supplements that may derange the levels of testosterone to keep your prostate healthy

What are the 5 warning signs of prostate cancer?

-Difficulty in the start of urination
-An interrupted flow of urine
-The desire to urinate multiple times, especially at night
-Pain while urinating
-Mild specks of blood in the urine and the semen

References

  1. Hariharan K, Padmanabha V. Demography and disease characteristics of prostate cancer in India. Indian J Urol. 2016 Apr-Jun;32(2):103-8. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4831497/
  2. Aboul-Enein BH, Bernstein J, Ross MW. Evidence for masturbation and prostate cancer risk: do we have a verdict? Sexual medicine reviews. 2016 Jul;4(3):229-34. Available from: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/27871956/ 
  3. Leitzmann MF, Platz EA, Stampfer MJ, Willett WC, Giovannucci E. Ejaculation frequency and subsequent risk of prostate cancer. Jama. 2004 Apr 7;291(13):1578-86. Available from: https://jamanetwork.com/journals/jama/fullarticle/198487
  4. Rider JR, Wilson KM, Sinnott JA, Kelly RS, Mucci LA, Giovannucci EL. Ejaculation frequency and risk of prostate cancer: updated results with an additional decade of follow-up. European urology. 2016 Dec 1;70(6):974-82. Available from: https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/S0302283816003778
  5. Levin RJ. Sexual activity, health and well-being–the beneficial roles of coitus and masturbation. Sexual and relationship therapy. 2007 Feb 1;22(1):135-48. Available from:https://www.tandfonline.com/doi/abs/10.1080/14681990601149197
  6. Bostwick DG, Burke HB, Djakiew D, Euling S, Ho SM, Landolph J, Morrison H, Sonawane B, Shifflett T, Waters DJ, Timms B. Human prostate cancer risk factors. Cancer: Interdisciplinary International Journal of the American Cancer Society. 2004 Nov 15;101(S10):2371-490. Available from: https://acsjournals.onlinelibrary.wiley.com/doi/full/10.1002/cncr.20408
  7. Brody S. The relative health benefits of different sexual activities. The journal of sexual medicine. 2010 Apr;7(4_Part_1):1336-61. Available from:https://onlinelibrary.wiley.com/doi/pdf/10.1111/j.1743-6109.2009.01677.x
  8. Hanson BM, Aston KI, Jenkins TG, Carrell DT, Hotaling JM. The impact of ejaculatory abstinence on semen analysis parameters: a systematic review. Journal of assisted reproduction and genetics. 2018 Feb;35:213-20. Available from: https://link.springer.com/article/10.1007/s10815-017-1086-0
  9. Lastella M, O’Mullan C, Paterson JL, Reynolds AC. Sex and sleep: Perceptions of sex as a sleep promoting behavior in the general adult population. Frontiers in Public Health. 2019 Mar 4;7:33. Available from:https://www.frontiersin.org/articles/10.3389/fpubh.2019.00033/full
  10. Peng H, Chen Q, Tan Y. Frequent ejaculation associated free radical and lactic acid accumulation cause non-infectious inflammation and muscle dysfunction: a potential mechanism for symptoms in Chronic Prostatitis/Chronic Pelvic Pain Syndrome. Med Hypotheses. 2009 Sep;73(3):372-3. Available from: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/19435656

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लौकी (Bottle Gourd in Hindi): उपयोग, फ़ायदे, न्यूट्रिशनल वैल्यू!

परिचय:

लजेनेरिया सिसेरिया, जिसे अंग्रेजी में बॉटल गॉर्ड और हिंदी में लौकी के नाम से जाना जाता है, भारत में यह एक आम सब्जी है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) का इस्तेमाल परंपरागत रूप से बुखार, खांसी, दर्द और अस्थमा जैसी कई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों में मदद के लिए किया जाता रहा है। इसके फ़ायदों के लिए इसका इस्तेमाल प्राचीन काल से किया जाता रहा है। साथ ही इसे विटामिन बी, सी और अन्य पोषक तत्वों का भी बेहतर स्रोत माना जाता है। यह अपने आकार, बोतल, डंबल या अंडाकार आकार के लिए जाना जाता है।

आपको लौकी (बॉटल गॉर्ड) खाने में बोरिंग लग सकती है, लेकिन इसे पृथ्वी पर वातावरण के अनुकूल बनने वाले शुरुआती पौधों में से एक माना जाता है। यह स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले कई फ़ायदों से भी भरपूर हो सकता है।1,2 अगर आप बॉटल गॉर्ड या लौकी (बॉटल गॉर्ड) के बारे में और जानना चाहते हैं तो पढ़ना जारी रखें।

लौकी (बॉटल गॉर्ड) में पोषक तत्वों की मात्रा:

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लौकी (बॉटल गॉर्ड) के गुण:

लौकी (बॉटल गॉर्ड) में ये गुण हो सकते हैं:

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अच्छे स्वास्थ्य के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग:

1. लीवर के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग:

पशुओं के कई अध्ययनों से पता चला है कि लौकी (बॉटल गॉर्ड) में ऐसे गुण होते है, जो लीवर के लिए अच्छे हो सकते हैं। लौकी कई संभावित फ़ायदा प्रदान करती है, जो लीवर की स्थिति और कार्यों में सहायक होते है। इन संभावित फ़ायदों को पशुओं पर किये गए परीक्षणों में देखा गया है। लीवर के किसी भी रोग के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) का इस्तेमाल करने से पहले आपको अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए।1,4

2. मस्तिष्क के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग:

लौकी (बॉटल गॉर्ड) का सेवन याददाश्त के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) में कुछ यौगिक मस्तिष्क पर कार्य करके दर्द निवारक और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनसी) अवसादकारी गतिविधि दर्शती हैं।1,4  सीएनसी अवसादकारी गतिविधि मन को शांत करने पर इसके संभावित प्रभावों का संकेत देती है। मस्तिष्क के फ़ायदे के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) का उपयोग करने से पहले, आपको अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए और उचित निदान और उपचार प्राप्त करना चाहिए।

3. कैंसर के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग:

एक पशु अध्ययन के अनुसार लौकी (बॉटल गॉर्ड) का जूस कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ कार्य करता है। इसके अतिरिक्त, इसके स्टेम अर्क के एक प्रयोगशाला अध्ययन के अनुसार यह कैंसर कोशिका लाइनों के खिलाफ शक्तिशाली साइटोटॉक्सिक (शरीर की कोशिकाओं के लिए विषाक्त) गतिविधि दर्शाता है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) की यह कैंसर विरोधी क्रिया इसकी संभावित एंटीऑक्सीडेंट और साइटोटॉक्सिक क्षमताओं के कारण होती है।1 लौकी (बॉटल गॉर्ड) के इन संभावित लाभों का प्रयोगशाला अध्ययनों में अध्ययन किया गया है। हालाँकि, चल रहे उपचार को बदलने या बंद करने के लिए किसी भी हर्बल सप्लीमेंट या उपचार का उपयोग करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

4. डायबिटीज़ के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग:

डायबिटीज़  के रोगियों को ठीक करने के लिए पारंपरिक रूप से लौकी (बॉटल गॉर्ड) का प्रयोग किया जाता रहा है। कम वसा और उच्च फाइबर सामग्री के कारण, डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) को पसंदीदा भोजन के रूप में खाने का सुझाव दिया जा रहा है। एक पशु परीक्षण के अनुसार, लौकी (बॉटल गॉर्ड) का अर्क डायबिटीज़ वाले पशुओं में ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावी ढंग से कम कर सकता है।4  पशुओं पर किए गए परीक्षणों में लौकी (बॉटल गॉर्ड)  के संभावित डायबिटीज़-रोधी लाभों का अवलोकन किया गया है, और मनुष्यों में इन गुणों को मान्य करने के लिए अधिक अध्ययनों की आवश्यकता है।

5. मोटापे के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग: 

लौकी (बॉटल गॉर्ड) वज़न कम करने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि इसमें कैलोरी कम होती है और इसमें ज्यादातर पानी ही होता है। यह डाइटरी फाइबर में भी समृद्ध होती है और इसमें कम फैट और कोलेस्ट्रॉल होता है। इन गुणों से वज़न कम करने में मदद मिल सकती है।4 आप अपना वज़न कम करने में मदद करने के लिए अपने नियमित आहार में लौकी (बॉटल गॉर्ड) को ले सकते हैं। हालाँकि, वज़न घटाने के लिए किसी भी हर्बल के उपचार का उपयोग करने से पहले, आपको अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से इसके संभावित उपयोगों और दुष्प्रभावों के बारे में परामर्श करना चाहिए।

6. त्वचा के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोगः 

लौकी (बॉटल गॉर्ड) विटामिन C और जिंक का एक अच्छा स्रोत है जो त्वचा के लिए कई फ़ायदे प्रदान कर सकता है।3 विटामिन C त्वचा के समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक विटामिन है। यह त्वचा को पराबैंगनी विकिरण से होने वाले नुकसान से बचा सकता है। यह त्वचा की उम्र बढ़ने के लक्षणों को रोकने में भी मदद कर सकता है, जैसे त्वचा ढीली होना। यह त्वचा बैरियर लिपिड के उत्पादन को बढ़ाकर त्वचा बैरियर को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है।5. यदि आप किसी भी त्वचा की बीमारी से पीड़ित हैं, तो त्वचा की देखभाल करने वाले डॉक्टर या त्वचा विशेषज्ञ से संपर्क करें, क्योंकि वे आपको हर्ब्स और सब्जियों के उपयोग और सीमाओं के बारे में मार्गदर्शन करने में सक्षम होंगे।

हालाँकि ऐसे अध्ययन हैं जो विभिन्न स्थितियों में लौकी (बॉटल गॉर्ड) के लाभों को दर्शाते हैं, लेकिन ये अभी तक अपर्याप्त हैं, और मानव स्वास्थ्य पर लौकी (बॉटल गॉर्ड) के लाभों की वास्तविक सीमा को स्थापित करने के लिए आगे और अधिक अध्ययन करने की आवश्यकता है।

Read in English: Curry Leaves: Uses, Benefits, Side Effects and More!

लौकी (बॉटल गॉर्ड) का उपयोग कैसे करें?

Lauki(Bottle Gourd) Ka Upyog Kaise Karein?

पौधों के सभी भागों, जिनमें फल, पत्ते, तने, छाल, फल की छाल, बीज और तेल शामिल हैं, का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में भी किया जा सकता है।

किसी भी हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले आपको किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। बिना किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श किए आधुनिक चिकित्सा के चल रहे उपचार को आयुर्वेदिक/औषधीय तैयारी से न रोकें या न बदलें।

लौकी (बॉटल गॉर्ड) के दुष्प्रभाव:

कड़वे स्वाद वाली लौकी (बॉटल गॉर्ड) का जूस पीने से गंभीर जहरीली प्रतिक्रिया हो सकती है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस से जहर के लक्षणों में उल्टी, पेट दर्द, दस्त, हेमाटोकेशिया (बदली में खून), हेमेटेमेसिस (खून की उल्टी), सदमे और यहां तक कि मौत भी शामिल हो सकती है। इन लक्षणों में से किसी को भी देखने पर आपको तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

लौकी (बॉटल गॉर्ड) लेते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ

लौकी (बॉटल गॉर्ड) के साथ बरती जाने वाली कुछ सावधानियाँ:

इसके औषधीय लाभों के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) का उपयोग करने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें। 

अन्य दवाओं के साथ परस्पर क्रिया:

अन्य दवाओं के साथ लौकी (बॉटल गॉर्ड) की सुरक्षा या परस्पर क्रिया का पता लगाने के लिए पर्याप्त डेटा की कमी है। इसलिए, यदि आप कोई भी दवा ले रहे हैं, तो आपको खाद्य पदार्थों और सब्जियों के साथ संभावित परस्पर क्रिया के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। वे आपको किसी विशेष दवा की सावधानी और परस्पर क्रिया के बारे में बेहतर मार्गदर्शन कर पाएंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

त्वचा के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के क्या फ़ायदे हैं?

