धनिया (Coriander in Hindi): उपयोग, लाभ और न्यूट्रिशनल वैल्यू
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Table of Contents
धनिया, जिसे कॉरीऐंडर भी कहा जाता है, एक हर्बल पौधा है जिसके कई उपयोग हो सकते हैं। इसका वानस्पतिक (बोटैनिकल) नाम कॉरीऐंड्रम सैटिवम एल. है, और इसका संबंध एपियासी परिवार से है। विभिन्न सभ्यताओं और लोक चिकित्सा प्रणाली में कई तरह के रोगों के इलाज के लिए एक लोक उपचार और खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए इस पौधे के सभी भागों का उपयोग किया जाता है। [1]
धनिया एक कोमल और पतली टहनियों वाला पौधा है जिसकी लंबाई 50 सेंटीमीटर होती है और इसकी खेती संपूर्ण भारतवर्ष में होती है। धनिया को सबसे पुरानी जड़ी-बूटियों (हर्ब्स) में से एक माना जाता है जिसका इस्तेमाल 5000 से भी ज़्यादा वर्षों से किया जा रहा है। हरे धनिया के पत्तों का इस्तेमाल रसोई में सलाद, सूप, सब्जी (करी), और चटनी बनाने के लिए किया जाता है, जबकि धनिया के फल का इस्तेमाल मुख्य तौर पर अचार, मिश्रण, आदि के मसाले के रूप में किया जाता है। धनिया से निकले सुगंधित तेल (एसेंशियल ऑयल) का उपयोग फार्मास्युटिकल फॉर्मूलों में किया जाता है। रसोईघर में इस्तेमाल होने के अलावा, धनिया अपने चिकित्सीय गुणों और संभावित औषधीय लाभों के लिए भी लोकप्रिय है।[2]
Dhaniya ka Paushtik Mulya(Nutritional Value):
धनिया के बीज से निकले सुगंधित तेल (एसेंशियल ऑयल) का मुख्य घटक लिनालूल (60%-80%) है। इस सुगंधित तेल (एसेंशियल ऑयल) में कीटोन्स, अल्कोहल और एस्टर जैसे ±-पीनिन (0.2-8%), गेरानिल एसीटेट (0.15-4.7%), γ-टरपीनिन (1%-8%), और कपूर (0.9%-4.9%) भी होता है। [1] 100 ग्राम धनिया में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में नीचे दिया गया है: [2]
पोषक तत्व | मात्रा |
पानी | 92.2 ग्राम |
ऊर्जा (एनर्जी) | 23 किलोकैलोरी/ 95 KJ |
कार्बोहाइड्रेट, अंतर से | 3.67 ग्राम |
वसा (फैट) | 0.52 ग्राम |
शुगर | 0.87 ग्राम |
कुल डाइटरी फाइबर | 2.8 ग्राम |
आयरन | 1.77 मिलीग्राम |
कैल्शियम | 67 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम | 26 मिलीग्राम |
पोटैशियम | 521 मिलीग्राम |
फॉस्फोरस | 48 मिलीग्राम |
कॉपर | 0.225 मिलीग्राम |
सेलेनियम | 0.9 माइक्रोग्राम |
ज़िंक | 0.5 मिलीग्राम |
मैंगनीज़ | 0.426 मिलीग्राम |
सोडियम | 46 मिलीग्राम |
विटामिन C | 27 मिलीग्राम |
राइबोफ्लेविन | 0.162 मिलीग्राम |
पैंटोथैनिक एसिड | 0.57 मिलीग्राम |
फोलेट | 62 माइक्रोग्राम |
थायमिन | 0.067 मिलीग्राम |
नियासिन | 1.11 मिलीग्राम |
विटामिन B6 | 0.149 मिलीग्राम |
टेबल 1: 100 ग्राम हरे धनिया के पत्तों में मौजूद पोषक तत्व4
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धनिया के सभी हिस्सों के अलग-अलग संभावित उपयोग होते हैं और दुनियाभर में इसका इस्तेमाल पारंपरिक तौर पर किया जाता है। धनिया अपने निम्नलिखित गुणों के लिए जाना जाता है:
धनिया का मनुष्यों के स्वास्थ्य के लिए कई तरह से उपयोग हो सकता है।
धनिया पाचन से जुड़ी समस्याओं, पेट में दर्द, या भूख ना लगना आदि समस्याओं में मदद कर सकता है। धनिया के पत्तों को भूख बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और साथ ही यह पाचन से जुड़ी समस्याओं में भी मदद करता है और पेट और मांसपेशियों की ऐंठन से भी राहत दिला सकता है। धनिया का फल भी पाचन से जुड़ी समस्याओं में मदद करता है। धनिया को एक बेहतरीन कार्मिनेटिव (गैस बनने से राहत देने वाला) एजेंट के रूप में भी जाना जाता है। पाकिस्तान के कुछ इलाकों में धनिया का इस्तेमाल पेट फूलने, दस्त, पेट की समस्याओं, उल्टी और पीलिया आदि के लिए किया जाता है। धनिया मल त्याग को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है और हल्के रेचक (लेक्सेटिव) के रूप में कार्य कर सकता है। यह अल्सरेटिव कोलाइटिस और हेपेटाइटिस के लिए भी प्रभावशाली हो सकता है।2 हालाँकि, इसका उपयोग करने से पहले कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें।
