पपीता (Papaya in Hindi): उपयोग, फ़ायदे, न्यूट्रिशनल वैल्यू आदि!
By Dr Ashok Pal +2 more
Get,
to manage your symptom
Get your,
4 Cr+ families
benefitted
OTP sent to 9988776655
You’ve successfully subscribed to receive
doctor-approved tips on Whatsapp
Get ready to feel your best.
Hi There,
Download the PharmEasy App now!!Register to Avail the Offer
Send OTPBy continuing, you agree with our Privacy Policy and Terms and Conditions
Hi There,
Sign up on PharmEasy now!!Trusted by 4 crore+ families
OTP sent to 9988776655
You have unlocked 25% off on medicines
Code: NU25
By Dr Ashok Pal +2 more
Table of Contents
कैरिका पपाया एल. (पपीता) मेक्सिको और उतारी दक्षिणी अमेरिका में पाया जानेवाला एक उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय (tropical and subtropical) पौधा है जो विश्व के कई भागों में प्राकृतिक रूप से पाया जाने लगा है। पपई, पावपाव, लपाया, तपायस और कपाया ये सब पपीता के कुछ अन्य नाम हैं। यह सीधा, बड़ा पेड़ जैसा दिखने वाला शाकीय पौधा है किन्तु इसमें लकड़ी नहीं होती है। इसकी पत्तियां बड़ी, हथेली के आकार की होती हैं जिनका व्यास 50-70 सेमी होता है। फूलों के प्रकार के अनुसार इसके फल विभिन्न आकार के होते हैं। इसके फल 5-30 सेमी लम्बे तथा पीलापन लिए हुए नारंगी रंग के होते हैं। इसका गुदा मीठा होता है और इसमें ढेर सारे काले बीज होते हैं1
पपीता एक अच्छी तरह से सूखी मिट्टी में होने वाला साधारण पौधा है, जहाँ पानी का ठहराव न हो क्योंकि इससे यह 24 घंटे में नष्ट हो सकता है। पौधे और इसके फल को गर्मी और वसंत ऋतु में बहुत कम मात्रा में पानी की ज़रूरत होती है। बहुत अधिक ठंड और गर्मी पौधे और इसके फल दोनों को नष्ट कर सकते हैं। पपीते का पौधा और इसके फल 21-32 डिग्री सेल्सियस तापमान में फलते-फूलते हैं। फल के पकने के दौरान सूखा मौसम इसके स्वाद को बेहतर बनाता है जबकि 100 से कम तापमान में इसके पकने की गति धीमी हो जाती है। इसके अतिरिक्त, पौधा रोपने के 8-10 महीनों के बाद इसमें फल लगने लगते हैं। मौसम की स्थिति के अनुसार पपीते का एक पौधा साल में 30-150 फल दे सकता है।3
Papita Mai Poshak Tatvo Ki Matra:
पपीते के फल और बीज में पाई जानेवाली पोषक तत्वों की मात्रा निम्नवत है:
कच्चे फल में कैरोटेनॉयड्स, पपैन और काइमोपपैन एंजाइम पाए जाते हैं। पपीते के बीज में पपीते का तेल पाया जाता है जिसमें फ्लेवोन्वाएड्स होते हैं।1 पपीते के बीज के तेल में उच्च मात्रा में लिपिड वाले फायटोकेमिकल्स तथा जरुरी फैटी अम्ल यथा ओलेइक अम्ल पाए जाते हैं। बीजों में पाए जाने वाले अन्य फैटी अम्लों में एराकिडिक, पामिटिक, लिनोलेनिक और स्टीयरिक अम्ल शामिल हैं।2
Read in English: Grapefruit: Uses, Benefits, Side Effects and More!
पपीते के विभिन्न अंगों में पाए जाने वाले गुण इस प्रकार हैं।
● यह एंटीऑक्सीडेंट हो सकता है
● इसमें जीवाणुरोधक गुण हो सकते हैं
● इसमें कैंसररोधी शक्ति हो सकती हैं
● इसमें सूजनरोधी गुण हो सकते हैं
● यह अल्सर (अल्सररोधी) में फ़ायदेमंद हो सकता है
● यह ब्लड में शुगर की मात्रा कम करने में फ़ायदेमंद हो सकता है (डायबिटीज से लड़ने में सहायक)
● यह लीवर के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है (लीवर रक्षक)
● यह जख्म ठीक करने में मदद कर सकता है1
● इसमें इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण पाए जाते हैं (रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने वाला)
● इसमें कृमिनाशक एजेंट हो सकते हैं (परजीवी कृमियों के विरुद्ध कार्य करता है)
● इसमें एंटीस्पास्मोडिक क्षमता पाई जाती है (मांसपेशियों की ऐंठन में आराम पहुंचाता है)
● यह कवक (एंटीफंगल) पर प्रभावी हो सकता है
● यह मलेरिया परजीवी पर प्रभावी हो सकता है (मलेरियारोधी)4
यह भी पढ़ें: ताड़गोला (आइस-एप्पल): उपयोग, फ़ायदे, साइड इफ़ेक्ट्स आदि!
