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लौकी (Bottle Gourd in Hindi): उपयोग, फ़ायदे, न्यूट्रिशनल वैल्यू!

परिचय:

लजेनेरिया सिसेरिया, जिसे अंग्रेजी में बॉटल गॉर्ड और हिंदी में लौकी के नाम से जाना जाता है, भारत में यह एक आम सब्जी है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) का इस्तेमाल परंपरागत रूप से बुखार, खांसी, दर्द और अस्थमा जैसी कई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों में मदद के लिए किया जाता रहा है। इसके फ़ायदों के लिए इसका इस्तेमाल प्राचीन काल से किया जाता रहा है। साथ ही इसे विटामिन बी, सी और अन्य पोषक तत्वों का भी बेहतर स्रोत माना जाता है। यह अपने आकार, बोतल, डंबल या अंडाकार आकार के लिए जाना जाता है।

आपको लौकी (बॉटल गॉर्ड) खाने में बोरिंग लग सकती है, लेकिन इसे पृथ्वी पर वातावरण के अनुकूल बनने वाले शुरुआती पौधों में से एक माना जाता है। यह स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले कई फ़ायदों से भी भरपूर हो सकता है।1,2 अगर आप बॉटल गॉर्ड या लौकी (बॉटल गॉर्ड) के बारे में और जानना चाहते हैं तो पढ़ना जारी रखें।

लौकी (बॉटल गॉर्ड) में पोषक तत्वों की मात्रा:

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लौकी (बॉटल गॉर्ड) के गुण:

लौकी (बॉटल गॉर्ड) में ये गुण हो सकते हैं:

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अच्छे स्वास्थ्य के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग:

1. लीवर के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग:

पशुओं के कई अध्ययनों से पता चला है कि लौकी (बॉटल गॉर्ड) में ऐसे गुण होते है, जो लीवर के लिए अच्छे हो सकते हैं। लौकी कई संभावित फ़ायदा प्रदान करती है, जो लीवर की स्थिति और कार्यों में सहायक होते है। इन संभावित फ़ायदों को पशुओं पर किये गए परीक्षणों में देखा गया है। लीवर के किसी भी रोग के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) का इस्तेमाल करने से पहले आपको अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए।1,4

2. मस्तिष्क के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग:

लौकी (बॉटल गॉर्ड) का सेवन याददाश्त के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) में कुछ यौगिक मस्तिष्क पर कार्य करके दर्द निवारक और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनसी) अवसादकारी गतिविधि दर्शती हैं।1,4  सीएनसी अवसादकारी गतिविधि मन को शांत करने पर इसके संभावित प्रभावों का संकेत देती है। मस्तिष्क के फ़ायदे के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) का उपयोग करने से पहले, आपको अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए और उचित निदान और उपचार प्राप्त करना चाहिए।

3. कैंसर के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग:

एक पशु अध्ययन के अनुसार लौकी (बॉटल गॉर्ड) का जूस कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ कार्य करता है। इसके अतिरिक्त, इसके स्टेम अर्क के एक प्रयोगशाला अध्ययन के अनुसार यह कैंसर कोशिका लाइनों के खिलाफ शक्तिशाली साइटोटॉक्सिक (शरीर की कोशिकाओं के लिए विषाक्त) गतिविधि दर्शाता है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) की यह कैंसर विरोधी क्रिया इसकी संभावित एंटीऑक्सीडेंट और साइटोटॉक्सिक क्षमताओं के कारण होती है।1 लौकी (बॉटल गॉर्ड) के इन संभावित लाभों का प्रयोगशाला अध्ययनों में अध्ययन किया गया है। हालाँकि, चल रहे उपचार को बदलने या बंद करने के लिए किसी भी हर्बल सप्लीमेंट या उपचार का उपयोग करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

4. डायबिटीज़ के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग:

डायबिटीज़  के रोगियों को ठीक करने के लिए पारंपरिक रूप से लौकी (बॉटल गॉर्ड) का प्रयोग किया जाता रहा है। कम वसा और उच्च फाइबर सामग्री के कारण, डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) को पसंदीदा भोजन के रूप में खाने का सुझाव दिया जा रहा है। एक पशु परीक्षण के अनुसार, लौकी (बॉटल गॉर्ड) का अर्क डायबिटीज़ वाले पशुओं में ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावी ढंग से कम कर सकता है।4  पशुओं पर किए गए परीक्षणों में लौकी (बॉटल गॉर्ड)  के संभावित डायबिटीज़-रोधी लाभों का अवलोकन किया गया है, और मनुष्यों में इन गुणों को मान्य करने के लिए अधिक अध्ययनों की आवश्यकता है।

5. मोटापे के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोग: 

लौकी (बॉटल गॉर्ड) वज़न कम करने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि इसमें कैलोरी कम होती है और इसमें ज्यादातर पानी ही होता है। यह डाइटरी फाइबर में भी समृद्ध होती है और इसमें कम फैट और कोलेस्ट्रॉल होता है। इन गुणों से वज़न कम करने में मदद मिल सकती है।4 आप अपना वज़न कम करने में मदद करने के लिए अपने नियमित आहार में लौकी (बॉटल गॉर्ड) को ले सकते हैं। हालाँकि, वज़न घटाने के लिए किसी भी हर्बल के उपचार का उपयोग करने से पहले, आपको अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से इसके संभावित उपयोगों और दुष्प्रभावों के बारे में परामर्श करना चाहिए।

6. त्वचा के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के संभावित उपयोगः 

लौकी (बॉटल गॉर्ड) विटामिन C और जिंक का एक अच्छा स्रोत है जो त्वचा के लिए कई फ़ायदे प्रदान कर सकता है।3 विटामिन C त्वचा के समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक विटामिन है। यह त्वचा को पराबैंगनी विकिरण से होने वाले नुकसान से बचा सकता है। यह त्वचा की उम्र बढ़ने के लक्षणों को रोकने में भी मदद कर सकता है, जैसे त्वचा ढीली होना। यह त्वचा बैरियर लिपिड के उत्पादन को बढ़ाकर त्वचा बैरियर को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है।5. यदि आप किसी भी त्वचा की बीमारी से पीड़ित हैं, तो त्वचा की देखभाल करने वाले डॉक्टर या त्वचा विशेषज्ञ से संपर्क करें, क्योंकि वे आपको हर्ब्स और सब्जियों के उपयोग और सीमाओं के बारे में मार्गदर्शन करने में सक्षम होंगे।

हालाँकि ऐसे अध्ययन हैं जो विभिन्न स्थितियों में लौकी (बॉटल गॉर्ड) के लाभों को दर्शाते हैं, लेकिन ये अभी तक अपर्याप्त हैं, और मानव स्वास्थ्य पर लौकी (बॉटल गॉर्ड) के लाभों की वास्तविक सीमा को स्थापित करने के लिए आगे और अधिक अध्ययन करने की आवश्यकता है।

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लौकी (बॉटल गॉर्ड) का उपयोग कैसे करें?

Lauki(Bottle Gourd) Ka Upyog Kaise Karein?

पौधों के सभी भागों, जिनमें फल, पत्ते, तने, छाल, फल की छाल, बीज और तेल शामिल हैं, का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में भी किया जा सकता है।

किसी भी हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले आपको किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। बिना किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श किए आधुनिक चिकित्सा के चल रहे उपचार को आयुर्वेदिक/औषधीय तैयारी से न रोकें या न बदलें।

लौकी (बॉटल गॉर्ड) के दुष्प्रभाव:

कड़वे स्वाद वाली लौकी (बॉटल गॉर्ड) का जूस पीने से गंभीर जहरीली प्रतिक्रिया हो सकती है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस से जहर के लक्षणों में उल्टी, पेट दर्द, दस्त, हेमाटोकेशिया (बदली में खून), हेमेटेमेसिस (खून की उल्टी), सदमे और यहां तक कि मौत भी शामिल हो सकती है। इन लक्षणों में से किसी को भी देखने पर आपको तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

लौकी (बॉटल गॉर्ड) लेते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ

लौकी (बॉटल गॉर्ड) के साथ बरती जाने वाली कुछ सावधानियाँ:

इसके औषधीय लाभों के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) का उपयोग करने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें। 

अन्य दवाओं के साथ परस्पर क्रिया:

अन्य दवाओं के साथ लौकी (बॉटल गॉर्ड) की सुरक्षा या परस्पर क्रिया का पता लगाने के लिए पर्याप्त डेटा की कमी है। इसलिए, यदि आप कोई भी दवा ले रहे हैं, तो आपको खाद्य पदार्थों और सब्जियों के साथ संभावित परस्पर क्रिया के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। वे आपको किसी विशेष दवा की सावधानी और परस्पर क्रिया के बारे में बेहतर मार्गदर्शन कर पाएंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

त्वचा के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के क्या फ़ायदे हैं?

बॉटल गॉर्ड या लौकी (बॉटल गॉर्ड) में विटामिन C का भरपूर मात्रा में समावेश होता है। विटामिन C त्वचा के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है। विटामिन C त्वचा को पराबैंगनी किरणों से होने वाली क्षति से बचाने में उपयोगी हो सकती है। विटामिन C के स्रोत के रूप में लौकी (बॉटल गॉर्ड)  का जूस इस्तेमाल किया जा सकता है।3,5

वज़न घटाने में लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के क्या फ़ायदे हैं?

लौकी (बॉटल गॉर्ड) में कम कैलोरी होती है और इसमें अधिकतर पानी होता है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) में डाइटरी फाइबर भी भरपूर होता है। लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के पोषक गुणों के कारण यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प बन सकता है जो स्वस्थ भोजन करना चाहते हैं और वज़न को नियंत्रित करना चाहते हैं।4 हालाँकि, इसके उपयोग और मनुष्यों पर लाभकारी प्रभावों का समर्थन करने वाले डेटा की कमी है। वज़न कम करने के तरीकों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से मिल सकते हैं।

लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के स्वास्थ्य पर क्या फ़ायदे हैं?

लौकी (बॉटल गॉर्ड) में पोषणा की मात्रा अच्छी होती है और इसमें बहुत सारे विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट होते हैं। इसके पोषण लाभों के लिए लौकी (बॉटल गॉर्ड) का जूस पीया जा सकता है। यह लीवर को स्वस्थ रखने में भी मदद कर सकता है और रोग की स्थिति और त्वचा के स्वास्थ्य में भी मदद कर सकता है।1–5

लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के क्या दुष्प्रभाव हैं?

लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस का स्वाद कड़वा होता है, जो काफी ज़हरीला हो सकता है। यदि आपको उल्टी, पेट में दर्द, दस्त, हेमाटोकेशिया (मूत्र में रक्त) या हेमेटेमिसिस (खून उल्टी) जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। ये लौकी (बॉटल गॉर्ड) के जूस के विषाक्तता के लक्षण हैं।6 यदि आपको ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें और अपना इलाज कराएं।

References:

  1. Amit Kumar, Sangh Partap, Neeraj Kant Sharma , KK Jha. Phytochemical, Ethnobotanical and Pharmacological Profile of Lagenaria siceraria: -A Review. Research Gate. [Internet]. Available from: https://www.researchgate.net/publication/268434576_Phytochemical_Ethnobotanical_and_Pharmacological_Profile_of_Lagenaria_siceraria_-A_Review .
  2. Biren N Shah , Avinash Kumar Seth. Pharmacognostic studies of the Lagenaria siceraria (MOLINA) standley. Research Gate. [Internet]. Available from: https://www.researchgate.net/publication/268428727_Pharmacognostic_studies_of_the_Lagenaria_siceraria_MOLINA_standley .
  3. Biren N Shah , Avinash Kumar Seth. Gourd, white-flowered (calabash), raw. Food Data Central. [Internet]. Available from: https://pharmeasy.in/blog/ayurveda-uses-benefits-side-effects-of-bottle-gourd/ .
  4. Minocha S, Tiwari A, Sharma A.. AN OVERVIEW ON LAGENARIA SICERARIA (BOTTLE GOURD). Journal of Biomedical and Pharmaceutical Research. [Internet]. May 15, 2015. Available from: https://jbpr.in/index.php/jbpr/article/download/190/182/ .
  5. Juliet M. Pullar, Anitra C. Carr, and Margreet C. M. Vissers*. The Roles of Vitamin C in Skin Health. National Center for Biotechnology Information. [Internet]. August 12, 2017. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5579659/ .
  6. Ankur Verma and Sanjay Jaiswal. Bottle gourd (Lagenaria siceraria) juice poisoning. National Center for Biotechnology Information. [Internet]. October 1, 2015. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4677076/ .

Disclaimer: 
The information included at this site is for educational purposes only and is not intended to be a substitute for medical treatment by a healthcare professional. Because of unique individual needs, the reader should consult their physician to determine the appropriateness of the information for the reader’s situation

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सहजन (Drumstick in Hindi): उपयोग, लाभ, न्यूट्रिशनल वैल्यू और भी बहुत कुछ!

परिचय

अक्सर हम सांभर के कटोरे में इसे तैरते हुए देखते हैं, सहजन (ड्रमस्टिक) को वैज्ञानिक दृष्टि से मोरिंगा ओलेइफेरा लैम के नाम से जाना जाता है। यह मोरिंगेसी वृक्ष परिवार से संबंधित है। यह एक छोटा, तेज़ी से बढ़ने वाला, सदाबहार पेड़ है जो उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) क्षेत्रों में उगता है। यह भारत, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। सहजन (ड्रमस्टिक) को हॉर्सरैडिश ट्री या ड्रमस्टिक ट्री (अंग्रेजी में), सुभंजना (संस्कृत में), हरिताशाका या अक्षीवा (आयुर्वेद में) और सैन्जना या सगुना (हिंदी में) के रूप में भी जाना जाता है।1

सहजन (ड्रमस्टिक) के प्रत्येक भाग में मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक गुण होते हैं; इसलिए, यह महत्वपूर्ण पोषण संबंधी जड़ी बूटियों में से एक है। कई वर्षों से सहजन (ड्रमस्टिक) का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा दवा के रूप में किया जाता रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार, सहजन (ड्रमस्टिक) की हाई न्यूट्रिशनल वैल्यू, जल धारण करने की क्षमता और शुद्धिकरण क्षमता के कारण विभिन्न बीमारियों के लिए यह उपयोगी और मददगार है।1

सहजन (ड्रमस्टिक) में उपस्थित पोषण की मात्रा

सहजन (ड्रमस्टिक) महत्वपूर्ण खनिज और पोषक तत्वों की बड़ी और दुर्लभ किस्म प्रदान करता है। सहजन (ड्रमस्टिक) के कंद, पत्ते, फूल, छाल, जड़ और बीज में भी बायोएक्टिव यौगिक होते हैं।1

पोषक तत्वमात्रा/100 ग्राम में
ऊर्जा37 किलोकैलोरी
प्रोटीन2.1 ग्राम
फ़ैट (वसा)0.2 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट 8.53 ग्राम
फ़ाइबर3.2 ग्राम
कैल्शियम30 मिलीग्राम
आयरन0.36 मिलीग्राम
मैगनीशियम45 मिलीग्राम
फ़ास्फोरस50 मिलीग्राम
पोटैशियम461 मिलीग्राम
सोडियम42 मिलीग्राम
ज़िंक0.45 मिलीग्राम
कॉपर0.084 मिलीग्राम
मैंगनीज0.259 मिलीग्राम
सेलेनियम0.7 म्युग्राम
विटामिन सी141 मिलीग्राम
थायमिन0.053 मिलीग्राम
राइबोफ्लेविन0.074 मिलीग्राम
विटामिन बी60.12 मिलीग्राम
फ़ोलेट44 म्युग्राम
विटामिन ए4 म्युग्राम

टेबल 1:प्रति 100 ग्राम कच्चे सहजन (ड्रमस्टिक) के कंद (फली) में पोषण क मात्रा2

सहजन (ड्रमस्टिक) के गुण

सहजन (ड्रमस्टिक) के प्रमुख घटकों में बायोलॉजिकल गतिविधियां होती हैं जो आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, योग, निसर्ग-चिकित्सा पद्धति और सिद्धा जैसी अनेक औषधीय प्रणालियों में इसके संभावित उपयोग में भूमिका निभा सकती हैं।1 सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित गुण इस प्रकार हैंः

शरीर के पूरे स्वास्थ्य के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग

सहजन (ड्रमस्टिक) का उपयोग हाई न्यूट्रिशन वैल्यू के साथ कई प्रकार से किया जा सकता है। इस पौधे के विभिन्न भाग उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं जो विशेष रूप से दक्षिण एशिया के स्थानीय चिकित्सा प्रणालियों में विभिन्न रोगों को ठीक करने के लिए नियोजित विभिन्न गतिविधियों को करते हैं।3 सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोगों में से कुछ इस प्रकार हैं।

1. डायबटीज़ के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग

सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्ते के रस में एंटी-डायबटीज़ गुण दिखाई देता हैं जो हमारे ब्लड ग्लूकोज़ के स्तर को कम करने में मदद करता हैं। एक पशु पर हुए अध्ययन (गुप्ता आर और अन्य  2012) से पता चला कि सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्तों का रस डायबटीज़ की वृद्धि को कम करने में मदद कर सकता है और प्रोटीन व इंसुलिन हार्मोन के बनने में वृद्धि करके सीरम ग्लूकोज़ के स्तर में कमी भी ला सकता है।1

