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कोलेलिथियसिस (Cholelithiasis in hindi)(पित्ताशय की पथरी): लक्षण, कारण और इलाज

By Dr. Mayuri Pandey +2 more

कोलेलिथियसिस क्या है (What is Cholelithiasis)?

कल्पना करें: आपके पित्ताशय (गॉलब्लैडर) में छोटी-छोटी कंकड़ जैसी पथरियां बन रही हैं। इसे कोलेलिथियसिस कहा जाता है, जिसे पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) के नाम से भी जाना जाता है – यह एक मेडिकल कंडीशन है जो बहुत अधिक दर्द और असुविधा का कारण बन सकती है। इन पथरियों का आकार अलग-अलग होता है, इनमें से कुछ रेत के दाने के बराबर हो सकती हैं, वहीं कुछ गोल्फ की गेंद के जितनी बड़ी होती हैं। लेकिन यहां पर साइज़ से कोई फर्क नहीं पड़ता। छोटी हो या बड़ी, ये पथरियां काफी अधिक दर्द और असुविधा का कारण बनती हैं। पित्ताशय या गॉल ब्लैडर शरीर में पाया जाने वाला एक छोटा सा अंग होता है जो पित्त (बाइल) को स्टोर करता है। पित्त एक तरल पदार्थ होता है, जिसमें कोलेस्ट्रॉल, बिलीरुबिन, बाइल साल्ट और लेसिथिन जैसे विभिन्न पदार्थ पाए जाते हैं। ये पथरियां आम तौर पर कोलेस्ट्रॉल या बिलीरुबिन से बनी होती हैं। ये पदार्थ गॉलब्लैडर में इकट्ठे होते रहते हैं और धीरे-धीरे कठोर होकर पथरी का रूप ले लेते हैं। इससे ब्लॉकेज या रुकावट पैदा हो जाती है और बहुत सारे असुविधा पैदा करने वाले लक्षण आते हैं। इसके बारे में और अधिक जानने के लिए पढ़ना जारी रखें।1

कोलेलिथियसिस के लक्षण (Symptoms of Cholelithiasis in hindi)

कुछ मामलों में, कोलेलिथियसिस या पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। हालांकि, कुछ मामलों में ये लक्षण आ सकते हैं:2-4

symptoms of Cholelithiasis
  • पेट के ऊपर की ओर दाहिने हिस्से में बीच में ऐंठन के साथ दर्द, जो कई घंटों तक बना रहता है।
  • जी मिचलाना और उल्टी होना
  • हल्की बुखार या कंपकंपी आना
  • त्वचा (स्किन) का पीला पड़ जाना, जिसे पीलिया कहा जाता है
  • चाय के रंग का पेशाब आना, हल्के रंग का मल आना
  • कंधे के ब्लेड के बीच में दर्द
  • दाहिने कंधे में दर्द

यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

कोलेलिथियसिस के कारण (Causes of Cholelithiasis)

पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन), पित्त में एक्स्ट्रा बिलीरुबिन और कोलेस्ट्रॉल के कारण होती है। पित्ताशय की पथरी को उसके होने के कारण के अनुसार दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है:1

  • कोलेस्ट्रॉल की पथरी: इस प्रकार की पथरियां पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) का सबसे आम प्रकार हैं और यह खून में कोलेस्ट्रॉल के स्तर से जुड़ी नहीं है।  
  • बिलीरुबिन की पथरी: इन्हें पिगमेंट स्टोन भी कहा जाता है। इस प्रकार की पथरियां बिलीरुबिन की अधिकता के कारण बनती है। 

बहुत से ऐसे जोखिम कारक हैं जो पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) बनने की संभावना को बढ़ाते हैं। इनमें शामिल हैं:4

