कीनू (Tangerine in Hindi): उपयोग, लाभ और न्यूट्रिशनल वैल्यू
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कीनू (साइट्रस रेटिकुलाटा) संतरे की तरह छोटा, पतले छिलके वाला फल है जो रूटेसी परिवार की मंदारिन नारंगी प्रजाति का है। कीनू (टैन्जरीन) सबसे पहले दक्षिण पूर्व एशिया में उत्पन्न हुआ था और वहां से व्यापार मार्गों के ज़रिए पश्चिम में भूमध्यसागर तक पहुंचा। यह फल पुरानी दुनिया और नई दुनिया के उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (सबट्रॉपिकल रीजन), मुख्य रूप से दक्षिणी यूरोप और दक्षिणी संयुक्त राज्य दोनों जगहों पर उगाया जाता है। इसका गूदा नरम, रसेदार और स्वादिष्ट होता है जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन C होता है। कीनू (टैन्जरीन) के सुगंधित छिलके से निकले तेल को, कई स्वाद बढ़ाने वाले मसालों (फ्लेवरिंग) और शराब में इस्तेमाल किया जाता है।
लगभग 2/12 इंच के व्यास (डायमीटर) वाला एक मध्यम आकार का कीनू (टैन्जरीन) लगभग 88 ग्राम का होता है जिसमें निम्नलिखित पोषक तत्व होते हैं:
कीनू (टैन्जरीन) के निम्नलिखित स्वास्थ्य गुण होते हैं:
keenu (Tangerine) ke sambhavit upyog:
कीनू (टैन्जरीन) में डाइटरी फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं और इनमें विटामिन C भी प्रचुर मात्रा में होता है।
कीनू (टैन्जरीन) और इसके छिलके फ्लेवोनोइड्स और विटामिन C से भरपूर होते हैं, ये दो ऐसे एंटीऑक्सीडेंट हैं जो कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं। ये एंटी ऑक्सीडेंट, मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) के बनने से होने वाले ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के हानिकारक प्रभावों को ख़त्म करके, आपके शरीर को नुकसान से बचाते हैं। इन खतरनाक यौगिकों की वजह से कैंसर, गठिया (आर्थराइटिस) और दिल के रोगों जैसी पुरानी बीमारियां (क्रोनिक डिज़ीज़) होती हैं।
कीनू (टैन्जरीन) की सबसे अच्छी बात है उसमें मौजूद भरपूर एंटीऑक्सीडेंट। एंटीऑक्सीडेंट ऐसे शक्तिशाली तत्व हैं जो मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) द्वारा शरीर को होने वाले नुकसान से बचाते हैं, सूजन (इन्फ्लेमेशन) और कैंसर, मधुमेह (डायबिटीज़) और दिल की बीमारी जैसी रोगों के खतरे को कम करते हैं। शोध के अनुसार, कीनू (टैन्जरीन), नारिंगिन, नारिनजेनिन, नोबिलेटिन, नारिरुटिन और हिक्परिडिन के साथ-साथ अन्य एंटीऑक्सीडेंट घटकों का एक बड़ा स्रोत है। इसके अलावा, कीनू (टैन्जरीन) में काफ़ी मात्रा में विटामिन C होता है, जो कि पानी में घुलनशील विटामिन है जो कोशिकाओं (सेल्स) को ऑक्सीडेटिव नुकसान से बचाने के लिए एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, टाइप 2 मधुमेह (टाइप 2 डायबिटीज़) से पीड़ित लोगों को कीनू (टैन्जरीन) जैसे साइट्रस फलों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट से फ़ायदा हो सकता है। एक अध्ययन के शोधकर्ताओं ने एक प्रकाशन में बताया है कि टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों में एंटीऑक्सीडेंट विटामिन और एंजाइम के स्तर में कमी पाई जाती है। टाइप 2 मधुमेह और सूजन (इन्फ्लेमेशन) से जुड़ी अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों में एंटीऑक्सीडेंट वाले फल जैसे कीनू या फलों के अर्क (एक्सट्रैक्ट) खाने से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम हो सकता है।
कीनू (टैन्जरीन) में विटामिन C कंसंट्रेशन भरपूर मात्रा में होता है और इसके सिर्फ एक फल से ही आपको रोज़ाना की ज़रूरत का 25% से ज़्यादा मिल सकता है, और इससे आपको स्वास्थ्य से जुड़े ज़्यादातर लाभ मिलते हैं। आयरन के अवशोषण और संक्रमण (इन्फेक्शन) को दूर करने में मदद करने के अलावा, विटामिन C एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो आपकी कोशिकाओं (सेल) को स्ट्रेस से जुड़े सेलुलर नुकसान और उम्र बढ़ने से बचाता है।
कीनू (टैन्जरीन) एक रसेदार फल होता जो स्वास्थ्य के लिए बेहद फ़ायदेमंद है। इन्हें निम्नलिखित तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है:
