सरसों के बीज (Mustard Seeds in Hindi): उपयोग, लाभ, न्यूट्रिशनल वैल्यू और बहुत कुछ – डॉ. राजीव सिंह
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Table of Contents
सरसों (मस्टर्ड) के बीजों के व्यंजन 5000 साल पहले से बनते आ रहे हैं, जिनके अनुसार सरसों (मस्टर्ड) के बीजों को भूख बढ़ाने वाला बताया जाता है। सरसों (मस्टर्ड) का वैज्ञानिक नाम ब्रासिका जनसिया है, जो ब्रैसिकेसी या क्रुसफैरे परिवार का है। इसके सामान्य नामों में इंडियन मस्टर्ड, ओरिएंटल मस्टर्ड तथा सरसों शामिल हैं। प्राचीन समय में, ग्रीस में सांप या बिच्छु के काटने पर सरसों (मस्टर्ड) का इस्तेमाल किया जाता था। जबकि भारत और चीन में इसकी पत्तियों, बीज और बीज के तेल का इस्तेमाल चिकित्सीय उद्देश्य से किया जाता था। अब सरसों (मस्टर्ड) के बीज के कुछ चिकित्सीय महत्व पर नज़र डालते हैं।
सरसों (मस्टर्ड) के बीज में स्टेरोल्स, ग्लूकोसाइनोलेट्स और आइसोथायोसाइनेट्स जैसे बायोएक्टिव कम्पाउंड पाए जाते हैं।1 सरसों (मस्टर्ड) के बीज में निम्नांकित पोषक तत्व पाए जाते हैं:
पोषक तत्व | मात्रा |
ऊर्जा | 508 किलो कैलोरी |
पानी | 5.27 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट | 28.1 ग्राम |
फ़ैट | 36.2 ग्राम |
प्रोटीन | 26.1 ग्राम |
फ़ाइबर | 12.2 ग्राम |
शुगर | 6.79 ग्राम |
आयरन | 9.21 मिलीग्राम |
कैल्शियम | 266 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम | 370 मिलीग्राम |
फॉस्फोरस | 828 मिलीग्राम |
सोडियम | 13 मिलीग्राम |
पोटैशियम | 738 मिलीग्राम |
सेलेनियम | 208 माइक्रोग्राम |
कॉपर | 0.645 मिलीग्राम |
ज़िंक | 6.08 मिलीग्राम |
मैंगनीज़ | 2.45 मिलीग्राम |
विटामिन ए | 2 माइक्रोग्राम |
विटामिन बी1 | 0.805 मिलीग्राम |
विटामिन बी2 | 0.261 मिलीग्राम |
विटामिन बी3 | 4.73 मिलीग्राम |
विटामिन बी5 | 0.81 मिलीग्राम |
विटामिन बी6 | 0.397 मिलीग्राम |
विटामिन बी9 | 162 माइक्रोग्राम |
विटामिन सी | 7.1 मिलीग्राम |
विटामिन ई | 5.07 मिलीग्राम |
विटामिन के | 5.4 माइक्रोग्राम |
बीटा कैरोटीन | 18 माइक्रोग्राम |
कोलीन | 123 मिलीग्राम |
बीटाइन | 1.9 मिलीग्राम |
टेबल 1: सरसों (मस्टर्ड) के बीज में पौषक तत्वों की मात्रा2
कई अध्ययनों से पता चला है कई सरसों (मस्टर्ड) के बीज मनुष्यों के लिए फ़ायदेमंद होते हैं, और सरसों (मस्टर्ड) के बीज के कुछ गुण नीचे दिए गए हैं:
Samagra swasth ke liye Sarson (Mustard) ke beej ke sambhavit istemaal
सरसों (मस्टर्ड) के बीज के कुछ संभावित इस्तेमाल नीचे दिए गए हैं:
दास एवं अन्य द्वारा 2022 में किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि सरसों (मस्टर्ड) के बीज एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम कर सकता है। सरसों (मस्टर्ड) के बीज की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता इसमें मौजूद ग्लूकोसाइनोलेट्स और ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड्स के कारण हो सकती है। ये कम्पाउंड फ़्री रैडिकल्स (शरीर में मौजूद हानिकारक अणु) को निष्क्रिय करके शरीर को होने वाले विभिन्न प्रकार के नुकसान से बचा सकते हैं।3
बाय एवं अन्य द्वारा 2015 में किए गए अध्ययन से पता चला कि सरसों (मस्टर्ड) के बीज में पाए जाने वाले कैरोटीन और फेनोलिक कम्पाउंड डायबिटीज़ मेलिटस में फ़ायदेमंद हो सकते हैं। ये कम्पाउंड अग्न्याशय (पैनक्रीअस) से इन्सुलिन रिलीज़ करके ग्लूकोज का स्तर सामान्य बनाए रख सकते हैं। इन्सुलिन एक हॉर्मोन है जो शरीर में ब्लड शुगर सामान्य बनाए रखने में मदद करता है।4 हालाँकि डायबिटीज में सरसों (मस्टर्ड) के बीज फ़ायदेमंद होते हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए अभी और अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है। अपने ब्लड शुगर की नियमित रूप से जाँच करते रहें और ब्लड शुगर के असामान्य स्तर की स्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह लें।