पशु पर हुए एक अन्य अध्ययन (नोंग एम और अन्य 2007) से पता चला कि सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्तों का रस रक्त में ग्लूकोज़, मूत्र में शर्करा, प्रोटीन, हीमोग्लोबिन और कुल प्रोटीन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।4 हालांकि, उपरोक्त दावों को सत्यापित करने के लिए और ज़्यादा अध्ययन करने होंगे। क्योंकि डायबिटीज़ एक गंभीर बीमारी है और इसका निदान व इलाज डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए तो कृपया डॉक्टर से परामर्श करें।

2. घाव भरने के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग

पशुओं पर हुए विभिन्न अध्ययन (बी. एस राठी और अन्य 2006, वी.आई. हुक्केरी और अन्य 2006) से पता चलता है कि सहजन (ड्रमस्टिक) के सूखे पत्तों से निकला गया रस पशुओं के मॉडल में ग्रैन्युलोमा (डेड स्पेस), कटे और चीरे घाव भरने की क्रिया प्रदर्शित कर सकता है। यह घाव की जगह को भी काफ़ी हद तक कम कर सकता है, घाव के भरने में मदद कर सकता है, और त्वचा की पपड़ी की टूटन को मज़बूत कर सकता है।4 हालांकि, घाव भरने के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोगों को साबित करने के लिए मनुष्यों पर अभी और ज़्यादा अध्ययन करने की आवश्यकता है।

3. किडनी के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग

सहजन (ड्रमस्टिक) की छाल, पत्तियां, बीज, फूल और जड़ों में ड्यूरेटिक गतिविधि होती है जो कि किडनी डिस्फंक्शन (दुष्क्रिया) वाले रोगियों में पेशाब के बनने में सहायक होती है। यह किडनी में ऑक्सालेट नमक (पथरी बनाने वाली इकाइयां) के जमाव को कम करने में भी मदद कर सकता है। पशु पर हुए एक अध्ययन (आर. वी. कराडी और अन्य 2008) में पाया गया कि सहजन (ड्रमस्टिक) की जड़ का रस किडनी में नमक और मूत्र के उत्सर्जन को कम करता है। इसके अलावा, ये रस बड़े हुए सीरम यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन के स्तर को भी कम करते हैं।4 यह जानकारी अपर्याप्त है क्योंकि ये अध्ययन अभी सिर्फ पशुओ पर किए गए है। हालांकि, इस दावे का समर्थन करने के लिए मनुष्यों पर इसके और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है। किडनी की बीमारी गंभीर होती हैं और उनका निदान और इलाज डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए, इसलिए कृपया डॉक्टर से परामर्श करें। हम सलाह देते हैं कि आप डॉक्टर से सलाह लेने से पहले खुद से इलाज करने के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) का उपयोग न करें।

4. कैंसर के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग

सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्ते और बीज संभावित एंटी-ट्यूमर गतिविधियों को दर्शाते है। इसमें कुछ यौगिक होते हैं जो अवरोधक के रूप में कार्य कर सकते हैं और ट्यूमर बढ़ाने वाले अणुओं की गतिविधि को बाधित कर सकते हैं। मानव कैंसर की कोशिकाओं पर इन-विट्रो अध्ययनों से पता चला कि सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्ते के रस की अधिकतम खुराक कैंसर कोशिकाओं के संभावित विषाक्त प्रभाव कैंसर कोशिकाओं की संख्या को कम करने में अपना योगदान देती है।4 हालांकि, कैंसर के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग को साबित करने के लिए अभी बहुत ज़्यादा व्यापक शोधों की आवश्यकता है। इसके अलावा, कैंसर एक गंभीर बीमारी है और इसका निदान और इलाज डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए।

5. सहजन (ड्रमस्टिक) के अन्य संभावित उपयोग

यद्यपि ऐसे और भी अध्ययन हैं जो विभिन्न स्थितियों में सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोगों को दर्शाते हैं, लेकिन वे अपर्याप्त हैं, और हमें मानव स्वास्थ्य पर सहजन (ड्रमस्टिक) के लाभों की वास्तविक सीमा स्थापित करने के लिए आगे और ज़्यादा अध्ययन करने की ज़रूरत है।

सहजन (ड्रमस्टिक) का उपयोग कैसे करें?

Sehjan(Drumstick) ka upyog kaise karein?

ड्रमस्टिक का प्रयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता हैः

नियमित रूप से सहजन (ड्रमस्टिक) का सेवन करने से पहले आपको हमेशा अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। वे आपकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार सही रूप और खुराक निर्धारित करने के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति होंगे।

 किसी भी हर्बल सप्लीमेंट को लेने से पहले आपको किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श किए बिना आधुनिक चिकित्सा के चल रहे उपचार को आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों की तैयार दवा से न तो बदलें या न ही रोकें।

सहजन (ड्रमस्टिक) के दुष्प्रभाव

पिछले कुछ वर्षों में, सहजन (ड्रमस्टिक) की प्राकृतिक उत्पत्ति और कुछ दुष्प्रभावों के कारण इस पर काफ़ी शोध किये गए है। यह एंटी-एलर्जिक एजेंट होता है और आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में जड़ी-बूटियों के उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।4,5 हालांकि, कुछ लोगों को सहजन (ड्रमस्टिक) के बीज की फलियों से एलर्जी हो सकती है। इसके सबसे सामान्य दुष्प्रभाव निम्न हैंः

सहजन (ड्रमस्टिक) लेते के समय बरती जाने वाली सावधानियां

आम तौर पर सहजन (ड्रमस्टिक) को सुरक्षित माना जाता है अगर इसे कम मात्रा में खाया जाए। हालांकि, दिक्कतों से बचने के लिए सामान्य सावधानी बरतनी होगी।

कृपया अपनी मर्ज़ी से दवाई न लें, कृपया चल रहे किसी भी इलाज को अपने आप न घटाएं-बढ़ाएं, न बदलें या न रोकें। कृपया स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

अन्य दवाओं के साथ क्रियाएं

सहजन (ड्रमस्टिक) में अनेकों बायोएक्टिव यौगिक होते हैं, जो कि कई ड्रग-मेटाबोलाइजिंग एंजाइमों के साथ क्रियाएँ करते हैं जिसके परिणामस्वरूप दवा के अवशोषण, वितरण, उपापचय और शरीर से निरसन में परिवर्तन होता है और जो संभवतः विषाक्तता और उपचार की विफलता का कारण बनता है। सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्तों का रस ऐसे एंजाइमों में से एक को रोकता है, जो दवाओं के विषाक्तीकरण के लिए ज़िम्मेदार है।6

सहजन (ड्रमस्टिक) का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें और सुनिश्चित करें कि यह आपके लिए सुरक्षित है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सहजन (ड्रमस्टिक) में कौन से विटामिन होते हैं?

सहजन (ड्रमस्टिक) में विटामिन A, C, B1, B2, B6 और B9 जैसे विटामिन होते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के लिए फ़ायदेमंद हो सकते हैं।2 हालांकि, लोगों को डॉक्टर से परामर्श करने से पहले खुद से चिकित्सा के लिए सहजन (ड्रमस्टिक) का उपयोग नहीं करना चाहिए।

क्या सहजन (ड्रमस्टिक) को गर्भावस्था में खाना अच्छा है?

गर्भावस्था के दौरान सहजन (ड्रमस्टिक) के संभावित उपयोग के बारे में अपर्याप्त और अनिश्चित डेटा उपलब्ध है। कृपया इसे खाने से पहले अपनी गाइनकॉलजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) से परामर्श करें और इसे खाने से पहले पता करें कि यह सुरक्षित है या नहीं।

क्या सहजन (ड्रमस्टिक) थायरॉयड को नियंत्रित करने में मदद करता है?

हां। सहजन (ड्रमस्टिक) के पत्तों का रस थायरॉयड हार्मोन के लिए सहायक हैं जो आगे हाइपरथायरायडिज्म (अतिरिक्त थायरॉयड हार्मोन) में और मदद कर सकता हैं।3

सहजन (ड्रमस्टिक) के अन्य सामान्य नाम क्या हैं?

सहजन (ड्रमस्टिक) के अन्य सामान्य नाम मुरिन्ना या सिगरू (मलयालम में), ला केन (चाइनीज़ में), सुरगावो (गुजराती में), सैंजना या सोंजना (पंजाबी में), मॉरिगकाई (तमिल में), रावांग (अरबी में) और मुलागा या मुनागा (तेलुगु में) हैं।4

सहजन (ड्रमस्टिक) से होने वाली एलर्जी का मुख्य निदान परीक्षण क्या है?

सहजन (ड्रमस्टिक) के कारण होने वाली एलर्जी की प्रतिक्रियाओं का पता लगाने के लिए स्किन प्रिक (सुईं) टेस्ट एक संभावित नैदानिक टूल है।

सहजन की तासीर कैसी होती है?

सहजन की तासीर उष्ण और उर्जावान करने वाली होती है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और पाचन को सुधारता है।

क्या सहजन से अम्लता होती है?

सहजन आमतौर पर अम्लता का कारण नहीं बनता और इसे पाचन के लिए अच्छा माना जाता है। हालांकि, हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए कुछ लोगों को व्यक्तिगत प्रतिक्रिया के रूप में अम्लता महसूस हो सकती है। यदि सहजन खाने के बाद अम्लता होती है, तो इसकी मात्रा कम करें या किसी चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श लें।

क्या सहजन से रक्तचाप बढ़ता है?

सहजन आमतौर पर रक्तचाप को बढ़ाता नहीं है, बल्कि इसे नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसमें पोटैशियम और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो रक्तचाप को संतुलित रखने में सहायक होते हैं। लेकिन अगर आपको विशेष स्वास्थ्य स्थितियाँ हैं, तो इसे आहार में शामिल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

क्या सहजन को कच्चा खाया जा सकता है?

सहजन की फलियों को कच्चा नहीं खाना चाहिए, क्योंकि वे कठोर और पचाने में कठिन हो सकती हैं। इन्हें पकाकर या उबालकर खाना बेहतर होता है ताकि इनके पोषक तत्व आसानी से अवशोषित हो सकें और पाचन में सहायक हों।

क्या किडनी के मरीज सहजन खा सकते हैं?

किडनी के मरीज सहजन खा सकते हैं, लेकिन इसे आहार में शामिल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है। सहजन में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है, जो किडनी की समस्याओं वाले लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है।

क्या कुत्ते सहजन की सब्जी खा सकते हैं?

कुत्तों को सहजन की सब्जी नहीं खिलानी चाहिए। इसमें कुछ ऐसे तत्व हो सकते हैं जो कुत्तों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। कुत्तों के लिए उचित आहार के बारे में हमेशा पशु चिकित्सक से परामर्श लें।

क्या सहजन मधुमेह के लिए अच्छा है?

हाँ, सहजन मधुमेह के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। फिर भी, इसे आहार में शामिल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना उचित है।

क्या सहजन और मोरिंगा एक ही हैं?

हाँ, सहजन और मोरिंगा एक ही हैं। मोरिंगा का वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है और इसे आमतौर पर सहजन के नाम से जाना जाता है।

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References

  1. Paikra BK, Dhongade HKJ, Gidwani B. Phytochemistry and Pharmacology of Moringa oleifera Lam. J Pharmacopunc. 2017 Sep 24;20(3):194-200. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5633671/pdf/2093-6966-v20-n03-194.pdf 
  2. Kashyap P, Kumar S, Riar CS, Jindal N, Baniwal P, Guiné RPF, et al. Recent Advances in Drumstick (Moringa oleifera) Leaves Bioactive Compounds: Composition, Health Benefits, Bioaccessibility, and Dietary Applications. Antioxidants. 2022 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC8869219/
  3. Zarina N, Wani AW, Rawat M, Kaur H, Das S, Kaur T, et al. Medicinal utilization and nutritional properties of drumstick (Moringa oleifera)—A comprehensive review. Food Science & Nutrition. 2024 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC11266908/ 
  4. Anwar F, Latif S, Ashraf M, Gilani AH. Moringa oleifera: a food plant with multiple medicinal uses. Phytotherapy Research [Internet]. 2006 Nov 6;21(1):17–25. Available from: https://onlinelibrary.wiley.com/doi/epdf/10.1002/ptr.2023 
  5. Khan W, Parveen R, Chester K, Parveen S, Ahmad S. Hypoglycemic Potential of Aqueous Extract of Moringa oleifera Leaf and In Vivo GC-MS Metabolomics. Frontiers in Pharmacology [Internet]. 2017 Sep 12;8. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC5601078/ 
  6. Jaiswal D, Rai PK, Kumar A, Mehta S, Watal G. Effect of Moringa oleifera Lam. leaves aqueous extract therapy on hyperglycemic rats. Journal of Ethnopharmacology. 2009 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/19501271/ 
  7. Lambole V, Kumar U. Effect of Moringa oleifera Lam. on normal and dexamethasone suppressed wound healing. Asian Pacific Journal of Tropical Biomedicine. 2012 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://www.researchgate.net/publication/257746666_Effect_of_Moringa_oleifera_Lam_on_normal_and_dexamethasone_suppressed_wound_healing 
  8. Karadi RV, Palkar MB, Gaviraj EN, Gadge NB, Mannur VS, Alagawadi KR. Antiurolithiatic property of Moringa oleifera root bark. Pharmaceutical Biology. 2008 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://www.tandfonline.com/doi/full/10.1080/13880200802367189 
  9. Bhadresha K, Thakore V, Brahmbhatt J, Upadhyay V, Jain N, Rawal R. Anticancer effect of Moringa oleifera leaves extract against lung cancer cell line via induction of apoptosis. Advances in Cancer Biology – Metastasis. 2022 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S2667394022000466 
  10. Wu YY, Xu YM, Lau ATY. Anti-cancer and medicinal potentials of moringa isothiocyanate. Molecules. 2021 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC8708952/ 
  11. Prajapati C, Ankola M, Upadhyay TK, Sharangi AB, Alabdallah NM, Al-Saeed FA, et al. Moringa oleifera: Miracle plant with a plethora of medicinal, therapeutic, and economic importance. Horticulturae. 2022 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://www.mdpi.com/2311-7524/8/6/492 
  12. Attah AF, Moody JO, Sonibare MA, Salahdeen HH, Akindele OO, Nnamani PO, et al. Aqueous extract of Moringa oleifera leaf used in Nigerian ethnomedicine alters conception and some pregnancy outcomes in Wistar rat. South African Journal of Botany. 2019 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S0254629919305526 
  13. Tahiliani P, Kar A. Role of Moringa oleifera leaf extract in the regulation of thyroid hormone status in adult male and female rats. Pharmacological Research. 2000 [cited 2025 Apr 22]. Available from: https://www.researchgate.net/publication/12640687_Role_of_Moringa_oleifera_leaf_extract_in_the_regulation_of_thyroid_hormone_status_in_adult_male_and_female_rats 

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The Fatty Liver Diet: Foods to Eat and Avoid to Reverse Fatty Liver Disease

Introduction

Millions of people all over the world suffer from fatty liver disease. It occurs when excess fat accumulates in the liver, leading to inflammation and potential liver damage. Although it can be caused by a variety of factors, including alcohol consumption and certain medications, the most common form of fatty liver disease is non-alcoholic fatty liver disease (NAFLD), which is associated with lifestyle factors such as a poor diet and lack of exercise.

Fortunately, there are dietary interventions that can help to reverse the damage done to the liver. By making certain changes to your diet, you can reduce the amount of fat in your liver and improve liver function.

Let us dive into the world of fatty liver diets, exploring the best foods to eat and avoid, as well as some easy-to-follow tips for creating a liver-friendly meal plan1,2.

Did you know?

What is Fatty Liver?

Fatty liver disease is a prevalent health condition that results from an excess buildup of fat in the liver. While some individuals may not experience any noticeable symptoms, the accumulation of fat can lead to severe liver damage in others. However, the good news is that fatty liver disease is often preventable and reversible through simple lifestyle modifications1.

Grades of Fatty Liver?

Fatty liver disease is categorized into four grades based on the amount of fat buildup in the liver.

What Foods Should You Eat?

The following list gives you a gateway to eating foods that are good for you, if you have fatty liver disease:

What Foods Should You Avoid?

Here is a list of foods to avoid if you have fatty liver disease: 

Tips for Following the Fatty Liver Diet

1. Focus on a whole-foods, plant-based diet

Image Source: freepik.com

Include plenty of vegetables, fruits, whole grains, nuts, and legumes in your diet. These foods are rich in fibre, vitamins, and minerals, and low in saturated and trans fats, which can be beneficial for individuals with fatty liver disease.

2. Limit or avoid processed foods

processed foods
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Processed foods, such as fast food, snacks, and baked goods, often contain high amounts of sugar, unhealthy fats, and additives that can worsen fatty liver disease. Processed foods often contain high levels of fructose, unhealthy fats such as trans fats and saturated fats, and additives like high fructose corn syrup, which can increase the amount of fat deposited in the liver and contribute to liver inflammation.

