"MedicalWebPage", "FAQPage"

Get,

Free Doctor Tips

to manage your symptom

Get your,

FREE Doctor Tips Now!!

4 Cr+ families

benefitted

Enter your Phone Number

+91

|

Enter a valid mobile number

Send OTP

Verify your mobile number

OTP sent to 9988776655

CONGRATULATIONS!!!

You’ve successfully subscribed to receive

doctor-approved tips on Whatsapp


Get ready to feel your best.

Hi There,

Download the PharmEasy App now!!

AND AVAIL

AD FREE reading experience
Get 25% OFF on medicines
Banner Image

Register to Avail the Offer

Send OTP

By continuing, you agree with our Privacy Policy and Terms and Conditions

Success Banner Image

Verify your mobile number

OTP sent to 9988776655

Comments

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Leave your comment here

Your email address will not be published. Required fields are marked *

25% OFF on medicines

Collect your coupon before the offer ends!!!

COLLECT

फ्रेंच बीन्स (French Beans in Hindi): उपयोग, लाभ और न्यूट्रिशनल वैल्यू

By Dr. Nikita Toshi +2 more

परिचय

हरी फलियाँ (ग्रीन बीन्स) आम फलियों (फेजोलस वल्गैरिस) का ही कच्चा, आधा पका फल है। इन्हें कई नामों से जाना जाता है, जैसे कि फ्रेंच बीन्स (फ्रेंच-हरिकॉट वर्ट), स्नैप बीन्स या स्ट्रिंग बीन्स (इनकी आधुनिक किस्में स्ट्रिंगलेस हैं)। फिलीपींस में, हरी बीन्स (ग्रीन बीन्स) को बागुईओ बीन्स / हैबिचुएलस के नाम से जाना जाता है, और यार्डलॉन्ग बीन्स इनसे अलग होती हैं।

French beans

हरी फलियाँ (ग्रीन बीन्स), फलियों की अन्य किस्मों से अलग होती हैं क्योंकि हरी फलियों (ग्रीन बीन्स) को तब काटा और खाया जाता है जब इनके अंदर के बीज पूरी तरह से पके नहीं होते हैं। हरी फलियाँ (ग्रीन बीन्स), मूल रूप से दक्षिण और मध्य अमेरिका में पाई जाती थीं, जबकि पेरू और मैक्सिको में भी कई वर्षों से इसकी खेती किए जाने के प्रमाण मिले हैं। तीन सामान्य प्रकार की हरी फलियां फेजोलस वल्गैरिस प्रजाति की श्रेणी में आती हैं। ये तीनों, गोल और सपाट फलियाँ होती हैं जिन्हें स्नैप या स्ट्रिंग बीन्स कहते हैं; फ्रेंच या स्ट्रिंगलेस बीन्स जिसमें फली के किनारे रेशेदार, सख्त स्ट्रिंग वाले नहीं होते हैं; रनर बीन्स की प्रजाती अलग होती है जिसे फेजोलस कोकीनस कहते हैं।

फ्रेंच बीन्स का पोषण मूल्य (न्यूट्रिशनल वैल्यू)

फ्रेंच बीन्स में मौजूद पोषक तत्वों की बात करें तो, कच्ची हरी फलियों में 90% पानी, 2% प्रोटीन, 7% कार्बोहाइड्रेट और नाममात्र का फैट (वसा) होता है। फ्रेंच बीन्स की 100 ग्राम मात्रा में 31 कैलोरी और थोड़ी कम मात्रा में विटामिन K, विटामिन C, मैंगनीज़ और विटामिन B के साथ कम मात्रा में अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्यूट्रिएंट्स) होते हैं। हरी फलियों (ग्रीन बीन्स) में भी थायमिन, फोलेट, राइबोफ्लेविन, पोटेशियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होते हैं।

पोषक तत्वमात्रा
कैलोरी28
फैट (वसा)0.55 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट5.66 ग्राम
शुगर1.94 ग्राम
फाइबर2.6 ग्राम
प्रोटीन1.42 ग्राम
कैल्शियम17 मिलीग्राम
मैग्नीशियम18 मिलीग्राम
आयरन1.2 मिलीग्राम
फॉस्फोरस39 मिलीग्राम
पोटैशियम130 मिलीग्राम
विटामिन A24 माइक्रोग्राम
विटामिन K52.5 माइक्रोग्राम
फोलेट32 माइक्रोग्राम

