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हींग (Asafoetida in Hindi): उपयोग, फ़ायदे, न्यूट्रिशनल वैल्यू और अन्य बातें!

परिचय

दुनिया के बहुत से हिस्सों में, हींग (ऐसाफ़ेटिडा) को खाने का स्वाद बढ़ाने वाले तत्व के रूप में और विभिन्न प्रकार की बीमारियों का पारंपरिक रूप से उपचार करने के लिए किया जाता है। हींग (फ़ेरुला ऐसाफ़ेटिडा), एक ओलिओ-गम-रेज़िन है जो अंबेलीफेरा फ़ैमिली के फ़ेरुला पौधों के तनों में बनती है। फ़ेरुला के पौधे काफ़ी बड़े स्तर पर मध्य एशिया, ख़ासकर पश्चिमी अफगानिस्तान, इराक, तुर्की और पूर्वी ईरान, यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका में फ़ैले हुए हैं जहां इनकी लगभग 170 प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत में, ऐसाफ़ेटिडा को हींग या हींगु के नाम से जाना जाता है।1

फ़ेरुला के पौधे, बड़ी टैपरूट या गाजर के आकार की जड़ें बनाते हैं जिनके ऊपरी हिस्से की चौड़ाई 4 से 5 साल में लगभग 15 सेमी तक हो जाती है और इनसे हींग प्राप्त की जाती है। हींग की गंध तीखी, लंबे समय तक बरकरार और सल्फर वाली होती है। अपनी गंध के कारण अब यह भारतीय व्यंजनों में डाली जाने वाली एक आम चीज़ बन गई है, जो लहसुन, प्याज़ और साथ ही मांस के समान तीखी गंध वाली होती है। फ़ेरुला एक लैटिन शब्द है जिसका मतलब है ‘ले जाने वाला’ या ‘वाहन’। ‘असा’ शब्द फारसी ‘असा’ से बना लैटिन रूप है, जिसका अर्थ होता है ‘रेज़िन’ और फोएटिडस का अर्थ है ‘महक’।

हींग दो रूपों में आती है: ठोस रूप में और छोटे टुकड़ों में, आमतौर पर इसका ठोस रूप पाया जाता है। फ़ेरूला हींग के पौधे में पाए जाने वाले रासायनिक तत्वों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है: रेज़िन, गोंद और एसेन्शिअल ऑयल। वैनिलिन, 3,4-डाइमेथॉक्सीसिनामाइल-3-(3,4-डाइसेटॉक्सीफेनिल) एक्रिलेट, पिसिलैक्टोन सी और 7-ऑक्सोकैलिट्रिस्टिक एसिड, फ़ेरुला ऐसाफ़ेटिडा के पौधे में पाए जाने वाले फेनोलिक यौगिकों और डाइटरपेन में शामिल हैं।2

हींग में पाए जाने वाले पोषक तत्व इस प्रकार हैं: 2

हींग का पोषण तत्वों की मात्रा

तत्वप्रतिशत
कार्बोहाइड्रेट68%
प्रोटीन4%
फाइबर4%
वसा1%
खनिज7%

टेबल1: हींग में पाए जाने वाले पोषक तत्व2

उपचार के लिए किए जाने वाले हींग के उपयोग

अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, काली खांसी, आंतों में पलने वाले परजीवी, अल्सर, पेट दर्द, मिर्गी, पेट फूलना, कमजोर पाचन, ऐंठन और इन्फ्लूएंजा कुछ ऐसी स्थितियां हैं जिनके लिए हमेशा हींग का इस्तेमाल किया जाता रहा है। हींग, पेट से जुड़ी कई तरह की बीमारियों को दूर करने में मदद करती है। इसका उपयोग अनचाहे गर्भावस्था, असामान्य दर्द, बाँझपन, कठिन और अत्यधिक मासिक धर्म एवं ल्यूकोरिया जैसी कई तरह की समस्याओं से निपटने में किया जाता है।1

हींग के फ़ायदे

Hing (Asafoetida) ke faayede

नसों की समस्याओं से निपटने के लिए हींग के फ़ायदे:

हृदय के लिए हींग के फ़ायदे

प्रयोग में शामिल जानवरों में फ़ेरूला हींग गोंद के अर्क को ब्लड प्रेशर को कम करने में कारगर पाया गया।1

लीवर के लिए हींग के फ़ायदे :

फ़ेरूला हींग के पॉलीहर्बल सस्पेंशन और मोमोर्डिका चारेंटिया लिन, नरदोस्ताचस जटामांसी वास के अर्क का रक्त में एंजाइमों को कम करने का एक महत्वपूर्ण बेहद सुरक्षापूर्ण प्रभाव पाया गया, जिसमें ग्लूटामेट पायरुवेट ट्रांसमानेज, ग्लूटामेट ऑक्सेलोसेट ट्रांसमानेज और क्षारीय फॉस्फेट शामिल है।1

रोगों से बचाने वाले एजेंट के रूप में हींग के फ़ायदे:

● हींग के अर्क के रोगों से बचाने के गुण का कई तरह के कवक और जीवाणुओं की किस्मों पर परीक्षण किया गया।

● इसके एल्कोहोलिक और जलीय अर्क ने कवक और बैक्टीरिया को रोककर रोगों से बचाने की बेहद महत्वपूर्ण काम किया। बी. सबटिलिस, ई. कोलाई, क्लेबसिएला निमोनिया और एस. ऑरियस पर इसकी जीवाणुरोधी क्षमता को जांचा गया, जबकि हींग की एंटिफंगल क्षमता को ए. नाइगर और कैंडिडा एल्बीकैंस पर जांचा गया।1

एंटीकैंसर एजेंट के रूप में हींग के फ़ायदे:

फ़ेरूला हींग के ओलियो-गम-रेसिन की कीमोप्रिवेंटिव क्षमता का अध्ययन चूहों में होने वाले कोलन कैंसर में, ट्यूमर के आकार, ट्यूमर की बहुलता और ट्यूमर होने की घटनाओं के अलावा इसके सीरम के कुल सियालिक एसिड के स्तर को मापकर किया गया।1

डायबिटीज से निपटने में हींग के फ़ायदे:

हींग के अर्क ने ब्लड शुगर को मात्रा को कम करने में सहायक है और इस तरह इसके अर्क में पाए जाने वाले फेनोलिक एसिड और टैनिन के कारण इसका इस्तेमाल डायबिटीज के रोगियों के ब्लड शुगर के स्तर को कम करने के लिए किया जा सकता है।1

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मोटापा से बचाने और चर्बी कम करने वाले एजेंट के रूप में हींग के फ़ायदे:

●     डायबिटीज के रोगियों में वजन बढ़ने और वसा बनने की प्रक्रिया में फ़ेरूला हींग के प्रभावों को जानने के लिए शोध किया गया और यह पता चला कि यह शरीर के वजन, असामान्य वसा और एडिपोसाइट कोशिका के आकार को कम करने में सहायक है।

●      इसी वजह से इसे डायबिटीज के कारण होने वाले मोटापे के उपचार में सहायक विकल्प माना जा सकता है।1

कृमिनाशक एजेंट के रूप में हींग के फ़ायदे:

कृमि मारने की गतिविधि में जांच में फ़ेरूला हींग के तरल अर्क के प्रभाव की जांच कई कृमियों के काफ़ी हद तक कमज़ोर बनने और इनके मरने के समय को मापकर की गई।1

एंटीऑक्सिडेंट के रूप में हींग के फ़ायदे:

●     हींग के पौधे के अर्क ने प्रायोगिक जानवरों में एंटीऑक्सीडेंट की भूमिका निभाई।

●     अध्ययन के परिणामों ने चूहों के लीवर में लिपिड पेरोक्सीडेशन के स्तरों में कमी का पता चला।2

रिलैक्स करने के गुण के कारण हींग के फ़ायदे:

●     फ़ेरूला हींग और इसके अवयवों अनेक तरह से तैयार करके विभिन्न प्रकार की चिकनी मांसपेशियों पर इसके प्रभावों की जांच की गई।

●     हींग के ओलेओ-गम-रेज़िन और इसके कूमेरिन घटक अम्बेलिप्रेनिन की चिकनी मांसपेशियों को आराम देने वाली क्रियाओं की इन-विट्रो अध्ययनों द्वारा जांच की गई।

●     हींग के अर्क में अंबेलिप्रेनिन मौजूद होने के कारण यह श्वासनली की चिकनी मांसपेशियों को आराम पहुंचा सकती है।1

पाचन प्रक्रिया को तेज़ करने में हींग के फ़ायदे:

●      हींग की पाचन प्रक्रिया तेज़ करने का शरीर पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण लार अधिक बनती है और लार एमाइलेज की गतिविधि में वृद्धि होती है।

●     यह पित्त के प्रवाह को तेज़ करके और पित्त में एसिड के स्राव को बढ़ाती है, अग्न्याशय और छोटी आंत के पाचन एंजाइमों की गतिविधि को तेज़ कर आहार को पचाने में सहायता करता है।1

अल्सर से बचाव में हींग के फ़ायदे: 

जानवरों पर किए गए अध्ययन के अनुसार, हींग को पानी में घोलने पर यह अल्सर से बचने में सहायक साबित हो सकता है।3 

Read in English: Bhumi Amla – Benefits, Uses & Precautions

हींग को कैसे इस्तेमाल करें?

हींग का उपयोग नीचे बताए गए तरीकों से किया जा सकता है:

गोंद

हिस्टीरिया, काली खांसी और अल्सर के इलाज के लिए इसके सूखे गोंद को गर्म पानी में घोलकर इसे पिया जाता है। इसका उपयोग अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के इलाज के लिए भी किया जाता है। मलेशिया में, एमेनोरिया के इलाज के लिए इससे बना च्यूइंग गम चबाया जाता है और मोरक्को में इसे एंटीपीलेप्टिक के रूप में चबाया जाता है। मिस्रवासी सूखे गोंद का उपयोग गर्भनिरोधक के रूप में करते हैं।2

जड़

ऐंठन रोधी, मूत्रवर्धक, वर्मीफ्यूज और एनाल्जेसिक के रूप में इसकी सूखी जड़ का उपयोग काढ़ा बनाने के लिए किया जाता है2

रेज़िन

कृमिनाशक के रूप में रेज़िन के पानी के अर्क को मौखिक रूप से लिया जाता है। रेज़िन का तरल अर्क मुंह से लेने पर यह कफ़ नाशक, कृमिनाशक, कामोत्तेजक और दिमाग उत्तेजित करने का काम करता है। काली खांसी से निपटने के लिए इसकी सूखी रेज़िन का पेस्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।2

पत्ते और तना

पुरूष इसके सूखे पत्ते और तने के अर्क को गर्म पानी से पी सकते हैं। यह कामवासना बढ़ाने का काम करता है।2

ओलेरेज़िन पाउडर

इसके चूर्ण का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है।2

हींग के साइड इफ़ेक्ट्स:

हींग के अर्क की जांच में यह रोजमर्रा के उपयोग के लिए सुरक्षित पाया गया है। ज़्यादा मात्रा में हींग लेने से मुंह में सूजन, पाचन संबंधी समस्याएं जैसे पेट फूलना, दस्त, घबराहट और सिरदर्द की समस्या हो सकती है।1

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हींग के साथ बरती जाने वाली सावधानियां:

आपको नीचे बताई गई बातों का ध्यान रखना चाहिए:

● गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान हींग का सेवन नहीं किया जाना चाहिए है क्योंकि यह मासिक धर्म चक्र को प्रभावित करता है और गर्भपात कराने वाला होता है।1,4 

● हींग के इस्तेमाल से भ्रूण का हीमोग्लोबिन ऑक्सीकृत हो जाता है, जबकि वयस्क हीमोग्लोबिन में ऐसा नहीं होता है। बच्चों को हींग की दवा नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इससे मेथेमोग्लोबिनेमिया हो सकता है।

● रेज़िन को व्यक्तियों में घबराहट के दौरान होने वाली ऐंठन से जोड़ा जाता है।4 

अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया:

जब कॉमरिंस के साथ हींग का उपयोग किया जाता है, तो हींग क्रोमोसोमल क्षति का कारण बन सकती है और कोएगुलेशन थेरेपी में रूकावट खड़ी कर सकती है।4

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1) हींग क्या है?

हींग (ऐसाफ़ेटिडा) एक ओलियो-गम-रेज़िन है जिसका उपयोग खाने का स्वाद बढ़ाने वाले एजेंट के रूप में और दुनिया के कई हिस्सों में कई तरह के रोगों के पारंपरिक उपचार के रूप में किया जाता है।1

2) हींग कैसे बनती है?

इसे फ़ेरूला के पौधों से निकाला जाता है, जिनकी फ़ैली हुई टैपरूट या गाजर के आकार की जड़ें होती हैं (जब ये 4-5 साल की होती हैं तो सिरे पर लगभग 15 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं)।1

3) गैस बनने की समस्या में हींग का उपयोग कैसे करें?

हींग को भून कर इसका उपयोग गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों निपटने के लिए किया जाता है और जो बिना प्रोसेस की गई हींग की तुलना में पेट फूलने से बचाने में अधिक उपयोगी होती है जो पेट में जलन और सूजन का कारण होता है। 2

4) हींग के क्या उपयोग हैं?

इसका उपयोग पारंपरिक रूप से कई रोगों के उपचार के लिए किया जाता है, जैसे अस्थमा, काली खांसी, पेट दर्द, इन्फ्लूएंजा, आंतों के कीड़े, अल्सर, मिर्गी, पेट फूलना, ब्रोंकाइटिस, ऐंठन और कमजोर पाचन।1

5) क्या गर्भावस्था के दौरान हींग का सेवन सुरक्षित है?

नहीं, गर्भावस्था के दौरान हींग का सेवन सुरक्षित नहीं है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान हींग का सेवन मना है।1

6) हींग कहाँ पाई जाती है?

फ़ेरुला के पौधे काफ़ी बड़े स्तर पर मध्य एशिया, ख़ासकर पश्चिम अफगानिस्तान, इराक, तुर्की और पूर्वी ईरान, यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका में में फैले हुए हैं जहां इनकी लगभग 170 प्रजातियां पाई जाती हैं।1

7) खाने में हींग का प्रयोग क्यों किया जाता है?

अपनी गंध के कारण अब यह भारतीय व्यंजनों में डाली जाने वाली एक आम चीज़ बन गई है, जो लहसुन, प्याज़ और साथ ही मांस के समान तीखी गंध वाली होती है।1

8) क्या हींग से मासिक धर्म हो सकता है?

नहीं, इससे मासिक धर्म नहीं होता।1

9) हींग, पौधे का कौन सा भाग है?

यह फ़ेरुला पौधे के तनों से निकाला गया एक ओलेओ-गम रेज़िन है।1

10) क्या हींग का सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है?

नहीं, इसके सेवन से गर्भपात नहीं होता, बल्कि इसका इस्तेमाल अवांछित गर्भपात से बचने के लिए किया जाता है।1

11) खाना पकाने में हींग का उपयोग कैसे करें?

इसका उपयोग करी, मांस, अचार और दालों सहित अनेक प्रकार के व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने वाली सीज़निंग या मसाले के रूप में किया जाता है।2

12) क्या हींग पाचन के लिए अच्छा है?

जी हां, हींग पाचन के लिए फायदेमंद होती है। यह लार बनने और लार एमाइलेज की गतिविधि को तेज़ करके पाचन प्रक्रिया तेज़ करने का काम करती है।1

Read in English: Lodhra – Uses, Benefits & Side Effects

Disclaimer:
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References:

  1. Augustine Amalraj and Sreeraj Gopi. Biological activities and medicinal properties of Asafoetida: A review. National Center For Biotechnology Information. [Internet]. December 20, 2016. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5506628/ .
  2. Shailja Choudhary , Hemlata Kaurav , Gitika Chaudhary. Hing (Ferula asafoetida). A Review Based Upon its Ayurvedic and Pharmacological Properties. Research Gate. [Internet]. Available from: https://www.researchgate.net/publication/353601868_Hing_Ferula_asafoetida_A_Review_Based_Upon_its_Ayurvedic_and_Pharmacological_Properties .
  3. J.A. Kareparamban, P.H. Nikam, A.P. Jadhav, V.J. Kadam. Ferula foetida” hing”: A review. Research Gate. [Internet]. Available from: https://www.researchgate.net/publication/353601868_Hing_Ferula_asafoetida_A_Review_Based_Upon_its_Ayurvedic_and_Pharmacological_Properties .
  4. James A.Duke and Mary Jo Bogenschutz-Godwin, Judi duCellier and Peggy-Ann K.Duke. Handbook of medicinal herbs. Enpab. [Internet]. June 27, 2002. Available from: https://www.enpab.it/images/2018/James_A._Duke_-_Handbook_of_Medicinal_Herbs.pdf. .

