हींग (Asafoetida in Hindi): उपयोग, फ़ायदे, न्यूट्रिशनल वैल्यू और अन्य बातें!
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दुनिया के बहुत से हिस्सों में, हींग (ऐसाफ़ेटिडा) को खाने का स्वाद बढ़ाने वाले तत्व के रूप में और विभिन्न प्रकार की बीमारियों का पारंपरिक रूप से उपचार करने के लिए किया जाता है। हींग (फ़ेरुला ऐसाफ़ेटिडा), एक ओलिओ-गम-रेज़िन है जो अंबेलीफेरा फ़ैमिली के फ़ेरुला पौधों के तनों में बनती है। फ़ेरुला के पौधे काफ़ी बड़े स्तर पर मध्य एशिया, ख़ासकर पश्चिमी अफगानिस्तान, इराक, तुर्की और पूर्वी ईरान, यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका में फ़ैले हुए हैं जहां इनकी लगभग 170 प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत में, ऐसाफ़ेटिडा को हींग या हींगु के नाम से जाना जाता है।1
फ़ेरुला के पौधे, बड़ी टैपरूट या गाजर के आकार की जड़ें बनाते हैं जिनके ऊपरी हिस्से की चौड़ाई 4 से 5 साल में लगभग 15 सेमी तक हो जाती है और इनसे हींग प्राप्त की जाती है। हींग की गंध तीखी, लंबे समय तक बरकरार और सल्फर वाली होती है। अपनी गंध के कारण अब यह भारतीय व्यंजनों में डाली जाने वाली एक आम चीज़ बन गई है, जो लहसुन, प्याज़ और साथ ही मांस के समान तीखी गंध वाली होती है। फ़ेरुला एक लैटिन शब्द है जिसका मतलब है ‘ले जाने वाला’ या ‘वाहन’। ‘असा’ शब्द फारसी ‘असा’ से बना लैटिन रूप है, जिसका अर्थ होता है ‘रेज़िन’ और फोएटिडस का अर्थ है ‘महक’।
हींग दो रूपों में आती है: ठोस रूप में और छोटे टुकड़ों में, आमतौर पर इसका ठोस रूप पाया जाता है। फ़ेरूला हींग के पौधे में पाए जाने वाले रासायनिक तत्वों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है: रेज़िन, गोंद और एसेन्शिअल ऑयल। वैनिलिन, 3,4-डाइमेथॉक्सीसिनामाइल-3-(3,4-डाइसेटॉक्सीफेनिल) एक्रिलेट, पिसिलैक्टोन सी और 7-ऑक्सोकैलिट्रिस्टिक एसिड, फ़ेरुला ऐसाफ़ेटिडा के पौधे में पाए जाने वाले फेनोलिक यौगिकों और डाइटरपेन में शामिल हैं।2
हींग में पाए जाने वाले पोषक तत्व इस प्रकार हैं: 2
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, काली खांसी, आंतों में पलने वाले परजीवी, अल्सर, पेट दर्द, मिर्गी, पेट फूलना, कमजोर पाचन, ऐंठन और इन्फ्लूएंजा कुछ ऐसी स्थितियां हैं जिनके लिए हमेशा हींग का इस्तेमाल किया जाता रहा है। हींग, पेट से जुड़ी कई तरह की बीमारियों को दूर करने में मदद करती है। इसका उपयोग अनचाहे गर्भावस्था, असामान्य दर्द, बाँझपन, कठिन और अत्यधिक मासिक धर्म एवं ल्यूकोरिया जैसी कई तरह की समस्याओं से निपटने में किया जाता है।1
प्रयोग में शामिल जानवरों में फ़ेरूला हींग गोंद के अर्क को ब्लड प्रेशर को कम करने में कारगर पाया गया।1
फ़ेरूला हींग के पॉलीहर्बल सस्पेंशन और मोमोर्डिका चारेंटिया लिन, नरदोस्ताचस जटामांसी वास के अर्क का रक्त में एंजाइमों को कम करने का एक महत्वपूर्ण बेहद सुरक्षापूर्ण प्रभाव पाया गया, जिसमें ग्लूटामेट पायरुवेट ट्रांसमानेज, ग्लूटामेट ऑक्सेलोसेट ट्रांसमानेज और क्षारीय फॉस्फेट शामिल है।1
फ़ेरूला हींग के ओलियो-गम-रेसिन की कीमोप्रिवेंटिव क्षमता का अध्ययन चूहों में होने वाले कोलन कैंसर में, ट्यूमर के आकार, ट्यूमर की बहुलता और ट्यूमर होने की घटनाओं के अलावा इसके सीरम के कुल सियालिक एसिड के स्तर को मापकर किया गया।1
हींग के अर्क ने ब्लड शुगर को मात्रा को कम करने में सहायक है और इस तरह इसके अर्क में पाए जाने वाले फेनोलिक एसिड और टैनिन के कारण इसका इस्तेमाल डायबिटीज के रोगियों के ब्लड शुगर के स्तर को कम करने के लिए किया जा सकता है।
Read in English : 45 Foods to Lower Blood Sugar Levels
कृमि मारने की गतिविधि में जांच में फ़ेरूला हींग के तरल अर्क के प्रभाव की जांच कई कृमियों के काफ़ी हद तक कमज़ोर बनने और इनके मरने के समय को मापकर की गई।1
जानवरों पर किए गए अध्ययन के अनुसार, हींग को पानी में घोलने पर यह अल्सर से बचने में सहायक साबित हो सकता है।3