3. Choose lean protein sources

Opt for lean protein sources such as skinless poultry, fish, beans, and lentils over red meats and processed meats, which are high in saturated fats. These foods are high in protein, iron, and fiber.

4. Avoid sugary beverages

Sugary beverages such as soda, juice, lemonade, and sports drinks can contribute to the development of fatty liver disease. Sugary and carbonated beverages contain high amounts of fructose and other sugars. When consumed in excess, these sugars are processed in the liver and converted into fat, leading to the accumulation of fat in the liver cells. Instead, opt for water, unsweetened tea, or coffee6.

5. Watch your portion sizes

portion sizes

Overeating can lead to weight gain and increase the risk of fatty liver disease. Be mindful of your portion sizes and consider using smaller plates or bowls to help control your portions. Large portion sizes can contribute to weight gain and obesity, which are risk factors for fatty liver disease. When we eat more calories than our body needs, the excess calories are stored as fat in the liver and other organs, leading to the development of fatty liver disease.

6. Limit alcohol consumption

alcohol
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Drinking alcohol in excess can damage the liver and exacerbate fatty liver disease. If you choose to drink, do so in moderation and always consult with your healthcare provider first. It is important to note that the American Liver Foundation recommends complete abstinence from alcohol, especially for those with alcoholic fatty liver disease6.

7. Exercise

exercise
Image Source: freepik.com

Regular physical activity can aid in weight loss, improved insulin sensitivity, and a decreased risk of fatty liver disease. Try to exercise for at least 30 minutes, five days of the week, at a moderate level.

Remember, making simple lifestyle changes can go a long way in preventing and even reversing fatty liver disease. Always consult with your healthcare provider before making any significant changes to your diet or exercise routine1,4,5.

Another important fruit that you can add to your diet is grapefruit. Grapefruits are rich in naringenin, a flavonoid that has liver-protective properties (as per several lab studies). Adding grapefruits to your diet might help you avoid further liver damage8.

Dr. Rajeev Singh, BAMS

Meal Plan For Fatty Liver

Here are some suggestions for a meal plan when you are following a fatty liver diet:

Day 1

Day 2

Day 3

chicken tikka

Day 4

Day 5

upma

Remember to drink plenty of water throughout the day, and limit or avoid alcohol, sugary drinks, and processed foods. This meal plan is a suggested guideline for a fatty liver diet and should not be taken as medical advice. 

It is recommended that you consult with a healthcare professional or a registered dietitian to create a personalized meal plan that meets your specific nutritional needs and dietary restrictions. 

You can tailor it according to your diet, your specific needs and preferences, but try to focus on whole foods, lean protein sources, and plenty of fruits and vegetables while limiting your intake of processed foods, sugar, and unhealthy fats5.

Certain drugs can cause harm to the liver. If you are diagnosed with a fatty liver, it is important that you let your doctor be aware about the medicines you take. Some medicines can aggravate your liver condition and make the condition worse7.

Dr. Siddharth Gupta, B.A.M.S, M.D (Ayu)

Tips To Manage Fatty Liver Disease

Here are some tips to help manage fatty liver disease:

Also Read: Liver Fibrosis: What Is It, Causes, Symptoms & Treatment

Frequently Asked Questions (FAQs)

What are some other ways to manage fatty liver disease aside from diet?

Regular exercise, controlling diabetes, lowering cholesterol, and avoiding alcohol are other ways to manage fatty liver disease aside from diet.

What is the best treatment option for fatty liver disease?

The best treatment option for fatty liver disease depends on the underlying cause and severity of the condition and should be determined by a medical professional.

Can fatty Liver be cured?

Fatty liver disease can be reversed in its early stages, but in more advanced cases, it can only be managed and not fully cured.

Can a vegetarian or vegan diet help manage fatty liver disease?

Yes, a vegetarian or vegan diet can help manage fatty liver disease. However, it is essential to ensure that you are still getting enough protein and other essential nutrients.

Is it safe to drink alcohol if you have fatty liver disease?

No, it is generally recommended to avoid alcohol altogether if you have fatty liver disease.

References

  1. Nonalcoholic fatty liver disease (NAFLD) & Nash – NIDDK [Internet]. U.S. Department of Health and Human Services; [cited 2023 May 9]. Available from: https://www.niddk.nih.gov/health-information/liver-disease/nafld-nash 
  2. Kang BK, Kim M, Shin SJ, Kim YJ. Correlation of clinical and histopathologic parameters with ultrasonographic grades in pediatric non-alcoholic fatty liver disease. Journal of Korean Medical Science. 2019 Dec 9;34(47). Available from: https://jkms.org/DOIx.php?id=10.3346/jkms.2019.34.e298#:~:text=The%20radiologists%20evaluated%20the%20degree,preserved)%3B%203)%20grade%202
  3. Annie Guinane RD. What foods help prevent and reverse fatty liver disease? [Internet]. UChicago Medicine. UChicago Medicine; 2021 [cited 2023May4]. Available from: https://www.uchicagomedicine.org/forefront/gastrointestinal-articles/fatty-liver-disease-diet
  4. Non-alcoholic fatty liver disease — a guide to — what how to eat – BCM [Internet]. [cited 2023May4]. Available from: https://www.bcm.edu/sites/default/files/a-guide-to-what-and-how-to-eat-non-alcoholic-fatty-liver-disease.pdf  
  5. Nseir W, Nassar F, Assy N. Soft drinks consumption and nonalcoholic fatty liver disease. World journal of gastroenterology: WJG. 2010 Jun 6;16(21):2579. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2880768/ 
  6. Alcohol-related liver disease: Risks & complications [Internet]. 2023 [cited 2023 May 9]. Available from: https://liverfoundation.org/liver-diseases/alcohol-related-liver-disease/ 
  7. MedlinePlus. Encephalitis [Internet]. U.S. National Library of Medicine; [cited 2025 Oct 7]. Available from: https://medlineplus.gov/ency/article/000226.htm
  8. Anwar F, Latif S, Ashraf M, Gilani AH. Moringa oleifera: a food plant with multiple medicinal uses. Phytother Res. 2007 Jan;21(1):17–25. doi:10.1002/ptr.2023. PMID: 17089328; PMCID: PMC9647116. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC9647116/

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Penile Cancer: Symptoms, Diagnosis & Treatment

Introduction

Cancer appears as a solid tumor (lump) that is malignant1. Penile cancer is a cancer of the penis (the external part of the male urinary and reproductive system). The cells present in the tissues of the penis give rise to different types of penile cancer.

Depending upon the type of cell affected in the penis, the type of penile cancer is determined. Following are the type of penile cancers: Squamous cell cancer, Melanoma, Basal cell cancer, Adenocarcinoma (Paget’s disease of the penis), and Sarcoma2.  Penile cancers can start in any part of the penis. 

Most commonly it has been found to begin on the head or foreskin of the penis.  This cancer goes untreated in many individuals since it is associated with psychological distress. Males suffering from this type of cancer often delay seeking medical opinion because they fear and suffer embarrassment4 . Males who are over 55 years are most often detected with penile cancer. However, people who are under the age of 40 can also develop this type of cancer.

Did you know?

Signs and Symptoms of Penile Cancer

Irrespective of the type of penile cancer, mostly the foreskin and the tip of the penis (glans) get affected. Therefore, penile cancer symptoms are first visible on this part of the penis5.

Signs of penile cancer are listed as under:

The following are the symptoms of penile cancer: 

Causes of Penile Cancer

Penile cancer is a rare form of cancer that starts in the tissues of the penis. The exact cause of penile cancer is not clear, but several factors have been identified that may increase the risk of developing this type of cancer:

Risk Factors for Penile Cancer

Risk factors are not the factors causing penile cancer but these factors increase the chance of occurrence of developing penile cancer. Below are some of the risk factors3:

Diagnosis of Penile Cancer

Upon visiting the doctor following diagnostic protocols are carried out to understand the developing penile cancer in an individual. The mean age of diagnosis of penile cancer is at the age of 60 years4.

Treatment of Penile Cancer

Treatment strategy for penile cancer depends on the size of the tumour, cancer stage, spread of the cancer, and its likelihood of relapsing after the treatment3. Often, treatment options are combined to have maximum therapeutic effect, following is a list of treatments that might be employed for treating penile cancer: 

In my experience, a healthy skin cell may become a cancer cell when you have penile cancer. Uncontrolled cancer cell growth results in the formation of a tumour that pushes the healthy cells aside. As time passes, cancer cells have the potential to invade further organs and tissues in your body. I strongly recommend routine complete body checkups for those who have a family history of cancer3.

Dr. Rajeev Singh, BAMS

Treatment for a mild form

Treatment for a severe form

Prevention of Penile Cancer

Following are the possible preventive measures7:  

Also Read: Does Masturbating Increase Risk of Prostate Cancer or Vice Versa?

Complications of Penile Cancer

Penile cancer complications are like any complication that arises due to surgical incidents such as:  

Did you know squamous cell carcinoma (SCC) makes up 95% of penile cancer cases? This type of cancer develops in the epithelium that is the top layer of your skin. Different types of tissues may develop other forms of penile cancer: basal cell carcinoma (BCC), melanoma, and sarcoma. Out of these, the malignancy melanoma is more dangerous3.

Dr. Siddharth Gupta, B.A.M.S M.D (Ayu)

When to See a Doctor

One should visit the doctor if the following conditions are observed. As a regular practice, one should look for the mentioned changes that occur in and around the penis: 

Also Read: How Exercise Can Help You Deal with Breast Cancer

Conclusion

Penile cancer, though rare, is a serious condition that requires timely recognition and treatment. The stigma, fear, and lack of awareness surrounding male reproductive health often lead to delayed diagnoses, affecting outcomes. Understanding the symptoms, risk factors, and causes, especially the role of HPV and poor hygiene can empower men to take preventive steps early on.

Fortunately, with advancements in diagnostics and treatment, many cases can be managed effectively when detected in time. Maintaining proper genital hygiene, avoiding tobacco, practicing safe sex, and not ignoring unusual symptoms are key pillars of prevention. If you notice any persistent changes in or around the penis, do not hesitate to consult a doctor. Early action can make a significant difference, not just in treatment success but also in overall well-being and quality of life.

Also Read: Jaundice: Symptoms, Treatment, Causes and Types

Frequently Asked Questions (FAQs)

How quickly do we need to decide on treatment for penile cancer? 

As soon as your doctor confirms penile cancer, treatment strategies should be discussed with the doctor.  

Can a person with penile cancer have sex or have children after treatment?

Most men can typically have an erection and continue their sexual life normally after the cancerous area has been removed (wide local excision)9. Most men can typically have an erection and continue their sexual life normally after the cancerous area has been removed (wide local excision)9.

Will treatment affect how I urinate?

Penile tissue is kept alive during many cancer therapies. This means that your penis finally recovers to resemble its pre-treatment appearance almost exactly. You’re still able to urinate when standing10.

For penile cancer, do I need to see any other types of doctors?

A surgical oncologist, a urologist who focuses on urinary tract issues, a medical oncologist, and a radiation oncologist are frequently on a penile cancer team.

How long does it take me to recover from the treatment?

This occurs often 7 to 14 days following your operation11.

References

  1. What is Cancer? | Cancer Basics | American Cancer Society [Internet]. Available from: https://www.cancer.org/treatment/understanding-your-diagnosis/what-is-cancer.html
  2. What Is Penile Cancer? [Internet]. Available from: https://www.cancer.org/cancer/penile-cancer/about/what-is-penile-cancer.html
  3. Symptoms and Causes Diagnosis and Tests Management and Treatment Prevention Outlook / Prognosis Living With Ad [Internet]. Available from: https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/6181-penile-cancer
  4. Engelsgjerd JS, Lagrange CA. Penile Cancer Continuing Education Activity [Internet]. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK499930/
  5. Symptoms Penile cancer Main symptoms of penile cancer [Internet]. Available from: https://www.nhs.uk/conditions/penile-cancer/symptoms/
  6. Causes of penile cancer – NHS [Internet]. Available from: https://www.nhs.uk/conditions/penile-cancer/causes/
  7. Penile Cancer: Risk Factors and Prevention | Cancer.Net [Internet]. Available from: https://www.cancer.net/cancer-types/penile-cancer/risk-factors-and-prevention
  8. Can Penile Cancer Be Prevented? [Internet]. Available from: https://www.cancer.org/cancer/types/penile-cancer/causes-risks-prevention/prevention.html
  9. Sex and relationships | Penile cancer | Cancer Research UK [Internet]. Available from: https://www.cancerresearchuk.org/about-cancer/penile-cancer/living-with/sex-relationships
  10. Penile Cancer: Symptoms, Stages & Treatment [Internet]. Available from: https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/6181-penile-cancer
  11. After surgery | Penile cancer | Cancer Research UK [Internet]. Available from: https://www.cancerresearchuk.org/about-cancer/penile-cancer/treatment/surgery/after-surgery

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एसजीपीटी टेस्ट (SGPT Test in Hindi): क्या है, खर्च, नॉर्मल रेंज, कैसे होता है, क्यों और कब

परिचय

एसजीपीटी (एएलटी) परीक्षण एक खून परीक्षण है जो जिगर (liver) क्षति या बीमारी का पता लगाने में मदद करता है। यह खून में एक महत्वपूर्ण जिगर एंजाइम के स्तर को निर्धारित करता है।

नमूना प्रकार

एसजीपीटी (एएलटी) परीक्षण करने के लिए खून के नमूनों की आवश्यकता होती है। सबसे अधिक बार, खून हाथ में एक नस से एकत्र किया जाता है।

आपको कितनी बार परीक्षण करना चाहिए?

एसजीपीटी (एएलटी) परीक्षण जिगर क्षति या बीमारी के निर्धारण के लिए सहायक है। यदि परीक्षण के परिणाम जिगर क्षति की उपस्थिति का संकेत देते हैं, तो जिगर रोग के कारण का निर्धारण करने के लिए आगे का आकलन किया जाता है। डॉक्टर बीमारी के कारण के आधार पर दवाएं लिख सकते हैं। 

ऐसे मामलों में, रोगियों को यह निर्धारित करने के लिए कि क्या बीमारी ठीक हो गई है या बीमारी की प्रगति का बेहतर पता लगाने के लिए दवा के एक चक्र के पूरा होने के बाद परीक्षण को फिर से लेने की सलाह दी जा सकती है। 

यदि परिणाम किसी भी जिगर क्षति या बीमारी का संकेत नहीं देते हैं, तो परीक्षण एक व्यक्ति के नियमित चेकअप के एक भाग के रूप में वर्ष में एक बार किया जा सकता है।

एसजीपीटी (एएलटी) टेस्ट के अन्य नाम 

टेस्ट समावेशन: कौन से पैरामीटर शामिल हैं?

परीक्षण में शामिल एकमात्र पैरामीटर खून में एएलटी का स्तर है। यह स्तर जिगर रोग की उपस्थिति या अनुपस्थिति को निर्धारित करने में मदद करता है। एएलटी का निम्न स्तर सामान्य है, जबकि उच्च एएलटी का स्तर चिंता का विषय है क्योंकि वे जिगर रोग के संकेत हैं।

एसजीपीटी (एएलटी) परीक्षण क्या पता लगाता है / मापता है और यह किसके लिए निर्धारित है? 

एसजीपीटी (एएलटी) परीक्षण खून में एएलटी स्तर को मापता है, जो किसी भी जिगर क्षति या जिगर रोग की उपस्थिति को इंगित करने में मदद करता है। 

परीक्षण उन व्यक्तियों के लिए डॉक्टरों द्वारा निर्धारित किया जाता है जिनके पास जिगर की क्षति या बीमारी के लक्षण हैं जिनमें शामिल हैंः

कुछ अन्य कारणों से एक व्यक्ति को परीक्षण निर्धारित किया जा सकता हैः

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

यदि एसजीपीटी अधिक है तो क्या होगा?

हाई एसजीपीटी जिगर की बीमारियों का संकेत है, जैसे फैटी लिवर, पित्त नली (bile duct) की समस्या और पीलिया (jaundice)। उच्च एसजीपीटी कुछ सामान्य लक्षणों से जुड़ा हुआ है, जैसे कि मतली (nausea), उल्टी और पेट दर्द। उचित उपचार सुनिश्चित करने के लिए यदि एसजीपीटी अधिक पाया जाता है तो डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

मैं अपने एसजीपीटी स्तर को कैसे कम कर सकता हूं?

Ans- आहार में विटामिन डी के समावेश को बढ़ाकर एसजीपीटी के स्तर को कम किया जा सकता है। विटामिन डी जिगर की क्षति को रोकने के साथ-साथ एसजीपीटी के स्तर को कम करने के लिए जाना जाता है। संतरा, मशरूम, सोया मिल्क, अंडे, सेब और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे खाद्य पदार्थ विटामिन डी के अच्छे स्रोत हैं।

उच्च एसजीपीटी वाले रोगियों को क्या करना चाहिए?