बॉटल गॉर्ड या लौकी (बॉटल गॉर्ड) में विटामिन C का भरपूर मात्रा में समावेश होता है। विटामिन C त्वचा के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है। विटामिन C त्वचा को पराबैंगनी किरणों से होने वाली क्षति से बचाने में उपयोगी हो सकती है। विटामिन C के स्रोत के रूप में लौकी (बॉटल गॉर्ड)  का जूस इस्तेमाल किया जा सकता है।3,5

वज़न घटाने में लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के क्या फ़ायदे हैं?

लौकी (बॉटल गॉर्ड) में कम कैलोरी होती है और इसमें अधिकतर पानी होता है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) में डाइटरी फाइबर भी भरपूर होता है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के पोषक गुणों के कारण यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प बन सकता है जो स्वस्थ भोजन करना चाहते हैं और वज़न को नियंत्रित करना चाहते हैं।4 हालाँकि, इसके उपयोग और मनुष्यों पर लाभकारी प्रभावों का समर्थन करने वाले डेटा की कमी है। वज़न कम करने के तरीकों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से मिल सकते हैं।

लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के स्वास्थ्य पर क्या फ़ायदे हैं?

लौकी (बॉटल गॉर्ड) में पोषणा की मात्रा अच्छी होती है और इसमें बहुत सारे विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट होते हैं। इसके पोषण लाभों के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) का जूस पीया जा सकता है। यह लीवर को स्वस्थ रखने में भी मदद कर सकता है और रोग की स्थिति और त्वचा के स्वास्थ्य में भी मदद कर सकता है।1–5

लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के क्या दुष्प्रभाव हैं?

लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस का स्वाद कड़वा होता है, जो काफी ज़हरीला हो सकता है। यदि आपको उल्टी, पेट में दर्द, दस्त, हेमाटोकेशिया (मूत्र में रक्त) या हेमेटेमिसिस (खून उल्टी) जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। ये लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के विषाक्तता के लक्षण हैं।6 यदि आपको ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें और अपना इलाज कराएं।

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सहजन (Drumstick in Hindi): उपयोग, लाभ, न्यूट्रिशनल वैल्यू और भी बहुत कुछ!

परिचय

अक्सर हम सांभर के कटोरे में इसे तैरते हुए देखते हैं, सहजन (ड्रमस्टिक) को वैज्ञानिक दृष्टि से मोरिंगा ओलेइफेरा लैम के नाम से जाना जाता है। यह मोरिंगेसी वृक्ष परिवार से संबंधित है। यह एक छोटा, तेज़ी से बढ़ने वाला, सदाबहार पेड़ है जो उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) क्षेत्रों में उगता है। यह भारत, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। सहजन (ड्रमस्टिक) को हॉर्सरैडिश ट्री या ड्रमस्टिक ट्री (अंग्रेजी में), सुभंजना (संस्कृत में), हरिताशाका या अक्षीवा (आयुर्वेद में) और सैन्जना या सगुना (हिंदी में) के रूप में भी जाना जाता है।1

सहजन (ड्रमस्टिक) के प्रत्येक भाग में मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक गुण होते हैं; इसलिए, यह महत्वपूर्ण पोषण संबंधी जड़ी बूटियों में से एक है। कई वर्षों से सहजन (ड्रमस्टिक) का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा दवा के रूप में किया जाता रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार, सहजन (ड्रमस्टिक) की हाई न्यूट्रिशनल वैल्यू, जल धारण करने की क्षमता और शुद्धिकरण क्षमता के कारण विभिन्न बीमारियों के लिए यह उपयोगी और मददगार है।1

सहजन (ड्रमस्टिक) में उपस्थित पोषण की मात्रा

सहजन (ड्रमस्टिक) महत्वपूर्ण खनिज और पोषक तत्वों की बड़ी और दुर्लभ किस्म प्रदान करता है। सहजन (ड्रमस्टिक) के कंद, पत्ते, फूल, छाल, जड़ और बीज में भी बायोएक्टिव यौगिक होते हैं।1

पोषक तत्वमात्रा/100 ग्राम में
ऊर्जा37 किलोकैलोरी
प्रोटीन2.1 ग्राम
फ़ैट (वसा)0.2 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट 8.53 ग्राम
फ़ाइबर3.2 ग्राम
कैल्शियम30 मिलीग्राम
आयरन0.36 मिलीग्राम
मैगनीशियम45 मिलीग्राम
फ़ास्फोरस50 मिलीग्राम
पोटैशियम461 मिलीग्राम
सोडियम42 मिलीग्राम
ज़िंक0.45 मिलीग्राम
कॉपर0.084 मिलीग्राम
मैंगनीज0.259 मिलीग्राम
सेलेनियम0.7 म्युग्राम
विटामिन सी141 मिलीग्राम
थायमिन0.053 मिलीग्राम
राइबोफ्लेविन0.074 मिलीग्राम
विटामिन बी60.12 मिलीग्राम
फ़ोलेट44 म्युग्राम
विटामिन ए4 म्युग्राम

टेबल 1:प्रति 100 ग्राम कच्चे सहजन (ड्रमस्टिक) के कंद (फली) में पोषण क मात्रा2

सहजन (ड्रमस्टिक) के गुण

सहजन (ड्रमस्टिक) के प्रमुख घटकों में बायोलॉजिकल गतिविधियां होती हैं जो आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, योग, निसर्ग-चिकित्सा पद्धति और सिद्धा जैसी अनेक औषधीय प्रणालियों में इसके संभावित उपयोग में भूमिका निभा सकती हैं।1 सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित गुण इस प्रकार हैंः

शरीर के पूरे स्वास्थ्य के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग

सहजन (ड्रमस्टिक) का उपयोग हाई न्यूट्रिशन वैल्यू के साथ कई प्रकार से किया जा सकता है। इस पौधे के विभिन्न भाग उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं जो विशेष रूप से दक्षिण एशिया के स्थानीय चिकित्सा प्रणालियों में विभिन्न रोगों को ठीक करने के लिए नियोजित विभिन्न गतिविधियों को करते हैं।3 सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोगों में से कुछ इस प्रकार हैं।

1. डायबटीज़ के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग

सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्ते के रस में एंटी-डायबटीज़ गुण दिखाई देता हैं जो हमारे ब्लड ग्लूकोज़ के स्तर को कम करने में मदद करता हैं। एक पशु पर हुए अध्ययन (गुप्ता आर और अन्य  2012) से पता चला कि सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्तों का रस डायबटीज़ की वृद्धि को कम करने में मदद कर सकता है और प्रोटीन व इंसुलिन हार्मोन के बनने में वृद्धि करके सीरम ग्लूकोज़ के स्तर में कमी भी ला सकता है।1

पशु पर हुए एक अन्य अध्ययन (नोंग एम और अन्य 2007) से पता चला कि सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्तों का रस रक्त में ग्लूकोज़, मूत्र में शर्करा, प्रोटीन, हीमोग्लोबिन और कुल प्रोटीन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।4 हालांकि, उपरोक्त दावों को सत्यापित करने के लिए और ज़्यादा अध्ययन करने होंगे। क्योंकि डायबिटीज़ एक गंभीर बीमारी है और इसका निदान व इलाज डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए तो कृपया डॉक्टर से परामर्श करें।

2. घाव भरने के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग

पशुओं पर हुए विभिन्न अध्ययन (बी. एस राठी और अन्य 2006, वी.आई. हुक्केरी और अन्य 2006) से पता चलता है कि सहजन (ड्रमस्टिक) के सूखे पत्तों से निकला गया रस पशुओं के मॉडल में ग्रैन्युलोमा (डेड स्पेस), कटे और चीरे घाव भरने की क्रिया प्रदर्शित कर सकता है। यह घाव की जगह को भी काफ़ी हद तक कम कर सकता है, घाव के भरने में मदद कर सकता है, और त्वचा की पपड़ी की टूटन को मज़बूत कर सकता है।4 हालांकि, घाव भरने के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोगों को साबित करने के लिए मनुष्यों पर अभी और ज़्यादा अध्ययन करने की आवश्यकता है।

3. किडनी के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग

सहजन (ड्रमस्टिक) की छाल, पत्तियां, बीज, फूल और जड़ों में ड्यूरेटिक गतिविधि होती है जो कि किडनी डिस्फंक्शन (दुष्क्रिया) वाले रोगियों में पेशाब के बनने में सहायक होती है। यह किडनी में ऑक्सालेट नमक (पथरी बनाने वाली इकाइयां) के जमाव को कम करने में भी मदद कर सकता है। पशु पर हुए एक अध्ययन (आर. वी. कराडी और अन्य 2008) में पाया गया कि सहजन (ड्रमस्टिक) की जड़ का रस किडनी में नमक और मूत्र के उत्सर्जन को कम करता है। इसके अलावा, ये रस बड़े हुए सीरम यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन के स्तर को भी कम करते हैं।4 यह जानकारी अपर्याप्त है क्योंकि ये अध्ययन अभी सिर्फ पशुओ पर किए गए है। हालांकि, इस दावे का समर्थन करने के लिए मनुष्यों पर इसके और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है। किडनी की बीमारी गंभीर होती हैं और उनका निदान और इलाज डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए, इसलिए कृपया डॉक्टर से परामर्श करें। हम सलाह देते हैं कि आप डॉक्टर से सलाह लेने से पहले खुद से इलाज करने के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) का उपयोग न करें।

4. कैंसर के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग

सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्ते और बीज संभावित एंटी-ट्यूमर गतिविधियों को दर्शाते है। इसमें कुछ यौगिक होते हैं जो अवरोधक के रूप में कार्य कर सकते हैं और ट्यूमर बढ़ाने वाले अणुओं की गतिविधि को बाधित कर सकते हैं। मानव कैंसर की कोशिकाओं पर इन-विट्रो अध्ययनों से पता चला कि सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्ते के रस की अधिकतम खुराक कैंसर कोशिकाओं के संभावित विषाक्त प्रभाव कैंसर कोशिकाओं की संख्या को कम करने में अपना योगदान देती है।4 हालांकि, कैंसर के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग को साबित करने के लिए अभी बहुत ज़्यादा व्यापक शोधों की आवश्यकता है। इसके अलावा, कैंसर एक गंभीर बीमारी है और इसका निदान और इलाज डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए।

5. सहजन (ड्रमस्टिक) के अन्य संभावित उपयोग

यद्यपि ऐसे और भी अध्ययन हैं जो विभिन्न स्थितियों में सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोगों को दर्शाते हैं, लेकिन वे अपर्याप्त हैं, और हमें मानव स्वास्थ्य पर सहजन (ड्रमस्टिक) के लाभों की वास्तविक सीमा स्थापित करने के लिए आगे और ज़्यादा अध्ययन करने की ज़रूरत है।

सहजन (ड्रमस्टिक) का उपयोग कैसे करें?

Sehjan(Drumstick) ka upyog kaise karein?