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हींग का उपयोग नीचे बताए गए तरीकों से किया जा सकता है:
हिस्टीरिया, काली खांसी और अल्सर के इलाज के लिए इसके सूखे गोंद को गर्म पानी में घोलकर इसे पिया जाता है। इसका उपयोग अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के इलाज के लिए भी किया जाता है। मलेशिया में, एमेनोरिया के इलाज के लिए इससे बना च्यूइंग गम चबाया जाता है और मोरक्को में इसे एंटीपीलेप्टिक के रूप में चबाया जाता है। मिस्रवासी सूखे गोंद का उपयोग गर्भनिरोधक के रूप में करते हैं।2
ऐंठन रोधी, मूत्रवर्धक, वर्मीफ्यूज और एनाल्जेसिक के रूप में इसकी सूखी जड़ का उपयोग काढ़ा बनाने के लिए किया जाता है2
रेज़िन
कृमिनाशक के रूप में रेज़िन के पानी के अर्क को मौखिक रूप से लिया जाता है। रेज़िन का तरल अर्क मुंह से लेने पर यह कफ़ नाशक, कृमिनाशक, कामोत्तेजक और दिमाग उत्तेजित करने का काम करता है। काली खांसी से निपटने के लिए इसकी सूखी रेज़िन का पेस्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।2
पुरूष इसके सूखे पत्ते और तने के अर्क को गर्म पानी से पी सकते हैं। यह कामवासना बढ़ाने का काम करता है।2
इसके चूर्ण का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है।2
हींग के अर्क की जांच में यह रोजमर्रा के उपयोग के लिए सुरक्षित पाया गया है। ज़्यादा मात्रा में हींग लेने से मुंह में सूजन, पाचन संबंधी समस्याएं जैसे पेट फूलना, दस्त, घबराहट और सिरदर्द की समस्या हो सकती है।1
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आपको नीचे बताई गई बातों का ध्यान रखना चाहिए:
जब कॉमरिंस के साथ हींग का उपयोग किया जाता है, तो हींग क्रोमोसोमल क्षति का कारण बन सकती है और कोएगुलेशन थेरेपी में रूकावट खड़ी कर सकती है।4
Read in English: Munakka – Uses, Benefits & Precautions
हींग (ऐसाफ़ेटिडा) एक ओलियो-गम-रेज़िन है जिसका उपयोग खाने का स्वाद बढ़ाने वाले एजेंट के रूप में और दुनिया के कई हिस्सों में कई तरह के रोगों के पारंपरिक उपचार के रूप में किया जाता है।1
इसे फ़ेरूला के पौधों से निकाला जाता है, जिनकी फ़ैली हुई टैपरूट या गाजर के आकार की जड़ें होती हैं (जब ये 4-5 साल की होती हैं तो सिरे पर लगभग 15 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं)।1
हींग को भून कर इसका उपयोग गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों निपटने के लिए किया जाता है और जो बिना प्रोसेस की गई हींग की तुलना में पेट फूलने से बचाने में अधिक उपयोगी होती है जो पेट में जलन और सूजन का कारण होता है। 2
इसका उपयोग पारंपरिक रूप से कई रोगों के उपचार के लिए किया जाता है, जैसे अस्थमा, काली खांसी, पेट दर्द, इन्फ्लूएंजा, आंतों के कीड़े, अल्सर, मिर्गी, पेट फूलना, ब्रोंकाइटिस, ऐंठन और कमजोर पाचन।1
नहीं, गर्भावस्था के दौरान हींग का सेवन सुरक्षित नहीं है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान हींग का सेवन मना है।1
फ़ेरुला के पौधे काफ़ी बड़े स्तर पर मध्य एशिया, ख़ासकर पश्चिम अफगानिस्तान, इराक, तुर्की और पूर्वी ईरान, यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका में में फैले हुए हैं जहां इनकी लगभग 170 प्रजातियां पाई जाती हैं।1
अपनी गंध के कारण अब यह भारतीय व्यंजनों में डाली जाने वाली एक आम चीज़ बन गई है, जो लहसुन, प्याज़ और साथ ही मांस के समान तीखी गंध वाली होती है।1
नहीं, इससे मासिक धर्म नहीं होता।1
यह फ़ेरुला पौधे के तनों से निकाला गया एक ओलेओ-गम रेज़िन है।1
नहीं, इसके सेवन से गर्भपात नहीं होता, बल्कि इसका इस्तेमाल अवांछित गर्भपात से बचने के लिए किया जाता है।1
इसका उपयोग करी, मांस, अचार और दालों सहित अनेक प्रकार के व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने वाली सीज़निंग या मसाले के रूप में किया जाता है।2
जी हां, हींग पाचन के लिए फायदेमंद होती है। यह लार बनने और लार एमाइलेज की गतिविधि को तेज़ करके पाचन प्रक्रिया तेज़ करने का काम करती है।1
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