ऊपर दी गई टेबल में लगभग 150 ग्राम फ्रेंच बीन्स में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी दी गई है।[1]

फ्रेंच बीन्स  के गुण:

  • फ्रेंच बीन्स  में वसा (फैट) और कैलोरी की मात्रा कम होती है।
  • फ्रेंच बीन्स को खाने का सबसे अच्छा तरीका है उन्हें उबालकर, भाप में पकाकर, बेक करके या ग्रिल करके खाना।
  • इस सब्जी में क्लोरोफिल अणु (मॉलिक्यूल) होता है, जो कैंसर के खतरे को कम कर सकता है।
  • फ्रेंच बीन्स में उचित मात्रा में B9 और फोलेट मौजूद होता है।
  • फ्रेंच बीन्स में यौगिकों का एक समूह होता है जिसे रेटिनोइड्स के रूप में जाना जाता है जो प्रतिरक्षा शक्ति (इम्यूनिटी) को बढ़ाता है।
  • पकी हुई फ्रेंच बीन्स में काफ़ी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।

फ्रेंच बीन्स के संभावित उपयोग

French Beans ke sambhavit upyog:

मनुष्यों के स्वास्थ्य के लिए, फ्रेंच बीन्स के निम्नलिखित उपयोग हो सकते हैं:

  • कैंसर के खतरे को कम कर सकता है

हरी फलियाँ या फ्रेंच बीन्स में काफ़ी मात्रा में क्लोरोफिल हो सकता है, जो उच्च तापमान पर मांस को भूनने पर बनने वाले हेट्रोसायक्लिक एमाइन के कार्सिनोजेनिक प्रभाव को बेअसर कर सकता है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि जो लोग भुना हुआ ग्रिल्ड मीट खाना पसंद करते हैं, उन्हें अपने भोजन में उबले हुए फ्रेंच बीन्स डालकर उसके नकारात्मक प्रभावों को संतुलित करना चाहिए।

  • फ्रेंच बीन्स में प्रोटीन होता है

बालों, हड्डियों, मांसपेशियों और अंगों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए शरीर को प्रोटीन की ज़रूरत होती है। स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए भी प्रोटीन बेहद ज़रूरी है। हालाँकि, पौधों से मिलने वाले प्रोटीन में शरीर के लिए ज़रूरी अमीनो एसिड में से एक एसिड की कमी होती है, लेकिन अन्य प्रोटीन स्रोतों के साथ मिलकर, ये पूर्ण प्रोटीन बन सकते हैं और इस तरह से शरीर के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकते हैं।

  • यह मिनरल और विटामिन का अच्छा स्रोत है 

फ्रेंच बीन्स में ज़रूरी विटामिन मौजूद होते हैं जिनमें फोलेट भी शामिल है। एक कप कच्ची हरी फलियों (ग्रीन बीन्स) में लगभग 33 माइक्रोग्राम फोलेट होता है, जो दैनिक अनुशंसित आहार सेवन (डेली रेकमेंडेड डाइटरी इन्टेक) का लगभग 10% है। फोलेट एक तरह का B विटामिन है जो जन्म दोष (बर्थ डिफ़ेक्ट) और अन्य तंत्रिका नली दोष (न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट) से बचाता है।

एक कप कच्ची हरी फलियों (ग्रीन बीन्स) में 12.2 मिलीग्राम विटामिन C होता है, जो अनुशंसित दैनिक सेवन (रेकमेंडेड डेली इन्टेक) का लगभग 25% है। विटामिन C एक एंटीऑक्सीडेंट है जो प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को स्वस्थ बनाए रखता है और कोलेजन के बनने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह त्वचा को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता है।

एक कप कच्ची फ्रेंच बीन्स में लगभग 690 IU विटामिन A होता है, जो रेटिनोइड्स यौगिकों का एक समूह है। विटामिन A बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली (हेल्थी इम्यूनिटी), स्वस्थ दृष्टि और प्रजनन  में मदद करता है।

फ्रेंच बीन्स मैंगनीज़ जैसे मिनरल से भरपूर होते हैं जिसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं और मेटाबॉलिज़्म को बनाए रखते हैं। मैंगनीज़ चोट को जल्दी ठीक करने में मदद करता है और हड्डियों को स्वस्थ बनाता है।

