जायफल (Nutmeg in Hindi): इस्तेमाल, लाभ, सावधानियां, न्यूट्रिशनल वैल्यू और बहुत कुछ!
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जायफल (नट्मेग) एक खोलदार, सूखा हुआ बीज है जो एक उष्णकटिबंधीय सदाबहार (ट्रॉपिकल एवरग्रीन) पेड़ मिरिस्टिका फ़्रेग्रेंस से प्राप्त होता है। जायफल (नट्मेग) से स्वास्थ्य को कई फ़ायदे होते हैं और यह अनेक तरह के प्रोटीन, खनिज, तेल और रेज़िन का स्रोत है। मिरिस्टिका फ़्रेग्रेंस इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) क्षेत्रों में उगता है।
इस वृक्ष की अलग-अलग प्रजातियां श्रीलंका, भारत और उत्तर-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती हैं। लाभकारी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने के अलावा, जायफल (नट्मेग) के तेल का इस्तेमाल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में सुगंध (फ़्रेग्रेंस) के रूप में भी किया जाता है।
जायफल (नट्मेग) का तेल निकालने के लिए आसवन प्रक्रिया (डिस्टिलेशन प्रोसेस) के एक हिस्से के रूप में जायफल (नट्मेग) के बीजों को खाने के लिए उन पर कीड़े छोड़ दिए जाते हैं। कीड़े बीज से स्टार्च और वसा यानी फ़ैट को हटा देते हैं जिसके परिणामस्वरूप तेल से भरपूर एक हिस्सा बच जाता है।1
जायफल (नट्मेग) फ़ाइबर का एक अच्छा स्रोत है और यह आयरन, ज़िंक, फॉस्फोरस, कॉपर, मैंगनीज़, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन ए और मैग्नीशियम का भी स्रोत है। 2
100 ग्राम जायफल (नट्मेग) में पाए जाने वाले पोषक तत्व इस प्रकार हैं:
जायफल (नट्मेग) में मौजूद विभिन्न औषधीय गुणों के कारण इसका इस्तेमाल कई प्रकार की स्वास्थ्य स्थितियों के लिए किया जाता है जैसे:3
जायफल (नट्मेग) दिमाग के लिए उत्तेजक (स्टिमुलेंट) के रूप में कार्य करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है। यह मानसिक गतिविधियों में सहायता कर सकता है। यह एकाग्रता यानी ध्यान लगाने में सुधार करने में मदद कर सकता है और दिमाग में खून के बहाव को बढ़ा सकता है। जायफल (नट्मेग) का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि इसका ज़्यादा इस्तेमाल बेसुध होने का कारण बन सकता है।2 जायफल (नट्मेग) से जुड़े जोखिम के कारण यह सलाह दी जाती है कि इसे केवल एक योग्य डॉक्टर द्वारा सुझाए जाने पर ही इस्तेमाल करें।
जायफल (नट्मेग) हृदय प्रणाली (कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम) के लिए एक बेहतरीन टॉनिक की तरह काम कर सकता है। यह खून के बहने की गति को बढ़ा सकता है और दिल के कार्यों में सुधार कर सकता है।2 इस प्रकार यह आपके दिल के स्वास्थ्य पर कुछ सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, दिल से संबंधित समस्याओं के लिए डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
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विषाक्त पदार्थों को खत्म करने वाली इसकी क्षमता के कारण जायफल (नट्मेग) का तेल लीवर के लिए एक टॉनिक के रूप में काम कर सकता है। यह किडनी के इंफ़ेक्शन को ठीक कर सकता है और गुर्दे (किडनी) की पथरी निकालने में मदद कर सकता है।2 मनुष्यों पर जायफल (नट्मेग) के सटीक प्रभाव को समझने के लिए और भी अध्ययनों की आवश्यकता है। जायफल (नट्मेग) का सेवन डॉक्टर के बताए जाने पर ही करना चाहिए।
