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हींग (Asafoetida in Hindi): उपयोग, फ़ायदे, न्यूट्रिशनल वैल्यू और अन्य बातें!

By Dr Ashok Pal +2 more

परिचय

दुनिया के बहुत से हिस्सों में, हींग (ऐसाफ़ेटिडा) को खाने का स्वाद बढ़ाने वाले तत्व के रूप में और विभिन्न प्रकार की बीमारियों का पारंपरिक रूप से उपचार करने के लिए किया जाता है। हींग (फ़ेरुला ऐसाफ़ेटिडा), एक ओलिओ-गम-रेज़िन है जो अंबेलीफेरा फ़ैमिली के फ़ेरुला पौधों के तनों में बनती है। फ़ेरुला के पौधे काफ़ी बड़े स्तर पर मध्य एशिया, ख़ासकर पश्चिमी अफगानिस्तान, इराक, तुर्की और पूर्वी ईरान, यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका में फ़ैले हुए हैं जहां इनकी लगभग 170 प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत में, ऐसाफ़ेटिडा को हींग या हींगु के नाम से जाना जाता है।1

हींग का उपयोग

फ़ेरुला के पौधे, बड़ी टैपरूट या गाजर के आकार की जड़ें बनाते हैं जिनके ऊपरी हिस्से की चौड़ाई 4 से 5 साल में लगभग 15 सेमी तक हो जाती है और इनसे हींग प्राप्त की जाती है। हींग की गंध तीखी, लंबे समय तक बरकरार और सल्फर वाली होती है। अपनी गंध के कारण अब यह भारतीय व्यंजनों में डाली जाने वाली एक आम चीज़ बन गई है, जो लहसुन, प्याज़ और साथ ही मांस के समान तीखी गंध वाली होती है। फ़ेरुला एक लैटिन शब्द है जिसका मतलब है ‘ले जाने वाला’ या ‘वाहन’। ‘असा’ शब्द फारसी ‘असा’ से बना लैटिन रूप है, जिसका अर्थ होता है ‘रेज़िन’ और फोएटिडस का अर्थ है ‘महक’।

हींग दो रूपों में आती है: ठोस रूप में और छोटे टुकड़ों में, आमतौर पर इसका ठोस रूप पाया जाता है। फ़ेरूला हींग के पौधे में पाए जाने वाले रासायनिक तत्वों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है: रेज़िन, गोंद और एसेन्शिअल ऑयल। वैनिलिन, 3,4-डाइमेथॉक्सीसिनामाइल-3-(3,4-डाइसेटॉक्सीफेनिल) एक्रिलेट, पिसिलैक्टोन सी और 7-ऑक्सोकैलिट्रिस्टिक एसिड, फ़ेरुला ऐसाफ़ेटिडा के पौधे में पाए जाने वाले फेनोलिक यौगिकों और डाइटरपेन में शामिल हैं।2

हींग में पाए जाने वाले पोषक तत्व इस प्रकार हैं: 2

हींग का पोषण तत्वों की मात्रा

  • कार्बोहाइड्रेट: 68%
  • प्रोटीन: 4%
  • फाइबर: 4%
  • वसा: 1%
  • खनिज: 7%

उपचार के लिए किए जाने वाले हींग के उपयोग

अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, काली खांसी, आंतों में पलने वाले परजीवी, अल्सर, पेट दर्द, मिर्गी, पेट फूलना, कमजोर पाचन, ऐंठन और इन्फ्लूएंजा कुछ ऐसी स्थितियां हैं जिनके लिए हमेशा हींग का इस्तेमाल किया जाता रहा है। हींग, पेट से जुड़ी कई तरह की बीमारियों को दूर करने में मदद करती है। इसका उपयोग अनचाहे गर्भावस्था, असामान्य दर्द, बाँझपन, कठिन और अत्यधिक मासिक धर्म एवं ल्यूकोरिया जैसी कई तरह की समस्याओं से निपटने में किया जाता है।1

हींग के फ़ायदे (Hing (Asafoetida) Ke Faayede):

नसों की समस्याओं से निपटने के लिए हींग के फ़ायदे

  • लिम्फोसाइट घुसपैठ को रोकते हुए एक्सोनल पुनर्जनन और रीमेलिनेशन को बढ़ावा देकर न्यूरोपैथिक दर्द के उपचार में तंत्रिका उत्तेजक के रूप में कार्य करने के लिए फ़ेरूला हींग की क्षमता इसके न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव को प्रदर्शित करती है।1
  • अपने एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव और एंजाइम एसिटाइलकोलिनेस्टरेज़ को खत्म करने के गुण के कारण फ़ेरूला हींग याददाश्त तेज़ करती है।1
  • फ़ेरूला हींग की गोंद के अर्क की जांच प्रयोग में शामिल जानवरों में दौरे पड़ने पर की गई।
  • ऐसा इसके एंटीऑक्सीडेंट गुणों और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने की क्षमता के कारण है।1