ड्रमस्टिक का प्रयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता हैः

नियमित रूप से सहजन (ड्रमस्टिक) का सेवन करने से पहले आपको हमेशा अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। वे आपकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार सही रूप और खुराक निर्धारित करने के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति होंगे।

 किसी भी हर्बल सप्लीमेंट को लेने से पहले आपको किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श किए बिना आधुनिक चिकित्सा के चल रहे उपचार को आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों की तैयार दवा से न तो बदलें या न ही रोकें।

सहजन (ड्रमस्टिक) के दुष्प्रभाव

पिछले कुछ वर्षों में, सहजन (ड्रमस्टिक) की प्राकृतिक उत्पत्ति और कुछ दुष्प्रभावों के कारण इस पर काफ़ी शोध किये गए है। यह एंटी-एलर्जिक एजेंट होता है और आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में जड़ी-बूटियों के उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।4,5 हालांकि, कुछ लोगों को सहजन (ड्रमस्टिक) के बीज की फलियों से एलर्जी हो सकती है। इसके सबसे सामान्य दुष्प्रभाव निम्न हैंः

सहजन (ड्रमस्टिक) लेते के समय बरती जाने वाली सावधानियां

आम तौर पर सहजन (ड्रमस्टिक) को सुरक्षित माना जाता है अगर इसे कम मात्रा में खाया जाए। हालांकि, दिक्कतों से बचने के लिए सामान्य सावधानी बरतनी होगी।

कृपया अपनी मर्ज़ी से दवाई न लें, कृपया चल रहे किसी भी इलाज को अपने आप न घटाएं-बढ़ाएं, न बदलें या न रोकें। कृपया स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

अन्य दवाओं के साथ क्रियाएं

सहजन (ड्रमस्टिक) में अनेकों बायोएक्टिव यौगिक होते हैं, जो कि कई ड्रग-मेटाबोलाइजिंग एंजाइमों के साथ क्रियाएँ करते हैं जिसके परिणामस्वरूप दवा के अवशोषण, वितरण, उपापचय और शरीर से निरसन में परिवर्तन होता है और जो संभवतः विषाक्तता और उपचार की विफलता का कारण बनता है। सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्तों का रस ऐसे एंजाइमों में से एक को रोकता है, जो दवाओं के विषाक्तीकरण के लिए ज़िम्मेदार है।6

सहजन (ड्रमस्टिक) का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें और सुनिश्चित करें कि यह आपके लिए सुरक्षित है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सहजन (ड्रमस्टिक) में कौन से विटामिन होते हैं?

सहजन (ड्रमस्टिक) में विटामिन A, C, B1, B2, B6 और B9 जैसे विटामिन होते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के लिए फ़ायदेमंद हो सकते हैं।2 हालांकि, लोगों को डॉक्टर से परामर्श करने से पहले खुद से चिकित्सा के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) का उपयोग नहीं करना चाहिए।

क्या सहजन (ड्रमस्टिक) को गर्भावस्था में खाना अच्छा है?

गर्भावस्था के दौरान सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग के बारे में अपर्याप्त और अनिश्चित डेटा उपलब्ध है। कृपया इसे खाने से पहले अपनी गाइनकॉलजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) से परामर्श करें और इसे खाने से पहले पता करें कि यह सुरक्षित है या नहीं।

क्या सहजन (ड्रमस्टिक) थायरॉयड को नियंत्रित करने में मदद करता है?

हां। सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्तों का रस थायरॉयड हार्मोन के लिए सहायक हैं जो आगे हाइपरथायरायडिज्म (अतिरिक्त थायरॉयड हार्मोन) में और मदद कर सकता हैं।3

सहजन (ड्रमस्टिक) के अन्य सामान्य नाम क्या हैं?

सहजन (ड्रमस्टिक) के अन्य सामान्य नाम मुरिन्ना या सिगरू (मलयालम में), ला केन (चाइनीज़ में), सुरगावो (गुजराती में), सैंजना या सोंजना (पंजाबी में), मॉरिगकाई (तमिल में), रावांग (अरबी में) और मुलागा या मुनागा (तेलुगु में) हैं।4

सहजन (ड्रमस्टिक) से होने वाली एलर्जी का मुख्य निदान परीक्षण क्या है?

सहजन (ड्रमस्टिक) के कारण होने वाली एलर्जी की प्रतिक्रियाओं का पता लगाने के लिए स्किन प्रिक (सुईं) टेस्ट एक संभावित नैदानिक टूल है।

सहजन की तासीर कैसी होती है?

सहजन की तासीर उष्ण और उर्जावान करने वाली होती है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और पाचन को सुधारता है।

क्या सहजन से अम्लता होती है?

सहजन आमतौर पर अम्लता का कारण नहीं बनता और इसे पाचन के लिए अच्छा माना जाता है। हालांकि, हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए कुछ लोगों को व्यक्तिगत प्रतिक्रिया के रूप में अम्लता महसूस हो सकती है। यदि सहजन खाने के बाद अम्लता होती है, तो इसकी मात्रा कम करें या किसी चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श लें।

क्या सहजन से रक्तचाप बढ़ता है?

सहजन आमतौर पर रक्तचाप को बढ़ाता नहीं है, बल्कि इसे नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसमें पोटैशियम और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो रक्तचाप को संतुलित रखने में सहायक होते हैं। लेकिन अगर आपको विशेष स्वास्थ्य स्थितियाँ हैं, तो इसे आहार में शामिल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

क्या सहजन को कच्चा खाया जा सकता है?

सहजन की फलियों को कच्चा नहीं खाना चाहिए, क्योंकि वे कठोर और पचाने में कठिन हो सकती हैं। इन्हें पकाकर या उबालकर खाना बेहतर होता है ताकि इनके पोषक तत्व आसानी से अवशोषित हो सकें और पाचन में सहायक हों।

क्या किडनी के मरीज सहजन खा सकते हैं?

किडनी के मरीज सहजन खा सकते हैं, लेकिन इसे आहार में शामिल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है। सहजन में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है, जो किडनी की समस्याओं वाले लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है।

क्या कुत्ते सहजन की सब्जी खा सकते हैं?

कुत्तों को सहजन की सब्जी नहीं खिलानी चाहिए। इसमें कुछ ऐसे तत्व हो सकते हैं जो कुत्तों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। कुत्तों के लिए उचित आहार के बारे में हमेशा पशु चिकित्सक से परामर्श लें।

क्या सहजन मधुमेह के लिए अच्छा है?

हाँ, सहजन मधुमेह के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। फिर भी, इसे आहार में शामिल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना उचित है।

क्या सहजन और मोरिंगा एक ही हैं?

हाँ, सहजन और मोरिंगा एक ही हैं। मोरिंगा का वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है और इसे आमतौर पर सहजन के नाम से जाना जाता है।

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References

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  3. Zarina N, Wani AW, Rawat M, Kaur H, Das S, Kaur T, et al. Medicinal utilization and nutritional properties of drumstick (Moringa oleifera)—A comprehensive review. Food Science & Nutrition. 2024 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC11266908/ 
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  5. Khan W, Parveen R, Chester K, Parveen S, Ahmad S. Hypoglycemic Potential of Aqueous Extract of Moringa oleifera Leaf and In Vivo GC-MS Metabolomics. Frontiers in Pharmacology [Internet]. 2017 Sep 12;8. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC5601078/ 
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  11. Prajapati C, Ankola M, Upadhyay TK, Sharangi AB, Alabdallah NM, Al-Saeed FA, et al. Moringa oleifera: Miracle plant with a plethora of medicinal, therapeutic, and economic importance. Horticulturae. 2022 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://www.mdpi.com/2311-7524/8/6/492 
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Penile Cancer: Symptoms, Diagnosis & Treatment

Introduction

Cancer appears as a solid tumor (lump) that is malignant1. Penile cancer is a cancer of the penis (the external part of the male urinary and reproductive system). The cells present in the tissues of the penis give rise to different types of penile cancer.

Depending upon the type of cell affected in the penis, the type of penile cancer is determined. Following are the type of penile cancers: Squamous cell cancer, Melanoma, Basal cell cancer, Adenocarcinoma (Paget’s disease of the penis), and Sarcoma2.  Penile cancers can start in any part of the penis. 

Most commonly it has been found to begin on the head or foreskin of the penis.  This cancer goes untreated in many individuals since it is associated with psychological distress. Males suffering from this type of cancer often delay seeking medical opinion because they fear and suffer embarrassment4 . Males who are over 55 years are most often detected with penile cancer. However, people who are under the age of 40 can also develop this type of cancer.

Did you know?

Signs and Symptoms of Penile Cancer

Irrespective of the type of penile cancer, mostly the foreskin and the tip of the penis (glans) get affected. Therefore, penile cancer symptoms are first visible on this part of the penis5.

Signs of penile cancer are listed as under:

The following are the symptoms of penile cancer: 

Causes of Penile Cancer

Penile cancer is a rare form of cancer that starts in the tissues of the penis. The exact cause of penile cancer is not clear, but several factors have been identified that may increase the risk of developing this type of cancer:

Risk Factors for Penile Cancer

Risk factors are not the factors causing penile cancer but these factors increase the chance of occurrence of developing penile cancer. Below are some of the risk factors3:

Diagnosis of Penile Cancer

Upon visiting the doctor following diagnostic protocols are carried out to understand the developing penile cancer in an individual. The mean age of diagnosis of penile cancer is at the age of 60 years4.

Treatment of Penile Cancer

Treatment strategy for penile cancer depends on the size of the tumour, cancer stage, spread of the cancer, and its likelihood of relapsing after the treatment3. Often, treatment options are combined to have maximum therapeutic effect, following is a list of treatments that might be employed for treating penile cancer: 

In my experience, a healthy skin cell may become a cancer cell when you have penile cancer. Uncontrolled cancer cell growth results in the formation of a tumour that pushes the healthy cells aside. As time passes, cancer cells have the potential to invade further organs and tissues in your body. I strongly recommend routine complete body checkups for those who have a family history of cancer3.

Dr. Rajeev Singh, BAMS

Treatment for a mild form

Treatment for a severe form

Prevention of Penile Cancer

Following are the possible preventive measures7:  

Also Read: Does Masturbating Increase Risk of Prostate Cancer or Vice Versa?

Complications of Penile Cancer

Penile cancer complications are like any complication that arises due to surgical incidents such as:  

Did you know squamous cell carcinoma (SCC) makes up 95% of penile cancer cases? This type of cancer develops in the epithelium that is the top layer of your skin. Different types of tissues may develop other forms of penile cancer: basal cell carcinoma (BCC), melanoma, and sarcoma. Out of these, the malignancy melanoma is more dangerous3.

Dr. Siddharth Gupta, B.A.M.S M.D (Ayu)

When to See a Doctor

One should visit the doctor if the following conditions are observed. As a regular practice, one should look for the mentioned changes that occur in and around the penis: 

Also Read: How Exercise Can Help You Deal with Breast Cancer

Conclusion

Penile cancer, though rare, is a serious condition that requires timely recognition and treatment. The stigma, fear, and lack of awareness surrounding male reproductive health often lead to delayed diagnoses, affecting outcomes. Understanding the symptoms, risk factors, and causes, especially the role of HPV and poor hygiene can empower men to take preventive steps early on.

Fortunately, with advancements in diagnostics and treatment, many cases can be managed effectively when detected in time. Maintaining proper genital hygiene, avoiding tobacco, practicing safe sex, and not ignoring unusual symptoms are key pillars of prevention. If you notice any persistent changes in or around the penis, do not hesitate to consult a doctor. Early action can make a significant difference, not just in treatment success but also in overall well-being and quality of life.

Also Read: Jaundice: Symptoms, Treatment, Causes and Types

Frequently Asked Questions (FAQs)

How quickly do we need to decide on treatment for penile cancer? 

As soon as your doctor confirms penile cancer, treatment strategies should be discussed with the doctor.  

Can a person with penile cancer have sex or have children after treatment?

Most men can typically have an erection and continue their sexual life normally after the cancerous area has been removed (wide local excision)9. Most men can typically have an erection and continue their sexual life normally after the cancerous area has been removed (wide local excision)9.

Will treatment affect how I urinate?

Penile tissue is kept alive during many cancer therapies. This means that your penis finally recovers to resemble its pre-treatment appearance almost exactly. You’re still able to urinate when standing10.

For penile cancer, do I need to see any other types of doctors?

A surgical oncologist, a urologist who focuses on urinary tract issues, a medical oncologist, and a radiation oncologist are frequently on a penile cancer team.

How long does it take me to recover from the treatment?