Read in English: Chamomile – Uses, Benefits & Side Effects

अखरोट (Walnuts in Hindi): उपयोग, लाभ और न्यूट्रिशनल वैल्यू

अखरोट (वॉलनट) को ‘ब्रेन फ़ूड’ कहा जाता है क्योंकि यह दिखने में दिमाग जैसा ही होता है। मज़ेदार बात यह है कि रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि नियमित तौर पर अखरोट (वॉलनट) खाने से दिमाग और ज़्यादा बेहतर तरीके से काम करता है।इसे डाइट में शामिल करना काफी आसान है और यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है। ये बाकि के ज़्यादातर अन्य सूखे मेवों (नट्स), यहां तक कि बादाम से भी बेहतर हैं क्योंकि इनमें काफी अच्छी मात्रा में पॉलीअनसैचुरेटेड फैट, विटामिन और पोटेशियम, आयरन, जिंक और मैग्नीशियम जैसे मिनरल होते हैं। फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर अखरोट (वॉलनट) सभी तरह के सूखे मेवों से बेहतर है। चलिए अब अखरोट (वॉलनट) के कुछ फायदों के बारे में जानते हैं। उन्हें सलाद के हिस्से के तौर पर, मिठाई के ऊपर या स्नैक (दिन और रात के खाने के बीच का कोई वक्त) के तौर पर अपनी डाइट में शामिल करें।

  1. कैंसर रोधी (एंटी-कैंसर)

अखरोट (वॉलनट) कैंसर के खतरों से लड़ सकता है। ये ओमेगा -3 फैटी एसिड और अन्य एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं जो कैंसर से लड़ने के लिए जाने जाते हैं। अखरोट (वॉलनट) खास तौर से प्रोस्टेट, ब्रेस्ट और पैंक्रियाटिक कैंसर के लिए काफी फायदेमंद होता है।

  1. दिल की सेहत के लिए अच्छा है

अखरोट (वॉलनट) में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड और लिनोलेनिक एसिड जैसे मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं। ये एक स्वस्थ लिपिड सप्लाई को प्रोत्साहित करते हैं। खराब कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है। ये हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में भी फायदेमंद होते हैं।

  1. अच्छा शरीर बनाए रखने में मदद करता है

अखरोट (वॉलनट) में फाइबर की की काफी अच्छी मात्रा होती है, इसलिए मुट्ठी भर अखरोट (वॉलनट) खाने के बाद आपको पेट भरा हुआ महसूस होता है। ये प्रोटीन से भरपूर होते हैं और सेहतमंद तरीके से वज़न घटाने में मदद करते हैं।

  1. डायबिटीज वालों के लिए अच्छा होता है

अखरोट (वॉलनट) खाने से टाइप II डायबिटीज होने के जोखिम को कम किया जा सकता है। ये प्रोटीन, अच्छे फैट और फाइबर से भरपूर होते हैं। इन्हें खाने से वज़न नहीं बढ़ता है, इसलिए डायबिटीज के मरीज़ इन्हें बिना किसी चिंता के खा सकते हैं।

  1. मेटाबोलिज्म बढ़ाता है

मुट्ठी भर अखरोट (वॉलनट) सुस्त पड़े हुए मेटाबोलिज्म को बढ़ा सकते हैं। वे ज़रूरी फैटी एसिड से भरपूर होते हैं और पाचन, ग्रोथ और विकास और अन्य मेटाबोलिक प्रक्रियाओं में मदद करते हैं।

  1. हड्डियों के लिए अच्छा होता है

अखरोट (वॉलनट)  शरीर में कैल्शियम के अवशोषण (एब्ज़ोर्प्शन) को बढ़ाने में मदद करता है। वे मेटाबोलिक प्रक्रियाओं के दौरान कैल्शियम के उत्सर्जन (एक्सक्रीशन) को भी कम करते हैं।

  1. एंटी-इंफ्लेमेटरी (शरीर में लाली, सूजन और दर्द कम करने वाला) है

अखरोट (वॉलनट) में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। डायबिटीज, संधिवात (रूमेटिज्म), गठिया (आर्थराइटिस) जैसी बीमारियां इंफ्लमैशन के कारण होती हैं। रोज़ाना अखरोट (वॉलनट) खाने से इन बीमारियों से बेहतर तरीके से मुकाबला करने में मदद मिलती है।

  1. पाचन के लिए अच्छा होता है

अखरोट (वॉलनट) फाइबर से भरपूर होते हैं। इस वजह से, वे आंत को साफ करने और शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करते हैं। ये मल को भारी  करते हैं और कब्ज से छुटकारा दिलाते हैं।

एक मज़ेदार फैक्ट! सेहत को बढ़ावा देने वाले बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं के ज़्यादा मात्रा में होने से आपकी आंत की सेहत में सुधार हो सकता है। ऐसा करने का एक तरीका अखरोट (वॉलनट) खाना है। एक अस्वास्थ्यकर माइक्रोबायोटा के कारण आपकी आंत में सूजन हो सकती है, जिससे मोटापा, कैंसर और अन्य पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए अखरोट (वॉलनट) खाने से ऐसा खतरों से बचा जा सकता है। उदाहरण के लिए, अखरोट (वॉलनट) को अपनी रोज़ाना की डाइट में शामिल करने से ब्यूटिरेट-उत्पादक बैक्टीरिया बढ़ सकता है, यह एक फैट है जो आंत की सेहत में सुधार करता है।

  1. दिमाग के लिए अच्छा होता है

हम यह नहीं कह रहे हैं कि अखरोट (वॉलनट) आपके दिमाग के लिए इसलिए अच्छे हैं क्योंकि वे दिमाग जैसे दिखते हैं। ऐसे कई अध्ययन हैं जो दिमाग के बेहतर काम करने में अखरोट (वॉलनट) के फायदों को साबित करते हैं। उदाहरण के लिए, अखरोट (वॉलनट) में पाए जाने वाले पोषक तत्व दिमाग के अंदर ऑक्सीडेटिव क्षति और इंफ्लमैशन को रोकने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

कुछ रिसर्च में वयस्कों पर नज़र रखी गई, जिसमें देखा गया कि बेहतर याद्दाश्त, तेज प्रोसेसिंग स्पीड और मानसिक लचीलेपन सहित उनके दिमाग के कामकाज में सुधार करने में अखरोट (वॉलनट) की अहम भूमिका सामने आई।

इन सभी दावों के बावजूद, इंसान के दिमाग पर पर अखरोट (वॉलनट) के फायदों पर अभी और अध्ययन की ज़रुरत है। फिर भी आप हमेशा कुछ अखरोट (वॉलनट) खा सकते हैं क्योंकि वैसे भी वे आपकी सेहत के लिए अच्छे होते हैं।

10. नींद लाने में मदद करता है

अखरोट (वॉलनट) मेलाटोनिन के उत्पादन में मदद करता है। यह एक हार्मोन है जो नींद लाने में मदद करता है। रात के खाने के बाद थोड़े अखरोट (वॉलनट) खाएं और एक बच्चे की तरह चैन की नींद लें।

11. प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) में सुधार करता है

अखरोट (वॉलनट) शुक्राणुओं (स्पर्म) के उत्पादन और उनकी गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है। ये शुक्राणुओं (स्पर्म) की वाइटलिटी और गतिशीलता बढ़ाते हैं।

12. स्किन और बालों के लिए अच्छा होता है

वातावरण में मौजूद फ्री रेडिकल्स शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। ये स्किन में रूखापन और झुर्रियां पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। अखरोट (वॉलनट) इन फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करता है। अखरोट (वॉलनट) का नियमित तौर पर सेवन करने से आंखों के नीचे के काले घेरों को कम करने में मदद मिलती है।

13. प्रेगनेंसी में मददगार होता है

गर्भवती महिलाओं को भ्रूण के उचित विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में फोलेट लेना चाहिए। अखरोट (वॉलनट) में विटामिन B कॉम्प्लेक्स की अच्छी मात्रा होती है और यह भ्रूण के अच्छे विकास में मदद करता है।

14. पुरुष की रिप्रोडक्टिव हेल्थ (प्रजनन स्वास्थ्य) में मदद करता है

रिसर्च से पता चलता है कि शुक्राणु (स्पर्म) स्वास्थ्य और पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार करना अखरोट (वॉलनट) से सेहत को होने वाले कई फायदों में से एक है। जानवरों पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि अखरोट (वॉलनट) खाने से शुक्राणुओं (स्पर्म) की झिल्लियों पर ऑक्सीडेटिव क्षति को कम करके उनकी रक्षा की जा सकती है। पुरुष की रिप्रोडक्टिव हेल्थ (प्रजनन स्वास्थ्य) में सुधार करने में अखरोट (वॉलनट) की भूमिका की पुष्टि करने के लिए और ज़्यादा अध्ययन की ज़रुरत है। अगर आपको भी कोई ऐसी परेशानी है, तो भी आप बिना फ़िक्र किए हमेशा अपनी रोज़ाना की डाइट में कुछ अखरोट (वॉलनट) शामिल कर सकते हैं।

अखरोट (वॉलनट) को डाइट में शामिल करने के कुछ तरीके

Aakhrot (Walnut) ko diet me shaamil kare ke kuch tareeke

वैसे तो ज़्यादातर सभी लोग अखरोट (वॉलनट) को हेल्दी स्नैक के तौर पर खाते ही हैं लेकिन इसके अलावा  इसका सेवन करने के कुछ अन्य तरीके भी हैं:

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लहसुन (Garlic in Hindi): उपयोग, लाभ और न्यूट्रिशनल वैल्यू

लहसुन (गार्लिक) सदियों से हमारी रसोई का हिस्सा रहा है। लहसुन (गार्लिक) की एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक प्रकृति के कारण इसमें उपचारात्मक और औषधीय गुण होते हैं। लहसुन (गार्लिक) के ये फायदेमंद गुण इसमें मौजूद एलिसिन कंपाउंड के कारण होते हैं। यह फास्फोरस, जिंक, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे मिनरल से भरपूर है। लहसुन (गार्लिक) में विटामिन C,विटामिन K, फोलेट, नियासिन और थायमिन भी काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है।

लहसुन (गार्लिक) का पोषण चार्ट

यहां 100 ग्राम कच्चे लहसुन (गार्लिक) का पोषण चार्ट दिया गया है। ध्यान दें कि 1 मध्यम से बड़े लहसुन की कली का वज़न 3-8 ग्राम के बीच होता है।

प्रति 100 ग्राम कच्चा लहसुन (गार्लिक)
वैल्यू 
सुझाई गई दैनिक मात्रा  का कितनाप्रतिशत है 
कैलोरी1497%
कार्बोहाइड्रेट33.1 ग्राम11%
फाइबर 2.1 ग्राम8%
फैट0.5 ग्राम1%
प्रोटीन6.4 ग्राम13%
विटामिन B61.2 मिलीग्राम62%
विटामिन C31.2 मिलीग्राम52%
थायमिन0.2 मिलीग्राम13%
राइबोफ्लेविन0.1 मिलीग्राम6%
इसमें विटामिन A, E, K, नियासिन, फोलेट, पैंटोथेनिक एसिड और कोलीन भी होता है
मैंगनीज1.7 मिलीग्राम84%
सेलेनियम14.2 माइक्रोग्राम20%
कैल्शियम181 मिलीग्राम18%
कॉपर0.3 मिलीग्राम15%
फास्फोरस153 मिलीग्राम15%
पोटैशियम401 मिलीग्राम11%
आयरन1.7 मिलीग्राम9%
इसमें जिंक, मैग्नीशियम और सोडियम भी होता है

लहसुन (गार्लिक) खाने से शरीर को नीचे बताए गए फायदे मिलते हैं :

Lahsun (Garlic) khaane se sharir ko neeche bataye gaye faayede milte hain:

1. खांसी और जुकाम से बचाता है

कच्चे लहसुन (गार्लिक) में खांसी और जुकाम के इंफेक्शन को दूर करने की क्षमता होती है। खाली पेट लहसुन (गार्लिक) की दो कली कुचल कर खाने से सबसे ज़्यादा फायदा होता है। बच्चों और शिशुओं के लिए, लहसुन (गार्लिक) की कलियों को धागे में बांधकर उनके गले में पहनाने से कफ जमने के लक्षणों से राहत मिलती है।

2. दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है

लहसुन (गार्लिक) में पाया जाने वाला एलिसिन कंपाउंड एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) के ऑक्सीकरण को रोकता है। यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है और दिल की सेहत में सुधार करता है। लहसुन (गार्लिक) का नियमित सेवन से खून के थक्के नहीं जमते हैं और इस तरह से यह थ्रोम्बोएम्बोलिज्म (खून के थक्के से रक्त वाहिका में रुकावट) को रोकने में मदद करता है। लहसुन (गार्लिक) ब्लड प्रेशर को भी कम करता है इसलिए यह हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए अच्छा है। हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के तरीके के बारे में और पढ़ें।

Read in English : 2o Essential Tips for a Healthy Heart

3. दिमाग की कार्यप्रणाली में सुधार करता है

लहसुन (गार्लिक) अपने एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण दिमाग की सेहत को बेहतर बनाता है। यह अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों (ऐसी बीमारियां जिसमें सेंट्रल नर्वस सिस्टम की कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं) में असरदार है। अपनी डाइट में शामिल करने वाले सबसे अच्छे ब्रेन फूड्स के बारे में और पढ़ें।

4. पाचन में सुधार करता है

कच्चे लहसुन (गार्लिक) को डाइट में शामिल करने से पाचन से जुड़ी समस्याएं ठीक हो जाती हैं। यह आंतों को फायदा पहुंचाता है और जलन को कम करता है। कच्चा लहसुन (गार्लिक) खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। अच्छी बात यह है कि यह खराब बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है और आंत में अच्छे बैक्टीरिया की रक्षा करता है।

5. ब्लड शुगर को संतुलित रखता है

देखा गया है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों द्वारा कच्चे लहसुन (गार्लिक) का सेवन करने पर उनका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।

Read in English : 10 harmful effects of sugar.

6. इम्युनिटी बढ़ाता है

लहसुन (गार्लिक) फ्री रेडिकल्स से रक्षा करता है और डीएनए को होने वाले नुकसान से बचाता है।लहसुन (गार्लिक) में मौजूद जिंक रोग इम्युनिटी बढ़ाता है। विटामिन C इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है। यह आंख और कान के इंफेक्शन में बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें एंटीमाइक्रोबियल (रोगाणुरोधी) गुण होते हैं।

7. स्किन की सेहत में सुधार करता है

लहसुन (गार्लिक) मुंहासों को रोकने में मदद करता है और मुंहासों के निशान को हल्का करता है। कोल्ड सोर (मुंह के किनारे होने वाले छाले या फफोले), सोराइसिस, चकत्ते और छाले, इन सभी सभी परेशानियों में लहसुन (गार्लिक) के रस इस्तेमाल से फायदा मिल सकता है। यह यूवी किरणों से भी बचाता है और इसलिए स्किन की उम्र बढ़ने से रोकता है।

Read in English: 7 Home Remedies for Glowing Skin

8. कैंसर और पेप्टिक अल्सर से बचाता है

लहसुन (गार्लिक) में उज़्यादा मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते है जिसके कारण यह फेफड़े, प्रोस्टेट, ब्लेडर, पेट, लिवर और पेट के कैंसर से शरीर की रक्षा करता है। लहसुन (गार्लिक) का एंटीबैक्टीरियल (जीवाणुरोधी) एक्शन पेप्टिक अल्सर को रोकता है क्योंकि यह आंत में इसे बढ़ने नहीं देता है।

9. वज़न घटाने में मददगार है

लहसुन (गार्लिक) फैट जमा करने वाली एडीपोज सेल्स (वसा कोशिकाओं) के निर्माण के लिए जिम्मेदार जीन को कम करता है। यह शरीर में थर्मोजेनेसिस को भी बढ़ाता है और ज़्यादा फैट बर्न करने और एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को कम करने में मदद करता है।

लहसुन (गार्लिक) वज़न घटाने के लिए तो अच्छा है ही, साथ ही यह बहुत ज़्यादा पौष्टिक भी है। लहसुन (गार्लिक) की एक कली जो लगभग 3 ग्राम होती है, उसमें निम्नलिखित पोषण होता है :

10. एथलेटिक परफॉरमेंस में सुधार कर सकता है

लहसुन (गार्लिक) को “परफॉरमेंस बढ़ाने वाले” पदार्थों में से एक माना जाता है। पुराने ज़माने में मजदूरों की थकान मिटाने और उनकी कार्य क्षमता में सुधार करने के लिए लहसुन (गार्लिक) का इस्तेमाल किया जाता था। चूहों पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि लहसुन (गार्लिक) खाने से एक्सरसाइज परफॉरमेंस में सुधार करने में मदद मिलती है। जिन लोगों को दिल की बीमारी थी, उन्होंने 6 सप्ताह तक लहसुन (गार्लिक) का सेवन किया और इसके कारण  उनकी हार्ट रेट (हृदय गति) में 12% की कमी आई और एक्सरसाइज करने की क्षमता ज़्यादा बेहतर हो गई।

11. यूटीआई (मूत्र मार्ग में इंफेक्शन) से लड़ता है और गुर्दे (किडनी) की सेहत में सुधार करता है

ताजा लहसुन (गार्लिक) के रस में ई. कोली बैक्टीरिया के विकास को कम करने की क्षमता होती है जो मूत्र मार्ग में इंफेक्शन (यूटीआई) का कारण बनते हैं। यह किडनी इंफेक्शन को रोकने में भी मदद करता है।

लहसुन (गार्लिक) घावों के इंफेक्शन को कम करता है, बालों, हड्डियों की सेहत और लिवर की सेहत को बढ़ावा देता है। ज़्यादातर घरेलू उपचार तभी असरदार साबित होते हैं जब लहसुन (गार्लिक) को कच्चा खाया जाता है।

12. एक्सरसाइज की थकान को कम करता है

जापान के अध्ययनों के मुताबिक, पानी और अल्कोहल के मिश्रण में रखे गए कच्चे लहसुन (गार्लिक) को खाने से एक्सरसाइज की सहनशक्ति पर अहम असर पड़ सकता है। इंसानों पर भी अध्ययन किए गए हैं जिनसे पता चला है कि लहसुन (गार्लिक) वास्तव में एक्सरसाइज से होने वाली थकान के लक्षणों में सुधार कर सकता है।

13. खून में विषाक्तता (टॉक्सिन) कम करता है

जिन लोगों को काम के कारण सीसे (लेड) की विषाक्तता का ज़्यादा खतरा होता है, उनके लिए लहसुन (गार्लिक) सबसे अच्छा ऑर्गेनिक समाधान हो सकता है। 2012 में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि लहसुन (गार्लिक) वास्तव में खून में सीसे (लेड) की विषाक्तता के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामान्य दवा डी-पेनिसिलमाइन की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित और बेहतर है।

14. एस्ट्रोजन की कमी को दूर करता है

बुज़ुर्ग महिलाओं के लिए मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति) की अवधि अक्सर साइटोकिन नाम के प्रोटीन के अनियमित उत्पादन के कारण एस्ट्रोजन नामक मादा हार्मोन की कमी से जुड़ी हुई है। यह देखा गया है कि लहसुन (गार्लिक) का सेवन इसे कुछ हद तक नियंत्रित कर सकता है और इसलिए, यह मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति) के बाद एस्ट्रोजन की कमी को दूर करने में प्रभावी हो सकता है।

15. ऑस्टियोआर्थराइटिस (अस्थिसंधिशोथ) के प्रभाव या शुरुआत को कम करता है

अपनी नियमित डाइट में लहसुन (गार्लिक) खाने से यह ऑस्टियोआर्थराइटिस (अस्थिसंधिशोथ) की शुरुआत को रोकने या कम करने में भी मदद कर सकता है। रिसर्च से पता चला है कि लहसुन (गार्लिक) में डायलिल डाइसल्फाइड नाम का कंपाउंड होता है जो हड्डियों की डेंसिटी (घनत्व) को बनाए रखने में मदद करता है और इसलिए ऑस्टियोआर्थराइटिस (अस्थिसंधिशोथ) जैसी हड्डियों से संबंधित बीमारियों की शुरुआत होने में देरी कर सकता है।

16. हार्ट ब्लॉकेज से बचाता है

माना जाता है कि लहसुन (गार्लिक) आपके खून में प्लेटलेट्स की चिपचिपाहट को कम करने में मदद करता है। ये प्लेटलेट्स खून के थक्के जमने के लिए जिम्मेदार होते हैं। लहसुन (गार्लिक) की सही खुराक लेने से खून पर प्लेटलेट्स के अत्यधिक थक्का जमने के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है। इसलिए, यह धमनियों (आर्टरी) के अंदर ऐसे अनावश्यक खून के थक्कों को रोकने में मदद कर सकता है जो आपके दिल तक पहुंच सकते हैं जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है।

Read in English : 10 Health Benefits of Turmeric

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सीधे मुंह में लहसुन (गार्लिक) खाने के क्या साइड इफेक्ट हैं?