  • बोन मैरो (अस्थि मज्जा) ट्रांसप्लांट या ऑर्गन ट्रांसप्लांट
  • डायबिटीज
  • गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) के दौरान पित्ताशय का पित्त को पूरी तरह से खाली न कर पाना
  • लिवर सिरोसिस और बिलियरी ट्रैक्ट का इन्फेक्शन
  • गर्भनिरोधक गोलियों (बर्थ कंट्रोल पिल्स) का लंबे समय तक इस्तेमाल करना

अगर आपको भी इनमें से कोई लक्षण देखने को मिल रहा है, या ऐसा लग रहा है कि आपको पित्ताशय की पथरी हो सकती है, तो अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर या डॉक्टर से कंसल्ट करें। 

Read in English: Cholelithiasis – Symptoms, Causes and Treatment

जटिलताएं (Complications)

पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) के कारण स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इनसे हो सकने वाली कुछ जटिलताएं इस प्रकार हैं: 1,4

  • गॉलब्लैडर या पित्ताशय की बीमारियां: पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन), बिलियरी डिसकाइनेजिया और पित्ताशय के कैंसर जैसी पित्ताशय की विभिन्न बीमारियां पैदा कर सकती हैं। इससे पित्त (बाइल) का प्रवाह रुक सकता है, जिससे पित्ताशय में सूजन और स्कारिंग हो सकती है।
  • लिवर की बीमारी: जब पित्त लिवर में वापस आता है, तो यह स्कारिंग और सूजन पैदा कर सकता है। लगातार ऐसा होते रहने से लिवर में क्षति हो सकती है।
  • गॉलस्टोन पैंक्रियाटाइटिस: पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) के कारण ब्लॉक हो चुकी पैंक्रियाटिक डक्ट के कारण पैंक्रियाज़ या अग्नाशय में सूजन आ सकती है।
  • पीलिया (जॉन्डिंस): जब यह इकट्ठा हुआ पित्त खून में जाता है, तो इसके कारण आंखों तथा स्किन में पीलापन आ सकता है। ऐसा बिलीरुबिन के कारण होता है, जो पित्त में बनने वाला एक पीले रंग का रंजक (पिगमेंट) है।

निदान (Diagnosis)

खून की जांच (ब्लड टेस्ट):

  • बिलीरुबिन टेस्ट: पित्त नलिकाओं (बाइल डक्ट) में रुकावटों के बारे में जानने के लिए आपके खून में बिलीरुबिन की मात्रा को मापता है।
  • लिवर फंक्शन टेस्ट: आपके लिवर के स्वास्थ्य का आकलन करता है और पित्त नलिकाओं में रुकावट का पता लगाता है।
  • कंप्लीट ब्लड काउंट: यह टेस्ट आपके खून में लाल रुधिर कोशिकाओं और सफेद रुधिर कोशिकाओं की संख्या को मापता है।
  • पैंक्रियाटिक एंजाइम टेस्ट: यह आपके खून में पैंक्रियाज या अग्नाशय से आने वाले एंजाइम के स्तरों को मापता है, जिससे पैंक्रियाज में क्षति या इन्फ्लेमेशन के बारे में जानकारी मिलती है।

इमेजिंग टेस्ट:1-3

  • सीटी स्कैन और पेट का अल्ट्रासाउंड: यह पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) का पता लगाने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला टेस्ट है
  • एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड: यह टेस्ट छोटी पथरियों का पता लगाने में मदद करता है, जो CT स्कैन या अल्ट्रासाउंड में सामने नहीं आती हैं।
  • मैग्नेटिक रेजोनेंस कोलेजनियो-पैनक्रिएटोग्राफी (MRCP): यह एक नॉन-इनवेजिव टेस्ट है जो पित्त नलिकाओं को देखता है और उनकी स्पष्ट इमेज प्रदान करता है।

इलाज (Treatment)

पथरी के आकार और आपकी शारीरिक स्थिति के आधार पर पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) का विभिन्न तरीकों से इलाज किया जा सकता है। आपके लिए इलाज का कौन सा विकल्प सही रहेगा, इस बारे में केवल आपका डॉक्टर ही सलाह दे सकता है। पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) के इलाज के लिए यहां कुछ विकल्प दिए गए हैं: 1-4