Read in English: Ice Apple: Uses, Benefits, Side Effects and More!
पपीते के जड़ के अर्क का विभिन्न बैक्टीरिया और फंगी के विरुद्ध इसके जीवाणुरोधी गुण का पता लगाने के लिए परीक्षण किया गया था। शोधकर्ताओं के अनुसार पपीते के अर्क में स्यूडोमोनस एरुजिनोसा के विरुद्ध जीवाणुरोधी गुण पाया जाता है। पत्तियों के अर्क सभी ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया के विरुद्ध अधिक प्रभावशाली होते हैं।1
एस्चेरिचिया कोलाई, स्टैफिलोकोकस ऑरियस और कैंडिडा अल्बिकन्स के विरुद्ध पपीते की पत्तियों के अर्क की प्रभावकारिता की जांच के लिए परीक्षण किया गया था।1 एक अन्य अध्ययन से एस ऑरियस, बैसिलस सबटिलिस, पी एरुजिनोसा और ई कोलाई के विरुद्ध पपीते की पत्तियों के संभावित जीवाणुरोधी गुणों का पता चला। शोधकर्ताओं के अनुसार हरे कच्चे पपीते के फल के अर्क में पी एरुगिनोसा और ई कोलाई के विरुद्ध जीवाणुरोधी पाए जाते हैं।1
माइक्रोस्पोरम फुलवम, कैंडिडा अल्बिकन्स और एस्परगिलस नाइजर के विरुद्ध पपीते के विभिन्न अंगों के अर्क के एंटीफंगल गुण के संबंध में रिपोर्ट प्राप्त हुए हैं।3 पपीते की मसली हुई पत्तियों में अधिकांश फंगी के विरुद्ध एंटीफंगल गुण होने की संभावना है। पपीते की पत्तियों का जूस डेंगू से होने वाले बुखार में प्राकृतिक औषधि का कार्य कर सकता है। पपीते में पाए जानेवाले एक जैवसक्रिय अवयव फ्लेवोन्वाएड के डेंगू वायरस के विरुद्ध एंटीवायरल गुण का पता चला है।3
अफ्रीका के कई समाजों में पपीते का उपयोग लम्बे समय से डायबिटीज मिलिटस के उपचार में किया जाता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि पपीते के पौधे के कुछ भाग मनुष्यों और पशुओं दोनों में ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में सहायक हो सकते हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि पपीते की पत्तियों के अर्क में हाइपोग्लाईकेमिक (ब्लड शुगर कम करने वाला) प्रभाव होता है।3
इसी तरह, पके हुए पपीते के बीज के अर्क में डायबिटीज से लड़ने वाले गुण होते हैं जो एनिमल मॉडल में खाली पेट में ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों को संभावित इलाज के लिए हरा पपीता के सेवन का भी परामर्श दिया गया है।3 यद्यपि इसके सटीक क्षमता के बारे में पता लगाने के लिए अभी और शोध किये जाने की ज़रूरत है। डायबिटीज के सही निदान और उपचार के लिए कृपया डॉक्टर से परामर्श करें।
जानवरों पर किए गए विभिन्न शोधों में लीवर की सुरक्षा करने में पपीता के फल के अर्क के संभावित गुणों का पता चला है। जिन जानवरों को पपीते के अर्क दिए गये थे उनमें लिपिड पेरोक्सिडेशन, टोटल बिलीरुबिन, सीरम एंजाइम के निम्न स्तर पाए गये थे।3
एनिमल मॉडल में पपीते के डंठल के अर्क के लीवर को सुरक्षित रखने की क्षमता का भी परीक्षण किया गया था। टैनिन, अल्कलॉइड और सैपोनिन जैसे जैव सक्रिय पदार्थों की उपस्थिति लीवर के रोग में पपीते के पारंपरिक रूप से उपयोग किये जाने को सही ठहराते हैं।3 यद्यपि और शोध किये जाने की ज़रुरत है।
कई अध्ययनों से पता चला है कई पपीते की पत्तियां और बीज पेट और आंत के अल्सर में फ़ायदेमंद होते हैं। जानवर पर किये गये अध्ययन से पता चला है कि पपीते के बीज के अर्क पेट की एसिडिटी और गैस्ट्रिक जूस की मात्रा तथा एसिडिटी को घटा सकते हैं जिससे अल्सर होने की संभावना नहीं रहती तथा ये पेट की रक्षा करने वाले एजेंट के रूप में काम करते हैं।3 इन संभावित परिणामों की पुष्टि के लिए और शोध किये जाने की ज़रूरत है।