जब आप लहसुन (गार्लिक) को मुंह से लेते हैं तो यह ज़्यादातर सुरक्षित होता है। इससे सांसों की बदबू, सीने में जलन, गैस और दस्त जैसे साइड इफेक्ट  हो सकते हैं। अगर आप मुंह से कच्चा लहसुन खाते हैं, तो साइड इफेक्ट अक्सर खराब होते हैं और कुछ लोगों में ब्लीडिंग (रक्तस्राव) और एलर्जी का खतरा बढ़ सकता है।

क्या लहसुन (गार्लिक) को स्किन पर लगा सकते हैं?

लहसुन (गार्लिक) के जैल और पेस्ट जैसे प्रोडक्ट सुरक्षित हैं। लेकिन लहसुन (गार्लिक) स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है जिससे जलन हो सकती है। ख़ास तौर पर कच्चे लहसुन (गार्लिक) को स्किन पर लगाने से स्किन में गंभीर जलन हो सकती है।

किसे लहसुन (गार्लिक) खाने से बचना चाहिए?

गर्भावस्था के दौरान या या स्तनपान कराने वाली माताओं को ज़्यादा मात्रा में लहसुन (गार्लिक) खाने से बचना चाहिए। बच्चे इसे 8 सप्ताह तक रोजाना तीन बार 300 मिलीग्राम तक की खुराक में ले सकते हैं और इससे अधिक नहीं लेनी चाहिए। ब्लीडिंग (रक्तस्राव) की समस्या वाले लोगों को लहसुन (गार्लिक) खाने से बचना चाहिए। अगर आप सर्जरी करवाएं, तो लहसुन (गार्लिक) का सेवन न करें क्योंकि यह ब्लीडिंग (रक्तस्राव) को बढ़ा सकता है और ब्लड प्रेशर में बाधा उत्पन्न कर सकता है। सर्जरी से दो हफ्ते पहले लहसुन (गार्लिक) खाना बंद कर दें और लहसुन (गार्लिक) ब्लड शुगर लेवल को भी कम कर सकता है, इसलिए आपको जागरूक और सावधान रहना चाहिए।

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भिंडी (Lady Finger in Hindi): उपयोग, लाभ और न्यूट्रिशनल वैल्यू

परिचय:

भारत में, लेडीफिंगर, जिसे भिंडी के नाम से भी जाना जाता है, पोषक तत्वों से भरपूर है। यह कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, एंजाइम, कैल्शियम, पोटेशियम और अन्य सहित कई पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत मानी जाती है। भिंडी (लेडीफिंगर) को इसके वानस्पतिक नाम, एबेलमोस्कस एस्कुलेंटस के नाम से जाना जाता है, और यह मालवेसी परिवार का एक सदस्य है। भिंडी (लेडीफिंगर) की खेती दुनिया भर में गर्म, उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) और उपोष्णकटिबंधीय (सबट्रॉपिकल)  क्षेत्रों में होती है।1

पूरे विश्व में भिंडी (लेडी फिंगर) को कई अन्य नामों से जाना जाता है। भिंडी को अंग्रेजी में ओकरा, एडिबल हिबिस्कस, लेडीज फिंगर, ओकरो; संस्कृत में पिटाली, तिन्दिशा, गंडमूला; फ़ारसी, अरबी, तुर्की, हिब्रू में बामिया; बोस्निया में बमवे; स्वीडिश में ओकरा; इतालवी और फ्रेंच में गोंबो के नाम से जाना जाता है।2

भिंडी (लेडी फिंगर) में पोषक तत्वों (न्यूट्रिशनल वैल्यू) की मात्रा:

भिंडी (लेडी फिंगर) में पाए जाने पोषक तत्व निम्नलिखित हैं:3

पोषक तत्वप्रति 100 ग्राम में मात्रा
कार्बोहाईड्रेट7.45 ग्राम
प्रोटीन1.93 ग्राम
वसा0.19 ग्राम
फ़ाइबर3.2 ग्राम
शुगर1.48 ग्राम
जल89.6 ग्राम
ऊर्जा33 किलो कैलोरी
स्टार्च0.34 ग्राम
सोडियम7 मिलीग्राम
पोटैशियम299 मिलीग्राम
आयरन0.62 मिलीग्राम
मैग्नीशियम57 मिलीग्राम
कैल्शियम82 मिलीग्राम
फॉस्फोरस61 मिलीग्राम
ज़िंक0.58 मिलीग्राम
मैंगनीज0.788 मिलीग्राम
कॉपर0.109 मिलीग्राम
सेलेनियम0.7 माइक्रोग्राम
विटामिन ए36 माइक्रोग्राम
विटामिन बी10.2 मिलीग्राम
विटामिन बी20.06 मिलीग्राम
विटामिन बी31 मिलीग्राम
विटामिन बी50.245 मिलीग्राम
विटामिन बी60.215 मिलीग्राम
विटामिन सी23 मिलीग्राम
विटामिन ई0.27 मिलीग्राम
विटामिन के31.3 माइक्रोग्राम3

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भिंडी (लेडी फिंगर) के गुण:

भिंडी (लेडी फिंगर) के चिकित्सीय गुण इस प्रकार हैं:

● यह एंटीऑक्सीडेंट का काम कर सकती है।

● यह थकान से लड़ने में मदद कर सकती है।

● इसमें डायबिटीज़ से लड़ने के गुण हो सकते हैं।

● यह जीवाणुरोधी का काम कर सकती है।

● यह ट्यूमर से लड़ने का काम कर सकती है।

● यह प्रतिरक्षा तंत्र को बेहतर कर सकती है4

● यह ऐंठन से राहत प्रदान करने में मदद कर सकती है।

● यह मूत्र की मात्रा बढ़ा सकता है।

● यह सूजन या जलन से राहत प्रदान करने में मदद कर सकती है।

● यह बुखार कम करने में मदद कर सकती है।

● इसमें मस्तिष्क की रक्षा करने का गुण हो सकता है।

● यह लीवर रक्षक के रूप में कार्य कर सकती है।

● यह हड्डियों को सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है2

Read in English: Beetroot: Uses, Benefits, Side Effects and More!

भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग:

Bhindi (Lady Finger) ke sambhavit upyog:

भरपूर मात्रा में पोषक तत्व एवं लाभकारी यौगिक पाए जाने के कारण संभावित रूप से भिंडी (लेडी फिंगर) के कई इस्तेमाल हो सकते हैं:

डायबिटीज़ में भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

भिंडी (लेडी फिंगर) के छिलके और बीज ब्लड शुगर लेवल कम करने में मदद कर सकती हैं तथा टाइप 2 डायबिटीज़ को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है। यह कार्बोहाईड्रेट को तोड़ने वाले एंजाइम को अवरुद्ध करने और इन्सुलिन संवेदनशीलता बढ़ाने में मदद कर सकती है। प्रयोगशाला अध्ययनों में, लेडीफिंगर ने इंसुलिन जैसी गुणों का प्रदर्शन किया है, जो यह सुझाव देता है कि यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में प्रभावी हो सकता है।2 यद्यपि अगर आप डायबिटीज़ से पीड़ित हैं तो उन लक्षणों का लाभ प्राप्त करने के लिए भिंडी (लेडी फिंगर) या किसी अन्य औषधि का इस्तेमाल करने के पहले आपको स्वास्थ्य सेवाप्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।

पेट के कैंसर में भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

भिंडी (लेडी फिंगर) में भरपूर मात्रा में फ़ाइबर पाए जाते हैं तथा यह आंत के मार्ग को साफ़ करने का काम कर सकती है, ख़ासकर कोलन और बड़ी आंत के, तथा इस प्रकार यह पेट के कैंसर के जोखिम को कम कर सकती है। इसके अतिरिक्त, इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो कोशिकाओं को उत्परिवर्तन से बचाने में मदद कर सकते हैं, जिसे कोशिका की आनुवंशिक सामग्री में परिवर्तन के रूप में भी जाना जाता है। ये एंटीऑक्सीडेंट भी प्रतिरक्षा प्रणाली को लाभ पहुंचा सकते हैं।2 अगर आप किसी प्रकार के कैंसर से जूझ रहे हैं तो आपको डॉक्टर की सलाह और इलाज का सख़्ती से पालन करने की ज़रूरत है। भिंडी (लेडी फिंगर) या किसी अन्य सब्जी का उसके गुणों के कारण इस्तेमाल करने के पूर्व अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर करें।

मोटापे में भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

भिंडी (लेडी फिंगर) चाहे कच्चा खाया जाए या पकाकर, वज़न प्रबंधन में मदद कर सकता है। भिंडी (लेडी फिंगर) की कम मात्रा भी आपकी भूख को शांत कर सकती है क्योंकि यह कैलोरी में कम और फ़ाइबर में उच्च है। वज़न सिर्फ कैलोरी युक्त और चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थ खाने से ही नहीं होता बल्कि पोषक तत्वों की कमी से भी हो सकता है।2 यदि आप अपना वज़न कम करना चाहते हैं, तो आपको अपने आहार में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ से बात करनी चाहिए। एक स्वस्थ लाइफ़ स्टाइल और खाने की आदतों के साथ भिंडी खाने से भी आपको मोटापे का प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है। वे प्रत्येक आहार के लाभों और कमियों के माध्यम से आपका मार्गदर्शन करने में बेहतर रूप से सक्षम होंगे।

पेट के लिए भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

भिंडी (लेडी फिंगर) में प्रोबायोटिक्स (अच्छे जीवाणु) होते हैं जो पेट के बैक्टीरिया के लिए अच्छे होते हैं। विटामिन बी काम्प्लेक्स का जैव संश्लेषण करके भिंडी (लेडी फिंगर) आंत के माइक्रोबायोम (अच्छे जीवाणुओं का समुदाय) पर सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित करता है। भिंडी (लेडी फिंगर) छोटी आंत में दही जैसा असर पैदा करता है।2 पेट की बीमारी के लिए भिंडी (लेडी फिंगर) या किसी अन्य सब्जी का इस्तेमाल करने के पहले अपने स्वास्थ्य सेवाप्रदाता से परामर्श करें।

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त्वचा की बीमारी में भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

भिंडी (लेडी फिंगर) में विटामिन सी और भरपूर मात्रा में फ़ाइबर पाए जाते हैं। फ़ाइबर विषाक्त अपशिष्ट को हटाने में मदद कर सकती है, और विटामिन सी त्वचा के रंजकता में मदद कर सकती है, शरीर के टिशू की मरम्मत कर सकती है, और सोरायसिस, मुंहासे और अन्य त्वचा रोगों के प्रबंधन में सहायता कर सकती है।2 त्वचा की बीमारियों में आपको त्वचा रोग के डॉक्टर से सलाह लेने की ज़रूरत होती है। त्वचा की बीमारी के लिए भिंडी (लेडी फिंगर) का इस्तेमाल करने के पूर्व आपको अपने त्वचा के डॉक्टर से सलाह लेने की ज़रूरत होगी।

खराब कोलेस्ट्रॉल में भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

भिंडी (लेडी फिंगर) कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित करने में मदद करता है। एक अध्ययन से पता चला कि भिंडी (लेडी फिंगर) युक्त आहार से कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण में परिवर्तन आया और शरीर में इसका लेवल कम हुआ। भिंडी (लेडी फिंगर) में पेक्टिन (एक प्रकार का फ़ाइबर) होता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। यह कोलेस्ट्रॉल हानि को बढ़ावा देता है और शरीर में वसा की उत्पत्ति को रोकता है। यह टोटल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को कम करने में मदद कर सकती है और मल में पित्त अम्ल के उत्सर्जन को बढ़ावा दे सकता है। भिंडी (लेडी फिंगर) आंत में पित्त के उत्पादन को परिवर्तित कर सकती है और जमे हुए कोलेस्ट्रॉल को हटा सकती है; इससे खराब कोलेस्ट्रॉल खत्म हो जाता है।2 यदि आप ख़राब कोलेस्ट्रॉल का सामना कर रहे हैं तो आपको डॉक्टर की सलाह और इलाज का पालन करना होगा। साथ ही यदि आप भिंडी (लेडी फिंगर) की खूबियों के कारण इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं तो अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर करें।

फेफड़े की बीमारियों में भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी बीमारियों में भिंडी (लेडी फिंगर) के फूल और पत्तियां मदद कर सकती हैं। फूल और पत्तियों को पानी में उबालकर आप इसके लाभकारी गुण पा सकते हैं। भिंडी (लेडी फिंगर) में मौजूद चिपचिपा पदार्थ फ्लू और सामान्य सर्दी को ठीक और नियंत्रित कर सकती है।2 यद्यपि यदि आपको लगता है कि आप फेफड़ों की किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से बात करें और इलाज करवाएं। डॉक्टर की सलाह के बिना भिंडी (लेडी फिंगर) या किसी हर्बल औषधि का इस्तेमाल करने से बचें।

ऑस्टियोपोरोसिस में भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

भिंडी (लेडी फिंगर) में विटामिन के होता है जो रक्त का थक्का बनाने के लिए आवश्यक है और यह हड्डी के घनत्व को बढ़ाने में मदद करता है तथा ऑस्टियोपोरोसिस के प्रबंधन में सहायता करता है। एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि विटामिन के हड्डियों के मेटाबोलिज्म में बदलाव कर सकती है और कैल्शियम का संतुलन बनाए रखने में अच्छे प्रभाव डालता है।2 ऑस्टियोपोरोसिस एक गंभीर बीमारी है जिसका उचित तरीके से निदान और इलाज जरुरी है। ऑस्टियोपोरोसिस में भिंडी (लेडी फिंगर) का इस्तेमाल शुरू करने के पहले अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर करें।

एनीमिया में भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

भिंडी (लेडी फिंगर) में विटामिन के, फोलेट और आयरन पाए जाते हैं। इन्हें प्राकृतिक पोषक तत्व माना जाता है जो एनीमिया के प्रबंधन में सहायता कर सकते हैं। यह हिमोग्लोबिन, लाल रक्त कण और रक्त में थक्का बनाने में मदद करता है। ये सभी एनीमिया से रक्षा कर सकते हैं।2 यद्यपि, डॉक्टर से परामर्श किये बिना एनीमिया में भिंडी (लेडी फिंगर) का इस्तेमाल करने से बचें।

कब्ज़ में भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

भिंडी (लेडी फिंगर) का म्यूसिलेजिनस स्लाइम पाचन तंत्र में पानी के उचित अवशोषण में मदद कर सकता है और मल को बढ़ा सकता है, जिससे वे न तो नरम होते हैं और न ही निकलने में मुश्किल होते हैं। यह चिपचिपा पदार्थ और फ़ाइबर विषाक्त पदार्थों के साथ बंध सकता है और बड़ी आंत को चिकना कर सकती है तथा इसके संभावित प्राकृतिक रेचक गुण के कारण यह सामान्य और सहज मल त्याग में सहयोग करता है।2 यद्यपि, यदि आपके लक्षण ठीक नहीं होते हैं तो तुरंत अपने स्वास्थ्य सेवाप्रदाता से संपर्क करें। साथ ही, यदि आप कब्ज़ियत का अनुभव कर रहे हैं तो अपनी मर्जी से किसी सब्जी का इस्तेमाल करने के पूर्व अपने डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।