  1. दवाएं
    • कुछ पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) का इलाज दवाओं से किया जा सकता है। ये दवाएं पथरी को घोलकर काम करती हैं। हालांकि, पथरी को पूरी तरह से घोलने के लिए महीनों या वर्षों तक दवा लेनी पड़ सकती है। इस विकल्प का उपयोग अक्सर नहीं किया जाता है और इसे केवल उन लोगों को सुझाया जाता है जो किसी कारण से सर्जरी नहीं करा सकते हैं।
  1. ऑपरेशन (सर्जरी)
    • ओपन कोलेसिस्टेक्टोमी: यह सर्जरी ओपन सर्जरी के जरिए आपके पित्ताशय को पूरी तरह से हटा देती है। इस सर्जरी की सलाह तब दी जाती है जब आपके पित्ताशय में गंभीर सूजन हो। इस प्रकार की सूजन को कोलेसिस्टाइटिस भी कहा जाता है।
    • एंडोस्कोपी: एंडोस्कोपी द्वारा आपके पित्त नलिकाओं में से गॉलस्टोन को हटा दिया जाता है। इस प्रोसीजर में कोई चीरा नहीं लगाना पड़ता है। आपके गले के नीचे डाली गई लंबी ट्यूब के जरिए पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) को बाहर निकाल दिया जाता है।
    • लैप्रोस्कोपी: लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी में आपके पेट पर एक छोटा चीरा लगाया जाता है, जिसमें से सर्जरी करने के लिए लैप्रोस्कोप अंदर डाला जाता है। लैप्रोस्कोप पर एक कैमरा लगा रहता है। लैप्रोस्कोप एक चीरे के जरिए भीतर डाला जाता है और दूसरे चीरे के जरिए यह आपके गॉलब्लैडर या पित्ताशय को हटा देता है। इस तरीके में दर्द कम होता है और रिकवरी काफी तेज होती है। यह सबसे ज्यादा की जाने वाली प्रोसीजर है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

क्या महिलाओं में पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) होने का खतरा अधिक होता है ?

एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण महिलाओं में पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) होने की संभावना अधिक होती है। यह हार्मोन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है और पित्ताशय की थैली के संकुचन को धीमा कर देता है। माहवारी और गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) के दौरान एस्ट्रोजन के स्तर उच्च होने के कारण पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) बनने की संभावना अधिक होती है।1,2

गॉलस्टोन सर्जरी के दुष्प्रभाव (साइड-इफेक्ट) क्या हैं ?

गॉलस्टोन या पित्ताशय की सर्जरी आम तौर पर सुरक्षित होती है, सर्जरी के दौरान जटिलताएं होने की संभावनाएं काफी कम होती हैं। सर्जरी के बाद, पेट में दर्द या गैस जैसी समस्याएं आ सकती हैं।1

क्या आप पित्ताशय के बिना रह सकते हैं?

हां, आप पित्ताशय या गॉलब्लैडर के बिना रह सकते हैं और इससे आपके पाचन पर कोई असर नहीं पड़ता है। पित्ताशय को हटा दिए जाने के बाद पित्त सीधा लिवर से आपकी छोटी आंत में आने लग जाता है।1

क्या आप खान-पान में बदलाव करके पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) को रोक सकते हैं ?

जबकि पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) को रोका नहीं जा सकता है, वहीं डाइट में फाइबर का सेवन बढ़ाकर और कोलेस्ट्रॉल कम करके इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।2

क्या पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) की सर्जरी के बाद अपने खान-पान में बदलाव करना जरूरी है?

पित्ताशय की पथरी (गॉलस्टोन) की सर्जरी के बाद, आपके पाचन तंत्र (डाइजेस्टिव सिस्टम) को ठीक होने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं। इसके बाद आप कम फैट वाला संतुलित आहार (बैलेंस्ड डाइट) लेना शुरू कर सकते हैं।1

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