धनिया के पत्तों को खाया जा सकता है और साथ ही खांसी और सीने में दर्द होने पर इसे ऊपर से लगाया भी जा सकता है। धनिया के फल ब्रोंकाइटिस, खांसी और मियादी बुखार (इंटर्मिटेन्ट फीवर) के लिए भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। धनिया में बलगम निकलने वाले गुण भी होते हैं। पारंपरिक चीनी दवाओं में देखा गया है कि धनिया के बीज का इस्तेमाल इन्फ्लुएंजा के लिए भी किया जा सकता है। धनिया, डिस्पेनिया (सांस लेने में कठिनाई) के लिए भी प्रभावशाली हो सकता है।1,2 हालाँकि, श्वसन रोग (रेस्पिरेटरी डिज़ीज़) गंभीर हो सकते हैं और डॉक्टर द्वारा इसका अच्छी तरह से निदान और उपचार किया जाना चाहिए।
धनिया मुंहासों, एक्जिमा (खुजली), रूखी त्वचा, त्वचा के अल्सर और ब्लैकहेड्स जैसे दोषों को दूर करने में मदद कर सकता है। धनिया, एलर्जी, हे फीवर, चकत्ते और पित्ती के लिए भी मददगार हो सकता है।2 हालाँकि, इस बात को साबित करने के लिए अभी और शोध किए जाने की ज़रूरत है।
दूध के साथ धनिया उबाल कर लेने से, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) पर अच्छा प्रभाव डाल सकता है और बेहोशी, चक्कर आना और याददाश्त खोने की समस्या में मदद कर सकता है। यह चिंता (एंग्जायटी) को दूर करने में भी मदद कर सकता है। धनिया, इंसोम्निया (नींद न आने की समस्या) में भी मददगार साबित हो सकता है। इसमें मौजूद विटामिन K के कारण यह अल्जाइमर रोग के लिए मददगार साबित हो सकता है। धनिया के बीजों में जलीय (एक्वस) और एथेनॉलिक अर्क (एक्सट्रैक्ट) के गुण, ऐंठन में उपयोगी साबित हो सकते हैं।1,2 हालाँकि, इस बात को साबित करने के लिए और ज़्यादा शोध करने की ज़रूरत है। इसलिए, अगर आपको केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) से जुड़ी समस्या है तो अपने डॉक्टर से सलाह लें और खुद से इलाज न करें।
धनिया आंखों के लिए अच्छा हो सकता है, और यह आंखों में होने वाली जलन और चुभन को कम कर सकता है। धनिया में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट में आंखों की बीमारियों को कम करने की क्षमता होती है। हालाँकि, आंखों की समस्याओं के उचित निदान और उपचार के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।
डाइयुरेसिस का मतलब है शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और नमक को बाहर निकालना। अध्ययनों से पता चलता है कि धनिया के बीज, डाइयुरेसिस, ग्लोमेर्युलर फिल्ट्रेशन की दर को बढ़ाने, और खुराक-संबंधित तरीके (डोज़-रिलेटेड मैनर) से शरीर में से इलेक्ट्रोलाइट्स को बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं।2 हालाँकि, धनिया के ऐसे संभावित प्रभावों को साबित करने के लिए और ज़्यादा शोध किए जाने की ज़रूरत है।
धनिया मधुमेह (डायबिटीज़) के मरीज़ों के लिए मददगार साबित हो सकता है। यह इंसुलिन के स्राव (सिक्रीशन) को बढ़ाकर मधुमेह (डायबिटीज़) को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है और शरीर में रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को कम कर सकता है। हालाँकि, मधुमेह (डायबिटीज़) जैसे रोगों का ठीक से निदान और इलाज डॉक्टर से कराया जाना चाहिए। इसलिए, कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें और खुद से इलाज न करें।