जिन खाद्य पदार्थों से उच्च एसजीपीटी के रोगियों को बचना चाहिए, उनमें शराब, अतिरिक्त चीनी और नमक, तले हुए खाद्य पदार्थ, लाल मांस, सफेद रोटी, पास्ता आदि शामिल हैं।

क्या उच्च एसजीपीटी का इलाज हो सकता है?

उच्च एसजीपीटी को चिकित्सक की परामर्श से ली हुई दवाइयों एवं आहार संशोधनों द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है, नियमित आहार में विटामिन डी को शामिल करना और ताजे फल और सब्जियों को ज्यादा मात्रा में लेना चाहिए। तले भुने खाने से का परहेज आवश्यक है।  शराब का सेवन जिगर के लिए अत्यंत हानिकारक है। इसके अलावा जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ नियमित व्यायाम भी एसजीपीटी को ठीक करने के लिए उपयोगी माना जाता है।

जिगर परीक्षणों में एसजीपीटी क्या है?

Ans- एसजीपीटी यानी सीरम ग्लूटामिक पाइरूविक ट्रांसएमिनेस। यह खून के ग्लूटामेट पाइरूवेट ट्रांसएमिनेस के स्तर को निर्धारित करने में मदद करता है। वर्तमान में इसे एएलटी टेस्ट के नाम से जाना जाता है।

क्या 50 एसजीपीटी सामान्य है?

Ans- एसजीपीटी के लिए सामान्य रेंज 7 से 55 यूनिट प्रति लीटर खून के बीच होती है। इसलिए एसजीपीटी 50 को सामान्य माना जा सकता है।

क्या एसजीपीटी टेस्ट खाली पेट किया जाता है?


हां, सटीक परिणाम सुनिश्चित करने के लिए एसजीपीटी (सीरम ग्लूटामिक पाइरुविक ट्रांसअमिनेज़) परीक्षण आमतौर पर खाली पेट किया जाता है, क्योंकि भोजन का सेवन लिवर एंजाइम के स्तर को प्रभावित कर सकता है। आमतौर पर परीक्षण से पहले कम से कम 8-12 घंटे का उपवास करने की सलाह दी जाती है।

क्या मैं एसजीपीटी परीक्षण से पहले पानी पी सकता हूँ?

हाँ, आप एसजीपीटी (सीरम ग्लूटामिक पाइरुविक ट्रांसअमिनेज़) परीक्षण से पहले पानी पी सकते हैं। पानी पीने से परीक्षण के परिणाम प्रभावित नहीं होते हैं और आम तौर पर उपवास की अवधि के दौरान इसकी अनुमति होती है।

क्या एसजीपीटी लीवर कैंसर का पता लगा सकता है?

एसजीपीटी (सीरम ग्लूटामिक पाइरुविक ट्रांसअमिनेज़) परीक्षण लिवर की क्षति का संकेत दे सकता है, जो लिवर कैंसर का संकेत हो सकता है, लेकिन यह अपने आप लिवर कैंसर का निदान करने के लिए पर्याप्त विशिष्ट नहीं है। लिवर कैंसर की पुष्टि के लिए आगे के नैदानिक ​​परीक्षणों की आवश्यकता होती है।

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ईएसआर टेस्ट(ESR Test in Hindi): क्या है, खर्च, नॉर्मल रेंज, कैसे होता है, क्यों और कब

परिचय

ईएसआर (ESR), जिसे एरिथ्रोसाइट अवसादन दर (Erythrocyte Sedimentation rate) के रूप में भी जाना जाता है, एक खून परीक्षण है। यह लाल खून कोशिकाओं के सेडिमेंटेशन के दर को मापता है। इससे शरीर में हो रहे इन्फ्लेमेशन, बुखार, इंफेक्शन एवं अन्य बीमारियों का संकेत मिल सकता है। ईएसआर (ESR) इंफ्लेमेटरी रिस्पांस का एक सूचक है|

नमूना प्रकार

ईएसआर का विश्लेषण खून के नमूने पर आधारित है। एक साधारण खून परीक्षण ईएसआर को निर्धारित करता है। 

आपको यह परीक्षण कितनी बार करना चाहिए?

ईएसआर परीक्षण के परिणामों के लिए डॉक्टर से सिफारिश की आवश्यकता होती है। एक बढ़ा ईएसआर स्तर एक इंफ्लेमेटरी प्रतिक्रिया की तीव्रता का मूल्यांकन करता है।

स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता तीव्र और पुरानी इंफ्लेमेटरी बीमारियों में पूर्वानुमान का आकलन करने के लिए ईएसआर परीक्षण को दोहराएगा।

तीव्र इंफ्लेमेटरी प्रतिक्रिया की शुरुआत के 24 से 48 घंटे बाद ईएसआर का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है। सामान्य दायरे में लौटने में और सप्ताह से महीनों का समय लग सकता है। इसलिए, ईएसआर परीक्षण की आवृत्ति डॉक्टर के आकलन पर निर्भर करती है। डॉक्टर टेस्ट को तब तक दोहराने के लिए कह सकते हैं जब तक कि यह सामान्य ईएसआर स्तर नहीं हो जाता।

यदि ESR परिणाम का स्तर इस समय सीमा के भीतर नहीं गिरता है, तो परीक्षण को पुनरावृत्ति की आवश्यकता होती है। यदि ईएसआर का स्तर लगातार बढ़ता है, तो डॉक्टर सीआरपी के साथ पुनरावृत्ति की सलाह देते हैं। 

ईएसआर परीक्षण के अन्य नाम

टेस्ट समावेशन: कौन से पैरामीटर शामिल हैं?

ईएसआर परीक्षण में केवल एक पैरामीटर (ईएसआर स्तर) शामिल है। यह अनुमान शरीर की इंफ्लेमेटरी प्रतिक्रिया में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। शरीर में गंभीर सूजन नहीं होने पर रीडिंग सामान्य सीमा के भीतर होगी। 

यदि शरीर संक्रमण से लड़ रहा है या आघात से उबर रहा है तो ईएसआर मूल्य अधिक होंगे। गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों के साथ ईएसआर मूल्य अत्यधिक उच्च होंगे। ईएसआर स्तर का उपयोग उपचार और प्रबंधन को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।

ईएसआर परीक्षण क्या पता लगाता है / मापता है और यह किसके लिए निर्धारित है?

ईएसआर मूल्यों को उन परीक्षणों में शामिल किया जाता है जो शरीर में इंफ्लेमेटरी प्रतिक्रियाओं का पता लगाते हैं। परीक्षण उस दर को मापता है जिस पर लाल खून कोशिकाएं खून प्लाज्मा के माध्यम से गिरती हैं और एक घंटे में एक परीक्षण ट्यूब के तल पर एक साथ क्लस्टर होती हैं।

लाल खून कोशिकाओं को नकारात्मक रूप से आयन चार्ज किया जाता है। अतः वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करते है. नेगेटिव चार्ज इन कोशिकाओं को क्लस्टर बनाने और बसने से रोकता है। उच्च खून चिपचिपापन दर को कम करता है जिस पर एरिथ्रोसाइट्स तलछट।

तीव्र इंफ्लेमेटरी स्थितियों की शुरुआत से पहले ईएसआर स्तरों में एक ऊंचाई है। इंफ्लेमेटरी प्रतिक्रिया के संकेतों के साथ पेश करने वाले लोगों के लिए ईएसआर परीक्षण का सुझाव दिया जाता है, जैसे:

ईएसआर का उपयोग निम्नलिखित के निदान के लिए किया जाता हैः

यदि आपके डॉक्टर को ऊपर सूचीबद्ध किसी भी स्थिति पर संदेह है, वे ईएसआर परीक्षण का आदेश दे सकते हैं। ऊपर बताई गई बीमारियों के उपचार के पाठ्यक्रम को ट्रैक करने के लिए ईएसआर परीक्षण की भी सिफारिश की जाती है।

ईएसआर परीक्षण पुरुषों और महिलाओं, दोनों वयस्कों और बच्चों के लिए लागू है। गर्भनिरोधक, एस्पिरिन, कोर्टिसोन, विटामिन ए जैसी कुछ दवाएं और गर्भावस्था और मोटापे जैसी स्थितियां ईएसआर के स्तर में झूठी वृद्धि का कारण बन सकती हैं। किसी भी वर्तमान दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर को सूचित करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

यदि ईएसआर (ESR) अधिक है तो क्या होगा?

असामान्य रूप से उच्च ईएसआर का मतलब है कि आपको एक अंतर्निहित बीमारी हो सकती है। उच्च ईएसआर के लिए सबसे आम कारण संक्रमण, कैंसर, ऑटोइम्यून रोग, संवहनी रोग या कैंसर के मेटास्टेसिस हो सकते हैं।

सामान्य ईएसआर स्तर क्या है?

ईएसआर रिपोर्ट में मूल्य आयु वर्ग और लिंग के अनुसार अलग-अलग होते हैं।
पुरुषों में, यह 15 mm/hour के बराबर या उससे कम है।
महिलाओं में, यह 20 mm/hour के बराबर या उससे कम है।
बच्चों में, यह 10 mm/hour के बराबर या उससे कम है।

किन बीमारियों के कारण उच्च ईएसआर होता है?

यदि आपका ईएसआर सामान्य सीमा से अधिक है, तो यह अंतर्निहित संक्रमण का संकेत हो सकता है। ईएसआर के हल्के से मध्यम स्तर के उच्च स्तर से गंभीर कारण का संकेत नहीं मिलता है। ईएसआर रिपोर्ट में असामान्य रूप से उच्च स्तर तपेदिक, ऑटोइम्यून रोग, प्रणालीगत संक्रमण, आमवाती बुखार, हृदय रोग और गुर्दे की बीमारी के कारण हो सकता है।

मैं अपने ईएसआर स्तर को कैसे कम कर सकता हूं?

आपको उच्च ईएसआर (ESR) के कारण को पहचानना है और अंतर्निहित कारण को संबोधित करना चाहिए। 

कौन सा भोजन ईएसआर को कम कर सकता है?

ईएसआर को कम करने के लिए अंतर्निहित कारण को संबोधित करें। एवोकैडो, अंगूर, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी और चेरी जैसे फल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो ईएसआर को कम करने में मदद करते हैं। टमाटर, ब्रोकोली, बेल मिर्च, पालक, सेम, फलियां और मसूर जैसी सब्जियां मदद करती हैं। ईएसआर को कम करने वाले अन्य खाद्य पदार्थ मशरूम, प्रोबायोटिक्स, हल्दी, जड़ी बूटियों, नट्स, बीज, जैतून का तेल और मछली (टूना और सामन) हैं।अलंकी सिर्फ खानपान में बदलाव से ही यह सर कम नहीं होता इसके लिए उचित इलाज की भी आवश्यकता पड़ती है। 

महिलाओं में ईएसआर उच्च क्यों होता है ?

ईएसआर और हेमेटोक्रिट विपरीत आनुपातिक हैं। मासिक धर्म और गर्भावस्था के कारण, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कम हीमेटोक्रिट होता है। महिलाओं में हीमेटोक्रिट में कमी सकारात्मक ईएसआर का कारण है। 

ESR को सामान्य होने में कितना समय लगता है?

एक उच्च ईएसआर जल्दी से सामान्य स्तर तक नहीं गिरता है। ईएसआर उपचार प्रक्रिया के बाद धीरे-धीरे कम हो जाता है क्यूंकि आधार पर सामान्य सीमा तक आने में हफ्तों से महीनों का समय लगता है।

क्या ईएसआर (एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट) परीक्षण कैंसर का पता लगा सकता है?

ईएसआर (एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट) परीक्षण अकेले कैंसर का पता नहीं लगा सकता है। हालांकि, यह सूचकों में से एक हो सकता है जो सूजन या अन्य मौजूदा स्थितियों का पता लगाने में सहायक हो सकता है जो कैंसर से जुड़े हो सकते हैं। ऊँचा ईएसआर स्तर अधिक जाँच की प्रोत्साहन कर सकता है, लेकिन निर्दिष्ट कैंसर निदान आमतौर पर और परीक्षणों जैसे कि छवि अध्ययन, बायोप्सी, या विशिष्ट ट्यूमर मार्कर्स के साथ अतिरिक्त परीक्षण की आवश्यकता होती है।

क्या ईएसआर (एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट) परीक्षण एचआईवी का पता लगा सकता है?

नहीं, ईएसआर (एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट) परीक्षण सीधे एचआईवी का पता नहीं लगा सकता। यह रेड ब्लड सेल्स जो कि एक ट्यूब में बैठ जाने की दर को मापता है और मुख्य रूप से सूजन का पता लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है। एचआईवी निदान के लिए विशिष्ट परीक्षणों की आवश्यकता होती है जैसे कि एचआईवी एंटीबॉडी परीक्षण या न्यूक्लिक एसिड परीक्षण (एनएटी) जो सीधे रक्त में वायरस की मौजूदगी को निर्धारित करते हैं।

ईएसआर (एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट) परीक्षण कितना समय लेता है?

ईएसआर (एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट) परीक्षण आमतौर पर पूरा करने में लगभग 1 घंटा लगता है। रक्त का नमूना लिया जाने के बाद, इसे मापने से पहले परीक्षण ट्यूब में बैठने का समय चाहिए होता है। हालांकि, वास्तविक परीक्षण प्रक्रिया का कुछ अंश लैबोरेटरी की प्रक्रियाओं और कार्यभार के आधार पर थोड़ा भिन्न हो सकता है।

ईएसआर (एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट) परीक्षण कितना सटीक होता है?

ईएसआर (एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट) परीक्षण की सटीकता तकनीक और व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कारकों पर निर्भर करती है। यह सूजन के लिए मूल्यवान मार्कर होता है, लेकिन यह हमेशा अकेले में एक निर्धारित निदान प्रदान नहीं कर सकता है। स्वास्थ्य सेवा पेशेवर अक्सर ईएसआर के परिणामों का अन्य क्लिनिकल फिंडिंग्स के साथ समझ कर और सटीक मूल्यांकन के लिए उपयोग करते हैं।

क्या सीबीसी (पूर्ण रक्त गणना) में ईएसआर परीक्षण शामिल होता है?

नहीं, सामान्यत: सीबीसी (पूर्ण रक्त गणना) में ईएसआर (एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट) परीक्षण शामिल नहीं होता है। सीबीसी मुख्य रूप से रक्त के विभिन्न घटकों को मापता है, जैसे कि लाल रक्त कोशिकाएँ, सफेद रक्त कोशिकाएँ, और प्लेटलेट्स, जबकि ईएसआर परीक्षण एक ट्यूब में लाल रक्त कोशिकाओं को बैठने की दर को मापता है, जो शरीर में सूजन की सूची देता है।

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शिलाजीत (Shilajit in Hindi): उपयोग, लाभ और साइड इफ़ेक्ट

परिचय

शिलाजीत (शुद्ध किया गया) एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग भारतीय चिकित्सा की स्वदेशी प्रणाली में किया जाता है।1 शिलाजीत आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में एक ऐसी औषधि है जो सदियों से जानी-मानी है और जिसका बरसों से इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह भारत और नेपाल के बीच हिमालय के पहाड़ों में ऊंचे पर्वतों की चट्टानों से मिलने वाला एक काले-भूरे रंग का पाउडर या रिसाव है। यह अफगानिस्तान, तिब्बत, रूस और उत्तरी चिली में भी पाया जाता है। उत्तर भारत में इसे शिलाजतु, सलाजीत, मम्मियो या मिमि के नाम से जाना जाता है।2

शिलाजीत(Shilajit) आयुर्वेदिक मैटेरिया मेडिका में सूचीबद्ध एक महत्वपूर्ण दवा है और इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा कई प्रकार की बीमारियों के प्रबंधन के लिए किया जाता है। शिलाजीत को दैवीय पहाड़ों की चिकित्सा शक्तियों को धारण करने वाली शानदार औषधि के तौर पर जाना जाता है। यह रॉक मिनरल्स, रॉक ह्यूमस और कार्बनिक पदार्थों से बना है जिन्हें रॉक की परतों द्वारा कंप्रेस किया गया है।1

शिलाजीत में मौजूद केमिकल संघटक (Chemical Components of Shilajit)

शिलाजीत में ह्यूमिन्स, ह्यूमिक एसिड और फुल्विक एसिड होता है। फुल्विक एसिड प्रमुख संघटक है जो शिलाजीत के न्यूट्रास्युटिकल घटकों का 60 से 80% हिस्सा है। शिलाजीत में मौजूद अन्य संघटक हैं फैटी एसिड, रेज़िन, एल्ब्यूमिन, पॉलीफेनोल्स, फेनोलिक लिपिड, ट्राइटरपीन, स्टेरोल्स, एरोमैटिक कार्बोक्सिलिक एसिड, क्यूमैरिन्स, लेटेक्स, गम और अमीनो एसिड।2    

शिलाजीत में चांदी, कॉपर, ज़िंक और आयरन सहित 84 से ज़्यादा मिनरल होते हैं।3

शिलाजीत की खूबियाँ (Properties of Shilajit)

शिलाजीत की खूबियाँ इस प्रकार हैं:

शिलाजीत के शानदार उपयोग (Potential Uses of Shilajit)