कीनू (टैन्जरीन) को चॉकलेट और अखरोट के साथ मिला कर गर्मियों के लिए ताज़ा केक बनाया जा सकता है। ये बहुत स्वादिष्ट होते हैं और उमस भरी गर्मी की दोपहर में मीठे (डेज़र्ट) के रूप में खाए जा सकते हैं। बच्चों के लिए मीठे नाश्ते के रूप में टैन्जरीन को पिघली हुई चॉकलेट में लपेट कर खाया जा सकता है। टैन्जरीन कारमेल, मार्शमॉलो और अन्य मीठी चीज़ों के साथ भी बहुत अच्छा लगता है। मसालेदार हैम जैसे मांस उत्पादों में रसदार और ताज़ा स्वाद के लिए कीनू (टैन्जरीन) सॉस का उपयोग उन्हें मैरीनेट करने के लिए किया जा सकता है।
हालाँकि कीनू (टैन्जरीन) बहुत सेहतमंद और लाभकारी होते हैं, लेकिन फिर भी आपको सलाह दी जाती है कि इसका उचित मात्रा में ही सेवन करें। कुछ लोगों में कीनू (टैन्जरीन) से एलर्जी के मामले सामने आए हैं। इसलिए, कीनू (टैन्जरीन) खाने के बाद अगर आपको किसी भी तरह के साइड इफ़ेक्ट का अनुभव होता है तो तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।
ज़्यादा मात्रा में कीनू (टैन्जरीन) खाने से पेट में दर्द और डायरिया जैसी दो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं आ सकती हैं। इन्हें लीवर से जुड़ी दवाओं के साथ खाने से भी कुछ प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। पौष्टिक होने के बावजूद सुझाई गई मात्रा से ज़्यादा मात्रा में कीनू (टैन्जरीन) खाना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। कीनू (टैन्जरीन) को खाने से पहले, अपने डॉक्टर से सलाह लें कि क्या आप लीवर से जुड़ी कोई दवा ले रहे हैं।
कीनू (टैन्जरीन) और संतरे दोनों ही साइट्रस परिवार से संबंधित फल हैं। लेकिन ये एक नहीं हैं। संतरे में विटामिन C और फाइबर ज़्यादा मात्रा में होता है और कीनू (टैन्जरीन) में विटामिन A भरपूर मात्रा में होता है। संतरों की ज़्यादातर किस्मों के मुकाबले कीनू (टैन्जरीन) ज़्यादा लाल-नारंगी रंग के होते हैं, लेकिन इनकी रंगत एक जैसा ही होती है। कीनू (टैन्जरीन) के मुकाबले, संतरे बड़े और गोल होते हैं। दोनों में ही बीज हो भी सकते हैं और नहीं भी। संतरों, जो कि आमतौर पर पीले-नारंगी रंग के होते हैं, की कई किस्मों के मुकाबले कीनू (टैन्जरीन) ज़्यादा लाल-नारंगी रंग के होते हैं।
कीनू (टैन्जरीन) में कैलोरी कम होती है और वसा (फैट) बिल्कुल भी नहीं होती है, लेकिन ये फाइबर, विटामिन और मिनरल से भरपूर होते हैं। एक औसत आकार की कीनू (टैन्जरीन) में 50 कैलोरी और 13 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है, जिनमें से 9 ग्राम प्राकृतिक शर्करा (नेचुरल शुगर) होती है। कीनू (टंगरिन) से आपकी रोज़ाना की विटामिन C की ज़रूरत का लगभग 50% और आपकी रोज़ाना की फाइबर की ज़रूरत का लगभग 10% तक मिल सकता है।
कीनू (टैन्जरीन) में विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है और मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) से होने वाले नुकसान से लड़ता है और सूजन (इन्फ्लेमेशन) को कम करता है। कीनू (टैन्जरीन) से आपका शरीर, आपके खाने से आयरन को अवशोषित करने में मदद करता है। यह छोटी-मोटी चोटों को ठीक करने में मदद कर सकता है। कीनू (टैन्जरीन) में पाए जाने वाले दो फाइबर पेक्टिन और हेमिसेल्यूलोज आंत में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम करते हैं और मोटापे से बचाते हैं। कीनू (टैन्जरीन) में मौजूद फाइबर कब्ज को नियंत्रित करने में मदद करता है और पाचन शक्ति (डाइजेशन) बढ़ाता है। कीनू (टैन्जरीन) में विटामिन A भरपूर मात्रा में होता है और ऊतकों (टिश्यू) की मरम्मत करने में मदद करता है, उम्र से संबंधित लक्षणों जैसे फाइन लाइन्स, झुर्रियां और बेजान त्वचा (डल स्किन) को भी कम कर सकता है।
मंदारिन, प्राचीन देशी चीन और जापान में तीन हजार से अधिक वर्षों से उगाए जाते हैं। इन्हें यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि इन्हें सबसे पहले इस्तेमाल करने वाले नारंगी रंग के चीनी रईस थे। इस फल को पहली बार 1800 के दशक में मोरक्को में टैंजियर्स के माध्यम से यूरोप और अमेरिका में ले जाया गया था, इसलिए इस फल का यह नाम पड़ा।
कीनू (टैन्जरीन) और संतरे अलग-अलग तरह के स्वादों में आते हैं, हालाँकि हर फल का स्वाद इसकी किस्म पर निर्भर करता है। संतरे और कीनू (टैन्जरीन) दोनों मीठे और खट्टे किस्मों में आते हैं। हालाँकि, ज़्यादातर कीनू (टैन्जरीन), संतरे की तुलना में ज़्यादा मीठे और कम खट्टे होते हैं। इसके अलावा आमतौर पर, कीनू (टैन्जरीन) खाने के बाद मुंह में रहने वाला स्वाद (आफ्टरटेस्ट) कम होता है और यह संतरे की तुलना में ज़्यादा स्वाद वाला होता है।
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