हृदय के लिए हींग के फ़ायदे

प्रयोग में शामिल जानवरों में फ़ेरूला हींग गोंद के अर्क को ब्लड प्रेशर को कम करने में कारगर पाया गया।1

लीवर के लिए हींग के फ़ायदे

फ़ेरूला हींग के पॉलीहर्बल सस्पेंशन और मोमोर्डिका चारेंटिया लिन, नरदोस्ताचस जटामांसी वास के अर्क का रक्त में एंजाइमों को कम करने का एक महत्वपूर्ण बेहद सुरक्षापूर्ण प्रभाव पाया गया, जिसमें ग्लूटामेट पायरुवेट ट्रांसमानेज, ग्लूटामेट ऑक्सेलोसेट ट्रांसमानेज और क्षारीय फॉस्फेट शामिल है।1

रोगों से बचाने वाले एजेंट के रूप में हींग के फ़ायदे

  • हींग के अर्क के रोगों से बचाने के गुण का कई तरह के कवक और जीवाणुओं की किस्मों पर परीक्षण किया गया।
  • इसके एल्कोहोलिक और जलीय अर्क ने कवक और बैक्टीरिया को रोककर रोगों से बचाने की बेहद महत्वपूर्ण काम किया। बी. सबटिलिस, ई. कोलाई, क्लेबसिएला निमोनिया और एस. ऑरियस पर इसकी जीवाणुरोधी क्षमता को जांचा गया, जबकि हींग की एंटिफंगल क्षमता को ए. नाइगर और कैंडिडा एल्बीकैंस पर जांचा गया।1

एंटीकैंसर एजेंट के रूप में हींग के फ़ायदे

फ़ेरूला हींग के ओलियो-गम-रेसिन की कीमोप्रिवेंटिव क्षमता का अध्ययन चूहों में होने वाले कोलन कैंसर में, ट्यूमर के आकार, ट्यूमर की बहुलता और ट्यूमर होने की घटनाओं के अलावा इसके सीरम के कुल सियालिक एसिड के स्तर को मापकर किया गया।1

डायबिटीज से निपटने में हींग के फ़ायदे

हींग के अर्क ने ब्लड शुगर को मात्रा को कम करने में सहायक है और इस तरह इसके अर्क में पाए जाने वाले फेनोलिक एसिड और टैनिन के कारण इसका इस्तेमाल डायबिटीज के रोगियों के ब्लड शुगर के स्तर को कम करने के लिए किया जा सकता है।

Read in English : 45 Foods to Lower Blood Sugar Levels

मोटापा से बचाने और चर्बी कम करने वाले एजेंट के रूप में हींग के फ़ायदे

  • डायबिटीज के रोगियों में वजन बढ़ने और वसा बनने की प्रक्रिया में फ़ेरूला हींग के प्रभावों को जानने के लिए शोध किया गया और यह पता चला कि यह शरीर के वजन, असामान्य वसा और एडिपोसाइट कोशिका के आकार को कम करने में सहायक है।
  • इसी वजह से इसे डायबिटीज के कारण होने वाले मोटापे के उपचार में सहायक विकल्प माना जा सकता है।1

कृमिनाशक एजेंट के रूप में हींग के फ़ायदे

कृमि मारने की गतिविधि में जांच में फ़ेरूला हींग के तरल अर्क के प्रभाव की जांच कई कृमियों के काफ़ी हद तक कमज़ोर बनने और इनके मरने के समय को मापकर की गई।1

एंटीऑक्सिडेंट के रूप में हींग के फ़ायदे

  • हींग के पौधे के अर्क ने प्रायोगिक जानवरों में एंटीऑक्सीडेंट की भूमिका निभाई।
  • अध्ययन के परिणामों ने चूहों के लीवर में लिपिड पेरोक्सीडेशन के स्तरों में कमी का पता चला।2