This occurs often 7 to 14 days following your operation11.

References

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  9. Sex and relationships | Penile cancer | Cancer Research UK [Internet]. Available from: https://www.cancerresearchuk.org/about-cancer/penile-cancer/living-with/sex-relationships
  10. Penile Cancer: Symptoms, Stages & Treatment [Internet]. Available from: https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/6181-penile-cancer
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Disclaimer: The information provided here is for educational/awareness purposes only and is not intended to be a substitute for medical treatment by a healthcare professional and should not be relied upon to diagnose or treat any medical condition. The reader should consult a registered medical practitioner to determine the appropriateness of the information and before consuming any medication. PharmEasy does not provide any guarantee or warranty (express or implied) regarding the accuracy, adequacy, completeness, legality, reliability or usefulness of the information; and disclaims any liability arising thereof.

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शिलाजीत (Shilajit in Hindi): उपयोग, लाभ और साइड इफ़ेक्ट

परिचय

शिलाजीत (शुद्ध किया गया) एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग भारतीय चिकित्सा की स्वदेशी प्रणाली में किया जाता है।1 शिलाजीत आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में एक ऐसी औषधि है जो सदियों से जानी-मानी है और जिसका बरसों से इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह भारत और नेपाल के बीच हिमालय के पहाड़ों में ऊंचे पर्वतों की चट्टानों से मिलने वाला एक काले-भूरे रंग का पाउडर या रिसाव है। यह अफगानिस्तान, तिब्बत, रूस और उत्तरी चिली में भी पाया जाता है। उत्तर भारत में इसे शिलाजतु, सलाजीत, मम्मियो या मिमि के नाम से जाना जाता है।2

शिलाजीत(Shilajit) आयुर्वेदिक मैटेरिया मेडिका में सूचीबद्ध एक महत्वपूर्ण दवा है और इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा कई प्रकार की बीमारियों के प्रबंधन के लिए किया जाता है। शिलाजीत को दैवीय पहाड़ों की चिकित्सा शक्तियों को धारण करने वाली शानदार औषधि के तौर पर जाना जाता है। यह रॉक मिनरल्स, रॉक ह्यूमस और कार्बनिक पदार्थों से बना है जिन्हें रॉक की परतों द्वारा कंप्रेस किया गया है।1

शिलाजीत में मौजूद केमिकल संघटक (Chemical Components of Shilajit)

शिलाजीत में ह्यूमिन्स, ह्यूमिक एसिड और फुल्विक एसिड होता है। फुल्विक एसिड प्रमुख संघटक है जो शिलाजीत के न्यूट्रास्युटिकल घटकों का 60 से 80% हिस्सा है। शिलाजीत में मौजूद अन्य संघटक हैं फैटी एसिड, रेज़िन, एल्ब्यूमिन, पॉलीफेनोल्स, फेनोलिक लिपिड, ट्राइटरपीन, स्टेरोल्स, एरोमैटिक कार्बोक्सिलिक एसिड, क्यूमैरिन्स, लेटेक्स, गम और अमीनो एसिड।2    

शिलाजीत में चांदी, कॉपर, ज़िंक और आयरन सहित 84 से ज़्यादा मिनरल होते हैं।3

शिलाजीत की खूबियाँ (Properties of Shilajit)

शिलाजीत की खूबियाँ इस प्रकार हैं:

शिलाजीत के शानदार उपयोग (Potential Uses of Shilajit)

1. अनीमिया के लिए शिलाजीत का शानदार उपयोग

एनीमिया एक ऐसी समस्या है जिसमें रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में या हीमोग्लोबिन की मानक मात्रा में कमी हो जाती है। आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया बहुत आम तरह का एनीमिया है। शिलाजीत में आयरन होता है। एक पशु अध्ययन में जब डाइटरी सप्लीमेंट के रूप में लिया गया, तो यह पाया गया कि शिलाजीत ने हेमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि की। शिलाजीत को डाइटरी सप्लीमेंट के रूप में लेना आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के प्रबंधन में फायदेमंद हो सकता है।4 हालाँकि, यह जानकारी काफ़ी नहीं है क्योंकि यह अध्ययन सिर्फ़ जानवरों पर किया गया है। इसलिए, मनुष्यों में आयरन की कमी को दूर करने के लिए शिलाजीत के शानदार उपयोगों का सुझाव देने के लिए बड़े पैमाने पर मानव में अध्ययन करने की आवश्यकता है।

2. मांसपेशियों की थकान के लिए शिलाजीत के शानदार उपयोग

शिलाजीत का सप्लीमेंट लेने से थकान से संबंधित मेटाबॉलिक गतिविधियों को बढ़ाकर और मांसपेशियों और ताकत को बढ़ाकर कसरत से बेहतर परिणाम पाने में मदद मिल सकती है। एक क्लिनिकल अध्ययन में, शिलाजीत के साथ सप्लीमेंट लेने से थका देने वाले काम के बाद मांसपेशियों की शक्ति बनाए रखने पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।5 हालांकि, मांसपेशियों की थकान के लिए शिलाजीत के लाभों को साबित करने के लिए अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।

3. दिल के लिए शिलाजीत के शानदार उपयोग  

अलग-अलग प्रयोगात्मक अध्ययनों में पाया गया कि लिपिड प्रोफाइल पर शिलाजीत के लाभकारी प्रभाव होते हैं। शिलाजीत ने एक पशु मॉडल में दिल की मांसपेशियों की चोटों को ठीक करने में प्रायोगिक तौर पर अहम एक्शन दिखाया। इसने चूहों में दिल के टिशूज़ पर हानिकारक प्रभाव को कम किया।6 हालांकि, यह अध्ययन मनुष्यों पर नहीं बल्कि जानवरों पर किया गया था। इसलिए, मनुष्यों में शिलाजीत के सही फ़ायदों का पता लगाने के लिए मनुष्यों में अभी और ज़्यादा ट्रायल्स की आवश्यकता है।

4. ऊंचाई पर रहने वाले लोगों के लिए शिलाजीत के शानदार उपयोग

कम ऊंचाई वाले स्थानों से ऊंचाई पर चढ़ने वाले लोगों से जुड़ी आम समस्याएं हैं हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा (फेफड़ों में फ्लूइड रिटेंशन), एक्यूट माउंटेन सिकनेस, हाई एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा (दिमाग की सूजन), भूख कम लगना, हाइपॉक्सिया (टिशूज़ में भरपूर ऑक्सीजन की कमी), अनिद्रा, सुस्ती, पेट खराब होना, शारीरिक और मानसिक निराशा।

शिलाजीत में फुल्विक एसिड होता है। फुल्विक एसिड हाइपॉक्सिया को रोकने, ऊर्जा के उत्पादन और खून बनाने में मदद कर सकता है। यह पोषक तत्वों को ऊतकों तक पहुंचाने में भी मदद कर सकता है और सुस्ती, थकान और पुरानी थकान को दूर करने में मदद करता है। शिलाजीत का उपयोग ज़्यादा ऊंचाई पर यात्रा करने वाले लोगों द्वारा सप्लीमेंट के रूप में किया जा सकता है।3 हालांकि, यात्रा करते समय शिलाजीत का उपयोग करने से पहले, कृपया अपने डॉक्टरों से सलाह लें और कभी भी अपना इलाज खुद करने की ग़लती न करें।

5. गैस्ट्रिक अल्सर के लिए शिलाजीत के शानदार उपयोग

पेप्टिक अल्सर एक गैस्ट्रिक (पेट का) घाव है जो तब बनता है जब गैस्ट्रिक लाइनिंग आक्रामक एजेंटों के संपर्क में आती है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर अक्सर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फ्री रेडिकल डैमेज के कारण होते हैं। शिलाजीत में एंटी-अल्सर, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट एक्शन हो सकते हैं। इसलिए, शिलाजीत ह्यूमन गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव (पेट को सुरक्षा देने वाले) एजेंट के रूप में पेट के अल्सर के लिए एक लाभकारी समाधान हो सकता है।7 हालाँकि, यह जानकारी काफ़ी नहीं है; इसलिए, मानव स्वास्थ्य पर शिलाजीत किस हद तक लाभकारी है यह तय करने के लिए मनुष्यों पर अभी और शोध करने की आवश्यकता है।

6. अल्ज़ाइमर रोग के लिए शिलाजीत का शानदार उपयोग

शिलाजीत में पाए जाने वाले फुल्विक एसिड में याददाश्त बढ़ाने वाले गुण हो सकते हैं। फिलामेंट (अल्ज़ाइमर के विकास में शामिल एक कारक) में ताऊ (tau) प्रोटीन के सेल्फ-एग्रीगेशन में भी फुल्विक एसिड मदद करता है। शिलाजीत में अल्ज़ाइमर रोग के लक्षणों को कम करने के लिए डाइटरी सप्लीमेंट के रूप में काम करने की क्षमता भी हो सकती है।2 हालांकि, यह जानकारी काफ़ी नहीं है और दिमाग के स्वास्थ्य के लिए शिलाजीत के लाभों को साबित करने के लिए हमें मनुष्यों पर अभी और ज़्यादा ट्रायल्स की आवश्यकता है।

हालांकि, स्वास्थ्य की अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग अध्ययन शिलाजीत के शानदार उपयोग दिखाते हैं, लेकिन ये अध्ययन काफ़ी नहीं हैं और मानव स्वास्थ्य पर शिलाजीत के लाभ कितने कारगर हैं यह पक्का करने के लिए आगे और अध्ययन की आवश्यकता है।

शिलाजीत को कैसे उपयोग करें (Shilajit ko kaise Upyog kare)?

आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक आपकी आवश्यकता के अनुसार आपके लिए दवा को सही रूप में और सही खुराक में लेने की सलाह देंगे। साथ ही, हम आपको सलाह देते हैं कि किसी अनुभवी डॉक्टर से सलाह लिए बिना अपनी चल रही दवाओं को न तो बंद करें और न ही इसके बजाय  शिलाजीत से बना कोई आयुर्वेदिक/हर्बल प्रिपरेशन लेना शुरू करें।

शिलाजीत के साइड इफ़ेक्ट (Shilajit ke Side Effects)

हालांकि, अगर आप शिलाजीत लेने के बाद किसी भी तरह के साइड इफ़ेक्ट का अनुभव करते हैं, तो तुरंत अस्पताल जाएं और इन साइड इफेक्ट्स को दूर करने के लिए उचित इलाज लें।

शिलाजीत के साथ बरती जाने वाली सावधानियां (Precautions to Take With Shilajit)

इसकी सुरक्षा के बारे में कोई जानकारी नहीं होने के कारण इसे छोटे बच्चों और बड़े वयस्कों को भी नहीं देना चाहिए।

शिलाजीत का अन्य दवाओं के साथ इंटरैक्शन

शिलाजीत का अन्य दवाओं के साथ इंटरैक्शन दिखाने वाली कोई वैज्ञानिक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। हालांकि, लोगों को यह नहीं मान लेना चाहिए कि कोई भी इंटरैक्शन नहीं होता है।

इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह का पालन करें। केवल वे ही आपको इसे सही तरह से लेने की सलाह दे सकेंगे।

Read in English: Shilajit Uses, Benefits & Side Effects

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

शिलाजीत क्या होता है?

शिलाजीत काले-भूरे रंग का पाउडर या रिसाव है जो हिमालय जैसे पहाड़ों से मिलता है और इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता है।2

शिलाजीत को किसलिए उपयोग किया जाता है?

शिलाजीत का उपयोग कई आयुर्वेदिक फ़ॉर्मूलेशन के लिए एक संघटक के रूप में किया गया है। शिलाजीत का उपयोग न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट के रूप में भी किया जा सकता है।

शिलाजीत को कैसे उपयोग करें?

