इमली (Tamarind in Hindi): उपयोग, फायदे और न्यूट्रिशनल वैल्यू
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Table of Contents
इमली, जिसका वैज्ञानिक नाम टैमेरिन्डस इंडिका एल. है, जो लेग्यूमिनोसे (फेबेसी) फैमिली से संबंधित है। लगभग पूरे भारत में इसकी खेती की जाती है। इमली एक बहुउद्देशीय (मल्टीपरपस) पौधा है, क्योंकि इमली के पौधे के लगभग सभी भागों का उपयोग रासायनिक, दवाओं, भोजन और कपड़े के उद्योगों (टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज) में किया जाता है। इमली एक ऐसा पौधा है जिसमें मौजूद कई प्रकार के सक्रिय यौगिकों के कारण, इसके बहुत से मेडिसिनल फायदे होते हैं, जिसका वैज्ञानिक नाम टैमेरिन्डस इंडिका एल. है, जो लेग्यूमिनोसे (फेबेसी) फैमिली से संबंधित है। लगभग पूरे भारत में इसकी खेती की जाती है। इमली एक बहुउद्देशीय (मल्टीपरपस) पौधा है, क्योंकि इमली के पौधे के लगभग सभी भागों का उपयोग रासायनिक, दवाओं, भोजन और कपड़े के उद्योगों (टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज) में किया जाता है। इमली एक ऐसा पौधा है जिसमें मौजूद कई प्रकार के सक्रिय यौगिकों के कारण, इसके बहुत से मेडिसिनल फायदे होते हैं।
‘टैमेरिंड’ शब्द फ़ारसी शब्द ‘टैमेर-ए-हिंद’ से लिया गया, जिसका मतलब है ‘भारत की तारीख’, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसे पहली बार किसी भारतीय ने उगाया था। इमली को संस्कृत में ‘अम्लिका’ कहते हैं, जो कि देश में इसकी पहले से ही मौजूद उपस्थिति को दर्शाता है। 1200 और 200 ईसा पूर्व (बीसी) के बीच, भारतीय ब्रह्मसंहिता शास्त्रों में भी इमली के पेड़ का उल्लेख है। अभी के समय में, ऐसा माना जाता है कि इमली की उत्पत्ति मेडागास्कर में हुई। इसकी खेती अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में की जाती है।1,2
इमली में अच्छे पोषण मूल्य होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इमली के फल में सभी आवश्यक एमिनो एसिड (ट्रिप्टोफैन को छोड़कर) होते हैं। प्रति 100 ग्राम कच्चे इमली में न्यूट्रिशनल वैल्यू नीचे दिए गए हैं:2,3
पोषण संबंधी घटक (न्युट्रिशनल कॉम्पोनेन्ट) | वैल्यू |
ऊर्जा | 239 किलो कैलोरीl |
विटामिन B6 | 0.066 मिग्रा |
विटामिन C | 3.5 मिग्रा |
विटामिन E | 0.1 मिग्रा |
विटामिन K | 2.8 µg |
थायमिन | 0.428 मिग्रा |
राइबोफ्लेविन | 0.152 मिग्रा |
नियासिन | 1.94 मिग्रा |
विटामिन B5 | 0.143 मिग्रा |
विटामिन A | 2 µg |
फोलेट, कुल (टोटल)l | 14 µg |
फोलेट, भोजन (फ़ूड) | 14 µg |
फोलेट, डायटरी फाइबर एक्विवैलेन्ट (DFE) | 14 µg |
कोलीन, टोटलl | 8.6 मिग्रा |
कैरोटीन, बीटा | 18 µg |
प्रोटीन | 2.8 ग्रा |
फैट | 0.6 ग्रा |
कार्बोहाइड्रेट | 62.5 ग्रा |
फाइबर (टोटल डायटरी) | 5.1 ग्रा |
शुगर | 38.8 ग्रा |
कैल्शियम | 74 मिग्रा |
आयरन | 2.8 मिग्रा |
मैग्नीशियम | 92 मिग्रा |
फॉस्फोरस | 113 मिग्रा |
पोटैशियम | 628 मिग्रा |
सोडियम | 28 मिग्रा |
जिंक | 0.1 मिग्रा |
कॉपर | 0.086 मिग्रा |
सेलेनियम | 1.3 µg |
वसीय अम्ल, कुल अनसेचुरेटेड | 0.272 ग्रा |
वसीय अम्ल, कुल मोनोअनसेचुरेटेड | 0.181 ग्रा |
वसीय अम्ल, कुल पॉलीअनसेचुरेटेड | 0.059 ग्रा |
ट्रिप्टोफैन | 0.018 ग्रा |
लायसिन | 0.139 ग्रा |
मेथिओनीन | 0.014 ग्रा2,3 |
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इमली में कई फाइटोकेमिकल और आवश्यक (एसेंशियल) एमिनो एसिड की भरपूर मात्रा है, और इसलिए इसके अनेकों गुण और संभावित उपयोग हो सकते हैं।2 इमली के संभावित गुण निम्नलिखित हैं।