रिलैक्स करने के गुण के कारण हींग के फ़ायदे

  • फ़ेरूला हींग और इसके अवयवों अनेक तरह से तैयार करके विभिन्न प्रकार की चिकनी मांसपेशियों पर इसके प्रभावों की जांच की गई।
  • हींग के ओलेओ-गम-रेज़िन और इसके कूमेरिन घटक अम्बेलिप्रेनिन की चिकनी मांसपेशियों को आराम देने वाली क्रियाओं की इन-विट्रो अध्ययनों द्वारा जांच की गई।
  • हींग के अर्क में अंबेलिप्रेनिन मौजूद होने के कारण यह श्वासनली की चिकनी मांसपेशियों को आराम पहुंचा सकती है।1

पाचन प्रक्रिया को तेज़ करने में हींग के फ़ायदे

  • हींग की पाचन प्रक्रिया तेज़ करने का शरीर पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण लार अधिक बनती है और लार एमाइलेज की गतिविधि में वृद्धि होती है।
  • यह पित्त के प्रवाह को तेज़ करके और पित्त में एसिड के स्राव को बढ़ाती है, अग्न्याशय और छोटी आंत के पाचन एंजाइमों की गतिविधि को तेज़ कर आहार को पचाने में सहायता करता है।1

अल्सर से बचाव में हींग के फ़ायदे

जानवरों पर किए गए अध्ययन के अनुसार, हींग को पानी में घोलने पर यह अल्सर से बचने में सहायक साबित हो सकता है।3 

Read in English: Bhumi Amla – Benefits, Uses & Precautions

हींग को कैसे इस्तेमाल करें?

हींग का उपयोग नीचे बताए गए तरीकों से किया जा सकता है:

गोंद

हिस्टीरिया, काली खांसी और अल्सर के इलाज के लिए इसके सूखे गोंद को गर्म पानी में घोलकर इसे पिया जाता है। इसका उपयोग अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के इलाज के लिए भी किया जाता है। मलेशिया में, एमेनोरिया के इलाज के लिए इससे बना च्यूइंग गम चबाया जाता है और मोरक्को में इसे एंटीपीलेप्टिक के रूप में चबाया जाता है। मिस्रवासी सूखे गोंद का उपयोग गर्भनिरोधक के रूप में करते हैं।2

जड़

ऐंठन रोधी, मूत्रवर्धक, वर्मीफ्यूज और एनाल्जेसिक के रूप में इसकी सूखी जड़ का उपयोग काढ़ा बनाने के लिए किया जाता है2

रेज़िन

कृमिनाशक के रूप में रेज़िन के पानी के अर्क को मौखिक रूप से लिया जाता है। रेज़िन का तरल अर्क मुंह से लेने पर यह कफ़ नाशक, कृमिनाशक, कामोत्तेजक और दिमाग उत्तेजित करने का काम करता है। काली खांसी से निपटने के लिए इसकी सूखी रेज़िन का पेस्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।2

पत्ते और तना

पुरूष इसके सूखे पत्ते और तने के अर्क को गर्म पानी से पी सकते हैं। यह कामवासना बढ़ाने का काम करता है।2

ओलेरेज़िन पाउडर

इसके चूर्ण का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है।2

हींग के साइड इफ़ेक्ट्स:

हींग के अर्क की जांच में यह रोजमर्रा के उपयोग के लिए सुरक्षित पाया गया है। ज़्यादा मात्रा में हींग लेने से मुंह में सूजन, पाचन संबंधी समस्याएं जैसे पेट फूलना, दस्त, घबराहट और सिरदर्द की समस्या हो सकती है।1

Read in English: Nagkesar – Uses, Benefits & Precautions

हींग के साथ बरती जाने वाली सावधानियां:

आपको नीचे बताई गई बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान हींग का सेवन नहीं किया जाना चाहिए है क्योंकि यह मासिक धर्म चक्र को प्रभावित करता है और गर्भपात कराने वाला होता है।1,4 
  • हींग के इस्तेमाल से भ्रूण का हीमोग्लोबिन ऑक्सीकृत हो जाता है, जबकि वयस्क हीमोग्लोबिन में ऐसा नहीं होता है। बच्चों को हींग की दवा नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इससे मेथेमोग्लोबिनेमिया हो सकता है।
  • रेज़िन को व्यक्तियों में घबराहट के दौरान होने वाली ऐंठन से जोड़ा जाता है।4 

अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया:

जब कॉमरिंस के साथ हींग का उपयोग किया जाता है, तो हींग क्रोमोसोमल क्षति का कारण बन सकती है और कोएगुलेशन थेरेपी में रूकावट खड़ी कर सकती है।4

Read in English: Munakka – Uses, Benefits & Precautions

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

हींग क्या है?