शिलाजीत पाउडर को दूध के साथ ले सकते हैं। शिलाजीत वाले प्रोडक्ट भी मार्केट में उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए शिलाजीत कैप्सूल।3 हालांकि, शिलाजीत का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह ज़रूर लें; वे आपको आपकी स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुसार इसे आपके लिए सही रूप में और सही खुराक में लेने की सलाह देंगे।।

क्या शिलाजीत स्वास्थ्य के लिए अच्छा है?

शिलाजीत में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट, याददाश्त बढ़ाने वाले और अस्थमा से आराम देने वाले कई लाभकारी गुण हो सकते हैं और यह दिल और लिवर के स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकता है।2,4 इस तरह, शिलाजीत स्वास्थ्य के लिए एक अच्छा आयुर्वेदिक सप्लीमेंट हो सकता है। हालांकि, आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और उनकी सलाह के हिसाब से ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

असली शिलाजीत की पहचान कैसे करें?

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, असली शिलाजीत को जलाने पर धुआं नहीं उठना चाहिए और न ही सुलगना चाहिए। पानी में मिलाने पर, यह पूरी तरह से नहीं घुलना चाहिए और जैसे-जैसे यह बिखरता जाता है और पानी की सतह से कंटेनर के नीचे तक जाता है, इसे एक निशान छोड़ना चाहिए।8 असली शिलाजीत की पहचान करना मुश्किल हो सकता है; इसलिए, आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना सबसे बेहतर होता है। वे आपको बताएंगे कि इसका उपयोग कैसे करना है और आपके स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा शिलाजीत कौन सा है।

शिलाजीत किससे बनता है?

यह रॉक मिनरल्स, रॉक ह्यूमस और कार्बनिक पदार्थों से बना है जिन्हें रॉक की परतों द्वारा कंप्रेस किया गया है।1 शिलाजीत में ह्यूमिन्स, ह्यूमिक एसिड और फुल्विक एसिड होता है। फुल्विक एसिड प्रमुख संघटक है जो शिलाजीत के न्यूट्रास्युटिकल घटकों का 60 से 80% हिस्सा है।2

शिलाजीत कब खाना चाहिए?

शिलाजीत को सुबह खाना चाहिए, खाली पेट या भोजन के बाद, ताकि इसकी प्रभावकारीता बढ़ जाए। यह सामग्री आहार के साथ लेने से उसके पोषण को बढ़ावा मिलता है।

शिलाजीत कितनी देर में असर करता है?

शिलाजीत का प्रभाव व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य, सामर्थ्य, और ऊर्जा स्तर पर निर्भर करता है। इसका प्रभाव व्यक्ति की शारीरिक स्थिति, खानपान, और वातावरण के संदर्भ पर अलग-अलग हो सकता है।

शिलाजीत खाने के बाद क्या क्या नहीं खाना चाहिए?

शिलाजीत खाने के बाद तेलीय और अधिक मसालेदार भोजन को नियंत्रित रखना उचित है। उचित पाचन के लिए हल्का और प्राकृतिक आहार पसंद करें, जैसे फल और सब्जियां।

शिलाजीत किस उम्र में खाना चाहिए?

शिलाजीत का सेवन वयस्कों के लिए उपयुक्त होता है, लेकिन इसे 18 वर्ष की उम्र से पहले नहीं लेना चाहिए। यह संयमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के अनुसार लिया जाना चाहिए।

पुरुषों के लिए शिलाजीत के फायदे क्या हैं?

शिलाजीत पुरुषों के लिए शक्ति और सामर्थ्य को बढ़ाने, स्वास्थ्य को मजबूत करने, और विटामिन और खनिजों की पूर्ति में मदद कर सकता है। यह यौन समस्याओं, तनाव, और थकान को कम करने में भी सहायक हो सकता है।

महिलाओं के लिए शिलाजीत के क्या फायदे हैं?

शिलाजीत महिलाओं को ऊर्जा और स्थैर्य प्रदान करने में मदद कर सकता है, साथ ही इसका उपयोग मासिक धर्म के दर्द को कम करने और हॉर्मोनल संतुलन को समायोजित करने में भी किया जा सकता है। इसे उचित परामर्श के साथ सेवन करें।

क्या शिलाजीत वजन बढ़ाता है?

नहीं, शिलाजीत वजन बढ़ाने में सीधे सहायक नहीं है। यह उत्तेजक गतिविधियों को बढ़ाने, स्वास्थ्य को सुधारने, और ऊर्जा को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जिससे खाने की इच्छा और खाना पचाने की क्षमता में सुधार हो सकता है।

क्या शिलाजीत टेस्टोस्टेरोन बढ़ाता है?

हां, शिलाजीत एक प्राकृतिक उपाय हो सकता है जो पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह सामग्री शरीर के ऊर्जा स्तर को बढ़ाती है और शक्ति और सामर्थ्य को भी बढ़ा सकती है।

क्या शिलाजीत शरीर को गर्मी बढ़ाता है?

शिलाजीत का सेवन शरीर को गर्मी बढ़ाने में सीधा योगदान नहीं करता है। यह शरीर को उत्तेजित करने और ऊर्जा प्रदान करने में मदद कर सकता है, लेकिन इसका गर्मी को बढ़ाने के प्रमुख कारक नहीं है।

क्या शिलाजीत बालों का झड़ना करता है?

नहीं, शिलाजीत का सेवन बालों के झड़ने का कारण नहीं है। वास्तव में, इसका सेवन बालों के स्वास्थ्य को सुधार सकता है, क्योंकि यह मिनरल्स और विटामिन्स की भरपूर मात्रा प्रदान करता है जो बालों के विकास और पोषण में मदद करते हैं।

क्या शिलाजीत रोज़ाना लिया जा सकता है?

हां, शिलाजीत को नियमित रूप से लिया जा सकता है, लेकिन इसका सेवन अधिक मात्रा में नहीं किया जाना चाहिए। सामान्यत: 300 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम का शिलाजीत एक दिन में सेवन किया जा सकता है। फिर भी, सर्वोत्तम परिणामों के लिए, डॉक्टर की सलाह लेना बेहतर होता है। विशेष रूप से वे लोग जो किसी भी रोग या दवा का इलाज कर रहे हैं, उन्हें पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

References

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  6. Malik TF, Gnanapandithan K, Singh K. Peptic Ulcer Disease. [Updated 2023 Jun 5]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2025 Jan-. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK534792/
  7. Cornejo A, Jiménez JM, Caballero L, Melo F, Maccioni RB. Fulvic acid inhibits aggregation and promotes disassembly of tau fibrils associated with Alzheimer’s disease. J Alzheimers Dis. 2011;27(1):143-53. doi:10.3233/JAD-2011-110623. PMID: 21785188. Available from: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21785188/
  8. Pandit S, Biswas S, Jana U, De RK, Mukhopadhyay SC, Biswas TK. Clinical evaluation of purified Shilajit on testosterone levels in healthy volunteers. Andrologia. 2016;48(5):570-5. doi:10.1111/and.12482. PMID: 26395129. Available from: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/26395129/
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  10. Carrasco-Gallardo C, Guzmán L, Maccioni RB. Shilajit: a natural phytocomplex with potential procognitive activity. Int J Alzheimers Dis. 2012;2012:674142. doi: 10.1155/2012/674142. Epub 2012 Feb 23. PMID: 22482077; PMCID: PMC3296184. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC3296184/

Disclaimer: The information provided here is for educational/awareness purposes only and is not intended to be a substitute for medical treatment by a healthcare professional and should not be relied upon to diagnose or treat any medical condition. The reader should consult a registered medical practitioner to determine the appropriateness of the information and before consuming any medication. PharmEasy does not provide any guarantee or warranty (express or implied) regarding the accuracy, adequacy, completeness, legality, reliability or usefulness of the information; and disclaims any liability arising thereof.

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तरबूज (Watermelon in Hindi) के 13 फ़ायदे: इतिहास, रेसिपी और अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

परिचय

हर कोई जानता है कि तरबूज आपको गर्मियों वाले दिन में ठंडा रख सकता है, लेकिन यह स्वास्थ्यवर्द्धक फल आपके शरीर को ठंडा रखने से ज्यादा आपको डायबिटीज़ को काबू में करने और उन फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद कर सकता है जो आपके शरीर को लंबे समय तक बने रहने वाले रोगों से ग्रस्त कर सकते हैं। यह आपको दिल के रोगों, अस्थमा का दौरा पड़ने के जोखिमों से बचाने में मदद कर सकता है और वज़न घटाने में भी मदद करता है।  इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल में 45 कैलोरी, विटामिन सी और विटामिन ए होता है जो आपको स्वस्थ बनाए रख सकता है। तरबूज के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको हाइड्रेटेड (शरीर में नमी बनाए रखना) रखता है क्योंकि इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल में 92% पानी होता है और यह आपकी भूख को कम करने और आपको पेट भरा होने का अहसास दिलाने में मदद करेगा।

तरबूज के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Watermelon)

तरबूज में पानी बहुत ज़्यादा मात्रा में होता है जिसका मतलब यह है कि आपको कम कैलोरी के साथ ज़्यादा मात्रा में भोजन मिलता है। साथ अलावा, यहां कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताया गया है जिनके बारे में जानना आपके लिए आवश्यक है।

तरबूज के फ़ायदे

हर साल 3 अगस्त को तरबूज दिवस माना जाता है और यह उन सबसे अच्छे फलों में से एक है जिसे आप अपने पिकनिक या घर की पार्टियों में खा सकते हैं। मीठा और रसीला होने के अलावा, इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल को कई स्वास्थ्य लाभों से भरा हुआ कहा जाता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो सकता है। तरबूज खाने के कुछ स्वास्थ्य लाभ यहां बताए गए हैं।

1. आपको हाइड्रेटेड (शरीर में नमी बनाए रखना) रखता है

इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल में 92% पानी होता है और इसका मतलब है कि आपको कम कैलोरी और बहुत ज़्यादा भोजन मिलता है। यह फल आपके डीहाइड्रेशन को रोकने की क्षमता रखता है और इसका मतलब है कि आपको इसे अपने वज़न घटाने वाले आहार में शामिल करना होगा। खुद को हमेशा हाइड्रेटेड रखना आपके मुंह को सूखने से बचा सकता है और दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। गर्मी के दिनों में हाइड्रेटेड रहने से आपका शरीर ठंडा रहेगा। इससे आपका शरीर साफ रहेगा और आपकी त्वचा भी स्वस्थ रहेगी। तो, आपको बस इतना करना है कि हर दिन सिर्फ एक कप तरबूज खाएं और बस आपका स्वास्थ्य बढ़िया रहेगा।

2. ब्लड शुगर मैनेजमेंट में मदद करता है

यह रसदार फल एल-सिट्रूलीन (एमिनो एसिड) को एल-आर्जिनिन (एमिनो एसिड) में बदलने में आपके गुर्दे की मदद करता है। दरअसल, इन दो अमीनो एसिड में आपको डायबिटीज़ से बचाने के गुण होते हैं। डॉक्टरी भाषा में कहें तो तरबूज में मौजूद एल-आर्जिनिन सप्लीमेंट ज़रूरी होता है, यह शरीर द्वारा ग्लूकोज़ के मेटाबोलिज्म और इंसुलिन को कंट्रोल करता है।

3. वज़न घटाने में मदद करता है

अगर आप स्वाभाविक रूप से वज़न घटाने के बारे में सोच रहे हैं, तो इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल को अपने वज़न घटाने के आहार में शामिल ज़रूर करें। चूंकि इस फल में ज़्यादातर पानी होता है, यह आपको पेट भरा होने का अहसास देता है और इस तरह यह आपके पसंदीदा भोजन के लिए आपकी भूख को कम करके आपको उसे खाने से रोकेगा। इसलिए, अगर आप वज़न हल्का करना चाह रहे हैं, तो आपको इस रसदार फल को अपने वज़न घटाने वाले आहार में शामिल करना चाहिए।