1. अनीमिया के लिए शिलाजीत का शानदार उपयोग

एनीमिया एक ऐसी समस्या है जिसमें रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में या हीमोग्लोबिन की मानक मात्रा में कमी हो जाती है। आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया बहुत आम तरह का एनीमिया है। शिलाजीत में आयरन होता है। एक पशु अध्ययन में जब डाइटरी सप्लीमेंट के रूप में लिया गया, तो यह पाया गया कि शिलाजीत ने हेमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि की। शिलाजीत को डाइटरी सप्लीमेंट के रूप में लेना आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के प्रबंधन में फायदेमंद हो सकता है।4 हालाँकि, यह जानकारी काफ़ी नहीं है क्योंकि यह अध्ययन सिर्फ़ जानवरों पर किया गया है। इसलिए, मनुष्यों में आयरन की कमी को दूर करने के लिए शिलाजीत के शानदार उपयोगों का सुझाव देने के लिए बड़े पैमाने पर मानव में अध्ययन करने की आवश्यकता है।

2. मांसपेशियों की थकान के लिए शिलाजीत के शानदार उपयोग

शिलाजीत का सप्लीमेंट लेने से थकान से संबंधित मेटाबॉलिक गतिविधियों को बढ़ाकर और मांसपेशियों और ताकत को बढ़ाकर कसरत से बेहतर परिणाम पाने में मदद मिल सकती है। एक क्लिनिकल अध्ययन में, शिलाजीत के साथ सप्लीमेंट लेने से थका देने वाले काम के बाद मांसपेशियों की शक्ति बनाए रखने पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।5 हालांकि, मांसपेशियों की थकान के लिए शिलाजीत के लाभों को साबित करने के लिए अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।

3. दिल के लिए शिलाजीत के शानदार उपयोग  

अलग-अलग प्रयोगात्मक अध्ययनों में पाया गया कि लिपिड प्रोफाइल पर शिलाजीत के लाभकारी प्रभाव होते हैं। शिलाजीत ने एक पशु मॉडल में दिल की मांसपेशियों की चोटों को ठीक करने में प्रायोगिक तौर पर अहम एक्शन दिखाया। इसने चूहों में दिल के टिशूज़ पर हानिकारक प्रभाव को कम किया।6 हालांकि, यह अध्ययन मनुष्यों पर नहीं बल्कि जानवरों पर किया गया था। इसलिए, मनुष्यों में शिलाजीत के सही फ़ायदों का पता लगाने के लिए मनुष्यों में अभी और ज़्यादा ट्रायल्स की आवश्यकता है।

4. ऊंचाई पर रहने वाले लोगों के लिए शिलाजीत के शानदार उपयोग

कम ऊंचाई वाले स्थानों से ऊंचाई पर चढ़ने वाले लोगों से जुड़ी आम समस्याएं हैं हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा (फेफड़ों में फ्लूइड रिटेंशन), एक्यूट माउंटेन सिकनेस, हाई एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा (दिमाग की सूजन), भूख कम लगना, हाइपॉक्सिया (टिशूज़ में भरपूर ऑक्सीजन की कमी), अनिद्रा, सुस्ती, पेट खराब होना, शारीरिक और मानसिक निराशा।

शिलाजीत में फुल्विक एसिड होता है। फुल्विक एसिड हाइपॉक्सिया को रोकने, ऊर्जा के उत्पादन और खून बनाने में मदद कर सकता है। यह पोषक तत्वों को ऊतकों तक पहुंचाने में भी मदद कर सकता है और सुस्ती, थकान और पुरानी थकान को दूर करने में मदद करता है। शिलाजीत का उपयोग ज़्यादा ऊंचाई पर यात्रा करने वाले लोगों द्वारा सप्लीमेंट के रूप में किया जा सकता है।3 हालांकि, यात्रा करते समय शिलाजीत का उपयोग करने से पहले, कृपया अपने डॉक्टरों से सलाह लें और कभी भी अपना इलाज खुद करने की ग़लती न करें।

5. गैस्ट्रिक अल्सर के लिए शिलाजीत के शानदार उपयोग

पेप्टिक अल्सर एक गैस्ट्रिक (पेट का) घाव है जो तब बनता है जब गैस्ट्रिक लाइनिंग आक्रामक एजेंटों के संपर्क में आती है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर अक्सर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फ्री रेडिकल डैमेज के कारण होते हैं। शिलाजीत में एंटी-अल्सर, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट एक्शन हो सकते हैं। इसलिए, शिलाजीत ह्यूमन गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव (पेट को सुरक्षा देने वाले) एजेंट के रूप में पेट के अल्सर के लिए एक लाभकारी समाधान हो सकता है।7 हालाँकि, यह जानकारी काफ़ी नहीं है; इसलिए, मानव स्वास्थ्य पर शिलाजीत किस हद तक लाभकारी है यह तय करने के लिए मनुष्यों पर अभी और शोध करने की आवश्यकता है।

6. अल्ज़ाइमर रोग के लिए शिलाजीत का शानदार उपयोग

शिलाजीत में पाए जाने वाले फुल्विक एसिड में याददाश्त बढ़ाने वाले गुण हो सकते हैं। फिलामेंट (अल्ज़ाइमर के विकास में शामिल एक कारक) में ताऊ (tau) प्रोटीन के सेल्फ-एग्रीगेशन में भी फुल्विक एसिड मदद करता है। शिलाजीत में अल्ज़ाइमर रोग के लक्षणों को कम करने के लिए डाइटरी सप्लीमेंट के रूप में काम करने की क्षमता भी हो सकती है।2 हालांकि, यह जानकारी काफ़ी नहीं है और दिमाग के स्वास्थ्य के लिए शिलाजीत के लाभों को साबित करने के लिए हमें मनुष्यों पर अभी और ज़्यादा ट्रायल्स की आवश्यकता है।

हालांकि, स्वास्थ्य की अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग अध्ययन शिलाजीत के शानदार उपयोग दिखाते हैं, लेकिन ये अध्ययन काफ़ी नहीं हैं और मानव स्वास्थ्य पर शिलाजीत के लाभ कितने कारगर हैं यह पक्का करने के लिए आगे और अध्ययन की आवश्यकता है।

शिलाजीत को कैसे उपयोग करें (Shilajit ko kaise Upyog kare)?

आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक आपकी आवश्यकता के अनुसार आपके लिए दवा को सही रूप में और सही खुराक में लेने की सलाह देंगे। साथ ही, हम आपको सलाह देते हैं कि किसी अनुभवी डॉक्टर से सलाह लिए बिना अपनी चल रही दवाओं को न तो बंद करें और न ही इसके बजाय  शिलाजीत से बना कोई आयुर्वेदिक/हर्बल प्रिपरेशन लेना शुरू करें।

शिलाजीत के साइड इफ़ेक्ट (Shilajit ke Side Effects)

हालांकि, अगर आप शिलाजीत लेने के बाद किसी भी तरह के साइड इफ़ेक्ट का अनुभव करते हैं, तो तुरंत अस्पताल जाएं और इन साइड इफेक्ट्स को दूर करने के लिए उचित इलाज लें।

शिलाजीत के साथ बरती जाने वाली सावधानियां (Precautions to Take With Shilajit)

इसकी सुरक्षा के बारे में कोई जानकारी नहीं होने के कारण इसे छोटे बच्चों और बड़े वयस्कों को भी नहीं देना चाहिए।

शिलाजीत का अन्य दवाओं के साथ इंटरैक्शन

शिलाजीत का अन्य दवाओं के साथ इंटरैक्शन दिखाने वाली कोई वैज्ञानिक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। हालांकि, लोगों को यह नहीं मान लेना चाहिए कि कोई भी इंटरैक्शन नहीं होता है।

इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह का पालन करें। केवल वे ही आपको इसे सही तरह से लेने की सलाह दे सकेंगे।

Read in English: Shilajit Uses, Benefits & Side Effects

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

शिलाजीत क्या होता है?

शिलाजीत काले-भूरे रंग का पाउडर या रिसाव है जो हिमालय जैसे पहाड़ों से मिलता है और इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता है।2

शिलाजीत को किसलिए उपयोग किया जाता है?

शिलाजीत का उपयोग कई आयुर्वेदिक फ़ॉर्मूलेशन के लिए एक संघटक के रूप में किया गया है। शिलाजीत का उपयोग न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट के रूप में भी किया जा सकता है।

शिलाजीत को कैसे उपयोग करें?

शिलाजीत पाउडर को दूध के साथ ले सकते हैं। शिलाजीत वाले प्रोडक्ट भी मार्केट में उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए शिलाजीत कैप्सूल।3 हालांकि, शिलाजीत का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह ज़रूर लें; वे आपको आपकी स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुसार इसे आपके लिए सही रूप में और सही खुराक में लेने की सलाह देंगे।।

क्या शिलाजीत स्वास्थ्य के लिए अच्छा है?

शिलाजीत में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट, याददाश्त बढ़ाने वाले और अस्थमा से आराम देने वाले कई लाभकारी गुण हो सकते हैं और यह दिल और लिवर के स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकता है।2,4 इस तरह, शिलाजीत स्वास्थ्य के लिए एक अच्छा आयुर्वेदिक सप्लीमेंट हो सकता है। हालांकि, आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और उनकी सलाह के हिसाब से ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

असली शिलाजीत की पहचान कैसे करें?

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, असली शिलाजीत को जलाने पर धुआं नहीं उठना चाहिए और न ही सुलगना चाहिए। पानी में मिलाने पर, यह पूरी तरह से नहीं घुलना चाहिए और जैसे-जैसे यह बिखरता जाता है और पानी की सतह से कंटेनर के नीचे तक जाता है, इसे एक निशान छोड़ना चाहिए।8 असली शिलाजीत की पहचान करना मुश्किल हो सकता है; इसलिए, आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना सबसे बेहतर होता है। वे आपको बताएंगे कि इसका उपयोग कैसे करना है और आपके स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा शिलाजीत कौन सा है।

शिलाजीत किससे बनता है?

यह रॉक मिनरल्स, रॉक ह्यूमस और कार्बनिक पदार्थों से बना है जिन्हें रॉक की परतों द्वारा कंप्रेस किया गया है।1 शिलाजीत में ह्यूमिन्स, ह्यूमिक एसिड और फुल्विक एसिड होता है। फुल्विक एसिड प्रमुख संघटक है जो शिलाजीत के न्यूट्रास्युटिकल घटकों का 60 से 80% हिस्सा है।2

शिलाजीत कब खाना चाहिए?

शिलाजीत को सुबह खाना चाहिए, खाली पेट या भोजन के बाद, ताकि इसकी प्रभावकारीता बढ़ जाए। यह सामग्री आहार के साथ लेने से उसके पोषण को बढ़ावा मिलता है।

शिलाजीत कितनी देर में असर करता है?

शिलाजीत का प्रभाव व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य, सामर्थ्य, और ऊर्जा स्तर पर निर्भर करता है। इसका प्रभाव व्यक्ति की शारीरिक स्थिति, खानपान, और वातावरण के संदर्भ पर अलग-अलग हो सकता है।

शिलाजीत खाने के बाद क्या क्या नहीं खाना चाहिए?

शिलाजीत खाने के बाद तेलीय और अधिक मसालेदार भोजन को नियंत्रित रखना उचित है। उचित पाचन के लिए हल्का और प्राकृतिक आहार पसंद करें, जैसे फल और सब्जियां।

शिलाजीत किस उम्र में खाना चाहिए?

शिलाजीत का सेवन वयस्कों के लिए उपयुक्त होता है, लेकिन इसे 18 वर्ष की उम्र से पहले नहीं लेना चाहिए। यह संयमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के अनुसार लिया जाना चाहिए।

पुरुषों के लिए शिलाजीत के फायदे क्या हैं?

शिलाजीत पुरुषों के लिए शक्ति और सामर्थ्य को बढ़ाने, स्वास्थ्य को मजबूत करने, और विटामिन और खनिजों की पूर्ति में मदद कर सकता है। यह यौन समस्याओं, तनाव, और थकान को कम करने में भी सहायक हो सकता है।

महिलाओं के लिए शिलाजीत के क्या फायदे हैं?

शिलाजीत महिलाओं को ऊर्जा और स्थैर्य प्रदान करने में मदद कर सकता है, साथ ही इसका उपयोग मासिक धर्म के दर्द को कम करने और हॉर्मोनल संतुलन को समायोजित करने में भी किया जा सकता है। इसे उचित परामर्श के साथ सेवन करें।

क्या शिलाजीत वजन बढ़ाता है?

नहीं, शिलाजीत वजन बढ़ाने में सीधे सहायक नहीं है। यह उत्तेजक गतिविधियों को बढ़ाने, स्वास्थ्य को सुधारने, और ऊर्जा को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जिससे खाने की इच्छा और खाना पचाने की क्षमता में सुधार हो सकता है।

क्या शिलाजीत टेस्टोस्टेरोन बढ़ाता है?

हां, शिलाजीत एक प्राकृतिक उपाय हो सकता है जो पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह सामग्री शरीर के ऊर्जा स्तर को बढ़ाती है और शक्ति और सामर्थ्य को भी बढ़ा सकती है।

क्या शिलाजीत शरीर को गर्मी बढ़ाता है?

शिलाजीत का सेवन शरीर को गर्मी बढ़ाने में सीधा योगदान नहीं करता है। यह शरीर को उत्तेजित करने और ऊर्जा प्रदान करने में मदद कर सकता है, लेकिन इसका गर्मी को बढ़ाने के प्रमुख कारक नहीं है।

क्या शिलाजीत बालों का झड़ना करता है?

नहीं, शिलाजीत का सेवन बालों के झड़ने का कारण नहीं है। वास्तव में, इसका सेवन बालों के स्वास्थ्य को सुधार सकता है, क्योंकि यह मिनरल्स और विटामिन्स की भरपूर मात्रा प्रदान करता है जो बालों के विकास और पोषण में मदद करते हैं।

क्या शिलाजीत रोज़ाना लिया जा सकता है?

हां, शिलाजीत को नियमित रूप से लिया जा सकता है, लेकिन इसका सेवन अधिक मात्रा में नहीं किया जाना चाहिए। सामान्यत: 300 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम का शिलाजीत एक दिन में सेवन किया जा सकता है। फिर भी, सर्वोत्तम परिणामों के लिए, डॉक्टर की सलाह लेना बेहतर होता है। विशेष रूप से वे लोग जो किसी भी रोग या दवा का इलाज कर रहे हैं, उन्हें पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

References

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तरबूज (Watermelon in Hindi) के 13 फ़ायदे: इतिहास, रेसिपी और अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

परिचय

हर कोई जानता है कि तरबूज आपको गर्मियों वाले दिन में ठंडा रख सकता है, लेकिन यह स्वास्थ्यवर्द्धक फल आपके शरीर को ठंडा रखने से ज्यादा आपको डायबिटीज़ को काबू में करने और उन फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद कर सकता है जो आपके शरीर को लंबे समय तक बने रहने वाले रोगों से ग्रस्त कर सकते हैं। यह आपको दिल के रोगों, अस्थमा का दौरा पड़ने के जोखिमों से बचाने में मदद कर सकता है और वज़न घटाने में भी मदद करता है।  इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल में 45 कैलोरी, विटामिन सी और विटामिन ए होता है जो आपको स्वस्थ बनाए रख सकता है। तरबूज के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको हाइड्रेटेड (शरीर में नमी बनाए रखना) रखता है क्योंकि इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल में 92% पानी होता है और यह आपकी भूख को कम करने और आपको पेट भरा होने का अहसास दिलाने में मदद करेगा।

तरबूज के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Watermelon)

तरबूज में पानी बहुत ज़्यादा मात्रा में होता है जिसका मतलब यह है कि आपको कम कैलोरी के साथ ज़्यादा मात्रा में भोजन मिलता है। साथ अलावा, यहां कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताया गया है जिनके बारे में जानना आपके लिए आवश्यक है।

तरबूज के फ़ायदे

हर साल 3 अगस्त को तरबूज दिवस माना जाता है और यह उन सबसे अच्छे फलों में से एक है जिसे आप अपने पिकनिक या घर की पार्टियों में खा सकते हैं। मीठा और रसीला होने के अलावा, इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल को कई स्वास्थ्य लाभों से भरा हुआ कहा जाता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो सकता है। तरबूज खाने के कुछ स्वास्थ्य लाभ यहां बताए गए हैं।

1. आपको हाइड्रेटेड (शरीर में नमी बनाए रखना) रखता है

इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल में 92% पानी होता है और इसका मतलब है कि आपको कम कैलोरी और बहुत ज़्यादा भोजन मिलता है। यह फल आपके डीहाइड्रेशन को रोकने की क्षमता रखता है और इसका मतलब है कि आपको इसे अपने वज़न घटाने वाले आहार में शामिल करना होगा। खुद को हमेशा हाइड्रेटेड रखना आपके मुंह को सूखने से बचा सकता है और दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। गर्मी के दिनों में हाइड्रेटेड रहने से आपका शरीर ठंडा रहेगा। इससे आपका शरीर साफ रहेगा और आपकी त्वचा भी स्वस्थ रहेगी। तो, आपको बस इतना करना है कि हर दिन सिर्फ एक कप तरबूज खाएं और बस आपका स्वास्थ्य बढ़िया रहेगा।