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जायफल (नट्मेग) अनिद्रा (नींद न आना) के लिए एक कारगर उपाय हो सकता है। यह सेरोटोनिन के लेवल को बढ़ा सकता है जो रिलैक्स होने में मदद कर सकता है। इसे किसी पेय (बेवरेज) या मिठाई के साथ भी लिया जा सकता है।2 जायफल (नट्मेग) का सेवन किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में ही करना चाहिए।
सांसों की बदबू को दूर करने के लिए जायफल (नट्मेग) का तेल काम में आ सकता है। इसमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं और यह दांतों के दर्द और मसूड़ों की समस्याओं को ठीक करने में मददगार हो सकता है। इस गुण के कारण इस तेल को कई तरह के टूथपेस्ट में भी डाला जा सकता है।
अगर आपके डेंटिस्ट द्वारा दांत दर्द के लिए जायफल (नट्मेग) प्रिस्क्राइब किया गया है तो आप अपने आहार में इसे शामिल कर सकते हैं।5
जायफल (नट्मेग) पाचन क्रिया संबंधी समस्याओं जैसे कब्ज़, दस्त, पेट फूलना और सूजन को मैनेज करने में मदद कर सकता है। पेरिस्टलसिस और अलग-अलग आमाशय रस और एंजाइम के स्राव में सुधार करके जायफल (नट्मेग) एक पाचन टॉनिक के रूप में कार्य कर सकता है।6 जायफल (नट्मेग) के ये प्रभाव अभी तक साबित नहीं हुए हैं इसलिए पाचन क्रिया संबंधी किसी भी समस्या के लिए इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
अपने सूजन, दर्द, लालिमा रोकने वाले गुणों के कारण जायफल (नट्मेग) पेट दर्द में मददगार हो सकता है। जायफल (नट्मेग) के तेल का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द, और मांसपेशियों के दर्द को काबू करने में किया जा सकता है। खाने के साथ जायफल (नट्मेग) लेने से घाव, गठिया और चोटों के कारण होने वाले दर्द से राहत मिल सकती है। जायफल (नट्मेग) पाउडर को तिल के तेल के साथ मिलाकर लगाने से गठिया रोग संबंधित दर्द, नसों का दर्द कम हो सकता है।6 हालांकि, दर्द को ठीक करने के लिए जायफल (नट्मेग) का सेवन करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से सलाह करनी चाहिए।
अध्ययनों के अनुसार, मिरिस्टिका फ़्रेग्रेंस के एसेंशियल ऑयल ने साइटोटॉक्सिक प्रभाव (कैंसर सेल्स को मारना) दिखाया है। जायफल (नट्मेग) के बीजों के छिलके में कीमो प्रोटेक्टिव (कैंसर के इलाज के हानिकारक प्रभावों में मददगार) गुण हो सकते हैं। यह स्किन पैपिलोमा के रोगों को कम कर सकता है। जायफल (नट्मेग) कैंसर के स्तर को कम कर सकता है।6 कैंसर एक गंभीर बीमारी है और केवल योग्य डॉक्टरों द्वारा ही इसका निदान और इलाज किया जाना चाहिए। कृपया खुद से कोई दवा न लें।
जायफल (नट्मेग) में एंटी बैक्टीरियल गुण हो सकते हैं और स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स के खिलाफ़ एक मज़बूत निरोधात्मक (इन्हिबिटॉरी) प्रभाव हो सकता है। स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स एक ओरल पैथोजेन है जो दांतों में सड़न के लिए ज़िम्मेदार होता है। जायफल (नट्मेग) पीरियोडोंटाइटिस (ऐसी स्थिति जहां दांत के मसूड़ों में सूजन होती है) के इलाज में भी मददगार हो सकता है, क्योंकि इसमें सूजन-रोधी और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। इस प्रकार, ओरल हाइजीन के दैनिक इस्तेमाल में शामिल करने पर जायफल (नट्मेग) मददगार हो सकता है।6
जायफल (नट्मेग) को अपनी डाइट में कई तरह से लिया सकता है, जैसे1