4. कार्डियोवैस्कुलर रोगों को रोकने में मदद करता है

लाइकोपीन तरबूज में पाया जाने वाला एक पदार्थ है और यह फल को लाल रंग देता है। यह पदार्थ टमाटर में भी होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पदार्थ टमाटर से ज्यादा तरबूज में पाया जाता है। खैर, लाइकोपीन कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है और इस तरह आपके दिल से संबंधित बीमारियाँ बढ़ने के जोखिम को कम कर सकता है। तो, आपको बस इतना करना है कि हर दिन सिर्फ एक कप तरबूज खाएं और बस आपका स्वास्थ्य बढ़िया रहेगा।

5. अस्थमा की गंभीरता को कम करता है

तरबूज विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है और इसलिए यह अस्थमा के प्रभाव को कम करने में मददगार साबित होता है और इसका मतलब यह हो सकता है कि आप हर रोज़ सिर्फ एक कप तरबूज खाकर अस्थमा के कुछ गंभीर प्रभावों से लड़ सकते हैं। इसके अलावा, जिन दमा रोगियों में विटामिन सी कम होता है उन्हें दमा के लक्षणों का ज़्यादा अनुभव होता है और इसलिए, अगर आप ऐसी ही किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो आपके लिए तरबूज खाना सबसे बेहतर उपाय होगा। अगर सरल शब्दों में कहें, तो तरबूज में लगभग 40% विटामिन सी होता है जो अस्थमा के रोगियों के लिए अच्छा होता है।

6. दांतों की समस्याओं को कम करता है

हर दिन एक कप तरबूज खाने से से आप पेरियोडोंटल रोगों से बच सकते हैं, पेरियोडोंटल रोग एक ऐसी स्थिति है जो दुनिया की लगभग 25% आबादी को प्रभावित करती है। इस रोग की विशेषताएं हैं दांतों का झड़ना, इन्फेक्शन होना और यह दिल के अन्य रोगों से भी जुड़ा हुआ है। पेरियोडोंटल रोग के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने वाला प्रमुख पदार्थ विटामिन सी है। तो आपको बस इतना करना है कि अपने रोज़ के आहार में कुछ तरबूज भी शामिल करें और बस आपका स्वास्थ्य बढ़िया रहेगा।

7. सूजन से लड़ता है

सूजन से संबंधित रोगों के सबसे आम रूपों में से एक, वर्तमान में जिसका ज़्यादातर लोग सामना कर रहे हैं वह है सूजन जो कई गंभीर बीमारियों का कारण बनती है। इन रोगों में दिल के रोग, कैंसर और फाइब्रोमायल्गिया शामिल हैं। सूजन में बहुत सारी समस्याएं होती हैं जिनका सामना आज ज़्यादातर लोग करते हैं और इस रोग से लड़ने के लिए सावधानी बरतनी ज़रूरी है। हालाँकि, इस तरह की सूजन से लड़ने का एक आसान तरीका यह है कि आप अपने रोज़ाना के आहार में तरबूज को शामिल करें।

8. नसों के काम-काज के लिए अच्छा है

तरबूज में पोटेशियम भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो नसों के काम-काज को नियंत्रित कर सकता है। ज़्यादा सरल शब्दों में कहें, तो यह इलेक्ट्रिकल इम्पल्स (विद्युत आवेगों) और मैसेज (संदेशों) को काम करने में मदद करता है। आपको यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि मानव शरीर में पोटेशियम की कमी होने से सुन्नपन और झुनझुनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। तो अगर आप अपने पैर में ऐंठन से परेशान हैं, तो यह आपके शरीर में पोटेशियम की कमी का कारण हो सकता है। आपको बस इतना करना है कि एक गिलास तरबूज का रस पिएं।

9. हीट स्ट्रोक से बचाता है

हीटस्ट्रोक एक खतरनाक समस्या है जिससे अमेरिका में कई लोग प्रभावित होते हैं। हालांकि, यह स्थिति जानलेवा हो सकती है और इसके लक्षणों में बुखार होना शामिल हैं और शरीर के तापमान को बहुत ज़्यादा तापमान को झेलना पड़ता है।  तरबूज में इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं जो हीट स्ट्रोक से बचा सकते हैं। आपको बस इतना करना है कि थोड़ा तरबूज का रस पिएं और इससे आपके शरीर को ठंडा रखने में मदद मिलेगी और आपके शरीर का तापमान को नियंत्रण में रहेगा।

10. किडनी के लिए फायदेमंद है

मानव शरीर भोजन के माध्यम से, साथ ही जिस हवा में हम सांस लेते हैं उसके माध्यम से भी बहुत सारे विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आता है। हालाँकि, इन विषाक्त पदार्थों को हमारी किडनी बाहर निकाल देती है और अगर आप किडनी को स्वस्थ रखना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि किडनी अच्छी तरह से काम करे तो आपको हर दिन 1 गिलास तरबूज का रस पीना चाहिए। तरबूज में मुख्य पोषक तत्व कैल्शियम और पोटेशियम होते हैं जो विषाक्त पदार्थों से लड़ने में मदद करते हैं और उन्हें आपके शरीर से बाहर निकालते हैं।

11. आँखों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है

तरबूज में लाइकोपीन नाम का एक प्लांट कंपाउंड होता है, जो आंख के टिशूज़ के डीजनरेशन को रोकने में मदद कर सकता है। लाइकोपीन को एक एंटीऑक्सीडेंट और सूजन कम करने वाला भी माना जाता है।  हालांकि लाइकोपीन सच में आंखों को स्वस्थ रखने में कैसे काम करता है, यह देखने के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है। फ़िलहाल तो, यह उम्मीद रखना ही सही है कि तरबूज सच में आंखों के लिए अच्छा हो सकता है।

12. दर्द करने वाली मांसपेशियों को शांत कर सकता है

अध्ययनों में यह पाया गया है कि फलों या रस के रूप में तरबूज एथलेटिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने और कसरत के बाद आपको महसूस होने वाली दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। इसे सिट्रूलीन नामक अमीनो एसिड से संबंधित माना जाता है। नाइट्रिक ऑक्साइड बनने को बढ़ावा देने में सिट्रूलीन आपके शरीर की मदद कर सकता है और खून के दौरे को बेहतर बना सकता है। हालांकि इस स्वास्थ्य लाभ की पुष्टि के लिए अभी और जांच-पड़ताल की आवश्यकता है, तो क्यों न इसे आज़माया जाए और तरबूज के रस को अपने वर्कआउट रिकवरी का हिस्सा बनाया जाए!

13. पचाने के शानदार गुण हो सकते हैं

तरबूज में पानी और फाइबर दोनों होते हैं, ये दो पोषक तत्व एक बढ़िया पाचन तंत्र के लिए बहुत ज़रूरी हैं। कम फाइबर वाला आहार लेने से कब्ज़ और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। अपच या कब्ज़ की किसी भी समस्या को कम करने के लिए तरबूज और फाइबर वाले अन्य खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।

तरबूज का इतिहास (History of Watermelon)

अब जब आप जानते हैं कि यह फल आपके स्वास्थ्य के लिए कितना अच्छा है, तो इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल के इतिहास को जानने लायक कुछ रोचक तथ्य हैं। कहा जाता है कि पहला तरबूज लगभग 5000 साल पहले दक्षिण अफ्रीका में दिखाई दिया था। प्राचीन मिस्र में 2000 ई.पू. के दौरान इस फल की खेती शुरू हुई और यह वहां के रोज़ के खाने का हिस्सा बन गया।

मौजूदा सबसे शुरुआती सबूतों में से एक इमारतों पर चित्रलिपि के रूप में था जो बताता है कि प्राचीन मिस्र के लोग तरबूज की खेती करते थे। बल्कि बाइबिल में भी इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल का उल्लेख एक मुख्य भोजन के रूप में किया जाता है जिसे इज़रायलियों द्वारा खाया जाता था।

अफ्रीका से शुरू होकर, यह फल यूरोप में आया जहां इसे 7वीं शताब्दी के दौरान सफलतापूर्वक उगाया जाने लगा था। बाद में, 10वीं शताब्दी के दौरान यह चीन में भी उगाया जाने लगा और वर्तमान में चीन दुनिया में तरबूज का सबसे बड़ा उत्पादक है। वर्तमान में, दुनिया भर में तरबूज की 1200 अलग-अलग किस्में हैं जो 96 अलग-अलग देशों में उगाई जाती हैं।

तरबूज से बनाई जाने वाली स्वास्थ्यवर्द्धक रेसिपी

कुछ लोगों को हर रोज़ तरबूज खाना स्वादिष्ट नहीं लग सकता है, इसलिए यहां तरबूज से बनाई जाने वाली कुछ स्वास्थ्यवर्द्धक रेसिपी बताई गई हैं जो इन फलों को एक अलग तरीके से खाना आसान बनाने में मदद करेंगी। ये रेसिपी आपकी टेस्ट बड्स को और ज़्यादा ज़ायका देंगी।

1. तरबूज का पिज़्ज़ा

आपको वज़न घटाने वाले स्वस्थ आहार में थोड़े कोकोनट योगहर्ट और बैरीज़ की टॉपिंग के साथ रसदार तरबूज शामिल करना चाहिए।

सामग्री

खैर, इस स्वास्थ्यवर्द्धक रेसिपी को तैयार करने से पहले, आपको सबसे पहले इन सामग्रियों की आवश्यकता होगी।

तरबूज वाला शाकाहारी पिज़्ज़ा कैसे बनाएं

अब जब आपके पास सभी सामग्री तैयार है, तो यहां बताया गया है कि आप इस स्वादिष्ट, रसीले और स्वास्थ्यवर्द्धक तरबूज वाले पिज़्ज़ा को कैसे तैयार कर सकते हैं।

2. तरबूज का पॉप्सिकल

क्या आपको पता था कि आप अपने लिए घर पर ही तरबूज का पॉप्सिकल बना सकते हैं? जी हाँ, इस गर्मी में गर्मी को मात देना बहुत आसान है।

सामग्री

यहां उन सामग्रियों की एक सूची दी गई है जिनकी ज़रूरत आपको तरबूज का पॉप्सिकल बनाने के लिए पड़ेगी।

तरबूज का पॉप्सिकल कैसे बनाएं

तरबूज़ के पॉप्सिकल का ताज़ा और स्वास्थ्यवर्द्धक स्वाद पाने के लिए नीचे बताए गए निर्देशों का पालन करें।

Read in English: 13 Health Benefits of Watermelon

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

एक गिलास ठंडे तरबूज का रस पीने के लिए या तरबूज को सलाद की तरह खाने के लिए गर्मी के मौसम से बढ़िया क्या होगा। इसके कई स्वास्थ्यवर्द्धक लाभों के कारण, इस फल को बस अपने रोज़ाना के भोजन में शामिल करके आप इसे वज़न घटाने वाले आहार के रूप में उपयोग कर सकते हैं। हालाँकि, यह फल आपको ढेर सारे लाभ प्रदान करता है, लेकिन ज़्यादा मात्रा में सेवन करने पर इसके नकारात्मक पहलू भी सामने आते हैं। यहाँ पर कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल दिए गए हैं जो इस फल को ज़्यादा खाने से होने वाली समस्याओं को विस्तार से समझाएँगे।

ज़्यादा तरबूज खाने से क्या होता है?

अगर आप हर रोज़ बहुत ज़्यादा तरबूज खाते हैं, तो आपके शरीर में पोटेशियम और लाइकोपीन की मात्रा बहुत ज़्यादा बढ़ सकती है। हालाँकि, यह सलाह दी जाती है कि आप हर रोज़ 30 मिलीग्राम से ज़्यादा लाइकोपीन का सेवन न करें। अगर यह मात्रा 30 मिलीग्राम से ज़्यादा हो जाती है, तो आपको दस्त, अपच, सूजन और जी मिचलाने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। तो आपको बस इतना करना है कि हर दिन सिर्फ एक कप तरबूज खाएं और बस आपका स्वास्थ्य बढ़िया रहेगा।

क्या तरबूज आपके लिवर के लिए अच्छा है?