मस्तिष्क के लिए भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

एक अध्ययन से यह ज्ञात हुआ है कि भिंडी (लेडी फिंगर) में मस्तिष्क रक्षक के गुण वाले फ्लेवोनॉयड की उपस्थिति के कारण यह मस्तिष्क के कार्य की रक्षा कर सकती है, याददाश्त तथा सीखने की क्रिया को बेहतर बना सकती है। अतः भिंडी (लेडी फिंगर) का इस्तेमाल याददाश्त बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।2 यद्यपि, यदि आप मस्तिष्क से संबंधित किसी समस्या का सामना कर रहे हैं तो किसी हर्बल औषधि का इस्तेमाल करने के पहले डॉक्टर की सलाह ले लेना बेहतर होगा।

लीवर के लिए भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

भिंडी (लेडी फिंगर) को लीवर के लिए लाभदायक माना जाता है। भिंडी (लेडी फिंगर) में मौजूद चिपचिपे पदार्थ में वैसी सामग्रियां होती हैं जो कोलेस्ट्रॉल और पित्त अम्ल को बांध सकते हैं और लीवर के विष को मिटा सकते हैं। भिंडी (लेडी फिंगर) में एक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो हानिकारक जीवाणुओं एवं रोगाणुओं का मुकाबला करता है और शरीर की रक्षा करता है।2 यदि आप लीवर की किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो आपको अपने विकल्पों के प्रति सचेत रहना होगा। अपने स्वास्थ्य सेवाप्रदाता से बात किये बिना भिंडी (लेडी फिंगर) का इस्तेमाल करने से बचें।

गर्भावस्था में भिंडी (लेडी फिंगर) के संभावित उपयोग

भिंडी (लेडी फिंगर) में प्रचुर मात्रा में विटामिन A, B एवं C के साथ-साथ कैल्शियम और जिंक जैसे तत्व पाए जाते हैं जिसके कारण इसे एक आदर्श सब्जी माना जाता है और गर्भावस्था में इसका सेवन किया जा सकता है।इसमें फ़ाइबर और विटामिन B9 (फोलिक एसिड/ फोलेट) भी पाए जाते हैं। साथ ही, गर्भस्थ शिशु के तंत्रिका तंत्र के विकास में यह कुछ लाभदायक प्रभाव डाल सकता है।2 गर्भावस्था में, किसी जड़ी-बूटी या सब्जी का इसके फ़ायदों के लिए इस्तेमाल करने के पूर्व अपने डॉक्टर की सलाह लेना सुनिश्चित करें।

 भिंडी (लेडी फिंगर) के अन्य संभावित उपयोग

 ● भिंडी (लेडी फिंगर) पाचन दुरुस्त करने और बालों के लिए कंडीशनर का काम कर सकती है। यह सिर की त्वचा को नमी प्रदान कर सकती है, रूसी और जूँ हटा सकती है, खुजली वाले सिर की त्वचा को ठीक कर सकती है और बालों को चमकदार बना सकती है।2

● भिंडी (लेडी फिंगर) सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट का गुण प्रदर्शित कर सकते हैं जो दमा में सहायता प्रदान कर सकती है। यह दमा के लक्षणों में वृद्धि को रोकता है और घातक दौरों को अवरुद्ध करता है।2

● भिंडी (लेडी फिंगर) में विटामिन A और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो आँखों की रोशनी बढ़िया बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट ग्लूकोमा और मोतियाबिंद जैसी आँख की बीमारियों को दूर रखने में मदद करते हैं।2

● भिंडी (लेडी फिंगर) में मौजूद चिपचिपा पदार्थ क्षारीय होता है और पेट में एसिड के प्रभाव को प्रभावहीन बनाने में मदद कर सकती है। यह पाचन तंत्र को एक सुरक्षात्मक कोटिंग भी प्रदान कर सकती है और पेट के अल्सर के उपचार को बढ़ावा देता है।2

● कुछ अध्ययनों से यह रिपोर्ट प्राप्त हुआ है कि भिंडी (लेडी फिंगर) लू लगने से बचाने में मदद करता है। इससे यह पता चलता है कि यह प्राकृतिक शीतलन एजेंट (natural cooling agent) हो सकता है।2

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यद्यपि कई अध्ययनों से पता चला है कि विभिन्न बीमारियों में भिंडी (लेडी फिंगर) के फ़ायदे होते हैं, किन्तु ये पर्याप्त नहीं हैं और मनुष्य के स्वास्थ्य पर भिंडी (लेडी फिंगर) के लाभ की सीमा निर्धारित करने हेतु और अध्ययन किये जाने की ज़रूरत है।

भिंडी (लेडी फिंगर) का कैसे इस्तेमाल करें?

आप भिंडी (लेडी फिंगर) के पौधे के निम्नलिखित हिस्सों को खा सकते हैं:2

● फल

● फूल

● जड़

● पत्तियां

● बीज

कोई हर्बल आहार लेने के पहले किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श करें। किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श प्राप्त किये बिना आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के तहत चल रहे किसी इलाज को बंद नहीं करें अथवा किसी आयुर्वेदिक/ हर्बल उत्पाद से बदलें नहीं।

भिंडी (लेडी फिंगर) के साइड इफ़ेक्ट्स:

किसी अध्ययन में यह रिकॉर्ड नहीं हुआ है कि भिंडी (लेडी फिंगर) के कोई बड़े साइड इफ़ेक्ट होते हैं।2 हालांकि, कुछ लोगों को भिंडी (लेडी फिंगर) से एलर्जी हो सकती है।5 यदि किसी प्रकार का साइड इफ़ेक्ट आपके ध्यान में आता है तो अपने डॉक्टर को इसके बारे में ज़रुर बताएं।

साथ ही, अपने डॉक्टर से परामर्श किये बिना भिंडी (लेडी फिंगर) का इस्तेमाल किसी बीमारी अथवा इसके फ़ायदों के लिए करने से बचें। इससे आपको सही विकल्प चुनने में मदद मिलेगी तथा यह किसी प्रकार के संभावित साइड इफ़ेक्ट को अवरुद्ध करेगा।

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भिंडी (लेडी फिंगर) के साथ बरती जाने वाली सावधानियां:

भिंडी (लेडी फिंगर) तोड़ने और खाने से कुछ लोगों में एलर्जिक प्रतिक्रिया हो सकती है।5 यदि आपको इससे एलर्जी है तो इसे खाने से बचें। साथ ही, यदि भिंडी (लेडी फिंगर) खाने से आपको एलर्जिक प्रतिक्रिया होती है तो आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

स्वास्थ्य संबंधी फ़ायदों के लिए भिंडी (लेडी फिंगर) या किसी अन्य हर्बल आहार का सेवन करने के पहले अपने चल रहे इलाज और इसकी सीमाओं तथा इससे जुड़ी सावधानियों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करना सुनिश्चित करें।

अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया:

अन्य दवाओं के साथ भिंडी (लेडी फिंगर) की प्रतिक्रिया के संबंध में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है। यद्यपि, यदि आप किसी प्रकार का संकेत और लक्षण नोटिस करते हैं तो अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी अवश्य दें।

साथ ही, किसी बीमारी के लिए यदि आप दवा का सेवन कर रहे हैं तो इस दवा का किसी अन्य जड़ी-बूटी या सब्जी के साथ संभावित प्रतिक्रिया के संबंध में अपने डॉक्टर से संपर्क करना सुनिश्चित करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

भिंडी (लेडी फिंगर) खाने के क्या लाभ हैं?

मधुमेह, अल्सर, एनीमिया, लू, ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, ऑस्टियोपोरोसिस, कब्ज, दमा, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, जननांग रोग, मोटापा आदि जैसे विभिन्न बीमारियों को प्रबंधित करने में भिंडी (लेडी फिंगर)/ ओकरा मदद कर सकती है। साथ ही, यह मस्तिष्क, फेफड़ा, लीवर, पाचन तंत्र आदि पर भी सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकती है।2 यद्यपि अपने डॉक्टर के सलाह के बिना किसी बीमारी में या इसके किसी गुण के लिए भिंडी (लेडी फिंगर) का इस्तेमाल करने से परहेज करें।

क्या भिंडी (लेडी फिंगर) के कोई साइड इफ़ेक्ट हैं?

सामान्य तौर पर भिंडी (लेडी फिंगर) के कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होते हैं। परन्तु, कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है।2,5 यदि आपको कोई संकेत या लक्षण दिखता है तो अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी अवश्य दें। साथ ही, किसी बीमारी की स्थिति में अपने डॉक्टर से परामर्श किये बिना भिंडी (लेडी फिंगर) का इस्तेमाल करने से बचें।

क्या गर्भावस्था में भिंडी (लेडी फिंगर) खाया जा सकता है?

गर्भावस्था में भिंडी (लेडी फिंगर) का सेवन किया जा सकता है; इसके कई सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। इसमें विटामिन A , B, B9, C एवं कैल्शियम तथा ज़िंक जैसे तत्व पाए जाते हैं जो गर्भावस्था में फ़ायदेमंद हो सकते हैं। साथ ही, यह गर्भावस्था में कब्जियत से राहत दिला सकता है।2 यदि आप गर्भवती हैं तो किसी भी स्थिति में अपने डॉक्टर से परामर्श किये बिना भिंडी (लेडी फिंगर) का सेवन करने से परहेज करें।

क्या वज़न कम करने में भिंडी (लेडी फिंगर) काम करता है?

वज़न का प्रबंधन करने में भिंडी (लेडी फिंगर) के कुछ प्रभाव हो सकते हैं। कच्चे या पकाए हुए भिंडी (लेडी फिंगर) के नियमित रूप से सेवन करने से मोटापा को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। भिंडी (लेडी फिंगर) में कैलोरी की न्यून मात्रा होती है तथा इसमें उच्च मात्रा में फ़ाइबर पाए जाते हैं जिसके कारण ज्यादा भोजन किये बगैर आपको पेट भरे होने का अहसास होता है।2 इसलिए भिंडी (लेडी फिंगर) वज़न को नियंत्रित करने में असरदार होता है। यद्यपि, अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से परामर्श किये बिना अपने आहार में किसी प्रकार का बदलाव करने से बचें।

क्या भिंडी (लेडी फिंगर) डायबिटीज़ के लिए अच्छी है?

डायबिटीज़ में भिंडी (लेडी फिंगर) के फ़ायदों के बारे में अध्ययन किये गये हैं। भिंडी (लेडी फिंगर) के बीज और छिलके ब्लड शुगर के लेवल को कम करने और टाइप 2 डायबिटीज़ को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। परीक्षणों में भिंडी (लेडी फिंगर)/ ओकरा में इन्सुलिन-जैसे गुण प्रदर्शित हुए हैं, इसके कारण यह ब्लड शुगर के प्रबंधन में प्रभावी हो सकता है।2 इसलिए आप ब्लड शुगर को प्रबंधित करने के लिए भिंडी (लेडी फिंगर/ओकरा) का इस्तेमाल कर सकते हैं। यद्यपि, यदि आप डायबिटीज़ से जूझ रहे हैं तो किसी जड़ी-बूटी या सब्जी का औषधि के रूप में इस्तेमाल करने के पूर्व यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने डॉक्टर से परामर्श करें। सर्वप्रथम अपने डॉक्टर से ज़रूर परामर्श करें।

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References:

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शहतूत (Mulberry in Hindi): उपयोग, लाभ, न्यूट्रिशनल वैल्यू और भी बहुत कुछ!

परिचय:

शहतूत (मल्बेरी) का वैज्ञानिक नाम मोरस अल्बा है। यह मोरेसी परिवार से संबंधित है। यह दवाओं और उपचारों में उपयोग की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों (हर्ब प्लांट) में से एक है। ‘मोर-अस’ एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘विचित्र रूप से पर्याप्त’, इसी से ‘मल’ शब्द की उत्पत्ति हुई। जीनस मोरस की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं और देशी लाल शहतूत (मोरस रूब्रा), पूर्वी एशियाई सफेद शहतूत (मोरस अल्बा), और दक्षिण-पश्चिमी एशियाई काले शहतूत (मोरस नाइग्रा) आदि, शहतूत (मल्बेरी) की कुछ महत्वपूर्ण प्रजातियाँ हैं।1,2 मल्बेरी के फलों को तुत और शहतूत (राजा या “श्रेष्ठ” शहतूत) के रूप में जाना जाता है और ये मीठे, रसीले और बेहद स्वादिष्ट होते हैं। ये भारत, चीन, जापान, उत्तरी अफ्रीका, अरब और दक्षिण यूरोप जैसे समशीतोष्ण क्षेत्रों (टेम्परेट रीजन) में पर्णपाती पेड़ों पर लटकते हुए बढ़ते हैं। शहतूत (मल्बेरी) की पत्तियाँ रेशम के कीड़ों के भोजन का एकमात्र स्रोत हैं। इसके पत्ते दवाओं (फार्मसूटिकल), सौंदर्य प्रसाधनों (कॉस्मेटिक्स) और खाद्य उद्योगों (फ़ूड इंडस्ट्रीज़) में बहुत उपयोगी होते हैं; इसलिए इसके पेड़ को ‘कल्पवृक्ष’ के नाम से भी जाना जाता है।2-4

शहतूत (मल्बेरी) का पोषण मूल्य (न्यूट्रिशनल वैल्यू):

शहतूत (मल्बेरी) में कई सारे पोषक तत्व होते हैं जिनके बारे में नीचे दिया गया है। इस फल में कई तरह के ऑर्गेनिक कंपाउंड (जैविक यौगिक) होते हैं जैसे कि: ज़िया-ज़ैन्थिन, एंथोसायनिन, फाइटो-न्यूट्रिएंट्स, ल्यूटिन, रेस्वेराट्रोल और कई तरह के अन्य पॉलीफेनोलिक यौगिक (कंपाउंड)।

पोषक तत्वमात्रा (प्रतिशत में)
कुल फैट (वसा)1 
कुल कार्बोहाइड्रेट5 
डाइटरी फाइबर9 
सोडियम1 
कैल्शियम4 
आयरन14 
पोटैशियम6 
प्रोटीन4 
विटामिन C57 
विटामिन E8 
विटामिन K9 
विटामिन B13 
विटामिन B211 
विटामिन B35 
विटामिन B64 
फोलेट 2 

टेबल 1: शहतूत (मल्बेरी) का प्रतिशत पोषण मूल्य (न्यूट्रिशनल वैल्यू) (कच्चा फल)5

Read in English: Water Apple: Uses, Benefits, Side Effects, And More!

शहतूत (मल्बेरी) के गुण:

कई अध्ययनों में यह पता चला है कि शहतूत (मल्बेरी) के कई हिस्सों से निकले अर्क (एक्सट्रैक्ट) में बहुत से गुण होते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है: 

Read in English: Peaches: Uses, Benefits, Side Effects and More!

संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए शहतूत (मल्बेरी) के संभावित उपयोग: 

Sampoorn swasth ke liye Shahtoot (Mulberry) ke sambhavit upyog:

शहतूत (मल्बेरी) के कुछ संभावित उपयोगों के बारे में नीचे बताया गया है: 

1. लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल) के लिए शहतूत (मल्बेरी) के संभावित उपयोग  

शहतूत (मल्बेरी) आयरन से भरपूर होता है, जो कि ज़्यादातर फलों में मुश्किल से ही होता है। आयरन के होने से शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल) का उत्पादन बढ़ता है। यह शरीर की अंग प्रणालियों (ऑर्गन सिस्टम) और ऊतकों (टिश्यू) तक सही प्रकार से ऑक्सीजन पंहुचाने में मदद कर सकता है। इससे पता चलता है कि शहतूत (मल्बेरी) मेटाबोलिज्म को बढ़ा सकते हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों को ठीक से काम करने में मदद कर सकता है।4 

2. पाचन (डाइजेशन) के लिए शहतूत (मल्बेरी) के संभावित उपयोग

शहतूत (मल्बेरी) में काफ़ी मात्रा में डाइटरी फाइबर होने के कारण यह पाचन (डाइजेशन) को सुधारने में मदद कर सकता है। शहतूत (मल्बेरी) की एक खुराक से मिला डाइटरी फाइबर, हमारी रोज़ाना की ज़रूरत का 10% होता है। इस डाइटरी फाइबर से मल (स्टूल) की तादाद बढ़ती है, जिससे पाचन तंत्र (डाइजेस्टिव ट्रैक्ट) में भोजन की गति बढ़ती है जिससे पाचन (डाइजेशन) में सुधार आता है। इससे पाचन तंत्र (डाइजेस्टिव ट्रैक्ट) से जुड़ी समस्याओं में मदद मिलती है जैसे पेट में ऐंठन, पेट फूलना और कब्ज (कॉन्स्टिपेशन) आदि।4 

3. आँखों के लिए शहतूत (मल्बेरी) के संभावित उपयोग

शहतूत (मल्बेरी) के फलों में ज़ी-ज़ैन्थिन नाम के कैरोटेनॉयड्स होते हैं। ज़ी-ज़ैंथिन एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में काम करता है और रेटिना के स्वास्थ्य को बनाए रखता है। मुक्त कण (फ्री रेडिकल्स) के कारण रेटिना के बीच के हिस्से, जिसे मैक्युला कहा जाता है, में डीजेनेरशन होता है जिससे मोतियाबिंद हो सकता है। शहतूत (मल्बेरी) के फलों से मिलने वाले ज़ी-ज़ैन्थिन, इन मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) की वजह से रेटिनल कोशिकाओं पर पड़ने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम कर सकते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि शहतूत (मल्बेरी) में मोतियाबिंद को नियंत्रित करने की क्षमता हो सकती है।4 हालाँकि, मनुष्यों की आँखों में होने वाले मोतियाबिंद पर शहतूत (मल्बेरी) के प्रभाव का पता लगाने के लिए अभी हमें और अध्ययन करने की ज़रूरत है। 