2. ब्लड शुगर मैनेजमेंट में मदद करता है

यह रसदार फल एल-सिट्रूलीन (एमिनो एसिड) को एल-आर्जिनिन (एमिनो एसिड) में बदलने में आपके गुर्दे की मदद करता है। दरअसल, इन दो अमीनो एसिड में आपको डायबिटीज़ से बचाने के गुण होते हैं। डॉक्टरी भाषा में कहें तो तरबूज में मौजूद एल-आर्जिनिन सप्लीमेंट ज़रूरी होता है, यह शरीर द्वारा ग्लूकोज़ के मेटाबोलिज्म और इंसुलिन को कंट्रोल करता है।

3. वज़न घटाने में मदद करता है

अगर आप स्वाभाविक रूप से वज़न घटाने के बारे में सोच रहे हैं, तो इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल को अपने वज़न घटाने के आहार में शामिल ज़रूर करें। चूंकि इस फल में ज़्यादातर पानी होता है, यह आपको पेट भरा होने का अहसास देता है और इस तरह यह आपके पसंदीदा भोजन के लिए आपकी भूख को कम करके आपको उसे खाने से रोकेगा। इसलिए, अगर आप वज़न हल्का करना चाह रहे हैं, तो आपको इस रसदार फल को अपने वज़न घटाने वाले आहार में शामिल करना चाहिए।

4. कार्डियोवैस्कुलर रोगों को रोकने में मदद करता है

लाइकोपीन तरबूज में पाया जाने वाला एक पदार्थ है और यह फल को लाल रंग देता है। यह पदार्थ टमाटर में भी होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पदार्थ टमाटर से ज्यादा तरबूज में पाया जाता है। खैर, लाइकोपीन कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है और इस तरह आपके दिल से संबंधित बीमारियाँ बढ़ने के जोखिम को कम कर सकता है। तो, आपको बस इतना करना है कि हर दिन सिर्फ एक कप तरबूज खाएं और बस आपका स्वास्थ्य बढ़िया रहेगा।

5. अस्थमा की गंभीरता को कम करता है

तरबूज विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है और इसलिए यह अस्थमा के प्रभाव को कम करने में मददगार साबित होता है और इसका मतलब यह हो सकता है कि आप हर रोज़ सिर्फ एक कप तरबूज खाकर अस्थमा के कुछ गंभीर प्रभावों से लड़ सकते हैं। इसके अलावा, जिन दमा रोगियों में विटामिन सी कम होता है उन्हें दमा के लक्षणों का ज़्यादा अनुभव होता है और इसलिए, अगर आप ऐसी ही किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो आपके लिए तरबूज खाना सबसे बेहतर उपाय होगा। अगर सरल शब्दों में कहें, तो तरबूज में लगभग 40% विटामिन सी होता है जो अस्थमा के रोगियों के लिए अच्छा होता है।

6. दांतों की समस्याओं को कम करता है

हर दिन एक कप तरबूज खाने से से आप पेरियोडोंटल रोगों से बच सकते हैं, पेरियोडोंटल रोग एक ऐसी स्थिति है जो दुनिया की लगभग 25% आबादी को प्रभावित करती है। इस रोग की विशेषताएं हैं दांतों का झड़ना, इन्फेक्शन होना और यह दिल के अन्य रोगों से भी जुड़ा हुआ है। पेरियोडोंटल रोग के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने वाला प्रमुख पदार्थ विटामिन सी है। तो आपको बस इतना करना है कि अपने रोज़ के आहार में कुछ तरबूज भी शामिल करें और बस आपका स्वास्थ्य बढ़िया रहेगा।

7. सूजन से लड़ता है

सूजन से संबंधित रोगों के सबसे आम रूपों में से एक, वर्तमान में जिसका ज़्यादातर लोग सामना कर रहे हैं वह है सूजन जो कई गंभीर बीमारियों का कारण बनती है। इन रोगों में दिल के रोग, कैंसर और फाइब्रोमायल्गिया शामिल हैं। सूजन में बहुत सारी समस्याएं होती हैं जिनका सामना आज ज़्यादातर लोग करते हैं और इस रोग से लड़ने के लिए सावधानी बरतनी ज़रूरी है। हालाँकि, इस तरह की सूजन से लड़ने का एक आसान तरीका यह है कि आप अपने रोज़ाना के आहार में तरबूज को शामिल करें।

8. नसों के काम-काज के लिए अच्छा है

तरबूज में पोटेशियम भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो नसों के काम-काज को नियंत्रित कर सकता है। ज़्यादा सरल शब्दों में कहें, तो यह इलेक्ट्रिकल इम्पल्स (विद्युत आवेगों) और मैसेज (संदेशों) को काम करने में मदद करता है। आपको यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि मानव शरीर में पोटेशियम की कमी होने से सुन्नपन और झुनझुनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। तो अगर आप अपने पैर में ऐंठन से परेशान हैं, तो यह आपके शरीर में पोटेशियम की कमी का कारण हो सकता है। आपको बस इतना करना है कि एक गिलास तरबूज का रस पिएं।

9. हीट स्ट्रोक से बचाता है

हीटस्ट्रोक एक खतरनाक समस्या है जिससे अमेरिका में कई लोग प्रभावित होते हैं। हालांकि, यह स्थिति जानलेवा हो सकती है और इसके लक्षणों में बुखार होना शामिल हैं और शरीर के तापमान को बहुत ज़्यादा तापमान को झेलना पड़ता है।  तरबूज में इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं जो हीट स्ट्रोक से बचा सकते हैं। आपको बस इतना करना है कि थोड़ा तरबूज का रस पिएं और इससे आपके शरीर को ठंडा रखने में मदद मिलेगी और आपके शरीर का तापमान को नियंत्रण में रहेगा।

10. किडनी के लिए फायदेमंद है

मानव शरीर भोजन के माध्यम से, साथ ही जिस हवा में हम सांस लेते हैं उसके माध्यम से भी बहुत सारे विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आता है। हालाँकि, इन विषाक्त पदार्थों को हमारी किडनी बाहर निकाल देती है और अगर आप किडनी को स्वस्थ रखना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि किडनी अच्छी तरह से काम करे तो आपको हर दिन 1 गिलास तरबूज का रस पीना चाहिए। तरबूज में मुख्य पोषक तत्व कैल्शियम और पोटेशियम होते हैं जो विषाक्त पदार्थों से लड़ने में मदद करते हैं और उन्हें आपके शरीर से बाहर निकालते हैं।

11. आँखों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है

तरबूज में लाइकोपीन नाम का एक प्लांट कंपाउंड होता है, जो आंख के टिशूज़ के डीजनरेशन को रोकने में मदद कर सकता है। लाइकोपीन को एक एंटीऑक्सीडेंट और सूजन कम करने वाला भी माना जाता है।  हालांकि लाइकोपीन सच में आंखों को स्वस्थ रखने में कैसे काम करता है, यह देखने के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है। फ़िलहाल तो, यह उम्मीद रखना ही सही है कि तरबूज सच में आंखों के लिए अच्छा हो सकता है।

12. दर्द करने वाली मांसपेशियों को शांत कर सकता है

अध्ययनों में यह पाया गया है कि फलों या रस के रूप में तरबूज एथलेटिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने और कसरत के बाद आपको महसूस होने वाली दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। इसे सिट्रूलीन नामक अमीनो एसिड से संबंधित माना जाता है। नाइट्रिक ऑक्साइड बनने को बढ़ावा देने में सिट्रूलीन आपके शरीर की मदद कर सकता है और खून के दौरे को बेहतर बना सकता है। हालांकि इस स्वास्थ्य लाभ की पुष्टि के लिए अभी और जांच-पड़ताल की आवश्यकता है, तो क्यों न इसे आज़माया जाए और तरबूज के रस को अपने वर्कआउट रिकवरी का हिस्सा बनाया जाए!

13. पचाने के शानदार गुण हो सकते हैं

तरबूज में पानी और फाइबर दोनों होते हैं, ये दो पोषक तत्व एक बढ़िया पाचन तंत्र के लिए बहुत ज़रूरी हैं। कम फाइबर वाला आहार लेने से कब्ज़ और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। अपच या कब्ज़ की किसी भी समस्या को कम करने के लिए तरबूज और फाइबर वाले अन्य खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।

तरबूज का इतिहास (History of Watermelon)

अब जब आप जानते हैं कि यह फल आपके स्वास्थ्य के लिए कितना अच्छा है, तो इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल के इतिहास को जानने लायक कुछ रोचक तथ्य हैं। कहा जाता है कि पहला तरबूज लगभग 5000 साल पहले दक्षिण अफ्रीका में दिखाई दिया था। प्राचीन मिस्र में 2000 ई.पू. के दौरान इस फल की खेती शुरू हुई और यह वहां के रोज़ के खाने का हिस्सा बन गया।

मौजूदा सबसे शुरुआती सबूतों में से एक इमारतों पर चित्रलिपि के रूप में था जो बताता है कि प्राचीन मिस्र के लोग तरबूज की खेती करते थे। बल्कि बाइबिल में भी इस स्वास्थ्यवर्द्धक फल का उल्लेख एक मुख्य भोजन के रूप में किया जाता है जिसे इज़रायलियों द्वारा खाया जाता था।

अफ्रीका से शुरू होकर, यह फल यूरोप में आया जहां इसे 7वीं शताब्दी के दौरान सफलतापूर्वक उगाया जाने लगा था। बाद में, 10वीं शताब्दी के दौरान यह चीन में भी उगाया जाने लगा और वर्तमान में चीन दुनिया में तरबूज का सबसे बड़ा उत्पादक है। वर्तमान में, दुनिया भर में तरबूज की 1200 अलग-अलग किस्में हैं जो 96 अलग-अलग देशों में उगाई जाती हैं।

तरबूज से बनाई जाने वाली स्वास्थ्यवर्द्धक रेसिपी

कुछ लोगों को हर रोज़ तरबूज खाना स्वादिष्ट नहीं लग सकता है, इसलिए यहां तरबूज से बनाई जाने वाली कुछ स्वास्थ्यवर्द्धक रेसिपी बताई गई हैं जो इन फलों को एक अलग तरीके से खाना आसान बनाने में मदद करेंगी। ये रेसिपी आपकी टेस्ट बड्स को और ज़्यादा ज़ायका देंगी।

1. तरबूज का पिज़्ज़ा

आपको वज़न घटाने वाले स्वस्थ आहार में थोड़े कोकोनट योगहर्ट और बैरीज़ की टॉपिंग के साथ रसदार तरबूज शामिल करना चाहिए।

सामग्री

खैर, इस स्वास्थ्यवर्द्धक रेसिपी को तैयार करने से पहले, आपको सबसे पहले इन सामग्रियों की आवश्यकता होगी।

तरबूज वाला शाकाहारी पिज़्ज़ा कैसे बनाएं

अब जब आपके पास सभी सामग्री तैयार है, तो यहां बताया गया है कि आप इस स्वादिष्ट, रसीले और स्वास्थ्यवर्द्धक तरबूज वाले पिज़्ज़ा को कैसे तैयार कर सकते हैं।

2. तरबूज का पॉप्सिकल

क्या आपको पता था कि आप अपने लिए घर पर ही तरबूज का पॉप्सिकल बना सकते हैं? जी हाँ, इस गर्मी में गर्मी को मात देना बहुत आसान है।

सामग्री

यहां उन सामग्रियों की एक सूची दी गई है जिनकी ज़रूरत आपको तरबूज का पॉप्सिकल बनाने के लिए पड़ेगी।

तरबूज का पॉप्सिकल कैसे बनाएं

तरबूज़ के पॉप्सिकल का ताज़ा और स्वास्थ्यवर्द्धक स्वाद पाने के लिए नीचे बताए गए निर्देशों का पालन करें।

Read in English: 13 Health Benefits of Watermelon

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

एक गिलास ठंडे तरबूज का रस पीने के लिए या तरबूज को सलाद की तरह खाने के लिए गर्मी के मौसम से बढ़िया क्या होगा। इसके कई स्वास्थ्यवर्द्धक लाभों के कारण, इस फल को बस अपने रोज़ाना के भोजन में शामिल करके आप इसे वज़न घटाने वाले आहार के रूप में उपयोग कर सकते हैं। हालाँकि, यह फल आपको ढेर सारे लाभ प्रदान करता है, लेकिन ज़्यादा मात्रा में सेवन करने पर इसके नकारात्मक पहलू भी सामने आते हैं। यहाँ पर कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल दिए गए हैं जो इस फल को ज़्यादा खाने से होने वाली समस्याओं को विस्तार से समझाएँगे।

ज़्यादा तरबूज खाने से क्या होता है?

अगर आप हर रोज़ बहुत ज़्यादा तरबूज खाते हैं, तो आपके शरीर में पोटेशियम और लाइकोपीन की मात्रा बहुत ज़्यादा बढ़ सकती है। हालाँकि, यह सलाह दी जाती है कि आप हर रोज़ 30 मिलीग्राम से ज़्यादा लाइकोपीन का सेवन न करें। अगर यह मात्रा 30 मिलीग्राम से ज़्यादा हो जाती है, तो आपको दस्त, अपच, सूजन और जी मिचलाने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। तो आपको बस इतना करना है कि हर दिन सिर्फ एक कप तरबूज खाएं और बस आपका स्वास्थ्य बढ़िया रहेगा।

क्या तरबूज आपके लिवर के लिए अच्छा है?

यह स्वास्थ्यवर्द्धक फल अमोनिया को प्रोसेस करने में लिवर की मदद करता है जो कि एक बेकार पदार्थ है जो शरीर के प्रोटीन से प्रोसेस होता है। यह आपकी किडनी पर मौजूद तनाव को भी दूर करता है और इलेक्ट्रोलाइट्स बनाता है। इस लिए, हर दिन एक कप तरबूज खाएं या एक गिलास तरबूज का रस पिएं और इससे आपका लिवर स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी।

बीज वाले तरबूज से कौन-से स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं?

खैर, तरबूज की सबसे ज़्यादा उपलब्ध किस्म वह है जिसमें बीज होते हैं। इसे इसलिए स्वास्थ्यवर्द्धक कहा जाता है क्योंकि इसमें कम कैलोरी और भरपूर मात्रा में आयरन, मैग्नीशियम और फोलेट मौजूद होते हैं जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। डॉक्टरी भाषा में कहते हैं कि 1 कप तरबूज के बीज में 10 ग्राम प्रोटीन होता है। इसके अलावा, यह कहावत सच नहीं है कि तरबूज के बीज खाने से आपके पेट में तरबूज का पेड़ उग जाएगा, इसके बीज निगलना पूरी तरह सुरक्षित है।

क्या कुत्ते तरबूज खा सकते हैं?

हाँ, कुत्ते संतुलित मात्रा में तरबूज सुरक्षित रूप से खा सकते हैं। यह उनके लिए ताज़गी देने वाला उपचार है, लेकिन बीज और छिलका अवश्य हटा दें क्योंकि वे पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

क्या तरबूज़ आपके लिए अच्छा है?

जी हां, तरबूज सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह हाइड्रेटिंग है, विटामिन ए और सी से भरपूर है, और इसमें लाइकोपीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और हाइड्रेशन में सहायता करते हैं।

क्या तरबूज मधुमेह के लिए अच्छा है?

कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और उच्च पानी की मात्रा के कारण मधुमेह वाले लोग तरबूज का सेवन कम मात्रा में कर सकते हैं। हालाँकि, भाग नियंत्रण महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें प्राकृतिक शर्करा होती है जो रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकती है।

क्या तरबूज वजन घटाने के लिए अच्छा है?

तरबूज अपनी उच्च जल सामग्री और कम कैलोरी घनत्व के कारण वजन घटाने में सहायता कर सकता है, जिससे यह एक संतोषजनक और हाइड्रेटिंग स्नैक बन जाता है। इसके अतिरिक्त, इसमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो स्वस्थ चयापचय और पाचन का समर्थन कर सकते हैं।

क्या तरबूज एसिडिटी के लिए अच्छा है?

तरबूज अपनी उच्च प्राकृतिक शर्करा सामग्री और अम्लता स्तर के कारण कुछ व्यक्तियों में अम्लता बढ़ा सकता है। हालाँकि, इसके क्षारीय गुण और पानी की मात्रा दूसरों के लिए पेट के एसिड को बेअसर करने में मदद कर सकती है, जिससे कम मात्रा में सेवन करने पर एसिडिटी के लक्षणों से राहत मिलती है।

क्या तरबूज़ गर्भावस्था में अच्छा है?

गर्भावस्था के दौरान तरबूज फायदेमंद होता है क्योंकि यह हाइड्रेटिंग और विटामिन ए और सी जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो भ्रूण के विकास और मातृ स्वास्थ्य में सहायता करता है। इसकी उच्च जल सामग्री गर्भावस्था की सामान्य असुविधाओं जैसे सूजन और निर्जलीकरण को कम करने में भी मदद करती है।

क्या तरबूज दस्त के लिए अच्छा है?