यह स्वास्थ्यवर्द्धक फल अमोनिया को प्रोसेस करने में लिवर की मदद करता है जो कि एक बेकार पदार्थ है जो शरीर के प्रोटीन से प्रोसेस होता है। यह आपकी किडनी पर मौजूद तनाव को भी दूर करता है और इलेक्ट्रोलाइट्स बनाता है। इस लिए, हर दिन एक कप तरबूज खाएं या एक गिलास तरबूज का रस पिएं और इससे आपका लिवर स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी।

बीज वाले तरबूज से कौन-से स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं?

खैर, तरबूज की सबसे ज़्यादा उपलब्ध किस्म वह है जिसमें बीज होते हैं। इसे इसलिए स्वास्थ्यवर्द्धक कहा जाता है क्योंकि इसमें कम कैलोरी और भरपूर मात्रा में आयरन, मैग्नीशियम और फोलेट मौजूद होते हैं जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। डॉक्टरी भाषा में कहते हैं कि 1 कप तरबूज के बीज में 10 ग्राम प्रोटीन होता है। इसके अलावा, यह कहावत सच नहीं है कि तरबूज के बीज खाने से आपके पेट में तरबूज का पेड़ उग जाएगा, इसके बीज निगलना पूरी तरह सुरक्षित है।

क्या कुत्ते तरबूज खा सकते हैं?

हाँ, कुत्ते संतुलित मात्रा में तरबूज सुरक्षित रूप से खा सकते हैं। यह उनके लिए ताज़गी देने वाला उपचार है, लेकिन बीज और छिलका अवश्य हटा दें क्योंकि वे पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

क्या तरबूज़ आपके लिए अच्छा है?

जी हां, तरबूज सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह हाइड्रेटिंग है, विटामिन ए और सी से भरपूर है, और इसमें लाइकोपीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और हाइड्रेशन में सहायता करते हैं।

क्या तरबूज मधुमेह के लिए अच्छा है?

कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और उच्च पानी की मात्रा के कारण मधुमेह वाले लोग तरबूज का सेवन कम मात्रा में कर सकते हैं। हालाँकि, भाग नियंत्रण महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें प्राकृतिक शर्करा होती है जो रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकती है।

क्या तरबूज वजन घटाने के लिए अच्छा है?

तरबूज अपनी उच्च जल सामग्री और कम कैलोरी घनत्व के कारण वजन घटाने में सहायता कर सकता है, जिससे यह एक संतोषजनक और हाइड्रेटिंग स्नैक बन जाता है। इसके अतिरिक्त, इसमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो स्वस्थ चयापचय और पाचन का समर्थन कर सकते हैं।

क्या तरबूज एसिडिटी के लिए अच्छा है?

तरबूज अपनी उच्च प्राकृतिक शर्करा सामग्री और अम्लता स्तर के कारण कुछ व्यक्तियों में अम्लता बढ़ा सकता है। हालाँकि, इसके क्षारीय गुण और पानी की मात्रा दूसरों के लिए पेट के एसिड को बेअसर करने में मदद कर सकती है, जिससे कम मात्रा में सेवन करने पर एसिडिटी के लक्षणों से राहत मिलती है।

क्या तरबूज़ गर्भावस्था में अच्छा है?

गर्भावस्था के दौरान तरबूज फायदेमंद होता है क्योंकि यह हाइड्रेटिंग और विटामिन ए और सी जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो भ्रूण के विकास और मातृ स्वास्थ्य में सहायता करता है। इसकी उच्च जल सामग्री गर्भावस्था की सामान्य असुविधाओं जैसे सूजन और निर्जलीकरण को कम करने में भी मदद करती है।

क्या तरबूज दस्त के लिए अच्छा है?

तरबूज़ अपने उच्च पानी की मात्रा के कारण दस्त को कम करने के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो निर्जलीकरण को रोकने में मदद करता है, और इसमें प्राकृतिक शर्करा और इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो पाचन तंत्र में संतुलन बहाल करने में सहायता करते हैं। हालाँकि, गंभीर मामलों या लगातार लक्षणों के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना आवश्यक है।

क्या तरबूज खांसी के लिए अच्छा है?

तरबूज में विटामिन सी होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और खांसी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। इसकी उच्च जल सामग्री गले को हाइड्रेटेड रखने, जलन को शांत करने में भी मदद करती है। हालाँकि, लगातार या गंभीर खांसी के लक्षणों के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना आवश्यक है।

क्या तरबूज में चीनी की मात्रा अधिक होती है?

तरबूज में प्राकृतिक शर्करा होती है, लेकिन इसमें पानी की मात्रा और फाइबर की मात्रा अधिक होने के कारण इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स अपेक्षाकृत कम होता है। हालांकि यह मीठा होता है, लेकिन कम मात्रा में सेवन करने पर यह संतुलित आहार का हिस्सा हो सकता है।

क्या तरबूज दस्त के लिए अच्छा है?

तरबूज दस्त के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, जो निर्जलीकरण को रोकने में मदद करती है, और इसमें पोटेशियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो पाचन तंत्र में संतुलन बहाल करने में सहायता करते हैं। हालाँकि, इसका सीमित मात्रा में सेवन करना और लक्षण बने रहने पर स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

क्या आप तरबूज का छिलका खा सकते हैं?

हां, तरबूज का छिलका खाने योग्य होता है और इसका सेवन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जैसे कि अचार बनाना, तलना, या स्मूदी में मिलाकर। यह सिट्रूलिन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है और इसमें फाइबर भी होता है, हालांकि यह गूदे की तुलना में कम मीठा होता है।

क्या तरबूज़ रात में खाया जा सकता है?

तरबूज को रात में खाया जा सकता है, लेकिन इसमें पानी की मात्रा अधिक होने के कारण इसे कम मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है, जिससे रात के दौरान पेशाब की आवृत्ति बढ़ सकती है। हालाँकि, इसकी कम कैलोरी सामग्री और हाइड्रेटिंग गुण इसे रात के नाश्ते के लिए एक ताज़ा और स्वस्थ विकल्प बनाते हैं।

क्या तरबूज़ गर्भपात का कारण बन सकता है?

इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि तरबूज के सेवन से गर्भपात होता है। वास्तव में, यह एक हाइड्रेटिंग और पौष्टिक फल है जो गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ आहार का हिस्सा हो सकता है। हालाँकि, संयम महत्वपूर्ण है, और गर्भवती व्यक्तियों को अपने आहार के संबंध में अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना चाहिए।

क्या तरबूज़ आपको मल त्यागने पर मजबूर करता है?

तरबूज में फाइबर और उच्च पानी की मात्रा होती है, जो दोनों स्वस्थ पाचन और नियमित मल त्याग को बढ़ावा दे सकते हैं। हालाँकि, व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएँ भिन्न हो सकती हैं, इसलिए जहाँ यह कुछ लोगों के लिए आंत्र नियमितता में योगदान कर सकता है, वहीं दूसरों के लिए इसका समान प्रभाव नहीं हो सकता है।

क्या तरबूज़ में विटामिन सी होता है?

हाँ, तरबूज में विटामिन सी होता है, जो प्रतिरक्षा कार्य, त्वचा के स्वास्थ्य और घाव भरने के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है। तरबूज का सेवन आपकी दैनिक विटामिन सी आवश्यकताओं को पूरा करने में योगदान दे सकता है।

तरबूज कितने समय तक चलता है?

एक बार काटने के बाद, एयरटाइट कंटेनर में संग्रहित करने पर तरबूज आमतौर पर रेफ्रिजरेटर में लगभग 3-5 दिनों तक रहता है। हालाँकि, एक पूरा, बिना काटा हुआ तरबूज़ कमरे के तापमान पर या ठंडी, सूखी जगह पर रखने पर 1-2 सप्ताह तक चल सकता है।

तरबूज शरीर के लिए क्या करता है?

तरबूज कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है, जैसे इसकी उच्च जल सामग्री के कारण जलयोजन, लाइकोपीन जैसे एंटीऑक्सिडेंट के माध्यम से हृदय स्वास्थ्य के लिए समर्थन, और फाइबर सामग्री के कारण पाचन और वजन प्रबंधन में सहायता। इसके अतिरिक्त, यह आवश्यक विटामिन और खनिज प्रदान करता है, जो समग्र कल्याण और जीवन शक्ति में योगदान देता है।

References

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अश्वगंधा (Ashwagandha in hindi) के उपयोग, लाभ और साइड इफ़ेक्ट

परिचय

अश्वगंधा या Withania somnifera, आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में उपयोग की जाने वाली एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है। यह एक तरह की छोटी झाड़ी है जो Solanaceae परिवार का एक हिस्सा है। यह अलग-अलग रोगों के लिए और ज़्यादातर एक नर्व टॉनिक के रूप में (नसों पर आरामदायक प्रभाव डालने वाला) उपयोगी हो सकता है। अश्वगंधा को आमतौर पर इंडियन जिनसेंग या इंडियन विंटर चेरी कहा जाता है। अश्वगंधा अपने रसायन (टॉनिक) गुण के लिए जाना जाता है। रसायन एक हर्बल या मैटेलिक फ़ॉर्मूलेशन है जो एक ताज़गी भरे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ खुशी का अहसास भी दिलाता है।

अश्वगंधा की खेती दक्षिण एशिया, अफ्रीका और मध्य एशिया के खुश्क इलाकों में की जाती है। अश्वगंधा के पौधे के अलग-अलग भागों से 50 से अधिक रासायनिक घटकों को अलग किया गया है।[1]

अश्वगंधा की न्यूट्रीशनल वैल्यू (Ashwagandha ki Nutritional Value)

100 ग्राम अश्वगंधा में जो पोषक तत्व पाए जाते हैं वो इस प्रकार हैं:

पोषक तत्त्ववैल्यू
  एनर्जी  250 g
  टोटल डाइटरी फाइबर  25 g
  कार्बोहाइड्रेट  75 g

टेबल 1: अश्वगंधा की न्यूट्रीशनल वैल्यू 2

अश्वगंधा की खूबियाँ (Ashwagandha ki khubiya)

अश्वगंधा की शानदार खूबियाँ इस प्रकार हैं:

अश्वगंधा के शानदार उपयोग (Ashwagandha ke Shandaar Upyog)

मानव स्वास्थ्य के लिए अश्वगंधा के शानदार उपयोग इस प्रकार हैं

1. चिंता और डिप्रेशन के लिए अश्वगंधा का शानदार उपयोग

अश्वगंधा में एंग्ज़योलिटिक (घबराहट से राहत देने वाले) गुण हो सकते हैं जो लॉराज़ेपाम नामक दवा की तरह ही होते हैं। पशुओं में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, अश्वगंधा और लोराज़ेपम दोनों ही पशु मॉडल में चिंता को कम करने में मदद कर सकते हैं। अश्वगंधा में एंटीडिप्रेसेंट गुण भी हो सकते हैं। इससे यह पता चलता है कि अश्वगंधा डिप्रेशन और घबराहट को कम करने में मदद कर सकता है।1 हालाँकि, इस दिशा में अभी और शोध की आवश्यकता है। डिप्रेशन और घबराहट ऐसी स्थितियाँ हैं जिन पर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है और इसके लिए किसी डॉक्टर से मेडिकल सहायता लेनी चाहिए।