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Sampoorn swasth ke liye Imli (Tamarind) ke sambhavit upyog:
इमली में मौजूद हाई न्यूट्रिशनल वैल्यू और संभावित गुणों के कारण, यह कई प्रकार के स्वास्थ्य समस्याओं में मददगार हो सकती है। स्वास्थ्य स्थितियों (हेल्थ कंडीशन) और अंग प्रणालियों (ऑर्गन सिस्टम) के लिए इमली के संभावित उपयोग नीचे दिए गए हैं:
इमली दिल की बीमारी एथेरोस्क्लेरोसिस के लिए मददगार साबित हो सकती है, इस बीमारी में रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसल्स) की भीतरी दीवारों पर वसीय पदार्थों (फैटी मटेरियल) का जमाव हो जाता है।2 इमली के फल के गुदा (पल्प) में भरपूर मात्रा में पोटैशियम होता है जो हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इमली में कैरोटीन भी भरपूर मात्रा में होती है, जो ख़राब कोलेस्ट्रॉल, जो कि हार्ट के लिए बहुत नुकसानदायक होता है, के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है।4
हार्ट से संबंधित कोई भी समस्या बहुत खतरनाक होती है और इसका इलाज डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए, इसलिए, आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा, इमली हार्ट की बीमारी के लिए फायदेमंद है या नहीं, इसके लिए अभी और रिसर्च की ज़रूरत है।
इमली में कई पोषक तत्व (न्यूट्रिएंट्स) भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, खासकर विटामिन C, फ्लेवोनॉइड, कैरोटीन्स, और विटामिन B कॉम्प्लेक्स। इन यौगिकों (कंपाउंड्स) में एंटीऑक्सीडेंट एक्टिविटी की क्षमता हो सकती है। ये न्यूट्रिएंट्स इम्यून सिस्टम में मदद कर सकते हैं।4 हालाँकि, इमली का इम्यून सिस्टम में प्रभावों को साबित करने के लिए अभी और रीसर्च की ज़रूरत है।
इमली के फल का पानी (ड्रिंक) आयरन की कमी वाले एनीमिया में फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें विटामिन C होता है, जो शरीर में आयरन की जैवउपलब्धता (बायोअवेलेबिलिटी) को बढ़ाने में मदद कर सकता है। कभी कभी आयुर्वेदिक डॉक्टर भी ब्लड टॉनिक के लिए इमली की सलाह देते हैं। ब्लड टॉनिक एक सप्लीमेंट्स होते हैं जो रक्त कोशिकाओं (ब्लड सेल्स) के निर्माण को सुधारने में मदद कर सकते हैं।1 हालाँकि, आयरन की कमी वाले एनीमिया में इमली कितना असरदार है, इसके लिए अभी और रीसर्च की ज़रूरत है। इसके अलावा, एनीमिया से संबंधित किसी भी तरह की समस्या का इलाज डॉक्टर से ही करवाना चाहिए, इसलिए डॉक्टर की सलाह ज़रूर ले लें।
इमली का फल लैक्सेटिव के रूप में सहायक हो सकता है। इमली के फल से मांसपेशियों को आराम मिल सकता है, जो कि दस्त की समस्या में सहायक साबित हो सकता है। इमली के बीजों में संभावित एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव हो सकता है और यह मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) के खिलाफ काम कर सकता है। इसलिए, यह पेट में अल्सर की समस्या में मददगार साबित हो सकता है।
लीवर से संबंधित ज्यादातर समस्या एपोप्टोसिस (प्रोग्राम्ड कोशिका मृत्यु) के कारण होती है। अध्ययनों से यह पता चलता है बहुत ज़्यादा शराब पीने से लीवर में विषाक्तता (टॉक्सिसिटी) हो जाती है, मतलब, लीवर ख़राब होने लगता है, इमली के पत्तों में एंटी-एपोप्टोटिक और लीवर-प्रोटेक्टिव क्षमता होती है, जो लीवर में विषाक्तता (टॉक्सिसिटी) की समस्या में मददगार साबित हो सकती है।2 हालाँकि, ऐसी बातों को साबित करने के लिए अभी और अधिक रीसर्च की ज़रूरत है। आप इस बात का ध्यान रखें कि पेट या लीवर से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें। डॉक्टर की सलाह लिए बिना, अपना इलाज खुद से ना करें, या डॉक्टर द्वारा चल रहे इलाज को खुद से न बदले, न रिप्लेस करें, न बंद करें।