अहमद एवं अन्य द्वारा 2020 में किए गए अध्ययन से यह पता चला कि सरसों (मस्टर्ड) के बीज लंग कैंसर में उपयोगी हो सकते हैं। सरसों (मस्टर्ड) के बीज में पाए जाने वाले ग्लूकोसाइनोलेट्स कैंसरकारक कोशिकाओं की वृद्धि को रोक कर उन्हें नष्ट कर सकते हैं। यह DNA को भी क्षति से बचा सकता है।5 हालाँकि सरसों (मस्टर्ड) के बीज कैंसर में मददगार हो सकते हैं या नहीं इसे पूरी तरह साबित करने के लिए अभी और अध्ययनों की आवश्यकता है। कैंसर एक गंभीर बीमारी है, इसलिए, कैंसर के लक्षण की शंका होने पर तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लें। स्वयं इलाज न करें।
खान एवं अन्य द्वारा 2016 में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सरसों (मस्टर्ड) के बीज में जीवाणुरोधी (एंटी-बैक्टीरियल) और फ़ंगस-रोधी गुण पाए जाते हैं। सरसों (मस्टर्ड) के बीज ई कोलाई, बी सबटिलिस और रोडोकोकस एसपीपी जैसे ग्राम-पॉज़िटिव एवं ग्राम-नेगेटिव जीवाणुओं का विकास अवरुद्ध कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, सरसों (मस्टर्ड) के बीज एस्परगिलस नाइजर, एस्परगिलस फ़्लेवस और ट्राइकोडर्मा हार्ज़ियानम जैसे फ़ंगस की गतिविधियों को भी अवरुद्ध कर सकते हैं।6 हालाँकि सरसों (मस्टर्ड) के बीज बैक्टीरिया और फ़ंगस के इंफ़ेक्शन के खिलाफ़ काम कर सकते हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर और अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है। बैक्टीरिया या फ़ंगस के इंफ़ेक्शन की शंका होने पर आपको तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
सोरायसिस सूजन और जलन पैदा करने वाली एक ऑटोइम्यून बीमारी है। यांग एवं अन्य द्वारा 2013 में किए गए अध्ययन से पता चला है कि सरसों (मस्टर्ड) के बीज सोरायसिस का मुकाबला कर सकते हैं। सरसों (मस्टर्ड) के बीज सोरायसिस के कारण होने वाली सूजन एवं जलन को कम कर सकते हैं।7 हालाँकि सोरायसिस में सरसों (मस्टर्ड) के बीज फ़ायदेमंद होते हैं या नहीं इसका पता लगाने के लिए और अध्ययन किए जाने की ज़रुरत है। इसलिए, सोरायसिस के लक्षण दिखाई पड़ने पर आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
एवलोन एवं अन्य द्वारा 2019 में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सरसों (मस्टर्ड) के बीज तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) से संबंधित विकारों में फ़ायदेमंद हो सकते हैं। पॉलीअनसैचुरेटेड फ़ैटी एसिड्स अल्ज़ाइमर्स और पार्किंसंस जैसी बीमारियों में फ़ायदेमंद हो सकते हैं।3 हालाँकि अल्ज़ाइमर्स और पार्किंसंस रोग में सरसों (मस्टर्ड) के बीज फ़ायदेमंद होते हैं या नहीं इसका पता लगाने के लिए और अध्ययन किए जाने की ज़रुरत है। इसलिए न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों के लिए आपको तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
भट्ट एवं अन्य द्वारा 2013 में किए गए एक अध्ययन से यह पता चला है कि सरसों (मस्टर्ड) के बीज सूजन (इंफ़्लामेशन) कम करने में प्रभावी हो सकते हैं। सरसों (मस्टर्ड) के बीज सूजन (इंफ़्लामेशन) पैदा करने वाले कारकों (सूजन पैदा करने वाले अणुओं को) का रिलीज़ होना अवरुद्ध कर सकते हैं।8 हालाँकि सरसों (मस्टर्ड) के बीजों के एंटी-इंफ़्लामेटरी गुणों का पता लगाने के लिए अभी और अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है। इसलिए किसी प्रकार के इंफ़्लामेशन की शंका होने पर आपको अपने डॉक्टर की सलाह लें।
भट्ट एवं अन्य द्वारा 2013 में किए गए अध्ययन से पता चला है कि सरसों (मस्टर्ड) का तेल दर्द कम करने में सहायक हो सकता है। यह दर्द पैदा करने वाले अणुओं और COX एंज़ाइम (जो दर्द पैदा करता है) का रिलीज़ होना रोककर दर्द कम कर सकता है। सरसों (मस्टर्ड) के बीज का यह गुण एडी (Eddy) के हॉट प्लेट मॉडल पर मापा गया था।8 हालाँकि सरसों (मस्टर्ड) के बीज दर्द को कम कर सकते हैं या नहीं इसका पता लगाने के लिए और अध्ययन किए जाने की ज़रुरत है। अतः लंबे समय तक दर्द महसूस होने पर आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