2. आर्थराइटिस के लिए अश्वगंधा का शानदार उपयोग

अश्वगंधा में आर्थराइटिस के इलाज के लिए शानदार गुण हो सकते हैं जिन्हें बड़े पैमाने पर स्वीकार और रिपोर्ट किया जा सकता है। अश्वगंधा नर्वस सिस्टम को शांत करके दर्द को दूर करने में मदद कर सकता है।  एक प्रायोगिक अध्ययन में, रोगियों को अश्वगंधा वाला फ़ॉर्मूला दिया गया। इस अध्ययन में यह पाया गया कि यह हर्बल फ़ॉर्मूलेशन दर्द और विकलांगता की गंभीरता को कम कर सकता है।1,4 हालांकि, आर्थराइटिस एक गंभीर स्थिति है और इसकी पहचान और इलाज डॉक्टर द्वारा किया जाना चाहिए।

3. कोग्नीशन (ज्ञान और समझ हासिल करने में शामिल मानसिक प्रक्रियाएं) के लिए अश्वगंधा का शानदार उपयोग

अश्वगंधा एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक रसायन है और रसायन के एक उप-समूह मेध्या रसायन से संबंधित है। मेध्या का अर्थ है मानसिक/बौद्धिक क्षमता। अश्वगंधा याददाश्त और बुद्धि को बढ़ाने में मदद कर सकता है। कोगनीशन के लिए अश्वगंधा का शानदार लाभ कमज़ोर याददाश्त वाले बच्चों और वृद्धावस्था में एनेकडॉटल एविडेंस के रूप में देखा गया।1 हालांकि, ऐसे दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता।  इसलिए, इस दिशा में अभी और शोध की आवश्यकता है।

4. तनाव के लिए अश्वगंधा का शानदार उपयोग

मानसिक तनाव के कारण सर्कुलेटरी सिस्टम और दिल के स्वास्थ्य पर उल्टा असर पड़ता है। तनाव शरीर के एंटीऑक्सीडेंट डिफेन्स सिस्टम को भी प्रभावित करता है। अश्वगंधा शरीर को तनाव झेलने के लिए तैयार करने में मदद कर सकता है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी प्रभावी हो सकता है।5 हालांकि, ऐसे दावों को साबित करने के लिए अभी और ज़्यादा शोध की आवश्यकता है।

5. दर्द के लिए अश्वगंधा का शानदार उपयोग

एक अध्ययन में पाया गया कि प्लेसिबो की तुलना में अश्वगंधा के एक एक्वस एक्सट्रैक्ट के साथ किए गए इलाज ने दर्द की सीमा (एक बिंदु जिसके आगे एक ट्रिगर दर्द पैदा करता है) को बढ़ाने की क्षमता दिखाई, जिससे पता चलता है कि अश्वगंधा एक एनाल्जेसिक एजेंट (दर्द कम करने वाला) हो सकता है।हालांकि, इन्हें ठोस तथ्यों के रूप में दिखाने के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है।

6. अश्वगंधा के अन्य शानदार उपयोग

अश्वगंधा नींद से संबंधित समस्याओं से आराम दिलाने में मदद कर सकता है और इसमें नींद लाने वाले गुण हो सकते हैं। यह जल्दी नींद लाने में भी मदद कर सकता है और नींद को आरामदायक बनाने में भी काफ़ी लाभदायक है।7

हालांकि, अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग अध्ययन अश्वगंधा के शानदार उपयोग दिखाते हैं, लेकिन ये अध्ययन काफ़ी नहीं हैं और मानव स्वास्थ्य पर अश्वगंधा के लाभ कितने कारगर हैं यह पक्का करने के लिए आगे और अध्ययन की आवश्यकता है। 

अश्वगंधा को कैसे उपयोग करें (How to use Ashwagandha)?

अश्वगंधा के खास फ़ॉर्मूलेशन में शामिल हैं:

यह चाय, गोलियों, गम्मीज़ या टिंचर के रूप में भी उपलब्ध है। अश्वगंधा की जड़ें, बीज, पत्ते और फूल औषधीय कार्यों के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।1,7,8

कोई भी हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले आपको किसी अनुभवी डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। किसी अनुभवी डॉक्टर से सलाह लिए बिना अपने आधुनिक चिकित्सा के जारी इलाज को न तो बंद करें और न ही इसके बजाय कोई आयुर्वेदिक/हर्बल प्रिपरेशन लेना शुरू करें।  

अश्वगंधा के साइड इफ़ेक्ट

लंबे समय तक अश्वगंधा के उपयोग की सुरक्षा को लेकर कोई भी पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, अश्वगंधा के सबसे आम साइड इफ़ेक्ट इस प्रकार हैं:

जो साइड इफेक्ट्स कम देखने को मिलते हैं:

अश्वगंधा (Ashwagandha) से लिवर डैमेज भी हो सकता है। अगर आप किसी भी साइड इफेक्ट्स का अनुभव करते हैं, खासतौर पर खुजली वाली त्वचा या पीलिया जैसा लिवर डैमेज की स्थिति में होता है, तो अपने डॉक्टर से तुरंत बात करना बहुत ज़रूरी है।7 इसलिए, अश्वगंधा का उपयोग करने से पहले कृपया किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह ज़रूर लें। वे आपके स्वास्थ्य की ज़रूरतों के हिसाब से आपको सही सलाह देंगे।

अश्वगंधा के साथ बरती जाने वाली सावधानियां (Precautions to take with Ashwagandha)

कुछ स्थितियों में अश्वगंधा के उपयोग से बचना चाहिए जैसे:

कृपया अपना इलाज खुद करने की ग़लती न करें, न ही किसी जारी इलाज को बदलें, हटाएं या बंद करें। कृपया डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।

अन्य दवाओं के साथ इंटरैक्शन

नीचे बताई गई चीज़ों के साथ अश्वगंधा का उपयोग करते समय सावधानी बरतना आवश्यक है:

यह जानने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है कि कहीं दूसरी दवाओं के साथ अश्वगंधा का टकराव तो नहीं होता है।4

Read in English: Ashwagandha: Uses, Benefits & Side Effects

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

अश्वगंधा क्या होता है?

अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाली एक प्रसिद्ध जड़ी बूटी है। इसके आम नाम विंटर चेरी और इंडियन जिनसेंग भी हैं। यह Withania sominfera नाम की एक छोटी सदाबहार झाड़ी से मिलता है। अश्वगंधा कई तरह की बीमारियों के इलाज में मददगार साबित हो सकता है।

आमतौर पर अश्वगंधा की खेती कहाँ पर की जाती है?

भारत में अश्वगंधा की खेती उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पंजाब और मध्य प्रदेश में की जाती है।4

क्‍या सर्दी-ज़ुकाम में अश्वगंधा का इस्‍तेमाल कर सकते हैं?

अश्वगंधा की जड़ों का काढ़ा सर्दी-जुकाम में बहुत आरामदायक हो सकता है। इस जड़ की छाल अस्थमा के इलाज में भी मददगार साबित हो सकती है।4 कृपया अपना इलाज खुद करने की ग़लती न करें। आम सर्दी-ज़ुकाम के लिए अश्वगंधा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।

क्या अश्वगंधा को सूजन दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है?

आयुर्वेदिक चिकित्सा में, अश्वगंधा की जड़ का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा ट्यूमर, सूजन, स्क्रोफुला (कंठमाला) (एक प्रकार की टी.बी.) और रूमेटॉय्ड आर्थराइटिस (जोड़ों और हड्डियों को प्रभावित करने वाली स्थिति) से निपटने के लिए सूजन कम करने वाली दवा के रूप में किया जाता है।4 हालांकि, आपको सलाह दी जाती है कि ऊपर बताई गई स्थितियों के लिए अश्वगंधा का उपयोग अपनी मर्ज़ी से न करें। कृपया इसके लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।

आयुर्वेदिक चिकित्सा में अश्वगंधा किन स्थितियों के लिए दिया जाता है?

अश्वगंधा को सिंकोप (मस्तिष्क में रक्त का भरपूर प्रवाह न मिल पाने पर कुछ समय के लिए होश खोना), बवासीर, ट्यूमर, सर्वाइकल लिम्फैडेनाइटिस (गर्दन की लिम्फ नोड्स का बढ़ना), गाउट (एक प्रकार का गठिया), त्वचा के रोग, विटिलिगो (एक स्वास्थ्य समस्या जिसके कारण त्वचा का रंग फीका पड़ जाता है), लॉकजॉ, हार्ट फेलियर, फोड़े (मवाद इकट्ठा होना जिसमें दर्द होता है), घुटने की जकड़न, कैशेक्सिया (मांसपेशियों और वज़न में कमी आना), हड्डी का फ्रैक्चर, और डायबिटिक कार्बनकल (दर्द भरे फोड़ों का एक गुच्छा) जैसी स्थितियों के लिए दिया जाता है।4 कृपया डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें। अपना इलाज खुद करने की ग़लती न करें।

अश्वगंधा के पुरुषों के लिए क्या फायदे हैं?

अश्वगंधा पुरुषों की ताकत, सहनशक्ति और प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकता है। यह भी मानसिक तनाव को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकता है।

अश्वगंधा कितने दिन तक खाना चाहिए?

उपयुक्त अश्वगंधा खुराक व्यक्ति के स्वास्थ्य स्थिति, उम्र, और उपयोग के उद्देश्य के आधार पर भिन्न होती है। सामान्यतः, 1 से 3 ग्राम की दिन में दो बार खुराक सुझाई जाती है। लेकिन इससे पहले चिकित्सा पेशेवर से परामर्श करना उचित होगा।

अश्वगंधा कितने दिन में असर दिखाता है?

अश्वगंधा का प्रभाव व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य, उम्र, और उपयोग के आधार पर भिन्न होता है। कुछ लोगों को इसके प्रभाव को 1-2 हफ्तों में महसूस हो सकता है, जबकि अन्यों को इसे लेने में अधिक समय लग सकता है। इसलिए, यह व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक प्रतिसाद पर निर्भर करता है।

क्या आश्वगंधा वजन बढ़ाता है?

आश्वगंधा वजन बढ़ाने के लिए एक संतुलित आहार और प्रयासों के साथ मदद कर सकता है, परन्तु यह यौगिक तौर पर वजन बढ़ाने का कारण नहीं है। इसका उपयोग वजन नियंत्रण, तनाव प्रबंधन, और ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

क्या आश्वगंधा पर्जीवन हार्मोन टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाता है?

हाँ, कुछ अध्ययनों के अनुसार, आश्वगंधा टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसका उपयोग पुरुषों में हॉर्मोनल संतुलन को सुधारने और शारीरिक ताकत को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

क्या आश्वगंधा चिंता को कम करता है?

हां, कुछ अध्ययनों के अनुसार, आश्वगंधा चिंता को कम करने में मदद कर सकता है। यह एक प्राकृतिक अडैप्टोजेन है, जो शरीर को तनाव का संचालन करने में मदद करता है और विश्राम को बढ़ावा देता है। हालांकि, व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएँ भिन्न हो सकती हैं और चिकित्सा पेशेवर की सलाह लेना उचित है।

क्या आश्वगंधा शरीर का तापमान बढ़ाता है?

नहीं, आश्वगंधा शरीर का तापमान बढ़ाने में मदद नहीं करता है। वास्तव में, यह एक प्राकृतिक शांतिदायक होता है जो तनाव को कम करने और शारीरिक संतुलन को संरक्षित करने में सहायक होता है।

क्या आप गर्भावस्था के दौरान आश्वगंधा ले सकते हैं?

गर्भावस्था के दौरान आश्वगंधा का सेवन करने से पहले, आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। कुछ अध्ययनों में इसका असर नकारात्मक हो सकता है, इसलिए सुरक्षित अनुमति के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।

क्या आप हर दिन आश्गंधा ले सकते हैं?

हां, बहुत से लोग रोजाना आश्वगंधा का सेवन करते हैं। यह एक प्राकृतिक औषधि है जो दिनचर्या में सम्मिलित की जा सकती है। लेकिन जरूरी है कि आप इसे अपने स्वास्थ्य प्रश्नों और डॉक्टर की सलाह के अनुसार लें।

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