  • फ्रेंच बीन्स मानसिक स्वास्थ्य (मेन्टल हेल्थ) के लिए फ़ायदेमंद होती है

मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर और रसायनों का असंतुलन होना, अवसाद (डिप्रेशन) के प्राथमिक कारणों में से एक है। मस्तिष्क के स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए डोपामाइन, सेरोटोनिन और नोरेपीनेफ्राइन ज़रूरी होते हैं। कभी-कभी जब मस्तिष्क में इनका स्तर गिर जाता है, तो इससे अवसाद (डिप्रेशन) हो सकता है। रासायनिक होमोसिस्टीन, नॉरपेनेफ्रिन और सेरोटोनिन को बनने से रोकता है। फ्रेंच बीन्स में B9 या फोलेट पर्याप्त मात्रा में होता है, जो शरीर में होमोसिस्टीन के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। इसलिए, फ्रेंच बीन्स को खाने से मस्तिष्क के स्वास्थ्य को पर अच्छा प्रभाव पड़ सकता है। 

  • यह आयरन का एक अच्छा स्रोत है 

नई लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल्स) बनाने के लिए शरीर को आयरन मिनरल की ज़रूरत होती है। कोशिकाएं (सेल्स), शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करती हैं। जिन व्यक्तियों में एनीमिया या आयरन की कमी होती है उन्हें कमजोरी का अनुभव होता है और उनका मेटाबॉलिज़्म धीमा होता है जिससे वह ज़्यादातर समय थका हुआ महसूस करते हैं। इसलिए, एनीमिया से पीड़ित व्यक्तियों को फ्रेंच बीन्स खाने से फ़ायदा हो सकता है। सौ ग्राम फ्रेंच बीन्स, एक व्यक्ति के लिए रोज़ाना ज़रूरी आयरन के 25% के बराबर होती है।

  • दिल के स्वास्थ्य को बढ़ाता है

हाई कोलेस्ट्रॉल से धमनियों (आर्टरीज़) में वसा (फैट) जम जाता है और मस्तिष्क और हृदय में खून का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ सकता है। फ्रेंच बीन्स, दिल के स्वास्थ्य को सुधारता है क्योंकि इनमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है। एक कप कच्ची फ्रेंच बीन्स में 2.7 ग्राम फाइबर होता है, जबकि उबली हुई फ्रेंच बीन्स में घुलनशील (सॉल्यूबल) फाइबर के साथ 4.0 ग्राम फाइबर होता है। घुलनशील (सॉल्यूबल) फाइबर, कुल कोलेस्ट्रॉल या खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। फ्रेंच बीन्स सूजन (इन्फ्लेमेशन) और रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) को कम करने में मदद करती है, इसलिए रोज़ाना एक कप फ्रेंच बीन्स  खाना आपके लिए काफ़ी सेहतमंद होगा।

फ्रेंच बीन्स को कैसे इस्तेमाल करें?

  • ताज़ा हरी फलियाँ (ग्रीन बीन्स)
  • फ्रोज़न हरी फलियाँ (ग्रीन बीन्स)
  • कैन वाली हरी फलियाँ (ग्रीन बीन्स)
  • इसे उबाल कर/ भाप में पकाकर, बेक करके या तल कर खाया जा सकता है

फ्रेंच बीन्स  के दुष्प्रभाव (साइड इफ़ेक्ट):

फ्रेंच बीन्स  स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी होती हैं, लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव (साइड इफ़ेक्ट) भी हैं जिनके बारे में लोगों को जानना ज़रूरी है। जो लोग खून पतला करने वाली दवा (ब्लड थिनर) लेते हैं उन्हें ज़्यादा फ्रेंच बीन्स  खाने से बचना चाहिए क्योंकि उनमें विटामिन K की ज़्यादा मात्रा में होता है। यह विटामिन चोट में खून के थक्के को तेजी से जमा सकता है और खून को पतला करने वाली दवा का प्रभाव कम कर सकता है।

फ्रेंच बीन्स  को ज़्यादा मात्रा में खाने से पाचन (डाइजेशन) से जुड़ी समस्याएं आ सकती हैं जैसे कि गैस, पेट फूलना आदि। विटामिन K के अलावा, फ्रेंच बीन्स में लेक्टिन भी होता है, जिससे पेट से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, रोज़ाना 1-2 कप फ्रेंच बीन्स खाने का सुझाव दिया जाता है। 