हालाँकि अध्ययन बताते हैं कि विभिन्न स्थितियों में सरसों (मस्टर्ड) के बीज फायदेमंद होते हैं, किन्तु ये पर्याप्त नहीं हैं, और मनुष्य के स्वास्थ्य पर सरसों (मस्टर्ड) के बीज के फ़ायदों की सही सीमा निर्धारित करने हेतु और अध्ययनों की आवश्यकता है।
आयुर्वेद के अनुसार, सरसों (मस्टर्ड) के बीज का सेवन इन तरीकों से किया जा सकता है:
सरसों (मस्टर्ड) के बीजों का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में या हर्बल औषधि के तौर पर करने से पहले आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इसी तरह, आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के तहत चल रहे इलाज को बंद करने या किसी आयुर्वेदिक/ हर्बल दवा से इसे बदलने स पहले योग्य डॉक्टर से अवश्य परामर्श करें।
मौन्साल्व एवं अन्य द्वारा 2001 में दी गई रिपोर्ट के अनुसार सरसों (मस्टर्ड) के बीज के साइड इफ़ेक्ट्स ये हैं:
अगर आपको सरसों (मस्टर्ड) के बीज के कारण किसी प्रकार के रिएक्शन का पता चलता है तो तुरंत मेडिकल सहायता लें। सबसे पहले, उस आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करें जिन्होंने इसे लेने की सलाह दी थी; डॉक्टर इसके कारण का पता लगाकर प्रभावी तरीके से इसका इलाज कर सकते हैं।
सरसों (मस्टर्ड) के बीज का सेवन करने से पहले नीचे दी गई सावधानियाँ बरती जानी चाहिए:
अगर आपको पहले से कोई रोग है तो आपको सलाह दी जाती है कि सरसों (मस्टर्ड) के बीज का सेवन करने के पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें।
सरसों (मस्टर्ड) के बीज निम्नांकित दवाओं को पारस्परिक रूप से प्रभावित कर सकते हैं:
अगर आपका कोई मेडिकल इलाज चल रहा है तो सरसों (मस्टर्ड) के बीज का सेवन करने के पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
सरसों (मस्टर्ड) के बीज के बहुत सारे चिकित्सीय इस्तेमाल होते हैं। इसका इस्तेमाल डायबिटीज़, कैंसर, सोरायसिस, फ़ंगी और बैक्टीरिया के विरुद्ध किया जा सकता है तथा यह एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। अल्ज़ाइमर्स और पार्किंसंस जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यह दर्द और सूजन कम कर सकता है।1,3,4,5,6,7,8 हालाँकि आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए; अगर आपको उपर्युक्त कोई लक्षण महसूस होता है तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें, स्वयं इलाज न करें।
सरसों (मस्टर्ड) के बीज में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, शुगर और फ़ैट पाया जाता है। इसमें आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, सोडियम, पोटैशियम, सेलेनियम, कॉपर, ज़िंक और मैंगनीज़ जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं। इसमें विटामिन ए, बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी9, सी, ई और के पाए जाते हैं।1,2
सरसों (मस्टर्ड) के बीज के कारण अर्टिकेरिया (त्वचा में सूजन, लाली और खुजली), हाथों पर एक्ज़िमा (त्वचा सूखी और खुजली वाली हो जाती है), दमा, राइनाइटिस (नाक बहना), एंजियोएडेमा (त्वचा की निचली परत की सूजन), ओरल प्रुरिटिस (मुँह में खुजली), और साँस की तकलीफ़ के साथ घरघराहट हो सकती है।9 सबसे, उस आयुर्वेदिक डॉक्टर से मिलें जिन्होंने आपको इसका सेवन करने की सलाह दी थी। वे इसके कारण का पता लगा सकेंगे और प्रभावी रूप से इसका इलाज कर सकेंगे।
सरसों (मस्टर्ड) के बीज एंटासिड्स (एसिडिटी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा) के काम में हस्तक्षेप कर सकते हैं। यह वारफ़ेरिन (ब्लड क्लॉट नहीं बनने देने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा) के साथ भी रिएक्शन कर सकता है।10 अगर आपका कोई मेडिकल इलाज चल रहा है तो सरसों (मस्टर्ड) के बीज का सेवन करने के पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
सरसों (मस्टर्ड) के बीज में मौजूद कैरोटीन और फेनोलिक कम्पाउंड डायबिटीज़ में फ़ायदेमंद हो सकते हैं।4 फिर भी, ब्लड शुगर की असामान्य स्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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