तरबूज़ अपने उच्च पानी की मात्रा के कारण दस्त को कम करने के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो निर्जलीकरण को रोकने में मदद करता है, और इसमें प्राकृतिक शर्करा और इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो पाचन तंत्र में संतुलन बहाल करने में सहायता करते हैं। हालाँकि, गंभीर मामलों या लगातार लक्षणों के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना आवश्यक है।

क्या तरबूज खांसी के लिए अच्छा है?

तरबूज में विटामिन सी होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और खांसी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। इसकी उच्च जल सामग्री गले को हाइड्रेटेड रखने, जलन को शांत करने में भी मदद करती है। हालाँकि, लगातार या गंभीर खांसी के लक्षणों के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना आवश्यक है।

क्या तरबूज में चीनी की मात्रा अधिक होती है?

तरबूज में प्राकृतिक शर्करा होती है, लेकिन इसमें पानी की मात्रा और फाइबर की मात्रा अधिक होने के कारण इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स अपेक्षाकृत कम होता है। हालांकि यह मीठा होता है, लेकिन कम मात्रा में सेवन करने पर यह संतुलित आहार का हिस्सा हो सकता है।

क्या तरबूज दस्त के लिए अच्छा है?

तरबूज दस्त के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, जो निर्जलीकरण को रोकने में मदद करती है, और इसमें पोटेशियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो पाचन तंत्र में संतुलन बहाल करने में सहायता करते हैं। हालाँकि, इसका सीमित मात्रा में सेवन करना और लक्षण बने रहने पर स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

क्या आप तरबूज का छिलका खा सकते हैं?

हां, तरबूज का छिलका खाने योग्य होता है और इसका सेवन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जैसे कि अचार बनाना, तलना, या स्मूदी में मिलाकर। यह सिट्रूलिन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है और इसमें फाइबर भी होता है, हालांकि यह गूदे की तुलना में कम मीठा होता है।

क्या तरबूज़ रात में खाया जा सकता है?

तरबूज को रात में खाया जा सकता है, लेकिन इसमें पानी की मात्रा अधिक होने के कारण इसे कम मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है, जिससे रात के दौरान पेशाब की आवृत्ति बढ़ सकती है। हालाँकि, इसकी कम कैलोरी सामग्री और हाइड्रेटिंग गुण इसे रात के नाश्ते के लिए एक ताज़ा और स्वस्थ विकल्प बनाते हैं।

क्या तरबूज़ गर्भपात का कारण बन सकता है?

इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि तरबूज के सेवन से गर्भपात होता है। वास्तव में, यह एक हाइड्रेटिंग और पौष्टिक फल है जो गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ आहार का हिस्सा हो सकता है। हालाँकि, संयम महत्वपूर्ण है, और गर्भवती व्यक्तियों को अपने आहार के संबंध में अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना चाहिए।

क्या तरबूज़ आपको मल त्यागने पर मजबूर करता है?

तरबूज में फाइबर और उच्च पानी की मात्रा होती है, जो दोनों स्वस्थ पाचन और नियमित मल त्याग को बढ़ावा दे सकते हैं। हालाँकि, व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएँ भिन्न हो सकती हैं, इसलिए जहाँ यह कुछ लोगों के लिए आंत्र नियमितता में योगदान कर सकता है, वहीं दूसरों के लिए इसका समान प्रभाव नहीं हो सकता है।

क्या तरबूज़ में विटामिन सी होता है?

हाँ, तरबूज में विटामिन सी होता है, जो प्रतिरक्षा कार्य, त्वचा के स्वास्थ्य और घाव भरने के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है। तरबूज का सेवन आपकी दैनिक विटामिन सी आवश्यकताओं को पूरा करने में योगदान दे सकता है।

तरबूज कितने समय तक चलता है?

एक बार काटने के बाद, एयरटाइट कंटेनर में संग्रहित करने पर तरबूज आमतौर पर रेफ्रिजरेटर में लगभग 3-5 दिनों तक रहता है। हालाँकि, एक पूरा, बिना काटा हुआ तरबूज़ कमरे के तापमान पर या ठंडी, सूखी जगह पर रखने पर 1-2 सप्ताह तक चल सकता है।

तरबूज शरीर के लिए क्या करता है?

तरबूज कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है, जैसे इसकी उच्च जल सामग्री के कारण जलयोजन, लाइकोपीन जैसे एंटीऑक्सिडेंट के माध्यम से हृदय स्वास्थ्य के लिए समर्थन, और फाइबर सामग्री के कारण पाचन और वजन प्रबंधन में सहायता। इसके अतिरिक्त, यह आवश्यक विटामिन और खनिज प्रदान करता है, जो समग्र कल्याण और जीवन शक्ति में योगदान देता है।

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  10. Siddiqui WA, Shahzad M, Shabbir A, Ahmad A. Evaluation of anti-urolithiatic and diuretic activities of watermelon (Citrullus lanatus) using in vivo and in vitro experiments. Biomedicine & Pharmacotherapy. 2018 Jan 1;97:1212-21. 1. https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/S0753332217333085 
  11. Crowe-White KM, Nagabooshanam VA, Dudenbostel T, Locher JL, Chavers TP, Ellis AC. 100% Watermelon Juice as a Food-First Intervention to Improve Cognitive Function: Ancillary Findings from a Randomized Controlled Trial. Journal of Nutrition in Gerontology and Geriatrics. 2021 [cited 2025 May 19]. Available from: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/34644233/
  12. Collins JK, Wu G, Perkins-Veazie P, Spears K, Claypool PL, Baker RA, et al. Watermelon consumption increases plasma arginine concentrations in adults. Nutrition. 2007 [cited 2025 May 19]. Available from: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/17352962/
  13. Corliss J. Fruit of the month: Melons. Harvard Health. 2021 [cited 2025 May 19]. Available from: https://www.health.harvard.edu/heart-health/fruit-of-the-month-melons
  14. Welcome to watermelon.org. Watermelon Board. 2025 [cited 2025 May 19]. Available from: https://www.watermelon.org/

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अश्वगंधा (Ashwagandha in hindi) के उपयोग, लाभ और साइड इफ़ेक्ट

परिचय

अश्वगंधा या Withania somnifera, आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में उपयोग की जाने वाली एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है। यह एक तरह की छोटी झाड़ी है जो Solanaceae परिवार का एक हिस्सा है। यह अलग-अलग रोगों के लिए और ज़्यादातर एक नर्व टॉनिक के रूप में (नसों पर आरामदायक प्रभाव डालने वाला) उपयोगी हो सकता है। अश्वगंधा को आमतौर पर इंडियन जिनसेंग या इंडियन विंटर चेरी कहा जाता है। अश्वगंधा अपने रसायन (टॉनिक) गुण के लिए जाना जाता है। रसायन एक हर्बल या मैटेलिक फ़ॉर्मूलेशन है जो एक ताज़गी भरे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ खुशी का अहसास भी दिलाता है।

अश्वगंधा की खेती दक्षिण एशिया, अफ्रीका और मध्य एशिया के खुश्क इलाकों में की जाती है। अश्वगंधा के पौधे के अलग-अलग भागों से 50 से अधिक रासायनिक घटकों को अलग किया गया है।[1]

अश्वगंधा की न्यूट्रीशनल वैल्यू (Ashwagandha ki Nutritional Value)

100 ग्राम अश्वगंधा में जो पोषक तत्व पाए जाते हैं वो इस प्रकार हैं:

पोषक तत्त्ववैल्यू
  एनर्जी  250 g
  टोटल डाइटरी फाइबर  25 g
  कार्बोहाइड्रेट  75 g

टेबल 1: अश्वगंधा की न्यूट्रीशनल वैल्यू 2

अश्वगंधा की खूबियाँ (Ashwagandha ki khubiya)

अश्वगंधा की शानदार खूबियाँ इस प्रकार हैं:

अश्वगंधा के शानदार उपयोग (Ashwagandha ke Shandaar Upyog)

मानव स्वास्थ्य के लिए अश्वगंधा के शानदार उपयोग इस प्रकार हैं

1. चिंता और डिप्रेशन के लिए अश्वगंधा का शानदार उपयोग

अश्वगंधा में एंग्ज़योलिटिक (घबराहट से राहत देने वाले) गुण हो सकते हैं जो लॉराज़ेपाम नामक दवा की तरह ही होते हैं। पशुओं में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, अश्वगंधा और लोराज़ेपम दोनों ही पशु मॉडल में चिंता को कम करने में मदद कर सकते हैं। अश्वगंधा में एंटीडिप्रेसेंट गुण भी हो सकते हैं। इससे यह पता चलता है कि अश्वगंधा डिप्रेशन और घबराहट को कम करने में मदद कर सकता है।1 हालाँकि, इस दिशा में अभी और शोध की आवश्यकता है। डिप्रेशन और घबराहट ऐसी स्थितियाँ हैं जिन पर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है और इसके लिए किसी डॉक्टर से मेडिकल सहायता लेनी चाहिए।

2. आर्थराइटिस के लिए अश्वगंधा का शानदार उपयोग

अश्वगंधा में आर्थराइटिस के इलाज के लिए शानदार गुण हो सकते हैं जिन्हें बड़े पैमाने पर स्वीकार और रिपोर्ट किया जा सकता है। अश्वगंधा नर्वस सिस्टम को शांत करके दर्द को दूर करने में मदद कर सकता है।  एक प्रायोगिक अध्ययन में, रोगियों को अश्वगंधा वाला फ़ॉर्मूला दिया गया। इस अध्ययन में यह पाया गया कि यह हर्बल फ़ॉर्मूलेशन दर्द और विकलांगता की गंभीरता को कम कर सकता है।1,4 हालांकि, आर्थराइटिस एक गंभीर स्थिति है और इसकी पहचान और इलाज डॉक्टर द्वारा किया जाना चाहिए।

3. कोग्नीशन (ज्ञान और समझ हासिल करने में शामिल मानसिक प्रक्रियाएं) के लिए अश्वगंधा का शानदार उपयोग

अश्वगंधा एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक रसायन है और रसायन के एक उप-समूह मेध्या रसायन से संबंधित है। मेध्या का अर्थ है मानसिक/बौद्धिक क्षमता। अश्वगंधा याददाश्त और बुद्धि को बढ़ाने में मदद कर सकता है। कोगनीशन के लिए अश्वगंधा का शानदार लाभ कमज़ोर याददाश्त वाले बच्चों और वृद्धावस्था में एनेकडॉटल एविडेंस के रूप में देखा गया।1 हालांकि, ऐसे दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता।  इसलिए, इस दिशा में अभी और शोध की आवश्यकता है।

4. तनाव के लिए अश्वगंधा का शानदार उपयोग

मानसिक तनाव के कारण सर्कुलेटरी सिस्टम और दिल के स्वास्थ्य पर उल्टा असर पड़ता है। तनाव शरीर के एंटीऑक्सीडेंट डिफेन्स सिस्टम को भी प्रभावित करता है। अश्वगंधा शरीर को तनाव झेलने के लिए तैयार करने में मदद कर सकता है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी प्रभावी हो सकता है।5 हालांकि, ऐसे दावों को साबित करने के लिए अभी और ज़्यादा शोध की आवश्यकता है।

5. दर्द के लिए अश्वगंधा का शानदार उपयोग

एक अध्ययन में पाया गया कि प्लेसिबो की तुलना में अश्वगंधा के एक एक्वस एक्सट्रैक्ट के साथ किए गए इलाज ने दर्द की सीमा (एक बिंदु जिसके आगे एक ट्रिगर दर्द पैदा करता है) को बढ़ाने की क्षमता दिखाई, जिससे पता चलता है कि अश्वगंधा एक एनाल्जेसिक एजेंट (दर्द कम करने वाला) हो सकता है।हालांकि, इन्हें ठोस तथ्यों के रूप में दिखाने के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है।

6. अश्वगंधा के अन्य शानदार उपयोग

अश्वगंधा नींद से संबंधित समस्याओं से आराम दिलाने में मदद कर सकता है और इसमें नींद लाने वाले गुण हो सकते हैं। यह जल्दी नींद लाने में भी मदद कर सकता है और नींद को आरामदायक बनाने में भी काफ़ी लाभदायक है।7

हालांकि, अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग अध्ययन अश्वगंधा के शानदार उपयोग दिखाते हैं, लेकिन ये अध्ययन काफ़ी नहीं हैं और मानव स्वास्थ्य पर अश्वगंधा के लाभ कितने कारगर हैं यह पक्का करने के लिए आगे और अध्ययन की आवश्यकता है। 

अश्वगंधा को कैसे उपयोग करें (How to use Ashwagandha)?

अश्वगंधा के खास फ़ॉर्मूलेशन में शामिल हैं:

यह चाय, गोलियों, गम्मीज़ या टिंचर के रूप में भी उपलब्ध है। अश्वगंधा की जड़ें, बीज, पत्ते और फूल औषधीय कार्यों के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।1,7,8

कोई भी हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले आपको किसी अनुभवी डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। किसी अनुभवी डॉक्टर से सलाह लिए बिना अपने आधुनिक चिकित्सा के जारी इलाज को न तो बंद करें और न ही इसके बजाय कोई आयुर्वेदिक/हर्बल प्रिपरेशन लेना शुरू करें।  

अश्वगंधा के साइड इफ़ेक्ट

लंबे समय तक अश्वगंधा के उपयोग की सुरक्षा को लेकर कोई भी पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, अश्वगंधा के सबसे आम साइड इफ़ेक्ट इस प्रकार हैं:

जो साइड इफेक्ट्स कम देखने को मिलते हैं:

अश्वगंधा (Ashwagandha) से लिवर डैमेज भी हो सकता है। अगर आप किसी भी साइड इफेक्ट्स का अनुभव करते हैं, खासतौर पर खुजली वाली त्वचा या पीलिया जैसा लिवर डैमेज की स्थिति में होता है, तो अपने डॉक्टर से तुरंत बात करना बहुत ज़रूरी है।7 इसलिए, अश्वगंधा का उपयोग करने से पहले कृपया किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह ज़रूर लें। वे आपके स्वास्थ्य की ज़रूरतों के हिसाब से आपको सही सलाह देंगे।

अश्वगंधा के साथ बरती जाने वाली सावधानियां (Precautions to take with Ashwagandha)

कुछ स्थितियों में अश्वगंधा के उपयोग से बचना चाहिए जैसे:

कृपया अपना इलाज खुद करने की ग़लती न करें, न ही किसी जारी इलाज को बदलें, हटाएं या बंद करें। कृपया डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।

अन्य दवाओं के साथ इंटरैक्शन

नीचे बताई गई चीज़ों के साथ अश्वगंधा का उपयोग करते समय सावधानी बरतना आवश्यक है:

यह जानने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है कि कहीं दूसरी दवाओं के साथ अश्वगंधा का टकराव तो नहीं होता है।4

Read in English: Ashwagandha: Uses, Benefits & Side Effects

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

अश्वगंधा क्या होता है?

अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाली एक प्रसिद्ध जड़ी बूटी है। इसके आम नाम विंटर चेरी और इंडियन जिनसेंग भी हैं। यह Withania sominfera नाम की एक छोटी सदाबहार झाड़ी से मिलता है। अश्वगंधा कई तरह की बीमारियों के इलाज में मददगार साबित हो सकता है।

आमतौर पर अश्वगंधा की खेती कहाँ पर की जाती है?

भारत में अश्वगंधा की खेती उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पंजाब और मध्य प्रदेश में की जाती है।4

क्‍या सर्दी-ज़ुकाम में अश्वगंधा का इस्‍तेमाल कर सकते हैं?

अश्वगंधा की जड़ों का काढ़ा सर्दी-जुकाम में बहुत आरामदायक हो सकता है। इस जड़ की छाल अस्थमा के इलाज में भी मददगार साबित हो सकती है।4 कृपया अपना इलाज खुद करने की ग़लती न करें। आम सर्दी-ज़ुकाम के लिए अश्वगंधा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।

क्या अश्वगंधा को सूजन दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है?

आयुर्वेदिक चिकित्सा में, अश्वगंधा की जड़ का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा ट्यूमर, सूजन, स्क्रोफुला (कंठमाला) (एक प्रकार की टी.बी.) और रूमेटॉय्ड आर्थराइटिस (जोड़ों और हड्डियों को प्रभावित करने वाली स्थिति) से निपटने के लिए सूजन कम करने वाली दवा के रूप में किया जाता है।4 हालांकि, आपको सलाह दी जाती है कि ऊपर बताई गई स्थितियों के लिए अश्वगंधा का उपयोग अपनी मर्ज़ी से न करें। कृपया इसके लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।

आयुर्वेदिक चिकित्सा में अश्वगंधा किन स्थितियों के लिए दिया जाता है?