फ्रेंच बीन्स  के बारे में एक और बात है कि इन्हें किसी भी तरह से पका कर खाना बेहतर होता है। अगर आप दुकान से कैन वाले फ्रेंच बीन्स  खरीद रहे हैं तो इन्हें पकाने से भी सोडियम का स्तर कम हो सकता है। 

फ्रेंच बीन्स  के साथ बरती जाने वाली सावधानियां:

फ्रेंच बीन्स खाते समय, आपको सलाह दी जाती है कि इन्हें पका कर खाएं क्योंकि कच्ची फलियों में लेक्टिन होता है जो कि एक तरह का प्रोटीन है जो पौधों के लिए प्राकृतिक कीटनाशक या एंटीफंगल के रूप में काम करता है। इसलिए, जब फ्रेंच बीन्स  को कच्चा खाया जाता है, तो इसमें मौजूद लेक्टिन, पाचन तंत्र (डाइजेशन सिस्टम) की सतही कोशिकाओं पर जम सकते हैं जिसकी वजह से दस्त, उल्टी, मतली और पेट फूलना जैसी समस्याएं आ सकती हैं।

अगर आपको किसी तरह की कोई एलर्जी महसूस होती है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न 1- फ्रेंच बीन्स को पकाकर खाने के क्या फ़ायदे हैं?

उत्तर – फ्रेंच बीन्स  को कच्चा खाने के बजाय उन्हें पका कर खाना हमेशा बेहतर होता है। हालाँकि, बीन्स (फलियों) को पकाने से उसमें मौजूद कुछ विटामिन कम हो सकते हैं, लेकिन दूसरी ओर इससे आइसोफ्लेवोन्स और कैरोटीनॉयड जैसे एंटीऑक्सिडेंट का स्तर बढ़ जाता है। खाना पकाने से पाचन तंत्र (डाइजेस्टिव सिस्टम) में गड़बड़ी लाने वाले हानिकारक लेक्टिन भी निष्क्रिय हो जाते हैं।

प्रश्न 2 – क्या फ्रेंच बीन्स  को खाने से वज़न घटाने में मदद मिल सकती है?

उत्तर – फ्रेंच बीन्स  बहुत पौष्टिक होते हैं और इनमें फैट (वसा) और कैलोरी कम होती है। इसके अलावा, इनमें हाई डाइटरी फाइबर और प्रोटीन होता है, जिससे भोजन के बीच कुछ हल्का खाने की ज़रूरत नहीं पड़ती है और काफ़ी समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है।

प्रश्न 3 – क्या मधुमेह (डायबिटीज़) के रोगियों को फ्रेंच बीन्स खाना चाहिए?

उत्तर – हाँ, मधुमेह (डायबिटीज़) के रोगी फ्रेंच बीन्स  खा सकते हैं क्योंकि उनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। इसलिए इनसे खून में ग्लूकोज़ का स्तर नहीं बढ़ता हैं और रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज़) नियंत्रित रहता है और शरीर को ऊर्जा (एनर्जी), पोषक तत्व और मिनरल मिलते हैं।

प्रश्न 4 – फ्रेंच बीन्स  कैंसर के खतरे को कैसे कम करती है?

उत्तर – कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि फ्रेंच बीन्स में क्लोरोफिल नाम का अणु (मॉलिक्यूल) होता है जो कैंसर के खतरे को कम कर सकता है। क्लोरोफिल से फ्रेंच बीन्स को हरा रंग मिलता है और इसमें कैंसर रोधी गुण होते हैं। यह कार्सिनोजेन्स को रोकता है जिसकी वजह से कैंसर होता है।

प्रश्न 5 – क्या गर्भवती महिलाओं के लिए फ्रेंच बीन्स खाना सही है?

उत्तर – हाँ, फ्रेंच बीन्स  में विटामिन B9 या फोलेट भरपूर मात्रा में होता है, जो गर्भवती महिलाओं (प्रेग्नेंट वीमेन) के लिए फ़ायदेमंद होता है। यह भ्रूण (फ़ीटस) में जन्मजात बीमारियां होने से रोकता है और तंत्रिका नली दोष (न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट) की संभावना को कम करता है।

Disclaimer:

The information included on this site is for educational purposes only and is not intended to be a substitute for medical treatment by a healthcare professional. Because of unique individual needs, the reader should consult their physician to determine the appropriateness of the information for the reader’s situation.

Comments

Leave your comment...



You may also like