पपीते की पत्तियों के अर्क ने पी. फाल्सीपेरम के विरुद्ध मलेरियारोधी क्षमता प्रदर्शित की है और पर्यावरण अनुकूल मच्छर विकर्षक (repellent) के रूप में इसका उपयोग में किया जा सकता है।
जानवर पर किए गए अध्ययन के अनुसार, पपीते की पत्तियों के अर्क में प्लाज्मोडियम बरघेई के विरुद्ध मलेरियारोधी गुण पाए जाते हैं।3 पपीते की पत्तियों से तैयार की गयी चाय मलेरिया के विरुद्ध असरदार हो सकती है।3 इसके सम्पूर्ण गुणों की वैज्ञानिक तौर पर पुष्टि हेतु और शोध किये जाने की ज़रूरत है।
एक शोध के अनुसार कच्चे पपीते के अर्क में डायरियारोधी गुण प्रदर्शित हुआ, जबकि पके पपीते के अर्क में प्लेसीओमोनास शिगेलोइड्स के विरुद्ध डायरियारोधी गुण पाए जाते हैं। जानवर पर किए गए एक अन्य शोध में पाया गया कि पपीते के पत्ते के अर्क में एक अच्छे डायरियारोधी के गुण पाए जाते हैं।1 यद्यपि इन दावों को ठोस तथ्य के रूप में संपुष्ट करने हेतु और शोध किये जाने की ज़रूरत है।
पपीते के बीज और जड़ के अर्क के जख्म को ठीक करने की क्षमता का जानवरों पर परीक्षण किया गया था। इसके परिणाम में पाया गया कि इसके अर्क में जख्म को ठीक करने की क्षमता होती है। पपीते के लेटेक्स से इलाज करने पर जख्म के आकार में बहुत कमी पाई गई।1
पपीते में पपैन नामक एक एंजाइम पाया जाता है जो कैंसर में असरदार साबित हो सकता है। पपैन में लाइकोपीन वर्णक पाया जाता है जो फ्री रैडिकल्स और ऑक्सीजन से अत्यधिक प्रतिक्रिया करता है। पपीते में पाया जानेवाला आइसोथियोसाइनेट स्तन, प्रोस्टेट, अग्नयाशय, फेफड़ा, ब्लड एवं पेट के कैंसर में फ़ायदेमंद हो सकता है।1
एक अध्ययन से पता चला है कि पपीते की पत्तियों के अर्क कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं को कम कर सकते हैं और कैंसर मार्कर्स को घटा सकते हैं। त्वचा कैंसर, किडनी कैंसर और स्तन कैंसर जैसी कैंसर की विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं पर पपीते के जमीन के ऊपर के हिस्सों के अर्क का परीक्षण किया गया था।1 एक अध्ययन के अनुसार, पके हुए पपीते की काली बीजों का प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं के प्रसार पर भी असर पड़ता है।1 यद्यपि गंभीर स्थिति के कैंसर का इलाज सही तरीके से पेशेवर द्वारा किया जाना चाहिए। कृपया सम्बंधित डॉक्टर (ऑन्कोलॉजिस्ट) से संपर्क करें।
पपीता में अल्कलॉइड्स (जैसे कोलीन और निकोटीन), फ्लेवोनोइड्स, टैनिन और सैपोनिन पाए जाते हैं जो पुराने (दीर्घकालिक) सूजन पर काफी असरदार होते हैं। पपीता में पाए जानेवाले पपैन और काइमोपपैन जैसे प्रोटियोलिटिक एंजाइम्स में भी सूजनरोधी गुण पाए जाते हैं।1
कई जानवर प्रतिदर्शों पर पपीते की पत्तियों के अर्क के सूजनरोधी गुण का अध्ययन किया गया था। ज्ञात हुआ कि पपीते की पत्तियों के अर्क में सूजनरोधी गुण होते हैं। जानवर पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार पपीते के बीज के जलीय अर्क में भी सूजनरोधी गुण पाए जाते हैं।3
पपीते में पाए जानेवाले पपैन और चाईमोपपाई जैसे प्रोटियोलिटिक एंजाइम्स में भी संभवतः रोग-प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, पके हुए और कच्चे पपीते के फल में रोग-प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं।