4. कैंसर के लिए शहतूत (मल्बेरी) के संभावित उपयोग

शहतूत (मल्बेरी) में एंटीऑक्सिडेंट जैसे विटामिन A, विटामिन C, एंथोसायनिन और कई अन्य पॉलीफेनोलिक यौगिक भरपूर मात्रा में होते हैं। एंटीऑक्सिडेंट, सेलुलर मेटाबॉलिज़्म के हानिकारक उप-उत्पादों को बनाने वाले मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) से सुरक्षा प्रदान करते हैं। ये उप-उत्पाद, स्वस्थ कोशिकाओं (हेल्थी सेल) को नुकसान पहुंचाते हैं और उन्हें कैंसर कोशिकाओं (सेल्स) में बदल देते हैं। शहतूत (मल्बेरी) में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, हानिकारक मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) को तेजी से बेअसर करने में मदद कर सकते हैं। शहतूत (मल्बेरी) के ये गुण, इन मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।4 कैंसर पैदा करने वाले मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) पर शहतूत के प्रभावों को साबित करने के लिए अभी और अध्ययन किए जाने की ज़रूरत है।

5. मधुमेह (डायबिटीज़) के लिए शहतूत (मल्बेरी) के संभावित उपयोग

शहतूत (मल्बेरी) की पत्तियों से निकला अर्क (एक्सट्रैक्ट) ग्लूकोज़ के मेटाबॉलिज़्म को उत्प्रेरित (कैटलाइज़) करने में मदद सकता है। शर्मा (2010) और लोन (2017) और अन्य, द्वारा जानवरों पर किए गए अध्ययन में बताया गया कि शहतूत (मल्बेरी) की पत्तियों से निकले अर्क (एक्सट्रैक्ट) में उच्च रक्त शर्करा (हाई ब्लड ग्लूकोज़) के स्तर को कम करने के गुण मौजूद हैं।1, 2 हालाँकि, मनुष्यों में होने वाले रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज़) के स्तर पर शहतूत (मल्बेरी) के प्रभाव को जानने के लिए अभी मनुष्यों पर अध्ययन किए जाने की ज़रूरत है।

6. प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) के लिए शहतूत (मल्बेरी) के संभावित उपयोग

शहतूत (मल्बेरी) में विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है। विटामिन C कई रोगों से लड़ने में मदद करता है और उनसे सुरक्षा प्रदान करता है। यह कई सूक्ष्म जीवों (माइक्रो-ऑर्गेनिज़्म) जैसे बैक्टीरिया, वायरस और कवक (फंगस) से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा शक्ति (इम्युनिटी) को बढ़ाता है। एक कप शहतूत (मल्बेरी) के फल में मौजूद विटामिन C, पूरे दिन के लिए ज़रूरी  विटामिन C की मात्रा के लगभग बराबर होता है। हालाँकि, मनुष्यों की प्रतिरक्षा शक्ति (इम्युनिटी) पर शहतूत (मल्बेरी) के प्रभाव को साबित करने के लिए अभी और अध्ययन किए जाने चाहिए।

7. त्वचा और बालों के लिए शहतूत (मल्बेरी) के संभावित उपयोग

शहतूत (मल्बेरी) के फल में काफ़ी मात्रा में कैरोटीनॉयड होने के साथ-साथ विटामिन A और E भी भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। ये यौगिक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट के रूप में काम करते हैं जो बालों, त्वचा, ऊतक (टिश्यू) और शरीर के अन्य हिस्सों को मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) के खतरे से बचा सकते हैं। एंटीऑक्सिडेंट दाग को हल्का करने में मदद कर सकते हैं और त्वचा को चिकना (स्मूद) बना सकते हैं। मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) की ऑक्सीडेटिव क्रियाओं को रोककर, शहतूत (मल्बेरी) के फल बालों को भी चमकदार और स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।4 शहतूत (मल्बेरी), त्वचा से तेल निकलने और सूजन (इन्फ्लेमेशन) को कम करके फुंसियों या मुहांसों को कम कर सकते हैं।2 मनुष्यों पर शहतूत (मल्बेरी) के इन सभी गुणों के प्रभाव को समझने के लिए अभी और अध्ययन किए जाने की ज़रूरत है।

8. दिल के लिए शहतूत (मल्बेरी) के संभावित उपयोग

शहतूत (मल्बेरी) की पत्तियों में रेस्वेराट्रोल नाम का एक महत्वपूर्ण फ्लेवोनोइड होता है। यह फ्लेवोनोइड, रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसल्स) के संकुचन को दूर करके दिल की विफलता (हार्ट फेलर) की संभावना को कम कर सकता है। शहतूत (मल्बेरी) में मौजूद रेस्वेराट्रोल, वैसोडिलेटर के रूप में काम करने वाले नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) के उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इसका मतलब है कि यह रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसल्स) पर पड़ने वाले दबाव को कम कर सकता है जिससे रक्त के थक्कों (ब्लड क्लॉट्स) के बनने का खतरा कम हो सकता है। इस प्रकार, यह दिल से जुड़ी समस्याओं जैसे कि दिल का दौरा या रक्त के थक्के (ब्लड क्लॉट्स) बनने के कारण पड़ने वाले दौरे (स्ट्रोक) को नियंत्रित कर सकता है।1, 2 हालाँकि, अब तक किए गए अध्ययन, मनुष्यों के दिल के स्वास्थ्य पर, शहतूत (मल्बेरी) के प्रभाव को साबित करने के लिए अपर्याप्त हैं और इन्हें समझने के लिए अभी और अध्ययन किए जाने की ज़रूरत है।

9. शहतूत (मल्बेरी) के अन्य संभावित उपयोग  

हालाँकि, ऐसे कई अध्ययन किए गए हैं जो विभिन्न परिस्थितियों में शहतूत (मल्बेरी) के लाभों के बार में बताते हैं, लेकिन अभी ये अपर्याप्त हैं और मनुष्यों के स्वास्थ्य पर शहतूत (मल्बेरी) के प्रभाव को जानने के लिए अभी और अध्ययन किए जाने की ज़रूरत है।

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शहतूत (मल्बेरी) को कैसे इस्तेमाल करें? 

शहतूत (मल्बेरी) को निम्नलिखित तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है:

किसी भी तरह का हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले आपको किसी योग्य डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। किसी योग्य डॉक्टर से सलाह लिए बिना आधुनिक दवा (मॉडर्न मेडिसिन) के चल रहे इलाज को बंद न करें और न ही उन्हें आयुर्वेदिक/हर्बल दवा के साथ बदलें।  

शहतूत (मल्बेरी) के दुष्प्रभाव (साइड इफ़ेक्ट): 

अध्ययन के अनुसार, शहतूत (मल्बेरी) के फल को खाने से होने वाले दुष्प्रभाव (साइड इफ़ेक्ट) निम्नलिखित हैं:

हालाँकि, अगर आपको शहतूत (मल्बेरी) खाने से कोई एलर्जी होती है, तो तुरंत किसी डॉक्टर या अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें जिन्होंने आपको इसे खाने की सलाह दी है। वे आपके लक्षणों के अनुसार आपका उचित इलाज कर पाएंगे।

शहतूत (मल्बेरी) के साथ बरती जाने वाली सावधानियां: 

शहतूत (मल्बेरी) खाना ठीक है अगर इसे उचित मात्रा में खाया जाए। हालाँकि, शहतूत (मल्बेरी) खाते समय कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए।

अन्य दवाओं के साथ इस्तेमाल करना: 

एक चिकित्सा संबंधी ​​अध्ययन (क्लीनिकल स्टडीज़) के अनुसार, ज़्यादा मात्रा में काले शहतूत (ब्लैक मल्बेरी) का रस, साइटोक्रोम एंजाइम को रोकने वाली दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकता है; इसलिए, यह कई दवाओं के मेटाबॉलिज़्म को बाधित कर सकता है।6 इसलिए, इसे खाने से पहले हमेशा अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें और प्रिस्क्रिप्शन का पूरी तरह से पालन करें, क्योंकि इसमें आपकी स्वास्थ्य स्थिति (हेल्थ कंडीशन) और आपके द्वारा ली जा रही अन्य दवाओं के बारे में पूरी जानकारी होती है।

Read in English: Star Fruit: Uses, Benefits, Side Effects and More!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

त्वचा के लिए शहतूत (मल्बेरी) के क्या उपयोग हैं?

शहतूत (मल्बेरी) में विटामिन A, विटामिन E और कैरोटीनॉयड भरपूर मात्रा में होते हैं और इनमें एंटीऑक्सीडेंट के गुण भी होते हैं। यह त्वचा के दाग-धब्बों को कम करने में मदद कर सकते हैं, त्वचा को चिकना और युवा रखते हैं, और इन एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह बढ़ती उम्र के धब्बों को कम करता है। शहतूत (मल्बेरी) की पत्तियों का अर्क (एक्सट्रैक्ट) फुंसियों या मुंहासे वाली त्वचा के लिए बेहद असरदार हो सकता है।1

जीनस मोरस  की प्रमुख प्रजातियों के कौन से भाग उपयोग किए जाते हैं?

जीनस मोरस की तीन प्रमुख प्रजातियों के विभिन्न भागों और अर्क (एक्सट्रैक्ट) का उपयोग किया जा सकता है, ये निम्नलिखित हैं: 
मोरस अल्बा (सफेद शहतूत) की जड़, तना, पत्तियां और फल
मोरस नाइग्रा (काली शहतूत) की जड़, पत्ते और फल
मोरस रूब्रा (लाल शहतूत) की जड़ और फल।1

‘इम्मॉर्टल माउंटेन विज़ार्ड टी’ क्या है?

यह शहतूत (मल्बेरी) की पत्तियों से बनी एक तरह की चाय है। शहतूत (मल्बेरी) के पत्तों को धूप में सुखाकर पत्तों का काढ़ा बनाया जाता है। इस चाय को ‘इम्मॉर्टल माउंटेन विज़ार्ड टी’ के नाम से जाना जाता है।2

क्या शहतूत (मल्बेरी) जहरीले होते हैं?

शहतूत (मल्बेरी) के फल या पत्तों के जहरीले होने का कोई प्रमाण नहीं है। हालाँकि, किसी भी जड़ी-बूटी (हर्ब) को ज़्यादा मात्रा में लेते समय कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए।

क्या शहतूत (मल्बेरी) से बाल चमकदार बन सकते हैं?

हाँ। शहतूत (मल्बेरी) की पत्तियों से निकले अर्क (एक्सट्रैक्ट) में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट, बालों को ऑक्सीडेटिव क्षति (डैमेज) पहुंचाने वाले मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे बालों को चमकदार और स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।1

Disclaimer: 
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2

ब्लैककरंट (Blackcurrant in Hindi): उपयोग, लाभ और न्यूट्रिशनल वैल्यू

परिचय

ब्लैककरंट (रिब्स नाइग्रम) एक खाई जाने वाली बेरी है जो दुनिया के विभिन्न भागों, ख़ासकर यूरोप और एशिया में उगाई जाती है। यह गूज़बेरी फ़ैमिली का पौधा है और इसकी कई किस्में जैसे, वाइटकरंट, रेडकरंट और पिंककरंट उपलब्ध है। गर्मियों में ये फल देती हैं, और जब पक जाती हैं, तो ग्लॉसी, परपल बेरीज़ में बदल जाती हैं, जिन्हें खाया जा सकता है और इनका इस्तेमाल भोजन, पेय और हर्बल दवा बनाने के लिए किया जा सकता है। ब्लैककरंट में टैनिन की अधिक मात्रा होने के कारण, इसका स्वाद तीखा होता है। सूखी बेरीज़ मीठी होती हैं, ये बेरीज़ पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जिनमें फ़ाइटोकेमिकल्स, विटामिन, आवश्यक फैटी एसिड और मिनरल्स होते हैं और इनमें सबसे अधिक मात्रा एंटीऑक्सीडेंट की होती है।

ब्लैककरंट में उपलब्ध पोषक तत्व (न्यूट्रिशनल वैल्यू):

1 कप / 112 ग्राम ब्लैककरंट में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा नीचे दी गई है:

ऊर्जा71 किलो कैलोरी
कार्बोहाइड्रेट17.23 ग्राम
प्रोटीन1.57 ग्राम
पानी91.8 ग्राम
कुल वसा0.46 ग्राम
कैल्शियम62 मिलीग्राम
आयरन1.72 मिलीग्राम
ज़िंक0.3 मिलीग्राम
कॉपर0.096 मिलीग्राम
मैग्नीशियम27 मिलीग्राम
फ़ॉस्फोरस66 मिलीग्राम
पोटैशियम361 मिलीग्राम
सोडियम2 मिलीग्राम
विटामिन सी202.7 मिलीग्राम
विटामिन ए258 आईयू
विटामिन ई1.12 मिलीग्राम
विटामिन बी-60.074 मिलीग्राम
थायमिन0.056 मिलीग्राम
राइबोफ्लेविन0.056 मिलीग्राम
नियासिन0.336 मिलीग्राम

ब्लैककरंट के गुण:

ब्लैककरंट का व्यापक रूप से सेवन नीचे दिए गए इसके फायदों के लिए किया जाता है-

● इसमें बहुत अधिक विटामिन सी होती है और यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है।

● इसमें एंटी-इंफ़्लेमेटरी गुण हो सकते हैं।

● यह इम्यून सिस्टम को मज़बूत करने में मदद कर सकता है।

● इसमें ऐन्टीमाइक्रोबिअल, एंटीवायरल और एंटीसेप्टिक क्षमता हो सकती है।

● इसके कैंसर-रोधी प्रभाव हो सकते हैं।

● यह हेल्दी डाइजेशन में मदद कर सकता है।

● यह मस्तिष्क के स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक क्षमताओं में सुधार कर सकता है।

● यह माँसपेशियों और हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।

● इसके एंटी-डायबिटिक प्रभाव हो सकते हैं।

● यह वज़न घटाने में मदद सकता है।

● यह फेफड़ों के लिए बेहतर हो सकता है।

● यह आंखों के ठीक होने में मदद कर सकता है।

● यह प्लाक बिल्डअप को कम करने में मदद कर सकता है।

● यह किडनी और लीवर की कार्यप्रणाली के लिए अच्छा हो सकता है।

● यह ब्लड प्रेशर को कम करने और स्वस्थ हृदय को बढ़ावा देने के लिए ज़िम्मेदार हो सकता है।

● यह त्वचा के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है।

ब्लैककरंट के संभावित इस्तेमाल:

Blackcurrant ke sambhavit upyog:

ब्लैककरंट पोषक तत्वों का एक पावरहाउस है। इसमें बहुत से विटामिन और एंटीऑक्सिडेंट से होते हैं। इसमें फैट की मात्रा कम होती है और यह कई बीमारियों में फ़ायदेमंद हो सकता है।

एंटीऑक्सिडेंट के रूप में ब्लैककरंट के संभावित इस्तेमाल:

ब्लैककरंट में एंथोसायनिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिनके कारण बेरीज़ का रंग काला होता है और शरीर में फ़्री रेडिक्ल्स से लड़ने में मदद करते हैं। ब्लैककरंट में उपलब्ध एंथोसायनिन कुछ प्रकार के कैंसर के विकास की गति को धीमा करने में भी मदद कर सकता है। ये एंटीऑक्सिडेंट प्रभावी रूप से इम्यून सिस्टम को बढ़ाते हैं, जिससे आपका शरीर आपको कई संक्रमणों और वायरस से बचा सकता है। ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण, हृदय के कई रोग शुरू हो जाते हैं और ब्लैककरंट का सेवन रोज़ करने से यह आपके हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

ह्रदय के लिए ब्लैककरंट के संभावित इस्तेमाल:

ब्लैककरंट में फ्लेवोनोइड्स और मज़बूत एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो हृदय को स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। ब्लैककरंट में भरपूर एंथोसायनिन होते हैं जो कुल कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल के स्तर में कमी का कारण बनते हैं, वे सीरम एचडीएल (अच्छे) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी बढ़ाते हैं। ऑक्सीडेटिव तनाव कोशिका क्षति की ओर जाता है और हृदय की समस्याओं का कारण बनता है, ब्लैककरंट खाने से मदद मिल सकती है, इसमें एंटी-इंफ़्लेमेटरी गुण होते हैं और धमनी के दबाव में काफी कमी दिखाई देती है। हृदय के अच्छे स्वास्थ्य के लिए मैग्नीशियम की मात्रा भी ज़िम्मेदार होती है। हृदय की बीमारी काफी गंभीर होती है और इसका समय पर डायग्नोज़ किया जाना ज़रूरी है। समय-समय पर डॉक्टर से जांच करवाएँ और ज़रूरत पड़ने पर इलाज कराएँ।

डायबिटीज़ मैनेजमेंट में ब्लैककरंट के संभावित इस्तेमाल:

ब्लैककरंट में मैंगनीज़ का स्तर काफी अधिक होता है, जो एक आवश्यक मिनरल है जो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। ब्लैककरंट में मौजूद फ़ाइटोकेमिकल्स इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकते हैं, और एंथोसायनिन कार्बोहाइड्रेट-मेटाबोलाइज़िंग  एंज़ाइमों की गतिविधि को ब्लॉक करते हैं और ब्लड शुगर के स्तर को रेगुलेट करने के लिए कार्बोहाइड्रेट के तेज़ी से टूटने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। हालाँकि, ब्लैककरंट के संभावित लाभों का और अध्ययन करने की ज़रूरत है, और डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को एक योग्य डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना चाहिए।

लीवर के लिए ब्लैककरंट के संभावित इस्तेमाल:

Blackcurrants are polyphenol-rich foods and may effectively protect the structural lipids and proteins. Blackcurrants cannot be considered a reliable cure for liver disease, but they may help aid healthy liver functioning.

