प्रून (Sukha Aloo Bukhara in Hindi): उपयोग, लाभ और पोषण मूल्य (न्यूट्रिशनल वैल्यू)
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प्रून (प्रूनस डोमेस्टिका) यूरोपीय आलूबुखारे की प्रजाती वाला एक सूखा हुआ आलूबुखारा है। आलूबुखारे को सुखा कर प्रून में बदलने के लिए, उच्च घुलनशील ठोस सामग्री (हाई सॉल्यूबल सॉलिड कंटेंट) के साथ प्रूनस डोमेस्टिका प्रजाति के ज़्यादा गूदे वाले आलूबुखारे की ज़रूरत होती है जिसमें सुखाने के समय खमीर (फर्मेंट) नहीं बनती है। ज़्यादातर प्रून (सूखा आलूबुखारा) की खेती फ्रीस्टोन तरीके से की जाती है जिसमें गुठली को आसानी से निकाला जा सकता है, जबकि दूसरी ओर ताज़ा खपत के लिए उगाए जाने वाले आलूबुखारे को क्लिंगस्टोन के रूप में वर्गीकृत (कैटगराइज़) किया जाता है जिसमें गुठली को आसानी से नहीं निकाला जा सकता है।
इस फल को रोज़ाना खाने से मल त्याग (बाउल मूवमेंट) सही रहता है।
प्रून (सूखा आलूबुखारा) के पोषण मूल्य (न्यूट्रिशनल वैल्यू) की बात करें तो इसमें 64% कार्बोहाइड्रेट होता है, जिसमें डाइटरी फाइबर, 2% प्रोटीन, औसत मात्रा में डाइटरी मिनरल और विटामिन B और भरपूर मात्रा में विटामिन K शामिल है। इस फल में सोर्बिटोल भी होता है जिसके कारण इसमें रेचक (लैक्सेटिव) के गुण भी पाए जाते हैं। [1].
28 ग्राम प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) के पोषण लाभ को दिखाया गया है।
हालाँकि प्रून सूखे हुए आलूबुखारे ही होते हैं, लेकिन इनकी एक खुराक में मौजूद मिनरल थोड़े अलग होते हैं। प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) में विटामिन K और B और मिनरल भरपूर मात्रा में होते हैं। इसके अलावा, अपने कॉन्सेंट्रेटिड फॉर्म के कारण, प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) में, ताज़े आलूबुखारे के मुकाबले फाइबर, कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी ज़्यादा मात्रा में होती है।
Prun(Sookha Aloobukhara) ke Sambhavit Upyog
मनुष्यों के स्वास्थ्य के लिए प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) के निम्नलिखित उपयोग हैं:
प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, इस सूखे हुए फल (ड्राइड फ्रूट) की एक खुराक में 1 ग्राम फाइबर होता है। प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) के इस गुण की वजह से यह कब्ज़ (कॉन्स्टिपेशन) से राहत पाने का सबसे अच्छा तरीका है। प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) में मौजूद फाइबर इसे बहुत ज़्यादा अघुलनशील (इन्सॉल्यूबल) बना देता है, मतलब यह पानी में घुलता नहीं है। यह मल (स्टूल) को ऊपर उठाता है और पाचन तंत्र (डाइजेस्टिव ट्रैक्ट) के ज़रिए मल को तेज़ी से बाहर निकाल देता है।
प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) में शुगर अल्कोहल सोर्बिटोल होता है, जिसमें प्राकृतिक रूप से रेचक (लैक्सेटिव) गुण होते हैं। ऐसा पाया गया है कि कब्ज़ (कॉन्स्टिपेशन) से राहत पाने के लिए, प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) बेहद प्रभावी होता है। लोगों के एक समूह पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि रोज़ाना 50 ग्राम प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) खाने से मल (स्टूल) की फ्रीक्वेंसी और कंसिस्टेंसी बेहतर होती है।
प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा), में ज़्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होने के बावजूद, यह ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ाता नहीं है, और इसलिए यह ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकता है। प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) के इस गुण की वजह से एडिपोनेक्टिन के स्तर में बढ़ोतरी होती है, जो कि ब्लड शुगर को नियमित करने वाला एक तरह का हार्मोन है। प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) में मौजूद फाइबर भी ब्लड शुगर को नियमित करने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि फाइबर हमारे शरीर द्वारा भोजन के बाद कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण (अब्ज़ॉर्प्शन) की दर को धीमा कर देता है। जिसकी वजह से, ब्लड शुगर अचानक बढ़ने के बजाय धीरे-धीरे बढ़ता है।
मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) की वजह से कोशिकाओं (सेल) को नुकसान पहुँचने के कारण सूजन (इन्फ्लेमेशन) की समस्या आ सकती है। लेकिन प्रून (सूखा आलूबुखारा) में भरपूर मात्रा में पॉलीफेनोल एंटीऑक्सिडेंट होने के कारण हड्डियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और मधुमेह (डायबिटीज़) और दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। प्रून (सूखा आलूबुखारा) और ताज़े आलूबुखारे में मौजूद पॉलीफेनोल एंटीऑक्सिडेंट में शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान (सेल डैमेज) से बचाते हैं जिनसे बीमारियां होती हैं। प्रून (सूखा आलूबुखारा) में मौजूद पॉलीफेनोल, फेफड़ों और जोड़ों के विकारों (जॉइंट डिसऑर्डर) में होने वाली सूजन (इन्फ्लेमेट्री मार्कर्स) को नियंत्रित कर सकते हैं।
दिल की बीमारी होने की मुख्य वजह कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर (हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल) और उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) है और इसलिए रोज़ाना प्रून (सूखा आलूबुखारा) खाने से दिल के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रून (सूखा आलूबुखारा) का यह सुरक्षात्मक प्रभाव (प्रोटेक्टिव इफ़ेक्ट) इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद पोटैशियम, एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर की वजह से है।
कुछ अध्ययनों के अनुसार हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रून (सूखा आलूबुखारा) फ़ायदेमंद हो सकता है। इस फल को लगातार खाने से ऑस्टियोपेनिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डियों की बीमारियों का खतरा कम होता है जो लो बोन डेंसिटी के कारण होते हैं। हड्डियों को सुरक्षित रखने वाला प्रून (सूखा आलूबुखारा) का यह गुण, इसमें मौजूद कुछ मिनरल और विटामिन जैसे विटामिन K, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम की मौजूदगी के कारण है।
प्रून (सूखा आलूबुखारा) में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, शरीर में कोशिकाओं को पहुँचने वाले नुकसान (सेल डैमेज) को कम करके, उम्र बढ़ने के संकेतों (साइन ऑफ़ एजिंग) को धीमा करते हैं। ऑक्सीजन रेडिकल एब्जॉर्बेंस कैपेसिटी स्केल के अनुसार, समय से पहले बुढ़ापा पैदा करने वाले मुक्त कण (फ्री रेडिकल्स) को बेअसर करने के लिए प्रून (सूखा आलूबुखारा) जैसे खाद्य पदार्थ अत्यधिक प्रभावी होते हैं। इसलिए रोज़ाना मुट्ठी भर प्रून (सूखा आलूबुखारा) खाने से कोशिकाएं (सेल) स्वस्थ और जीवंत बनी रह सकती हैं।
प्रून (सूखा आलूबुखारा) को निम्नलिखित तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है:
प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) को ऐसे भी खाया जा सकता है, या फिर स्वाद बढ़ाने के लिए उन्हें नमकीन और मीठे दोनों तरह के व्यंजनों में मिलाया जा सकता है।
हालाँकि प्रून (सूखा आलूबुखारा) हड्डियों और दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं और ये कब्ज़ (कॉन्स्टिपेशन) को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकते हैं,लेकिन अगर आप इनमें से किसी एक या सभी समस्याओं से पीड़ित हैं तो सही इलाज के लिए आपको एक योग्य डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। ऊपर दी गई समस्याओं के लिए चल रहे किसी भी इलाज को बंद न करें और न ही उनके बदले सिर्फ प्रून (सूखा आलूबुखारा) खाना शुरू करें।