जानवरों पर किए गए अध्ययन के अनुसार ट्रांसजेनिक पपीता फल इम्युनोग्लोबलिन आईजीएम (एंटीबॉडी) के स्तर को बढ़ाता है जिससे रोग प्रतिरोधी क्षमता में वृद्धि होती है।1
कच्चे पपीते में टाइरोसिन, ग्लाइसिन और फेनिलएलनिन जैसे एंटी-सिकलिंग (एंटी-एनीमिक) रसायन पाए जाते हैं। कच्चे पपीते में पाए जानेवाले फेनोलिक एसिड, एरोमेटिक अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट रसायन के कारण इसमें एंटी-सिकलिंग (एंटी-एनीमिक) गुण होते हैं।2 कई अध्ययनों के अनुसार, कच्चे पपीते के फल और सूखी हुई पत्तियों में एंटी-सिकलिंग गुण पाए गए हैं और इसलिए ब्लड में लाल कोशिकाओं की कमी (sickle cell anaemia) की स्थिति में ये मददगार हो सकते हैं।3
यद्यपि कई अध्ययनों से यह ज्ञात हुआ है कि विभिन्न बीमारियों में पपीते का उपयोग किया जा सकता है, किन्तु ये पर्याप्त नहीं हैं और मानव स्वास्थ्य पर पपीते के फायदों की सही सीमा का निर्धारण करने के लिए और अध्ययन किये जाने की ज़रूरत है।
Read in English: Plums: Uses, Benefits, Side Effects and More!
पपीता निम्नांकित प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है:
कोई भी हर्बल दवा लेने के पहले योग्य डॉक्टर से परामर्श कर लें। वे आपको आपकी ज़रूरत के अनुसार पपीते के रूप और दवा के डोज के बारे में बताएंगे। आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के अनुसार चल रहे किसी प्रकार के इलाज को योग्य डॉक्टर के परामर्श के बिना बंद नहीं करें या आयुर्वेदिक/ हर्बल दवा से प्रतिस्थापित नहीं करें।
पपीते का अत्यधिक उपयोग करने के कारण होने वाले साइड इफ़ेक्ट्स:
इस प्रकार का कोई भी साइड इफ़ेक्ट्स महसूस होने पर जिस डॉक्टर ने इसे लेने का परामर्श दिया था उससे तुरंत चिकित्सीय सहायता प्राप्त करें। साइड इफ़ेक्ट्स पर काबू पाने हेतु उचित इलाज के संबंध में वे आपके सर्वोत्तम मार्गदर्शक साबित होंगे।
पपीते के दो प्राथमिक तत्व – पपैन और काइमोपपैन, गर्भवती महिलाओं पर बुरा असर डालते हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को पपीते का सेवन नहीं करना चाहिए।6
बच्चों और उम्रदराज व्यक्तियों पर पपीते के सुरक्षित उपयोग के संबंध में किसी प्रकार के शोध का दस्तावेजीकरण नहीं किया गया है। अतः इसके फायदों के लिए इसे किसी डॉक्टर की देखरेख में और उनके सलाह पर ही लिया जाना चाहिए।
बहुत सारी दवाएं, जैसे मेटफॉर्मिन, ग्लाइमपेराइड (ब्लड शुगर कम करने वाली दवाएं), डाइजॉक्सिन (हृदय की स्थिति के लिए एक दवा), सिप्रोफ्लोक्सासिन (एंटीबायोटिक्स), और आर्टेमिसिनिन (एंटीमाइलेरियल) पपीते के पत्तों के साथ महत्वपूर्ण रूप से पारस्परिक क्रिया कर सकती हैं।7
शुगर कम करने वाली दवाएं जैसे मेटफॉर्मिन और ग्लाइमपेराइड का पपीते की पत्तियों के साथ जटिल पारस्परिक क्रिया का पता चला। जब पपीते की पत्तियों के अर्क को मेटफॉर्मिन के साथ मिलाया गया तो पहले तो इसने दो घंटे बाद मेटफॉर्मिन के शुगर कम करने वाले प्रभाव को घटाया किन्तु 24 घंटे के बाद इसे बढ़ा दिया।7
जब पपीते की पत्तियों के अर्क को आर्टीमिसिनिन के साथ मिलाया जाता है तो इसमें प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ योज्य मलेरियारोधी (मलेरिया परजीवी को मारता है) प्रभाव पैदा होता है।7
Read in English: Coconut: Uses, Benefits, Side Effects and More!