ब्लैककरंट पॉलीफेनोल युक्त खाद्य पदार्थ हैं और संरचनात्मक लिपिड और प्रोटीन की प्रभावी रूप से रक्षा कर सकते हैं। ब्लैककरंट्स को लीवर की बीमारी के लिए एक भरोसेमंद इलाज नहीं माना जा सकता है, लेकिन वे लीवर के स्वस्थ तरीके से कार्य करने में मदद कर सकते हैं।

ब्लैककरंट का इस्तेमाल कैसे करें?

ब्लैककरंट का सेवन कई तरह से किया जा सकता है, जैसे:

●  ताज़े फल के रूप में

●  सूखे मेवे के रूप में

●  ब्लैककरंट चाय और इन्फ्यूश़न के रूप में

●  डेज़र्ट के रूप में

●  हलवा के रूप में

●  जैम के रूप में

●  जेली के रूप में

●  सिरप के रूप में

●  स्मूदी के रूप में

●  बेहतरीन डिशेस के रूप में

●  योगर्ट के रूप में

●  मोजिटस के रूप में

●  मादक पेय के रूप में

●  ब्लैककरंट के तेल के रूप में

ब्लैककरंट स्वादिष्ट होते हैं, उन्हें विभिन्न रूपों में खाया जा सकता है, और वे कई मीठे या नमकीन डिशेस का हिस्सा होते हैं। चीनी या शहद मिलाने से इसका स्वाद मीठा हो सकता है और डेज़र्ट के रूप में तैयार किया जा सकता है। इनका इस्तेमाल जैम और सिरप बनाने के लिए भी किया जाता है। ब्लैककरंट के बीज का तेल बहुत उपयोगी होता है; यह ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर है और गठिया के लिए काफी असरदार होता है, जिसका इस्तेमाल दवा में आधार या वाहक तेल के रूप में किया जाता है। इसके एंटी-एजिंग और एंटी-इंफ़्लेमेटरी लाभों के कारण स्किनकेयर प्रोडक्ट में भी तेल का इस्तेमाल किया जाता है। यह टीश्यू डैमेज की मरम्मत में मदद करता है, मुँहासे और एक्जिमा के लिए बेहतरीन काम करता है, त्वचा को मॉइस्चराइज करता है, बालों के बढ़ने में मदद करता है और आपके नाखूनों को अच्छे बनाता है।

कोई भी हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले, प्रमाणित डॉक्टर से बात करना बहुत ज़रूरी है। किसी प्रमाणित डॉक्टर से परामर्श किए बिना आपको आयुर्वेदिक/हर्बल सप्लीमेंट के साथ चल रही किसी भी दवा को बंद या बदलना नहीं चाहिए।

ब्लैककरंट के साइड इफ़ेक्ट्स:

ब्लैककरंट सेहत के लिए फ़ायदेमंद होता है। सीमित मात्रा में सेवन करने पर यह पूरी तरह से सुरक्षित मानी जाती है। 

इसलिए, आप अपने डाइट में ब्लैककरंट लेने से पहले, हमेशा डॉक्टर से संपर्क करें।

ब्लैककरंट खाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ:

ब्लैककरंट की एक सामान्य मात्रा हमेशा रोज़ खानी चाहिए। अधिक सेवन से से सॉफ्ट स्टूल, हल्के दस्त और आंतों में गैस की समस्या हो सकती है। यदि कोई महिला गर्भवती है और स्तनपान कराती है, तो उसे ब्लैककरंट का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

 जो लोग त्वचा या बालों के लिए ब्लैककरंट के बीज के तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें हमेशा पहले पैच टेस्ट करना चाहिए। ब्लैककरंट के बीज के तेल को एंटीकोआगुलेंट दवाओं के साथ लेने से बचना चाहिए और इसके लाभों और खतरों के बारे में डॉक्टर से पहले ही सलाह ले लेनी चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्र.1. क्या रोज़ ब्लैककरंट खाना फ़ायदेमंद है?

हाँ, अगर आप ब्लैककरंट के लाभ पाना चाहते हैं, तो आपको ये रोज़ खाना चाहिए। हालाँकि, आपको सिर्फ़ निर्धारित डोज़ ही लेनी चाहिए और रोज़ाना अधिक सेवन करने से इसके कुछ साइड इफ़ेक्ट्स हो सकते हैं।

प्र.2. क्या गर्भवती महिलाएँ ब्लैककरंट खा सकती हैं?

जी हाँ, गर्भावस्था के दौरान ब्लैककरंट खाना फ़ायदेमंद होता है, इससे भ्रूण और माँ दोनों के विकास के लिए आवश्यक विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट, मिनरल्स और कई अन्य पोषक तत्व मिलते हैं। हालांकि, सुरक्षा के तौर पर, आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।

प्र.3. क्या ब्लैककरंट वज़न घटाने में मदद करता है?

ब्लैककरंट आपको लंबे समय ऊर्जा पूर्ण महसूस करने में मदद कर सकता है। वज़न कम करने वाली डाइट तौर पर यह लोगों का एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इनकी पूरी क्षमता के बारे में जानने के लिए और अधिक अध्ययन और शोध किए जा रहे हैं।

प्र.4. क्या वर्कआउट करने से पहले या बाद में ब्लैककरंट खाया जा सकता है?

हाँ, आप वर्कआउट करने से पहले ब्लैककरंट खा सकते हैं क्योंकि यह काफी ऊर्जा देता है और इससे आपको अपनी फ़िटनेस को बनाए रखने और सुधार में मदद मिल सकती है, या आप वर्कआउट करने के बाद ब्लैककरंट भी खा सकते हैं क्योंकि यह रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देता है।

प्र.5. क्या ब्लैककरंट में विटामिन सी की अधिक मात्रा होती है?

जी हाँ, ब्लैककरंट में संतरे से चार गुना ज़्यादा विटामिन सी होता है।

Disclaimer:
The information included on this site is for educational purposes only and is not intended to be a substitute for medical treatment by a healthcare professional. Because of unique individual needs, the reader should consult their physician to determine the appropriateness of the information for the reader’s situation.

ख़ुरमा (Persimmon Fruit in Hindi): उपयोग, लाभ, और न्यूट्रिशनल वैल्यू- डॉ राजीव सिंह

परिचय:

क्या आपने कभी उस फल के बारे में सोचा है जो संतरे के साथ अच्छी तरह से मेल खाता हो? यह ख़ुरमा (पर्सिमोन) है! यह एक रेशेदार, मांसल, पतझड़ और उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) फल होता है। ख़ुरमा (पर्सिमोन) का वैज्ञानिक नाम डायोस्पायरोस काकी है और यह एबेनेसी के परिवार से संबंधित होता है। ख़ुरमा (पर्सिमोन) की खेती आमतौर पर जापान, चीन, कोरिया, ब्राजील, इटली और तुर्की जैसे देशों में की जाती है। हालांकि, ख़ुरमा (पर्सिमोन) का अधिकतम उत्पादन चीन से होता है। क्या आपको पता है, ख़ुरमा (पर्सिमोन) की लगभग 400 प्रजातियां हैं? यह दुनिया में पांचवीं सबसे तेजी से विकसित होने वाले फल की फसल है! ख़ुरमा (पर्सिमोन) अपने छिपे हुए स्वास्थ्य लाभों के कारण लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है।1,2 आइए उनमें से कुछ पर एक नज़र डालते हैं।

ख़ुरमा (पर्सिमोन फ़्रूट) में पोषक तत्वों की मात्रा:

ख़ुरमा (पर्सिमोन) फलों में प्रोएंथोसायनिडिन्स, कैटेचिन, ट्राइटरपीनोइड्स, कैरोटेनॉइड्स, टोकोफ़ेरॉल, फ़्लेवोनोइड्स, टैनिन, फेनोलिक एसिड, पॉलीफेनोल और अन्य सहित कई बायोएक्टिव यौगिक पाए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल में निम्नलिखित पोषक तत्व हो सकते हैंः

पोषक तत्वमात्रा
जल64.4 ग्राम
ऊर्जा127 किलोकैलोरी
कार्बोहाइड्रेट33.5 ग्राम
फैट0.4 ग्राम
प्रोटीन0.8 ग्राम
फॉस्फोरस26 मिलीग्राम
सोडियम1 मिलीग्राम
कैल्शियम27 मिलीग्राम
आयरन2.5 मिलीग्राम
पोटैशियम310 मिलीग्राम
विटामिन सी (एस्कॉर्बिक एसिड)66 मिलीग्राम
ट्रिप्टोफैन0.014 ग्राम
थ्रेओनाइन0.041 ग्राम
ग्लूटामिक एसिड0.104 ग्राम
वेलिन0.042 ग्राम
ल्यूसीन0.058 ग्राम
मेथिओनाइन0.007 ग्राम

टेबल 1: ख़ुरमा (पर्सिमोन) में उपस्थित पोषक सामग्री (कच्चा)3 

ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के गुण:

कई अध्ययनों से पता चला है कि ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल में निम्नलिखित गुण होते हैंः1

● यह एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य कर सकता है।

● यह ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है।

● यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है।

● इसमें ब्लड-शुगर को कम करने वाले गुण होते हैं।

● इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।

● एलर्जी होने पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

● यह म्यूटेशन (जीन की संरचना में बदलाव) की घटना को कम कर सकता है, आनुवंशिक विकारों और कैंसर के जोखिम को कम करता है।

● यह प्लेटलेट्स के एक दूसरे से चिपके जाने के जोखिम को कम कर सकता है (अनावश्यक ब्लड क्लॉटिंग की संभावना को कम करता है)।

संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) के संभावित इस्तेमाल

Sampoorn swasth ke liye Khurma (Persimmon) ke sambhavit upyog:

ख़ुरमा (पर्सिमोन)  के कुछ संभावित इस्तेमाल निम्नलिखित है:

1. हृदय के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के संभावित इस्तेमाल  

2000 में बुल्गा एट अल द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला कि ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल में बायोएक्टिव प्रोएंथोसाइनिडिन ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है। यह प्लेटलेट एग्रीगेशन के खतरे को भी कम करता है और इस प्रकार थ्रोम्बोसिस की घटना भी कम हो जाती है। थ्रोम्बोसिस तब होता है जब रक्त का थक्का धमनियों या शिराओं को अवरुद्ध कर देता है। ख़ुरमा (पर्सिमोन) शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड की प्रोडक्टिविटी को भी बढ़ाता है, जो रक्त के प्रवाह में सुधार करने के लिए रक्त वाहिकाओं को आराम देता है। इन तरीकों से, ख़ुरमा (पर्सिमोन) हृदय रोगों के जोखिम को कम करने के लिए फ़ायदेमंद होता है।2,4 हालांकि, हृदय की स्थिति पर ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के प्रभाव की जांच करने के लिए मनुष्यों पर और अधिक अध्ययन किया जाना अभी बाकी है। इसलिए, यदि आपमें हृदय से संबंधित रोग के कोई भी लक्षण है, तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और केवल ख़ुरमा (पर्सिमोन) पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

2. कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के संभावित इस्तेमाल 

गोरइंस्टिन एट अल द्वारा 2000 में चूहों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला कि ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर और ट्राइग्लिसराइड्स को कम कर सकता है। इसके लिए लाइकोपीन और एपिगैलोकैटेचिन-3-ओ-गैलेट (EGCG) जैसे एंटीऑक्सीडेंट को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।2,5 हालांकि, ये पशुओं पर किए गए अध्ययनों के डेटा हैं और मनुष्यों पर अभी आगे और अधिक अध्ययन किए जाने बाकी हैं। इसलिए, आपको खुद से दवा लेने के बजाय असामान्य कोलेस्ट्रॉल स्तर के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

3. डायबिटीज़ के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) के फल का संभावित इस्तेमाल

डायबिटीज़ के उपचार के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) के संभावित फ़ायदे हैं। 2007 में ली एट अल द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला कि पर्सिमोन में प्रोएंथोसाइनिडिन एंजाइम α-मेलेसिस और α-ग्लुकोसिडेज को रोक सकता है। ये एंजाइम कार्बोहाइड्रेट के उपापचय कर के ग्लूकोज में बदल सकते हैं जो बाद में ब्लडस्ट्रीम  में प्रवेश करता है। इससे रक्त में ग्लूकोज के उत्सर्जन में देरी हो सकती है, जिससे रक्त ग्लूकोज का स्तर कम हो सकता है। इसके अतिरिक्त, ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन खाने के बाद ग्लूकोज को तेजी से अवशोषण को रोक सकता है, जो ब्लड शुगर लेवल में वृद्धि को रोक सकता है।2,6,7 हालांकि, इस बात की जांच करने के लिए और अधिक अध्ययनों की आवश्यकता है कि क्या ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल डायबिटीज़ के उपचार के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है। इसलिए, आपको नियमित रूप से अपने ब्लड ग्लूकोज के स्तर की जांच करनी चाहिए और हाई ब्लड ग्लूकोज स्तर के मामले में अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

4. कैंसर के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के संभावित इस्तेमाल

2011 में जो एट अल द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला कि ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल कैंसर कोशिकाओं के वृद्धि को रोक सकता है। ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल में मौजूद कैरोटीनॉयड और कैटेचिन जैसे बायोएक्टिव यौगिक स्तन, प्रोस्टेट, मुंह और रक्त कैंसर के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है।2,8 हालांकि, इस बात की पुष्टि करने के लिए और अधिक अध्ययनों की आवश्यकता है कि ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल कैंसर में मदद कर सकता है। कैंसर एक खतरनाक बीमारी है; इसलिए, आपको खुद से चिकित्सा के बजाय उचित उपचार लेना चाहिए।

5. त्वचा के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल का संभावित इस्तेमाल

2005 में जीन एन एट अल द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला कि ख़ुरमा (पर्सिमोन) के पत्तों का अर्क त्वचा की विभिन्न समस्याओं जैसे त्वचा का फटना, एक्जिमा (त्वचा की सूजन) और मुंहासों के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है। यह फ्लेवोनॉइड्स, कैटेचिन, कार्बनिक एसिड और विटामिन बी1, बी2, सी और के9 जैसे बायो एक्टिव यौगिकों के कारण हो सकता है। हालांकि, त्वचा के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के लाभों का आकलन करने के लिए अधिक अध्ययनों की आवश्यकता है।

6. जीवाणु संक्रमण (बैक्टीरियल इन्फेक्शन) के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल का संभावित इस्तेमाल

2017 में मात्सुमुरा एट अल द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला कि ख़ुरमा (पर्सिमोन) में मौजूद टैनिन माइकोबैक्टीरियम प्रजातियों के बैक्टीरिया से लड़ सकता है, जो फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यह बैक्टीरिया संक्रमण के कारण होने वाली सूजन को कम कर सकता है।10 हालांकि, बैक्टीरिया संक्रमण के मामले में ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल का इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए आगे अभी और भी कई अध्ययनों की आवश्यकता है। इसलिए, यदि आपको किसी बैक्टीरिया के संक्रमण का संदेह है तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

7. आंखों के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) के फल के संभावित इस्तेमाल

1994 में सेडॉन एट अल द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला कि ल्यूटिन, ख़ुरमा (पर्सिमोन) में एक बायोएक्टिव यौगिक, आंख के मैकुला हिस्से को नुकसान से बचा सकता है। मैक्युला आंखों में रेटिना के पीछे एक येलो स्पॉट होता है, जो केंद्रीय दृष्टि के लिए जिम्मेदार होता है। ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल में मौजूद ल्यूटिन (एक कैरोटीनॉयड) आंख के मैक्युला में भी पाया जाता है।2 हालांकि, मैक्युला को नुकसान से बचाने के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) का इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं, यह जांचने के लिए अभी और कई अध्ययन किया जाना बाकी है। इसलिए, यदि आपकी दृष्टि बाधित हो रही है, तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

हालांकि अध्ययन विभिन्न स्थितियों में ख़ुरमा (पर्सिमोन)  फल के लाभ बताते हैं, लेकिन ये अपर्याप्त हैं, और मानव स्वास्थ्य पर ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के लाभों की सही सीमा को स्थापित करने के लिए आगे अभी और अधिक अध्ययन किये जाने की आवश्यकता है।

 ख़ुरमा (पर्सिमोन) को निम्नलिखित तरीके से आपके आहार में शामिल किया जा सकता है। 

● आप कच्चा ख़ुरमा (पर्सिमोन) खा सकते हैं।

● इसका इस्तेमाल साइडर या सिरका तैयार करने के लिए किया जा सकता है।

● आप ख़ुरमा (पर्सिमोन) के गूदे का सेवन कर सकते हैं।

आपको बड़ी मात्रा में या किसी भी हर्बल सप्लीमेंट को लेने से पहले किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह के बिना आयुर्वेदिक/हर्बल तैयारी के साथ आधुनिक चिकित्सा के चल रहे उपचार को बंद न करें या उसे बदलें नहीं

ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के साइड इफ़ेक्ट्स

एक क्लीनिकल परीक्षण से पता चला है कि ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के साइड इफ़ेक्ट्स इस प्रकार हो सकते हैं। हालांकि, निम्नलिखित साइड इफ़ेक्ट्स की पुष्टि करने के लिए अतिरिक्त बड़े पैमाने पर अध्ययनों की आवश्यकता होती है, जैसा कि आमतौर पर, इस फल को किसी भी गंभीर साइड इफ़ेक्ट्स का उत्पादन करने के लिए जाना जाता हैः

● इससे प्रुरिटस (त्वचा में खुजली) हो सकती है।

● इससे अर्टिकेरिया (त्वचा पर सूजन, लालिमा और खुजली) हो सकती है।

● इससे एडिमा (अतिरिक्त तरल पदार्थ फंसने के कारण सूजन) हो सकता है।

● यह अस्थमा को बढ़ा सकता है।

● इससे आपको चक्कर आ सकते हैं।

● इससे आपको मिचली आ सकती है।

● इससे राइनोरिया (नाक बहना) हो सकता है।

● इससे पेट में दर्द हो सकता है।12

ख़ुरमा (पर्सिमोन) का सेवन करने के बाद यदि आपको कोई साइड इफ़ेक्ट्स महसूस होते हैं तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल खाते समय बरती जाने वाली सावधानियां

किसी भी अन्य दवा की तरह ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के सेवन से पहले पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इसी तरह, बुजुर्गों या बच्चों को ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल देने से पहले, सावधानी बरतनी चाहिए। इसलिए, किसी भी चिकित्सा की स्थिति के मामले में व्यक्तियों को ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करने का सुझाव दिया जाता है।

अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया:

अन्य दवाओं के साथ ख़ुरमा (पर्सिमोन) की प्रतिक्रिया पर पर्याप्त अध्ययन नहीं हुआ है। ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल की प्रतिक्रिया पर अभी और अधिक अध्ययन को किया जाना बाकी है। इसलिए, अगर आप ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल का सेवन करने से पहले कोई अन्य दवा ले रहे हैं तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1) ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के फायदे क्या हैं?