प्रून, मूल रूप से सूखे हुआ आलूबुखारे होते हैं जो लंबे समय तक खराब नहीं होते हैं। जिसकी वजह से, ताज़ा आलूबुखारे के मुकाबले प्रून में मिनरल और विटामिन ज़्यादा मात्रा में मौजूद होते हैं। हालाँकि, प्रून (सूखा आलूबुखारा) के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव (साइड इफ़ेक्ट) भी हैं, जो इसे ज़्यादा मात्रा में खाने पर होते हैं। इनमें से कुछ के बारे में नीचे दिया गया है
सूखे हुए फल जैसे प्रून, अंजीर और किशमिश में सोर्बिटोल और फाइबर की मात्रा ज़्यादा होती है जिससे शरीर पर रेचक (लैक्सेटिव) प्रभाव पड़ता है। इसलिए, ज़्यादा मात्रा में प्रून खाने से दस्त (डायरिया) होने की संभावना बढ़ सकती है।
एक्रिलामाइड एक तरह का रसायन है जो उच्च तापमान (हाई टेम्प्रेचर) पर गरम करने पर अपने आप ही खाद्य पदार्थों में बनने लगता है। यह शुगर के साथ मिलने पर ऐस्पेराजीन नामक अमीनो एसिड बनाता है। एक्रिलामाइड को खाने से कैंसर का खतरा पैदा हो सकता है। कम तापमान पर सुखाए हुए प्रून को खाने से एक्रिलामाइड रसायन के संपर्क में आने से बचा जा सकता है।
पॉलीअल्कोहलिक शुगर जैसे कि सोर्बिटोल को खाने से गैस, पेट फूलना (ब्लोटिंग), हल्की ऐंठन से लेकर गंभीर ऐंठन और हल्की मतली जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं आ सकती हैं। 100 ग्राम प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) में लगभग 15 ग्राम सोर्बिटोल होता है। इस मात्रा में, लगभग 5 ग्राम सोर्बिटोल, पेट फूलने (ब्लोटिंग) की समस्या पैदा करने के लिए पर्याप्त है।
हालाँकि, प्रून (सूखा आलूबुखारा) स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है, लेकिन फिर भी अगर इसे ज़्यादा मात्रा में खाया जाए तो पेट फूलने (ब्लोटिंग), दस्त (डायरिया), और कैंसर होने का खतरा रहता है। इसलिए, रोज़ाना कितने प्रून (सूखा आलूबुखारा) खाने चाहिए, इसकी जानकारी लेने के लिए अपने डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह लें।
डॉक्टर के अनुसार लगभग 30 ग्राम यानी कि 3 से 4 प्रून (सूखा आलूबुखारा) खाना सही है।
प्रून (सूखा आलूबुखारा) का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है और इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है। प्रून (सूखा हुआ आलूबुखारा) शरीर द्वारा कार्बोहाइड्रेट को अवशोषित (अब्ज़ॉर्प्शन) करने की दर को धीमा कर देता है। इस वजह से, ब्लड शुगर का स्तर अचानक बढ़ने के बजाय बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। इन कारणों से मधुमेह (डायबिटीज़) से पीड़ित व्यक्तियों द्वारा डॉक्टर की सलाह के बाद प्रून (सूखा आलूबुखारा) का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित है।
प्रून्स, सूखे हुए आलूबुखारे होते हैं, और आलूबुखारे का फल मूल रूप से चीन से संबंधित है। आलूबुखारे को जापानी आलूबुखारे के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि जापान में इसकी खेती होने के बाद, यह खेती द्वारा अन्य स्थानों पर भी फैल गया था। वर्तमान में, भारत सहित दुनिया के सभी समशीतोष्ण क्षेत्रों (टेम्परेट रीजन) में आलूबुखारे की खेती की जाती है, विशेष रूप से उत्तर भारतीय मैदानों और पंजाब में।
प्रून (सूखा आलूबुखारा) किसी भी तरह का फैट (वसा) ज़्यादा मात्रा में नहीं होता है।
अगर आपको दस्त (डायरिया) की शिकायत है तो आपको प्रून (सूखा आलूबुखारा) न खाने की सलाह दी जाती है। सूखे हुए फल जैसे प्रून, अंजीर और किशमिश में सोर्बिटोल होता है जिससे शरीर पर रेचक (लैक्सेटिव) प्रभाव पड़ता है, जो दस्त (डायरिया) की स्थिति को और खराब कर सकता है।
सोर्बिटोल एक महत्वपूर्ण फोटोसिंथेटिक एन्ड प्रॉडक्ट है जो पौधों की कई प्रजातियों में मिठास (शुगर) पहुँचाने और इकठ्ठा करने का काम करता है। सोर्बिटोल, सूखा, ठंडा और खारापन जैसे एबीओटिक स्ट्रेस फैक्टर के तहत सेल साइटोप्लाज्म के भीतर ऑस्मोटिक एडजस्टमेंट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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