पपीता सामान्य तौर पर 5-30 सेमी लम्बा और पीलापन लिए हुए नारंगी रंग का एक फल होता है। फल का गूदा खाया जाता है और इसमें बहुत सारे काले बीज होते हैं।1
एक अच्छी तरह से सूखी मिट्टी में होने वाला यह एक सामान्य पौधा है, जहां पानी का ठहराव न हो। यदि इसे अच्छी तरह से खाद डालकर उपजाऊ बनाया जाए, तो 6.5 से 7.0 पीएच मान वाली हल्की उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) मिट्टी में पपीता का पौधा बहुत तेजी से बढ़ता है।3
पपीता में विटामिन A, C और E पाया जाता है।1
पपीता डायबिटीज के रोगियों के लिए बढ़िया हो सकता है। कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि पपीते के पौधे के कुछ भाग मनुष्य और जानवर दोनों में ब्लड में शुगर की मात्रा कम करने में मदद कर सकते हैं।3 डायबिटीज के इलाज हेतु कृपया डॉक्टर से परामर्श करें तथा स्वयं चिकित्सा नहीं करें।
लीवर के लिए पपीता अच्छा हो सकता है। पपीता में उपस्थित टैनिन, अल्कलॉइड और सैपोनिन जैसे जैवसक्रिय पदार्थों के कारण लीवर की खराबी के इलाज हेतु पपीते का पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता रहा है।3 कृपया डॉक्टर से परामर्श करें। स्व-चिकित्सा न करें।
गर्भावस्था में पपीते का उपयोग सही नहीं है। पपीते में पाए जाने वाले दो मुख्य तत्व – पपैन और काइमोपपैन का गर्भावस्था में बुरा असर हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं द्वारा पपीते का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।5
नहीं, पपीता से ब्लड में शुगर की मात्रा नहीं बढ़ती है।3
बालों में पपीते की पत्तियों का अर्क लगाने से बालों में वृद्धि कर सकता है तथा यह बालों को गिरने से भी बचा सकता है।4
पपीते में एंटीऑक्सिडेंट, जीवाणुरोधी, कैंसररोधी, गर्भनिरोधी, सूजनरोधी, अल्सररोधी, डायबिटिजरोधी, लीवर रक्षक, जख्म ठीक करने, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, एंथेलमिंथिक, एंटीस्पास्मोडिक, एंटीफंगल, एनीमियारोधी, और मलेरियारोधी होते हैं।1,2 यद्यपि इन गुणों की पुष्टि के लिए और शोध किये जाने की ज़रूरत है।
हाँ, पपीते की पत्तियां डेंगू के लिए ठीक हो सकती हैं। डेंगू से होने वाले बुखार में पपीते की पत्तियों के संभावित उपयोग का पता चला है।3 यद्यपि इस प्रकार के दावों की पुष्टि हेतु और शोध किये जाने की ज़रूरत है।
पपीते की पत्तियों में क्वेरसेटिन, कैम्फेरोल, कैम्फेरोल 3-रूटिनोसाइड, क्वेरसेटिन 3-रुटिनोसाइड, कैम्फेरोल, माइरिकेटिन 3-रैमनोसाइड जैसे फ्लेवोनोइड्स पाए जाते हैं।1
Disclaimer: The information provided here is for educational/awareness purposes only and is not intended to be a substitute for medical treatment by a healthcare professional and should not be relied upon to diagnose or treat any medical condition. The reader should consult a registered medical practitioner to determine the appropriateness of the information and before consuming any medication. PharmEasy does not provide any guarantee or warranty (express or implied) regarding the accuracy, adequacy, completeness, legality, reliability or usefulness of the information; and disclaims any liability arising thereof.
Links and product recommendations in the information provided here are advertisements of third-party products available on the website. PharmEasy does not make any representation on the accuracy or suitability of such products/services. Advertisements do not influence the editorial decisions or content. The information in this blog is subject to change without notice. The authors and administrators reserve the right to modify, add, or remove content without notification. It is your responsibility to review this disclaimer regularly for any changes.
Leave your comment...
Comments