अध्ययनों के अनुसार, धनिया के बीज से निकाले गए सुगंधित तेल (एसेंशियल ऑयल) में कैंडिडा अल्बिकन्स को नियंत्रित करने के लिए ऐंटिफंगल गुण हो सकते हैं। सुगंधित तेल (एसेंशियल ऑयल) और धनिया की पत्तियों में मौजूद जलीय अर्क (एक्वस एक्सट्रैक्ट), बैक्टीरिया के ग्राम-पॉज़िटिव समूह जैसे स्टैफिलोकोकस ऑरियस, बैसिलस एसपी और ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया जैसे एस्चेरिचिया कोली, साल्मोनेला टाइफी, प्रोटीस मिराबिलिस आदि के प्रभाव को कम कर सकता है। धनिया की पत्तियों और बीजों से बना काढ़ा बुखार कम करने में भी मदद कर सकता है।
जानवरों पर किए गए अध्ययन के अनुसार, धनिया (कॉरीऐंडर) के बीज से कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। इस अध्ययन में निकले परिणाम थे: ट्राइग्लिसराइड, लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (खराब कोलेस्ट्रॉल) और बहुत-कम डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन के स्तर में कमी आना। हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) के स्तर में भी संभावित बढ़ोतरी देखी गई थी।1
हालाँकि ऐसे कई अध्ययन किए गए हैं जो विभिन्न परिस्थितियों में धनिया के संभावित उपयोगों के बारे में बताते हैं, लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं और मनुष्यों के स्वास्थ्य पर धनिया के वास्तविक लाभ के बारे में जानने के लिए और भी अध्ययन किए जाने की ज़रूरत है।
धनिया से निकले सुगंधित तेल (एसेंशियल ऑयल) को कई तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे कि:
धनिया की हरी पत्तियों, जिसे सीलैंट्रो भी कहा जाता है, का उपयोग सलाद, मैक्सिकन साल्सा, चटनी, समुद्री भोजन (सीफ़ूड) और अलग-अलग तरह के पारंपरिक खाद्य पदार्थों को बनाने में किया जाता है। सुगंधित धनिया (कॉरीऐंडर) के फल या बीज का उपयोग, व्यंजनों, ब्रेड, सूप, स्टू, करी मीट और पुडिंग में किया जाता है।3
किसी भी हर्बल सप्लीमेंट को लेने से पहले आपको किसी योग्य डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर से सलाह लिए बिना आधुनिक चिकित्सा (मॉडर्न मेडिसिन) के चल रहे इलाज को बंद करके आयुर्वेदिक/हर्बल दवा न लें।
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएस फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) द्वारा धनिया को सीज़निंग और मसाले के रूप में सुरक्षित माना जाता है। धनिया और इसके घटक लिनालूल को परीक्षण के बाद सुरक्षित पाया गया था। धनिया और लिनालूल में कोई विषाक्तता मौजूद नहीं थी, इससे पता चलता है कि धनिया से निकले सुगंधित तेल (एसेंशियल ऑयल) का उपयोग बिल्कुल सुरक्षित है। धनिया के पत्तों और बीजों को पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग किए जाने पर किसी तरह का दुष्प्रभाव (साइड इफ़ेक्ट) नहीं पाया गया है।
हालाँकि, ईरान की एक महिला का एक मामला सामने आया था जिसमें रिपोर्ट की गई थी कि लगातार सात दिनों तक धनिया पत्ती के अर्क (एक्सट्रैक्ट) को ज़्यादा मात्रा में खाने से उस महिला को एंडोक्राइन टॉक्सिसिटी की समस्या हो गई थी।3 इसलिए धनिया का उपयोग करते समय सावधानी बरतें।
धनिया इस्तेमाल करने से पहले आपको सामान्य सावधानी बरतने और अपने डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है, खासकर गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को।
दवाओं के साथ धनिया इस्तेमाल करने से कुछ प्रभाव (रिएक्शन) पड़ सकते हैं। हालाँकि, इनके बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए अभी और शोध किए जाने बाकी हैं।