इमली में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट एक्टिविटी कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। कैंसर में, ऑक्सीडेटिव डैमेज होता है। इमली के बीज के एक्सट्रैक्ट में संभावित एंटीऑक्सीडेंट गुण हो सकते हैं और इसमें एंटी-कैंसर गुण भी हो सकते हैं, जो कि कैंसर की समस्या में मददगार हो सकते हैं।2 हालाँकि, कैंसर की बीमारी में इमली कितना फायदेमंद है, इसे साबित करने के लिए अभी और रीसर्च की ज़रूरत है। कैंसर एक खतरनाक बीमारी है और इसका इलाज डॉक्टर से ही करवाना चाहिए, इसलिए कैंसर से संबंधित डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।
इमली के बीज के एक्सट्रैक्ट का उपयोग न्यूट्रिशनल सपोर्ट के लिए किया जा सकता है और डायबिटीज़ में फायदे के लिये डॉक्टर इसे डायबिटीज़ की दवाओं के साथ भी दे सकते हैं। बीज के एक्सट्रैक्ट में संभावित एंटी-इन्फ्लामेट्री गुण, ब्लड ग्लूकोज़ नियंत्रण, और अग्नाशयी ऊतकों (पैंक्रिएटिक टिश्यू) के डैमेज को रिवर्स करने के साथ, पैंक्रिएटिक सुरक्षात्मक (प्रोटेक्टिव) प्रभाव भी होता है।2 हालाँकि, ऐसे दावों को साबित करने के लिए अभी और रीसर्च की ज़रूरत है। इसके अलावा, डायबिटीज़ का इलाज डॉक्टर से ही करवाना चाहिए, इसलिए डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।
त्वचा के इंफेक्शन, फोड़े, और त्वचा के दूसरे समस्याओं पर इमली के उपयोग से अच्छा प्रभाव पड़ता है।1 इमली में पाये जाने वाले एक यौगिक (कंपाउंड) का उपयोग सन क्रीम में प्राकृतिक (नेचुरल) योज्य यौगिक (एडिटिव कंपाउंड) के रूप में किया जाता है क्योंकि इसमें इम्मुनोप्रोटेक्शन और अल्ट्रावायलेट डैमेज से सुरक्षा के संभावित गुण मौजूद होते हैं।2 हालाँकि, त्वचा के लिए इमली के संभावित उपयोग के बारे में अभी और रीसर्च की ज़रूरत है।
हालाँकि, ऊपर दिए सभी बीमारियों के लिए इमली के संभावित उपयोग का कोई ठोस सबूत नहीं है, इसलिए, इमली के होने वाले प्रभावों का दावा करने के लिए अभी और रीसर्च की ज़रूरत है। इसलिए, बिना अपने डॉक्टर से सलाह लिए, किसी बीमारी के लिए, इमली का उपयोग घरेलू इलाज के रूप में ना करें।
हालाँकि, कुछ ऐसे अध्ययन भी हैं, जिसमें कई स्थितियों में इमली के संभावित उपयोग देखे गए हैं, लेकिन ये डेटा अभी अधूरा है और मानव स्वास्थ्य (ह्यूमन हेल्थ) पर इमली के फायदों के दावे को सही साबित करने के अभी और रीसर्च की ज़रूरत है।
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पूरी दुनिया में भारत इमली के उत्पाद (प्रोडक्ट) का सबसे बड़ा उत्पादक (प्रोड्यूसर) है। इमली के पेड़ का सबसे उपयोगी और महंगा भाग इमली का फल है, क्योंकि इसमें, मीठा, खट्टा (एसिडिक) गुदा (पल्प) होता है, जिसका उपयोग खट्टा करी, सॉस, चटनी और कुछ पीने के पदार्थों (बेवरेजेस) में किया जाता है। हालाँकि, इमली के पेड़ का लगभग हर भाग उपयोगी होता है।1,4
किसी भी प्रकार का हर्बल सप्लीमेंट्स लेने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर ले लेनी चाहिए। किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लिए बिना, अपनी चल रही आधुनिक दवाओं (मॉडर्न मेडिसिन) को, किसी भी आयुर्वेदिक/हर्बल तरीके से तैयार किये गए दवाओं से बंद ना करें या बदलें नहीं।