ख़ुरमा (पर्सिमोन) के कई सारे स्वास्थ्य लाभ हैं। यह मैक्युला की रक्षा कर सकता है, हृदय के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम कर सकता है। इसका इस्तेमाल बैक्टीरियल इंफेक्शन और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए भी किया सकता है। इसके अलावा, ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल त्वचा को लाभ पहुंचा सकता है। हालांकि, अगर आपको कोई बीमारी है तो आपको खुद से दवा लेने के बजाय अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।1,2,4-10

2) बहुत अधिक मात्रा में ख़ुरमा (पर्सिमोन) खाने के क्या साइड इफ़ेक्ट्स हैं?

ख़ुरमा (पर्सिमोन) से प्रुरिटस (खुजली वाली त्वचा), अर्टिकेरिया (त्वचा पर सूजन, लालिमा और खुजली), एडिमा (अत्यधिक तरल पदार्थ ट्रैप्ड के कारण सूजन), अस्थमा, राइनोरिया, पेट और कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं। इससे मिचली आ सकती है और आपको चक्कर आने जैसा लग सकता है।11
यदि आपको ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के सेवन करने से कोई भी साइड इफ़ेक्ट्स महसूस होता है तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

3) ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के पोषण संबंधी क्या लाभ होते हैं?

ख़ुरमा (पर्सिमोन) के फलों में कई बायोएक्टिव यौगिक जैसे प्रोएंथोसायनिडिन्स, कैटेचिन, कैरोटीनॉयड, टोकोफेरोल, फ्लेवोनोइड, टैनिन और कई अन्य भी होते हैं। इसके अतिरिक्त, ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल में पानी, ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, फैट और प्रोटीन भी होती है। इसमें फॉस्फोरस, सोडियम, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम और कई अन्य खनिज शामिल होते हैं। इसमें विटामिन सी और कई अन्य अमीनो एसिड भी होते हैं।1,3

4) क्या ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल डायबिटीज़ के लिए अच्छा होता है?

ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल में मौजूद बायोएक्टिव यौगिक प्रोएंथोसायनिडिन्स ओलिगोमर्स और पॉलिमर एंजाइम α-एमाइलेज़ और α-ग्लुकोसिडेज़ की क्रिया को रोक सकते हैं जो ग्लूकोज अपटेक होने में कमी कर सकता हैं और ब्लड शुगर के स्तर को कम कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन खाने के बाद शरीर में ग्लूकोज के तेजी से अवशोषण को रोकता है।2,6,7 हालांकि, आपको नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर के स्तर की जांच करनी चाहिए और हाई ब्लड शुगर के स्तर की स्थिति में अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

5) ब्लड प्रेशर के लिए ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल के क्या फ़ायदें हैं और क्या यह रक्त के थक्के जमने से बचाता है?

ख़ुरमा (पर्सिमोन) फल में बायोएक्टिव प्रोएंथोसायनिडिन ब्लड प्रेशर को कम करने और प्लेटलेट को एक साथ जुड़ने के जोखिम को कम करने में मदद करता है और इस तरह थ्रांबोसिस (रक्त का थक्का बनना) की घटना को कम करता है। ख़ुरमा (पर्सिमोन) नाइट्रिक ऑक्साइड उत्पादन को बढ़ाकर रक्त प्रवाह में सुधार करने के लिए रक्त वाहिकाओं को भी आराम देता है।2,4  हालांकि, यदि आपको हृदय रोग के कोई लक्षण हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

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References:

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फूलगोभी (Cauliflower in Hindi): उपयोग, लाभ, न्यूट्रिशनल वैल्यू और बहुत कुछ!

परिचय:

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) सब्ज़ियों के क्रूसिफेरियस परिवार से है, जैसे ब्रोकली और पत्ता गोभी। यह एक ऐसी महत्वपूर्ण सब्ज़ी है जो भोजन और व्यंजनों में कई प्रकार से उपयोग में लाई जाती है। यही कारण है कि दुनिया भर में फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) उगाई जाती है। फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में पोषक तत्वों और सक्रिय फाइटोकेमिकल्स की काफ़ी मात्रा होती है जो बहुत प्रकार से लाभ पहुंचा सकते हैं।1 फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) कई पोषक तत्वों की भरमार होने की वजह से इसकी दुनिया भर की शीर्ष 10 लाभप्रद सब्ज़ियों में गिनती होती है। हां, यह ज़रूर है कि खेती के तरीके भिन्न होने के कारण इसमें  पोषक तत्वों की मात्रा अलग-अलग हो सकती है।2 आपके पसंदीदा भोजन और व्यंजनों का हिस्सा होने के अलावा, फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के कुछ स्वास्थ्य लाभ भी हो सकते हैं।

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के संभावित स्वास्थ्य लाभों के बारे में और अधिक जानने के लिए पढ़ना जारी रखें!

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की मात्रा:

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में काफ़ी मात्रा में विटामिन, मिनरल्स और अन्य सक्रिय फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं। फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में हर 100 ग्राम सर्विंग में पाए जाने वाले पोषक तत्वों का विवरण इस प्रकार से है –

पोषक तत्व मात्रा
कार्बोहाइड्रेट4.97 ग्राम 
प्रोटीन 1.92 मिलीग्राम 
फाइबर 2 ग्राम 
वसा 0.28 ग्राम 
फ्रुक्टोज़ 0.97 ग्राम 
ग्लूकोज़ 0.94 ग्राम
आयरन0.42 मिलीग्राम 
सोडियम 30 मिलीग्राम 
पोटेशियम299 मिलीग्राम 
फॉस्फोरस44 मिलीग्राम 
मैग्नीशियम15 मिलीग्राम 
कैल्शियम 22 मिलीग्राम
कॉपर0.039 मिलीग्राम 
ज़िंक0.27 मिलीग्राम 
मैंगनीज़ 0.155 मिलीग्राम 
फ्लोराइड1 μग्राम
विटामिन सी48.2 मिलीग्राम 
राइबोफ्लेविन 0.06 मिलीग्राम 
थायमिन 0.05 मिलीग्राम 
नियासिन 0.507 मिलीग्राम 
पैंथोथेटिक ऐसिड 0.667 मिलीग्राम 
फोलेट57 μग्राम
ऊर्जा25 किलो कैलोरी

टेबल 1 : फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में प्रति 100 ग्राम सर्विंग में पाए जाने वाले पोषक तत्व3

Read in English: Coconut: Uses, Benefits, Side Effects and More!

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के गुण:

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में ऐक्टिव फाइटोकेमिकल्स होते हैं। इसके अतिरिक्त, फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में निम्नलिखित गुण हो सकते हैं:

यह भी पढ़ें: मेथी (फेनुग्रीक): उपयोग, फ़ायदे, साइड इफ़ेक्ट्स और अन्य बहुत कुछ!

संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के संभावित उपयोग:

Sampoorn swasth ke liye FoolGobi (Cauliflower) ke sambhavit upyog:

प्रचुर मात्रा में विभिन्न पोषक तत्व और फाइटोकेमिकल्स के मौजूद होने के कारण फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) कई प्रकार से स्वास्थ्य-लाभ प्रदान कर सकती है। विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों में फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के सेवन के संभावित लाभ निम्नलिखित हैं।

1. हृदय के लिए फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के संभावित लाभ:

हृदय को स्वस्थ रखने के लिए फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) का सेवन लाभकारी हो सकता है। हृदय रोगों के जोखिम को रोकने में क्रूसिफेरस सब्ज़ियों के मनचाहे परिणाम निकल सकते हैं। हृदय रोग के जोखिम से बचने के लिए फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के रस का सप्लीमेंट के तौर पर लिया जा सकता है।5 आप अपने हृदय को स्वस्थ रखने के लिए फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) को दैनिक आहार का हिस्सा भी बना सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आप या आपका कोई अपना हृदय रोग से पीड़ित है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें और चिकित्सीय सहायता प्राप्त करें।

2. कैंसर के लिए फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के संभावित लाभ:

विभिन्न मानव परीक्षणों में सिद्ध हुआ है कि फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) का सेवन कई तरह से कैंसर के जोखिम को रोकने में मदद कर सकता है। स्तन कैंसर के खतरे से बचने में फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) फ़ायदेमंद हो सकती है। प्रोस्टेट और फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को कम करने में भी फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) प्रभावी हो सकती है।5 रोग होने की दशा में किसी भी जड़ी-बूटी का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करने और परामर्श लेना ज़रूरी है। 

3. डायबिटीज़ में फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के संभावित लाभ:

टाइप 2 डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है जो दुनिया भर आमतौर पर पाई जाती है। हाई ब्लड शुगर लेवल डायबिटीज़ का कारण बनता है। एक रासायनिक अध्ययन के अनुसार, फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) डायबिटीज़ के लिए ज़िम्मेदार एंज़ाइम को रोक सकती है। इसलिए, फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के सेवन से आपको डायबिटीज़ के शुरुआती चरणों को रोकने में मदद मिल सकती है।4 डायबिटीज़ को नियंत्रित करने के लिए फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) का उपयोग करने से पहले, अपने डॉक्टर से सलाह लें। एक स्वस्थ आहार के सेवन से आपको अपने ब्लड शुगर को संतुलित रखने में लाभदायी हो सकता है। इसके बावजूद डॉक्टर की सलाह और निर्धारित उपचार का तुरंत पालन करना सबसे बेहतर है।

हालांकि ऐसे अध्ययन हैं जो विभिन्न स्थितियों में फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के लाभों को बताते हैं, ये काफ़ी नहीं हैं और मानव स्वास्थ्य पर फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के लाभों को सही प्रकार से जानने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।

Read in English: Bottle Gourd: Uses, Benefits, Side Effects and More!

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) का उपयोग किस प्रकार करें?

दुनिया भर में फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) का व्यापक रूप से दैनिक आहार के तौर पर सेवन किया जाता है। आप इसका सेवन कर सकते हैं:

● ताज़ा (सलाद की तरह)

● भाप से पकाकर

● भोजन और व्यंजनों के तौर पर5

कोई भी हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले आपको किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। किसी योग्य डॉक्टर से पूछे बिना आयुर्वेदिक/हर्बल के साथ आधुनिक चिकित्सा के चल रहे उपचार को ना ही बंद करें या ना ही बदलें।

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के साइड इफेक्ट्स:

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) का सेवन आमतौर पर लोग रोज़ाना करते हैं। इसे भोजन और व्यंजनों के रूप में लेना सुरक्षित हो सकता है। हालांकि, कुछ लोगों पर कुछ खाद्य पदार्थों और सब्ज़ियों का अलग तरह से असर होता है। अगर आप फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के सेवन के बाद कोई भी गंभीर या हल्का साइड इफ़ेक्ट्स महसूस करते हैं तो परामर्श के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के सेवन में सावधानियां:

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के सेवन में कुछ सावधानियां इस प्रकार हैं:

● गर्भावस्था में फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) का सेवन सुरक्षित हो सकता है। हालांकि, इसको बहुत ज़्यादा नहीं खाना चाहिए।6

● स्तनपान के दौरान फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के सेवन से स्तन के दूध पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ सकता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) सुरक्षित हो सकती है।7

● बुजुर्गों को फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए। किसी भी विषैले प्रभाव से बचने के लिए फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए।

● बच्चों को फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) खिलाते समय ध्यान रखें। ध्यान दें कि बच्चे फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) का अधिक सेवन न करें, क्योंकि इससे कुछ साइड इफ़ेक्ट्स हो सकते हैं।

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) का सेवन करने से पहले उपरोक्त मामलों में हमेशा अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।

अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया:

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) सब्ज़ियों के क्रूसिफेरस परिवार से होती है। क्रूसिफेरस सब्ज़ियां शरीर में बाहरी पदार्थों के चयापचय के लिए ज़िम्मेदार कुछ एंजाइमों को प्रेरित कर सकती हैं।5 कुछ दवाओं के साथ फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) लेने से उनके चयापचय और शरीर से निष्कासन में तीव्रता आ सकती है।

उदाहरण: आइसोनियाज़िड (टीबी (तपेदिक) के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा), हाइड्रैलेज़िन और एंड्रेलाज़ीन (ब्लड प्रेशर को कम करने वाली दवाएं), सल्फोनामाइड्स (जीवाणुरोधी दवाएं), डैप्सोन (ऐंटी इन्फ़्लैमटॉरी दवा), प्रोकेनामाइड (एरिथिमिया नामक हृदय रोग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा) और नाइट्राजेपाम (दर्द कम करने वाली दवा)।8

इसलिए, यदि आप कोई दवा ले रहे हैं तो गोभी का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के स्वास्थ्य लाभ क्या-क्या हैं?

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। नियमित रूप से फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के सेवन से कुछ हद तक कैंसर, हृदय रोग और डायबिटीज़ के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में ऐंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ अन्य पोषण संबंधी लाभ भी हो सकते हैं।1,3–5 आप ये स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) को अपने दैनिक आहार में जोड़ सकते हैं।

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) के पोषण संबंधी लाभ क्या-क्या हैं?

फूलगोभी में (कॉलीफ़्लावर) फ़ाइबर और विटामिन सी भारी मात्रा में पाया जाता है जो कई प्रकार से स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है। फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। इसमें आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, ज़िंक, कॉपर, फॉस्फोरस और फ्लोराइड जैसे मिनरल भी मौजूद हैं। विटामिन सी के अलावा, फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में बी1, बी2, बी3 और बी5 जैसे विटामिन भी शामिल हैं।3

क्या वज़न कम करने के लिए फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) का उपयोग किया जा सकता है?

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में फाइबर की मात्रा अधिक होती है और कैलोरी कम होती है।3 उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ वज़न को संतुलित रखने में मदद कर सकते हैं क्योंकि इससे काफी समय तक पेट भरा महसूस होता है और ये ज़्यादा खाना खाने से रोकने में मदद कर सकते हैं।9

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) त्वचा के लिए किस प्रकार से लाभकारी है?

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) में विटामिन सी काफ़ी मात्रा में पाया जाता है।3 त्वचा के लिए विटामिन सी बहुत अच्छा हो सकता है। विटामिन सी त्वचा को पराबैंगनी विकिरण (यूवी) के अत्यधिक संपर्क से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है। यूवी किरणों के संपर्क में आने के कारण समय से पहले त्वचा की उम्र को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है। विटामिन सी कोलेजन निर्माण में वृद्धि में भी मदद कर सकता है और त्वचा के लचीलेपन में सुधार कर सकता है।10

क्या फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) से डायबिटीज़ पर नियंत्रण किया जा सकता है?