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धनिया, जिसे सिलैंट्रो या कॉरीऐंडर भी कहा जाता है, एक हर्बल पौधा है जिसका इस्तेमाल कई औषधियों और व्यंजनों को बनाने में किया जा सकता है। इसका उपयोग सॉस, सलाद, चटनी, समुद्री भोजन (सीफ़ूड व्यंजन), मैक्सिकन साल्सा और अलग-अलग तरह के पारंपरिक खाद्य पदार्थों के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है। धनिया का उपयोग हर्बल दवाइयां बनाने में भी किया जाता है।3
धनिया को कई नामों से जाना जाता है जैसे चाइनीज़ पार्सले, कॉरीऐंडर, सिलैंट्रो, कॉरीऐंड्रो, कॉरीऐंडर, कलेंट्रिलो। इसका वैज्ञानिक नाम कॉरीऐंड्रम सैटिवम एल. है।6
कॉरीऐंड्रम सैटिवम, इटली की एक देशी जड़ी बूटी (नेटिव हर्ब) है और इसकी खेती भूमध्यसागरीय क्षेत्रों जैसे मिस्र, मोरक्को, माल्टा, एशिया (बांग्लादेश, पाकिस्तान, चीन और भारत) और मध्य और पूर्वी यूरोप में की जाती है।
हाँ, ताज़ा धनिए के पत्तों से निकाले रस को माथे पर लगाने से सिरदर्द में राहत मिल सकती है।2 हालाँकि, सिरदर्द के लिए धनिया के इन संभावित प्रभावों को साबित करने के लिए अभी और ज़्यादा शोध किए जाने की ज़रूरत है।
हाँ, धनिए में युरथ्राइटिस और मूत्र पथ के संक्रमण (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) को नियंत्रित करने की क्षमता हो सकती है। इससे, मूत्राशय (ब्लैडर) से जुड़ी समस्याओं में भी मदद मिल सकती है।1,2 कृपया डॉक्टर से सलाह लें और खुद से कोई इलाज न करें।
धनिया में आयरन काफ़ी मात्रा में होता जिस कारण, यह एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए मददगार साबित हो सकता है।2 हालाँकि, इन बातों को साबित करने के लिए अभी और ज़्यादा शोध किए जाने की ज़रूरत है।
हाँ, धनिया से निकले सुगंधित तेल (एसेंशियल ऑयल) में एंटीफंगल गुण हो सकते हैं। धनिया से निकले सुगंधित तेल (एसेंशियल ऑयल) में फंगसाइडल (फंगस को मारने वाले) गुण होते हैं जो, कैंडिडा अल्बिकन्स को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।2 हालाँकि, इन बातों को साबित करने के लिए और ज़्यादा शोध किए जाने की ज़रूरत है।
भारत में, व्यापक रूप से धनिया की खेती महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और जम्मू और कश्मीर में की जाती है।2
आयुर्वेदिक दवाओं में, धनिया के बीजों का उपयोग जीरा और इलायची के बीजों के साथ किया जाता है जिससे पाचन से जुड़ी समस्याओं (डाइजेशन प्रॉब्लम) में मदद मिलती है।1 कृपया इसके इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। खुद से इलाज न करें।
पारंपरिक चीनी दवाओं (ट्रेडिशनल चाइनीज़ मेडिसिन) में, धनिया के बीज का इस्तेमाल पाचन (इनडाइजेशन), पेट दर्द, सांस की बदबू, इन्फ्लूएंजा और एनोरेक्सिया (भूख कम लगना) की समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।1 हालाँकि, इन बातों को साबित करने के लिए और ज़्यादा शोध किए जाने की ज़रूरत है।
हाँ, धनिया, गठिया (जोड़ों की सूजन) और रूमटिज़म (मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों की समस्या) से निपटने के लिए एक मरहम के रूप में काम कर सकता है।1 इसके संभावित उपयोग को साबित करने के लिए और ज़्यादा शोध किए जाने की ज़रूरत है।
धनिया में मौजूद एंटीसेप्टिक गुण, मुंह के छालों (माउथ अल्सर) को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।2 मुंह के छालों के उचित निदान और इलाज के लिए कृपया डॉक्टर से सलाह लें।
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