हींग (ऐसाफ़ेटिडा) एक ओलियो-गम-रेज़िन है जिसका उपयोग खाने का स्वाद बढ़ाने वाले एजेंट के रूप में और दुनिया के कई हिस्सों में कई तरह के रोगों के पारंपरिक उपचार के रूप में किया जाता है।1

हींग कैसे बनती है?

इसे फ़ेरूला के पौधों से निकाला जाता है, जिनकी फ़ैली हुई टैपरूट या गाजर के आकार की जड़ें होती हैं (जब ये 4-5 साल की होती हैं तो सिरे पर लगभग 15 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं)।1

गैस बनने की समस्या में हींग का उपयोग कैसे करें?

हींग को भून कर इसका उपयोग गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों निपटने के लिए किया जाता है और जो बिना प्रोसेस की गई हींग की तुलना में पेट फूलने से बचाने में अधिक उपयोगी होती है जो पेट में जलन और सूजन का कारण होता है। 2

हींग के क्या उपयोग हैं?

इसका उपयोग पारंपरिक रूप से कई रोगों के उपचार के लिए किया जाता है, जैसे अस्थमा, काली खांसी, पेट दर्द, इन्फ्लूएंजा, आंतों के कीड़े, अल्सर, मिर्गी, पेट फूलना, ब्रोंकाइटिस, ऐंठन और कमजोर पाचन।1

क्या गर्भावस्था के दौरान हींग का सेवन सुरक्षित है?

नहीं, गर्भावस्था के दौरान हींग का सेवन सुरक्षित नहीं है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान हींग का सेवन मना है।1

हींग कहाँ पाई जाती है?

फ़ेरुला के पौधे काफ़ी बड़े स्तर पर मध्य एशिया, ख़ासकर पश्चिम अफगानिस्तान, इराक, तुर्की और पूर्वी ईरान, यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका में में फैले हुए हैं जहां इनकी लगभग 170 प्रजातियां पाई जाती हैं।1

खाने में हींग का प्रयोग क्यों किया जाता है?

अपनी गंध के कारण अब यह भारतीय व्यंजनों में डाली जाने वाली एक आम चीज़ बन गई है, जो लहसुन, प्याज़ और साथ ही मांस के समान तीखी गंध वाली होती है।1

क्या हींग से मासिक धर्म हो सकता है?

नहीं, इससे मासिक धर्म नहीं होता।1

हींग, पौधे का कौन सा भाग है?

यह फ़ेरुला पौधे के तनों से निकाला गया एक ओलेओ-गम रेज़िन है।1

क्या हींग का सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है?

नहीं, इसके सेवन से गर्भपात नहीं होता, बल्कि इसका इस्तेमाल अवांछित गर्भपात से बचने के लिए किया जाता है।1

खाना पकाने में हींग का उपयोग कैसे करें?

इसका उपयोग करी, मांस, अचार और दालों सहित अनेक प्रकार के व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने वाली सीज़निंग या मसाले के रूप में किया जाता है।2

क्या हींग पाचन के लिए अच्छा है?

जी हां, हींग पाचन के लिए फायदेमंद होती है। यह लार बनने और लार एमाइलेज की गतिविधि को तेज़ करके पाचन प्रक्रिया तेज़ करने का काम करती है।1

Read in English: Lodhra – Uses, Benefits & Side Effects

References:

  1. Augustine Amalraj and Sreeraj Gopi. Biological activities and medicinal properties of Asafoetida: A review. National Center For Biotechnology Information. [Internet]. December 20, 2016. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5506628/ .
  2. Shailja Choudhary , Hemlata Kaurav , Gitika Chaudhary. Hing (Ferula asafoetida). A Review Based Upon its Ayurvedic and Pharmacological Properties. Research Gate. [Internet]. Available from: https://www.researchgate.net/publication/353601868_Hing_Ferula_asafoetida_A_Review_Based_Upon_its_Ayurvedic_and_Pharmacological_Properties .
  3. J.A. Kareparamban, P.H. Nikam, A.P. Jadhav, V.J. Kadam. Ferula foetida” hing”: A review. Research Gate. [Internet]. Available from: https://www.researchgate.net/publication/353601868_Hing_Ferula_asafoetida_A_Review_Based_Upon_its_Ayurvedic_and_Pharmacological_Properties .
  4. James A.Duke and Mary Jo Bogenschutz-Godwin, Judi duCellier and Peggy-Ann K.Duke. Handbook of medicinal herbs. Enpab. [Internet]. June 27, 2002. Available from: https://www.enpab.it/images/2018/James_A._Duke_-_Handbook_of_Medicinal_Herbs.pdf. .

Read in English: Chamomile – Uses, Benefits & Side Effects

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