इमली खाने से होने वाले नुकसान नीचे दिए गए हैं।
आपको सलाह दी जाती है कि आधुनिक दवाओं (मॉडर्न मेडिसिन) से चल रहे अपने इलाज को, इमली के घरेलू उपायों से नहीं बदलें, या बंद नहीं करें।
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गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) और स्तनपान (लैक्टेशन) के दौरान इमली खाना सुरक्षित है या नहीं, इसका कोई पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है। इमली खाने से बचें या गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) और स्तनपान (लैक्टेशन) के समय में इमली खाने से पहले और बुज़ुर्गों और बच्चों को देने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर ले लें।
डॉक्टर की सलाह लिए बिना, अपना इलाज खुद से ना करें, या डॉक्टर द्वारा चल रहे इलाज को खुद से न बदले, न रिप्लेस करें, न बंद करें।
चिकित्सीय रूप से (थेरेप्युटिकल) सक्रिय यौगिकों (एक्टिव कंपाउंड्स) के कारण, इमली अन्य दवाओं के साथ परस्पर क्रियायें (इंटरैक्शन) कर सकता है।
इसलिए, आपको अपने डॉक्टर से ज़रूर सलाह ले लेनी चाहिए कि खाना खाने से पहले इमली खाना आपके लिए सुरक्षित है या नहीं।
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इमली के बीज के एक्सट्रैक्ट का उपयोग पोषण संबंधी सहायक (न्यूट्रिशनल सपोर्ट) के रूप में किया जा सकता है और डायबिटीज़ के नियंत्रण के लिए आपके डॉक्टर द्वारा दिए गए एंटी-डायबिटिक एजेंट के साथ इसका उपयोग किया जा सकता है।2 आपको इस बारे में पहले अपने डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए। डॉक्टर की सलाह लिए बिना, अपना इलाज खुद से ना करें, या डॉक्टर द्वारा चल रहे इलाज को खुद से न बदले, न रिप्लेस करें, न बंद करें।
गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) के दौरान इमली खाना सुरक्षित है या नहीं, इसका अभी तक को ठोस सबूत नहीं मिल सका है, इसलिए इमली खाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर सलाह ले लें।
इमली दिल के लिए मददगार हो सकती है। इमली में बड़ी मात्रा में पोटैशियम होता है जो ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट के लिए अच्छा हो सकता है। इमली ख़राब कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में भी मदद कर सकती है और एथेरोस्क्लेरोसिस (हार्ट की बीमारी) के रिस्क को भी कम कर सकती है।2,4 हालाँकि, इस तरह के दावों को साबित करने के लिए अभी और रीसर्च की ज़रूरत है। हम आपको यही सलाह देंगे कि हार्ट से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या के लिए अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर ले लें क्योकि इस समस्या में लापरवाही खतरनाक हो सकता है। इसका इलाज एक डॉक्टर से ही करवाना चाहिए।
इमली के बीजों का पाचन (डाइजेशन) पर असर पड़ सकता है, और इमली को लंबे समय तक खाते रहने से दाँतों की सतह को नुकसान पहुँच सकता है, जिसे दंत क्षरण (डेंटल एरोज़न) कहा जाता है।2 इसलिए, इमली खाने से पहले आपको अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर ले लेना चाहिए।
इमली के पेड़ के लगभग सभी भागों का उपयोग किया जाता है, जिसमें इसका गुदा (पल्प), फल, बीज, पत्ती, फूल, छाल (बार्क), आदि शामिल है।1,4
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