किसी प्रकार के हर्बल सप्लिमेंट का सेवन करने से पहले एक योग्य डॉक्टर से अवश्य सलाह लें। किसी योग्य डॉक्टर से सलाह किए बिना आधुनिक दवा के चल रहे इलाज को किसी आयुर्वेदिक/हर्बल रूप से तैयार दवा के साथ न बदलें और न ही इसकी दवाएं लेना बंद करें।
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यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि इनमें से किसी भी दवा को लेते समय जायफल (नट्मेग) का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए: 8, 9
इसलिए, अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करना चाहिए, क्योंकि उनका प्रिस्क्रीप्शन आपकी स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में र(खते हुए दिया गया है। कृपया परामर्श के समय अपने डॉक्टर को आपको पहले से प्रिस्क्राइब किए गए और मौजूदा समय में ली जा रही सभी दवाओं के बारे में ज़रूर बताएं।
जायफल (नट्मेग) इन दवाओं के असर को कम कर सकता है।
कुछ दवाएं लीवर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इस तरह की दवाओं के साथ जायफल (नट्मेग) का सेवन करने से कई साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं। इसलिए इन दोनों को एक-साथ लेते समय सावधानी बरतना ज़रूरी है। एक साथ इनका सेवन करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
इन दवाओं के साथ जायफल (नट्मेग) का सेवन करने से अल्ज़ाइमर्स रोग के लिए ली जाने वाली दवाओं के साइड इफ़ेक्ट बढ़ सकते हैं। इसलिए, इन दोनों को एक-साथ लेने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करना बेहतर होगा।
जायफल (नट्मेग) का सेवन करने से नींद आ सकती है। सेडेटिव दवाएं लेने से भी काफ़ी नींद आती है। इन्हें एक साथ लेने से पैथोलॉजिकल (रोगकारी) नींद आ सकती है जो खतरनाक हो सकती है।
जायफल (नट्मेग) के सेवन से दिल, दिमाग और शरीर के अन्य अंगों में कुछ केमिकल बढ़ सकते हैं। ग्लॉकोमा, अल्ज़ाइमर्स रोग, और अन्य बीमारियों के प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाएं भी इन केमिकल्स को प्रभावित कर सकती हैं। इन दवाओं को जायफल (नट्मेग) के साथ लेने से साइड इफ़ेक्ट ज़्यादा बढ़ सकते हैं।
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औषधीय उद्देश्यों के अलावा, जायफल (नट्मेग) की पत्तियों और छाल में कुछ एसेंशियल तेल होते हैं जिनका इस्तेमाल साबुन, परफ़्यूम, मोमबत्तियाँ और मरहम बनाने के लिए किया जाता है। 2
हां, जायफल (नट्मेग) और काली मिर्च को एक बराबर मात्रा में मिलाकर मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।2 बेहतर सलाह के लिए अपने डर्मटॉलजिस्ट (त्वचा विशेषज्ञ) से संपर्क करें।
हां, जायफल (नट्मेग) में कफ़ निकालने वाले गुण होते हैं और इसका इस्तेमाल कफ़ सिरप में किया जाता है। अरोमाथैरेपी में भी यह काम आता है।2 हालांकि, मनुष्यों के लिए इसके लाभों का पता लगाने के लिए और अध्ययन आवश्यक हैं।
जायफल (नट्मेग) को जातिपत्री, जातिफल, मिरिस्टिका, मिरिस्टिका फ़्रेग्रेंस, मिरिस्टिका ऑफ़िसिनैलिस, नक्स मोक्षता, जातिफला, मस्केड और मस्कटबॉम जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।1
भारत में, जायफल (नट्मेग) की खेती तमिलनाडु, केरल, गोवा, कर्नाटक और उत्तर पूर्वी भारत में की जाती है।10
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