अश्वगंधा को सिंकोप (मस्तिष्क में रक्त का भरपूर प्रवाह न मिल पाने पर कुछ समय के लिए होश खोना), बवासीर, ट्यूमर, सर्वाइकल लिम्फैडेनाइटिस (गर्दन की लिम्फ नोड्स का बढ़ना), गाउट (एक प्रकार का गठिया), त्वचा के रोग, विटिलिगो (एक स्वास्थ्य समस्या जिसके कारण त्वचा का रंग फीका पड़ जाता है), लॉकजॉ, हार्ट फेलियर, फोड़े (मवाद इकट्ठा होना जिसमें दर्द होता है), घुटने की जकड़न, कैशेक्सिया (मांसपेशियों और वज़न में कमी आना), हड्डी का फ्रैक्चर, और डायबिटिक कार्बनकल (दर्द भरे फोड़ों का एक गुच्छा) जैसी स्थितियों के लिए दिया जाता है।4 कृपया डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें। अपना इलाज खुद करने की ग़लती न करें।

अश्वगंधा के पुरुषों के लिए क्या फायदे हैं?

अश्वगंधा पुरुषों की ताकत, सहनशक्ति और प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकता है। यह भी मानसिक तनाव को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकता है।

अश्वगंधा कितने दिन तक खाना चाहिए?

उपयुक्त अश्वगंधा खुराक व्यक्ति के स्वास्थ्य स्थिति, उम्र, और उपयोग के उद्देश्य के आधार पर भिन्न होती है। सामान्यतः, 1 से 3 ग्राम की दिन में दो बार खुराक सुझाई जाती है। लेकिन इससे पहले चिकित्सा पेशेवर से परामर्श करना उचित होगा।

अश्वगंधा कितने दिन में असर दिखाता है?

अश्वगंधा का प्रभाव व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य, उम्र, और उपयोग के आधार पर भिन्न होता है। कुछ लोगों को इसके प्रभाव को 1-2 हफ्तों में महसूस हो सकता है, जबकि अन्यों को इसे लेने में अधिक समय लग सकता है। इसलिए, यह व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक प्रतिसाद पर निर्भर करता है।

क्या आश्वगंधा वजन बढ़ाता है?

आश्वगंधा वजन बढ़ाने के लिए एक संतुलित आहार और प्रयासों के साथ मदद कर सकता है, परन्तु यह यौगिक तौर पर वजन बढ़ाने का कारण नहीं है। इसका उपयोग वजन नियंत्रण, तनाव प्रबंधन, और ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

क्या आश्वगंधा पर्जीवन हार्मोन टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाता है?

हाँ, कुछ अध्ययनों के अनुसार, आश्वगंधा टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसका उपयोग पुरुषों में हॉर्मोनल संतुलन को सुधारने और शारीरिक ताकत को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

क्या आश्वगंधा चिंता को कम करता है?

हां, कुछ अध्ययनों के अनुसार, आश्वगंधा चिंता को कम करने में मदद कर सकता है। यह एक प्राकृतिक अडैप्टोजेन है, जो शरीर को तनाव का संचालन करने में मदद करता है और विश्राम को बढ़ावा देता है। हालांकि, व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएँ भिन्न हो सकती हैं और चिकित्सा पेशेवर की सलाह लेना उचित है।

क्या आश्वगंधा शरीर का तापमान बढ़ाता है?

नहीं, आश्वगंधा शरीर का तापमान बढ़ाने में मदद नहीं करता है। वास्तव में, यह एक प्राकृतिक शांतिदायक होता है जो तनाव को कम करने और शारीरिक संतुलन को संरक्षित करने में सहायक होता है।

क्या आप गर्भावस्था के दौरान आश्वगंधा ले सकते हैं?

गर्भावस्था के दौरान आश्वगंधा का सेवन करने से पहले, आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। कुछ अध्ययनों में इसका असर नकारात्मक हो सकता है, इसलिए सुरक्षित अनुमति के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।

क्या आप हर दिन आश्गंधा ले सकते हैं?

हां, बहुत से लोग रोजाना आश्वगंधा का सेवन करते हैं। यह एक प्राकृतिक औषधि है जो दिनचर्या में सम्मिलित की जा सकती है। लेकिन जरूरी है कि आप इसे अपने स्वास्थ्य प्रश्नों और डॉक्टर की सलाह के अनुसार लें।

References

  1. Narendra Singh, Mohit Bhalla, Prashanti de Jager, Marilena Gilca; An overview on ashwagandha: A rasayana (rejuvenator) of Ayurveda. African journal of traditional, complementary and alternative medicines. 2011 June 3 8(5): 208-213 Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3252722/
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  4. Sleep foundation. Ashwagandha for sleep. [Internet] Available from: https://www.sleepfoundation.org/naturalsleepaids/ashwagandha#:~:text=unknown%20side%20effects.,Ashwagandha%20as%20a%20Sleep%20Aid,%25%20better14%2C%20on%20average
  5. The Ayurvedic Pharmacopoeia of India. Part-1 Volume-1. Available from: http://www.ayurveda.hu/api/API-Vol-1.pdf
  6. Ramakanth GS, Uday Kumar C, Kishan PV, Usharani P. A randomized, double blind, controlled study of efficacy and tolerability of Withaina somnifera extracts in knee joint pain. J Ayurveda Integr Med. 2016 Jul-Sep;7(3):151-157. doi: 10.1016/j.jaim.2016.05.003. Epub 2016 Sep 16. PMID: 27647541; PMCID: PMC5052364. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC5052364/
  7. Office of Dietary Supplements (ODS), National Institutes of Health. Ashwagandha: Is it helpful for stress, anxiety, or sleep? [Internet]. Bethesda (MD): NIH; [updated 2 May 2025; cited YYYY Mon DD]. Available from: https://ods.od.nih.gov/factsheets/Ashwagandha-HealthProfessional/
  8. Bonilla DA, Moreno Y, Gho C, Petro JL, Odriozola-Martínez A, Kreider RB. Effects of Ashwagandha (Withania somnifera) on Physical Performance: Systematic Review and Bayesian Meta-Analysis. J Funct Morphol Kinesiol. 2021 Feb 11;6(1):20. doi: 10.3390/jfmk6010020. PMID: 33670194; PMCID: PMC8006238. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC8006238/
  9. Salve J, Pate S, Debnath K, Langade D. Adaptogenic and Anxiolytic Effects of Ashwagandha Root Extract in Healthy Adults: A Double-blind, Randomized, Placebo-controlled Clinical Study. Cureus. 2019 Dec 25;11(12):e6466. doi: 10.7759/cureus.6466. PMID: 32021735; PMCID: PMC6979308. Available from: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/32021735/
  10. Ring C, Heitmiller K, Correia E, Gabriel Z, Saedi N. Nutraceuticals for Androgenetic Alopecia. J Clin Aesthet Dermatol. 2022 Mar;15(3):26-29. PMID: 35342503; PMCID: PMC8944288. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC8944288/
  11. Chandrasekhar K, Kapoor J, Anishetty S. A prospective, randomized double-blind, placebo-controlled study of safety and efficacy of a high-concentration full-spectrum extract of ashwagandha root in reducing stress and anxiety in adults. Indian J Psychol Med. 2012 Jul;34(3):255-62. doi: 10.4103/0253-7176.106022. PMID: 23439798; PMCID: PMC3573577. Available from: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC3573577/
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कैसे जानें कि आप प्रेग्नेंट या गर्भवती हैं? (How To Know If You’re Pregnant in hindi)

परिचय

प्रेग्नेंसी में हरेक महिला का अनुभव खास होता है। कुछ महिलाओं को अपनी प्रेग्नेंसी के पहले कुछ हफ्तों में ही पता चल जाता है कि वे गर्भवती हैं, जबकि अन्य को तब तक कुछ भी पता नहीं चलता जब तक कि उनका पीरियड मिस न हो जाए। 

पीरियड मिस होने से पहले प्रेग्नेंसी के प्रमुख 10 शुरुआती संकेत

1. अजीब-सी कमज़ोरी होना

बहुत थकान या थकावट, प्रेग्नेंसी के सबसे आम शुरुआती लक्षणों में से एक है। भले ही आपने 7-9 घंटे की नींद ली हो, तो भी ऐसे काम आपको थका हुआ महसूस करा सकते हैं जिन्हें करते समय आपको पहले कभी कोई परेशानी महसूस नहीं होती थी। प्रेग्नेंसी के दौरान, शरीर की ऊर्जा की ज़रूरतें बदल जाती हैं, जिससे थकान हो सकती है और आपकी पोषण संबंधी ज़रूरतें बढ़ सकती हैं। यह लक्षण आमतौर पर पहली तिमाही के दौरान रह सकता है। हालाँकि, न्यूट्रीशन प्लान में सही बदलाव करके, कई मामलों में कमज़ोरी को अच्छी तरह से प्रबंधित किया जा सकता है।

2. जल्दी-जल्दी पेशाब आना

आपको पीरियड मिस होने से पहले ही बार-बार पेशाब करने की ज़रूरत महसूस होने लग सकती है। 

3. कुछ खाते रहने की इच्छा होना या खाने से चिढ़ होना

गर्भधारण करने के बाद पहले कुछ हफ्तों के दौरान, महक, तेज़ स्वाद के लिए अचानक और बढ़ी हुई संवेदनशीलता और खाने से चिढ़ विकसित होती है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान हो भी सकती है और नहीं भी। यह भी देखा जाता है कि किसी खास तरह के खाने को खाते रहने की इच्छा बढ़ जाती है।

4. स्तन कोमल और सूजे हुए होना

पीरियड मिस होने के एक हफ्ते पहले, आपको स्तनों में बेचैनी, दर्द, भारीपन या गहरे रंग के घेरे दिखाई देने जैसी स्थिति महसूस हो सकती है। प्रेग्नेंसी के बाद, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने के कारण महिलाओं के स्तनों में बेचैनी और दर्द होने लगता है।  

5. बेसल बॉडी टेम्परेचर बढ़ना

ओव्यूलेशन से पहले आपके शरीर का तापमान बढ़ जाता है और आपकी माहवारी पूरी होने के बाद सामान्य हो जाता है। वहीं दूसरी ओर, प्रोजेस्टेरोन के स्तर बढ़ने से प्रेग्नेंसी के दौरान बेसल बॉडी टेम्परेचर ज़्यादा बना रहता है। 

6. सिर चकराना

सिर चकराना गर्भावस्था का एक शुरुआती संकेत है जो कई गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करता है। यह कमज़ोरी या रक्तचाप में गिरावट होने से चक्कर आने की भावना और संतुलन न बनाए रख पाने के कारण हो सकता है। यह बेचैनी पहली तिमाही तक रहती है और फिर धीरे-धीरे कम हो जाती है। 

7. शरीर से होने वाले डिस्चार्ज में बदलाव होना

सर्वाइकल डिस्चार्ज बढ़ना शुरुआती प्रेग्नेनेसी का संकेत है। इम्प्लांटेशन के बाद सर्वाइकल डिस्चार्ज गाढ़ा हो जाता है और तब तक बना रहता है जब तक कि आपका पीरियड मिस न हो जाए। पेशाब करते समय, आपको चुभने वाली सनसनी महसूस हो सकती है। इसके अलावा, आपकी योनि वाले हिस्से के आसपास खुजली और बेचैनी भी हो सकती है।

8. ऐंठन होना

ऐंठन होना गर्भावस्था का एक शुरुआती लक्षण है और यह गर्भाशय में रक्त का बहाव बढ़ने के कारण हो सकता है। हालांकि, लोगों को इसे पीएमएस या नियमित पीरियड के कारण होने की गलतफहमी हो सकती है। महिलाओं में सामान्य माहवारी से कुछ समय पहले इसी तरह की ऐंठन अक्सर होती है।

9. स्पॉटिंग (वेजाइना से खून आना)

आपका पीरियड शुरू होने से एक सप्ताह पहले, हल्के गुलाबी या भूरे रंग के खून के छोटे निशान बन सकते हैं। इसे इमप्लांटेशन कहा जाता है और इससे बेचैनी और हल्की ब्लीडिंग हो सकती है क्योंकि फ़र्टिलाइज़ हुआ अंडा गर्भाशय की परत से जुड़ जाता है। स्पॉटिंग को कभी-कभी पीरियड समझने की गलतफहमी हो सकती है, हालांकि, यह खून का रिसाव आमतौर पर बहुत हल्का होता है।

10. पेट फूलना

पीरियड मिस होने से पहले पेट फूलना या पेट में ऐंठन होना प्रेग्नेंसी के सबसे आम लक्षणों में से एक है। ये लक्षण प्रोजेस्टेरोन बढ़ने के कारण होते हैं।

यह भी पढ़ें: क्या रोज़ाना सेक्स (Sex in Hindi) करना सेहत के लिए अच्छा है?

निष्कर्ष

गर्भावस्था के कई शुरुआती लक्षण, स्वास्थ्य की अन्य स्थितियों के साथ-साथ आपकी नियमित माहवारी जैसे ही होते हैं। माहवारी से पहले के लक्षण प्रेग्नेंसी जैसे ही हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी टैस्ट कराना यह पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप गर्भवती हैं या नहीं। अगर आपको कुछ समय से माहवारी नहीं हुई है और आपको लगता है कि आप गर्भवती हो सकती हैं, तो प्रेग्नेंसी टैस्ट कराने पर ध्यान दें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

मुझे कैसे पता चलेगा कि मैं प्रेग्नेंट हूं?

प्रेग्नेंट होने का पता चलने के लिए सबसे पहले मिस्ड पीरियड पर ध्यान दें। इसके अलावा, गर्भावस्था परीक्षण (होम प्रेग्नेंसी टेस्ट) करें, जो आपको सही जानकारी देगा। प्रारंभिक लक्षणों में मिचली, उल्टी, थकान और स्तनों में संवेदनशीलता शामिल हो सकते हैं।

प्रेग्नेंट होने के बाद भी पीरियड आता है क्या?

प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्यत: पीरियड्स नहीं आते हैं। हालांकि, कुछ महिलाओं को प्रारंभिक हफ्तों में हल्का रक्तस्राव या स्पॉटिंग हो सकता है, जिसे पीरियड्स के साथ भ्रमित किया जा सकता है।

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण कब दिखते है?

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण सामान्यत: गर्भधारण के 1-2 हफ्तों बाद दिखने लगते हैं। इनमें मिस्ड पीरियड, मिचली, उल्टी, स्तनों में संवेदनशीलता, थकान, और बार-बार पेशाब आना शामिल हो सकते हैं।

गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद उल्टी होती है?

गर्भ ठहरने के आमतौर पर 4 से 6 हफ्तों के बाद उल्टी या मिचली की समस्या शुरू हो सकती है, जिसे मॉर्निंग सिकनेस भी कहा जाता है। यह लक्षण कुछ महिलाओं में पहले या बाद में भी दिख सकते हैं।

पीरियड मिस होने के बाद पेट में दर्द क्यों होता है?

पीरियड मिस होने के बाद पेट में दर्द होना कई कारणों से हो सकता है। यह गर्भधारण के लक्षणों में से एक हो सकता है, क्योंकि गर्भाशय में होने वाले बदलावों के कारण दर्द महसूस हो सकता है। इसके अलावा, हार्मोनल परिवर्तन या अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी पेट दर्द का कारण बन सकती हैं।

क्या पीरियड मिस होने के बाद वाइट डिस्चार्ज होता है?

हाँ, पीरियड मिस होने के बाद वाइट डिस्चार्ज हो सकता है। यह अक्सर गर्भावस्था का प्रारंभिक संकेत होता है और हार्मोनल बदलावों के कारण होता है। यदि डिस्चार्ज के साथ खुजली, जलन या दुर्गंध हो, तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है और डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

पीरियड आने के बाद भी क्या कोई प्रेग्नेंट हो सकते है? 

पीरियड आने के बाद प्रेग्नेंट होना असामान्य है, लेकिन कुछ महिलाएं प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान हल्का रक्तस्राव अनुभव कर सकती हैं, जिसे वे पीरियड समझ सकती हैं। यह रक्तस्राव आमतौर पर कम और हल्का होता है। इसलिए, अगर संदेह हो, तो प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाना सही होगा।

लड़कियां प्रेग्नेंट कब हो सकती है?

लड़कियां प्रेग्नेंट तब हो सकती हैं जब उनका मासिक धर्म चक्र शुरू हो जाता है, जो आमतौर पर 12-14 साल की उम्र के बीच होता है। गर्भधारण के लिए, अंडोत्सर्जन (ओव्यूलेशन) के समय संभोग के दौरान पुरुष का शुक्राणु महिला के अंडाणु को निषेचित करता है।

पीरियड मिस होने से पहले गर्भवती होने का पता कैसे लगाएं?

पीरियड मिस होने से पहले गर्भावस्था का पता लगाना मुश्किल होता है, लेकिन प्रारंभिक संकेत में मिचली, स्तनों में संवेदनशीलता, थकान, और बार-बार पेशाब आना शामिल हो सकते हैं। होम प्रेग्नेंसी टेस्ट उपलब्ध हैं, लेकिन सटीक परिणाम के लिए अपेक्षित पीरियड के बाद प्रतीक्षा करना सलाहकारी है। यदि गर्भावस्था का संदेह है और लक्षण अनुभव किए जा रहे हैं, तो चिकित्सा पेशेवर से परामर्श करना सिफारिश किया जाता है।

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