फूलगोभी (कॉलीफ़्लावर) को अपने आहार में शामिल करने से आपको अपने ब्लड शुगर पर नियंत्रण रखने और डायबिटीज़ के शुरुआती चरणों में संतुलन रखने में मदद मिल सकती है।4 हालांकि, किसी प्रकार के लक्षणों पर नियंत्रण के लिए किसी जड़ी-बूटी या सब्ज़ी का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें। स्थिति ना बिगड़े इसके लिए डॉक्टर की सलाह का पालन करना आवश्यक है।

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गाजर (Carrot in Hindi): उपयोग, लाभ और न्यूट्रिशनल वैल्यू

गर्मी का मौसम आ गया है और स्वादिष्ट क्रिस्पी गाजर भी अब आ गई है! स्वादिष्ट और क्रिस्पी गाजर को कौन मना कर सकता है? इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यह सब्जी (गाजर) विटामिन, खनिज (मिनरल), और फ़ाइबर से भरपूर है और लोगों को यह बहुत पसंद भी आती है। यह आँखों के लिए भी अच्छा है। हाँ, लेकिन गाजर के फायदे यहीं खत्म नहीं होते। सरल (सिम्पल) और स्वस्थ तरीकों (हेल्थी मेथड्स) के साथ, जड़ वाली सब्जियों (हेल्थी रूट वेजीटेबल) का सेवन करने से बहुत से स्वास्थ्य संबंधी फायदे होते हैं। 

गाजर (Daucus carota L) दुनिया में सबसे ज्यादा मात्रा में उपयोग किये जाने वाले और सबसे जरूरी ट्यूबर्स (कंदों) में से एक है, और क्योंकि यह दूसरों की तुलना में आसानी से उग जाता है, और इसका उपयोग बहुत सी डिश और पारंपरिक व्यंजनों (कल्चरल क्यूजिन) को बनाने में किया जाता है, और यह अलग-अलग रंगों में पाया जाता है, जैसे नारंगी, जामुनी, सफेद, पीला और लाल। गाजर की मुख्य जड़ आम तौर पर सब्जी की तरह खाई जाती है, हालाँकि सब्जियों को अभी भी सलाद और दूसरे तरीकों से उपयोग किया जा सकता है।

गाजर के न्यूट्रिशनल फैक्ट

गाजर विटामिन A और बीटा-कैरोटिन का बहुत अच्छा स्त्रोत (सोर्स) है। इन पोषक तत्वों (न्यूट्रिएंट्स) के साथ, यह विटामिन C, ल्यूटिन, ज़ेक्सैंथिन, विटामिन K, डाइटरी फाइबर, आदि का अच्छा स्त्रोत (सोर्स) है।

यह एक मौसमी (सीजनल) सब्जी है और इसे बार-बार खाने पर भी, कम मात्रा में ही कैलोरी मिलती है और इसलिए यह डाइट करने वालों की बेस्ट फ्रेंड हैं। NIN के अनुसार, 100 ग्राम लाल गाजर 38 किलो कैलोरीl, 6.7 ग्रा कार्बोहाइड्रेट, 1 ग्राम प्रोटीन, 0.5 ग्राम वसा (फैट), 5 ग्राम टोटल फ़ाइबर, 7 मिग्रा विटामिन C, 451 mcg विटामिन A, और 2706 mcg बीटा कैरोटिन प्रदान करती है। 

गाजर के फायदे 

1. स्वस्थ दृष्टि (हेल्दी विज़न) को बेहतर बनाने में मदद करता है:  

विटामिन A की कमी से ड्राय आईज नामक बीमारी हो जाती है, जो हमारे सामान्य दृष्टि (नॉर्मल विज़न) को प्रभावित करती है और इससे रतौंधी (नाइट ब्लाइन्डनेस) की समस्या हो जाती है। गाजर में मौजूद ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन नामक एंटी-ऑक्सीडेन्ट भी आँखों की हेल्थ को बेहतर बना सकते हैं। यह दो प्राकृतिक घटक, आँखों के रेटिना और लेंस को सुरक्षित रखते हैं। द अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी में यह बताया गया है कि जो महिलाएँ एक सप्ताह में दो बार गाजर का सेवन करती हैं, उनमें ग्लूकोमा का रिस्क उन महिलाओं की तुलना में 64% कम होता है, जो एक बार भी गाजर का सेवन नहीं करती।

2. वजन कम करने में मदद करता है:

एक स्नैक के रूप में गाजर सबसे हेल्थी स्नैक है! बग्स बनी या हमारे अपने करमचंद को याद करें –  वैसे अब वह समय आ गया है कि हम भी उनकी खाने की आदतों (इटिंग हैबिट) को अपना (फॉलो) लें। एक कप गाजर में बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती है लेकिन इसमें एक बाउल पोषक तत्व होते हैं, और ये पोषक तत्व वास्तव में आपको लंबे समय तक भूख महसूस न होने में मदद कर सकते हैं और बदले में, आप अपने खाने से जितनी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त करते हैं उसकी मात्रा कम हो सकती हैं। अगर आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो अपने मील रोटेशन में कुछ गाजर शामिल करने का कोशिश करें।

3. त्वचा को स्वस्थ (स्किन हेल्थ) बनाता है:

जो लोग त्वचा से संबंधित उत्पादों (प्रोडक्ट) की मदद से अपनी खानपान (डाइट) में सुधार करना चाहते हैं, उनके लिए गाजर एक बढ़िया स्नैक है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, कि गाजर मुँहासे, डर्मेटाइटिस, मुँहासे, रैश और अन्य त्वचा से संबंधित बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। एंटीऑक्सीडेंट सामग्री (कंटेंट) के अलावा, उनमें β-कैरोटीन भी होता है। उपचार (हीलिंग) में इसकी क्या भूमिका है? त्वचा पर दाग (स्कार) और धब्बे (स्पॉट)। न्यूट्रिशनल फ़ायदों को पूरी तरह से पाने के लिए ज्यादा मात्रा में इसका सेवन करें।

4. इम्मुनिटी बढ़ाने में मदद करता है: 

गाजर में मौजूद विटामिन C इम्यून सिस्टम सपोर्ट और उपचार (हीलिंग)  बहुत महत्वपूर्ण होता है। सब्ज़ियों में मौजूद विटामिन A भी इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करता है और म्यूकस मेम्ब्रेन, जो हमारे शरीर से कीटाणुओं (जर्म्स) को दूर करने में मदद करता है, के निर्माण और सुरक्षा (प्रोटेक्शन) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

5. दिल (हार्ट) को स्वस्थ रख सकता है:

कई अध्ययनों से यह साबित हुआ ही कि वजन कम करने के (वैट लॉस) प्लान में गाजर जैसी रंगीन सब्जियों से भरपूर डाइट का सेवन करने से कोरोनरी हार्ट डिसीज होने की संभावना (चान्सेस) कम हो जाती है। एक डच अध्ययन से यह पता चलता है कि केवल 25 ग्राम नारंगी रंग की गाजर का सेवन करने से कोरोनरी हार्ट डिसीज की संभावना 32% कम हो सकती है। गाजर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। गाजर में पाया जाने वाले, खनिज (मिनेरल), पोटैशियम, सोडियम के लेवल को संतुलित करने और शरीर से इसे बाहर निकालने में मदद करता है।

6. पाचन संबंधी फायदे

गाजर में ज्यादा मात्रा में फ़ाइबर और कैरोटिनॉइड होते हैं, यह दोनों ही कम समय (शॉर्ट टर्म) और लंबे समय (लॉन्ग टर्म) वाली पाचन संबंधी स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। कैरोटिनॉइड कोलोन कैंसर के साथ लिंक किया गया है, जिससे यह गाजर के लॉन्ग टर्म वाले स्वास्थ्य संबंधी फ़ायदों में से एक है। इसके साथ, ऐसा बताया गया है कि हाई-फाइबर वाली डाइट कोलोरेक्टल कैंसर की रिस्क को कम करता है और आपके पाचन तंत्र के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। आमतौर पर मिलने वाली रेगुलर गाजर में आपकी रोज़ाना फाइबर की जरूरत का 5%-7% तक फाइबर हो सकता है।

7. डायबिटीज़ नियंत्रण

गाजर में कम मात्रा में प्राकृतिक शर्करा (नैचुरल शुगर) होती है और जब इसे गाजर की फाइबर कंटेन्ट के साथ जोड़ा जाता है तो यह इस सब्जी को एक लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स देती है। जिन खाद्य पदार्थों में कम ग्लाइसेमिक होता है उनमें ब्लड शुगर के बढ़ने की रिस्क को कम करने की संभावना कम होती है, जो डाइबीटीज़ के मरीज़ (पेशेंट) के लिए कम रहना ही बेहतर होता है। ज्यादातर मामलों में, गाजर डाइबीटीज़ के मरीजों के लिए सुरक्षित (सेफ) है, इसमें प्राकृतिक मिठास होता है, जिस मिठास को शुगर पेशेंट मिस  करते हैं। गाजर जैसे कम शुगर, हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ टाइप II डाइबीटीज़ की रोकथाम में मदद कर सकते हैं। जिन लोगों को पहले से ही डाइबीटीज़ है, उन्हें गाजर से ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है।

8. हड्डियों के लिए फायदेमंद हो सकता है?  

हालाँकि गाजर में कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन K की बहुत अधिक मात्रा नहीं होती है, फिर भी यह आपके शरीर में इन पोषक तत्वों के योगदान में मदद कर सकता है। ये तीनों पोषक तत्व (न्यूट्रिएंट्स) स्वस्थ हड्डियों की वृद्धि, विकास और उनकी मरम्मत के लिए बहुत ज़रूरी हैं। इन विटामिनों और खनिजों (मिनरल्स) की कमी वाले खाने से हड्डियों के घनत्व (डेन्सिटी) में कमी आ सकती है। गाजर को प्राकृतिक, स्वस्थ और संतुलित आहार का एक भाग माना जा सकता है और साथ ही ये आपके शरीर में कैल्शियम तथा हड्डियों को स्वस्थ बनाने वाले दूसरे न्यूट्रिएंट्स के सेवन में योगदान दे सकते हैं।

गाजर का उपयोग कैसे करें?

Gajar (Carrot) ka upyog kaise karein?

गाजर की एक मज़ेदार बात ये है कि खाना बनाने के दौरान इसका पोषण मूल्य (न्यूट्रिशनल वैल्यू) बदल जाता है। दूसरे सब्ज़ियों की तरह, गाजर भी पकाने के बाद अपना ज़्यादातर न्यूट्रिशनल वैल्यू खो देता है, जबकि दूसरी सब्ज़ियाँ पकने के बाद और फायदेमंद हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, गाजर में केवल 3% β- कैरोटीन होता है। जब हम कच्चा गाजर खाते हैं, तब हमें यह 3% β- कैरोटीन मिल सकता है। हालाँकि, जब हम इसे भाप से, तल कर या उबाल कर पकाते हैं, तब बीटा-कैरोटीन की जैव-उपलब्धता (बायोअवेलेबिलिटी) बढ़ जाती है।  

ज़्यादातर गाजर को खाने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक तरीका है गाजर का हलवा बनाकर खाना। गाजर को कद्दूकस करके, दूध और शक्कर मिलाकर उसे भाप से (स्टीम) पकाया जाता है, और फिर उसे अखरोट से सजाया जाता है। सर्दी के मौसम में यह एक स्वादिष्ट और सेहतमंद खाना है ! डाइटिंग करने वालों औरअपने स्वास्थ्य का ज्यादा ख्याल रखने वालों के लिए, कच्चा गाजर या छोटा गाजर एक लोकप्रिय (पॉपुलर) नाश्ता है। पार्टियों में, कुकीज़ की जगह, गाजर को खाना अच्छा होता है! अपनी सेहत का ध्यान रखने वालों को कटे हुए कुरकुरे गाजर के स्लाइस भी पसंद हैं, जो कि कुछ ब्रांडों में भी उपलब्ध है।

तो आप किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं? आज ही गाजर लेकर आइये और उसके हर एक बाइट के साथ गाजर में मौजूद न्यूट्रिशन का फायदा उठाइये!

Read in English: 10 Health Benefits of Giloy – The Ultimate Immunity Booster

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चक्र फूल (Star Anise in Hindi): उपयोग, लाभ न्यूट्रिशनल वैल्यू और अन्य जानकारी!

परिचय : 

चक्र फूल (स्टार अनीस) का वैज्ञानिक नाम इलिसियम वर्म है और यह इलीसिएसी परिवार का एक सदाबहार छोटा, मध्यम आकार का पेड़ है। इलिसियम जीनस की सबसे आम प्रजातियाँ स्टार अनीस (इलिसियम वर्म), जापानी अनीस (इलिसियम एनिसैटम), मैक्सिकन अनीस (इलिसियम मेक्सिकैनम) और स्टार अनिस्ड (इलिसियम एनिसटम) हैं। यह पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के ट्रॉपिकल (उष्णकटिबंधीय) क्षेत्रों में उगाया जाता है और इसकी 42 प्रजातियां और 166 किस्में हैं। वे सभी जगह, भौतिक संरचना और रासायनिक संरचना में अलग हैं।

चक्र फूल (स्टार अनीस) सबसे आम प्रजाति है। चक्र फूल (स्टार अनीस) को कई नामों से जाना जाता है। इसे बंदियान (फारसी), फूलचक्री (हिंदी), बादियाने (फ्रेंच), बादियां (उर्दू) और स्टार अनीस (अंग्रेजी) कहा जाता है। उत्पति की जगह और इसके बढ़ने के हालातों के आधार पर चक्र फूल (स्टार अनीस) के संभावित उपयोग अलग-अलग हो सकते हैं। यह कॉलिक (गंभीर पेट दर्द), पेट फूलना, काली खांसी, ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक) और लिवर की बीमारियों में मदद कर सकता है। 

चक्र फूल (स्टार अनीस) की न्यूट्रिशनल वैल्यू :

100 ग्राम चक्र फूल (स्टार अनीस) में लगभग 359 कैलोरी होती है।1

पोषक तत्वप्रति 100 ग्राम वैल्यू 
कुल फैट16 ग्राम
सैचुरेटेड फैट0.6 ग्राम
सोडियम16 मिलीग्राम
कुल कार्बोहाइड्रेट50 ग्राम
डाइटरी फाइबर15 ग्राम
प्रोटीन18 ग्राम
कैल्शियम646 मिलीग्राम
आयरन37 मिलीग्राम
पोटैशियम1441 मिलीग्राम

चक्र फूल (स्टार अनीस) की न्यूट्रिशनल वैल्यू (प्रति 100 ग्राम)2

Read in English: Nutmeg: Uses, Benefits, Precautions & More!

चक्र फूल (स्टार अनीस) के गुण :

चक्र फूल (स्टार अनीस) के कई संभावित उपयोग हैं। इसको आंतरिक और साथ ही बाहरी तौर पर भी उपयोग किया जा सकता है। चक्र फूल (स्टार अनीस) के कुछ संभावित गुण निम्नलिखित हैं:

चक्र फूल के संभावित उपयोग:

Chakra Phool (Star Anise) ka sambhavit upyog:

चक्र फूल के कुछ संभावित उपयोग जो ऊपर बताए गए हैं, उनका नीचे लिखे कुछ स्थितियों पर संभावित उपयोग/प्रभाव हो सकते हैं।

सूक्ष्मजीवी संक्रमण (माइक्रोबियल इन्फेक्शन) के लिए चक्र फूल के संभावित उपयोग

चक्र फूल में एंटी-माइक्रोबियल एक्टिविटी देखी जा सकती है। जैसा कि कई अध्ययनों में देखा गया है, इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीपैरासिटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण देखे जा सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पोरफाइरोमोनास जिंजीवेलीस, इकेनेला कोरोडेन्स, एक्टीनोमाइसेस ओडोन्टोलिटिकस, विलोनिल्ला परवुला, पेप्टोस्ट्रेप्टोकोकस माइक्रोस और कैपनोसाइटोफेगा जिंजीवेलीस सहित कई बैक्टीरिया के खिलाफ चक्र फूल की संभावित एंटी-बैक्टीरियल एक्टिविटी पाई है। चक्र फूल में संभावित एंटी-फंगल एक्टिविटी हो सकती है। एक अध्ययन में एफ. सोलानी (फ्युसेरियम सोलानी), एफ. ग्रेमिनेरम और एफ. ऑक्सीस्पोरम के खिलाफ 100% (सौ प्रतिशत) एंटीफंगल एक्टिविटी दिखाई देती है।1 हालाँकि, ऊपर बताये गए चक्र फूल के सभी संभावित गुणों को साबित करने के लिए बहुत बड़े स्तर पर रीसर्च की ज़रूरत है। 

दस्त (डायरिया) के लिए चक्र फूल के संभावित उपयोग

पेट पर चक्र फूल और कैमोमाइल के मिश्रण (ब्लेंड) की क्रिया का परीक्षण (टेस्ट) करने के लिए एक जानवर पर अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में मल (स्टूल) के ढीलेपन को कम करने और मल के बाहर निकालने की संख्या को कम करने की संभावना दिखाई दी। इसलिए, अध्ययन ने डायरिया के लिए कैमोमाइल और चक्र फूल के मिश्रण के संभावित उपयोग को दिखाया।1 हालाँकि, मनुष्यों पर इन प्रभावों को साबित करने अभी और अध्ययन की ज़रूरत है। आपको बेहतर सलाह के लिए किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। 

इन्फ्लेमेशन (जलन/सूजन) के लिए चक्र फूल के संभावित उपयोग 

अगर हमारे शरीर में कोई तेज इन्फ्लेमेशन होती है, इसका मतलब ये है कि हमारा शरीर किसी प्रकार के संक्रमण (इन्फेक्शन) से लड़ने की कोशिश कर रहा है। इंफ्लामेटरी स्थितियों(कंडीशन)/विकारों (डिसॉर्डर) से लड़ने में चक्र फूल का संभावित उपयोग हो सकता है। चक्र फूल के संभावित एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों की जानवरों पर जाँच की गयी, जहाँ यह पाया गया कि इसमें शक्तिशाली दर्दनिवारक (पेनकिलर) और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव है । इस अध्ययन से इन्फ्लेमेशन के लिए चक्र फूल के संभावित फायदों का पता चलता है, पर मनुष्यों में इसके प्रभाव को साबित करने के लिए अभी और अध्ययन की ज़रूरत है।   

कैंसर के लिए चक्र फूल के संभावित उपयोग

मनुष्यों का शरीर, कई प्राकृतिक तरीकों से अपने शरीर में मौजूद मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) से लड़ने की क्षमता रखता है और उसमें अगर मनुष्य चक्र फूल खाये तो, वो उसके लिए और फायदेमंद हो सकता है, जो कैंसर से लड़ने में मददगार हो सकता है। कुछ स्थितियाँ, जो मुक्त कणों और निकोटिन के कारण उत्पन्न होती हैं, जैसे की कैंसर, उनपर चक्र फूलों का असर पड़ सकता है, क्योंकि चक्र फूल में एंटी-कैंसर गुण हो सकते हैं। यह उन क्षतिग्रस्त (डैमेज्ड) डीएनए पर असर डालता है जो कैंसर को ट्रिगर करने और कैंसर कोशिका (सेल) को फैलाने में ज़िम्मेदार होते हैं।1 हालाँकि, इस तरह के दावों को साबित करने के लिए अभी और रीसर्च की ज़रूरत है। इसके अलावा, कैंसर एक खतरनाक समस्या है, इसके इलाज के लिए आपको कैंसर से संबंधित डॉक्टर के पास जाना चाहिए। 

हालाँकि, अध्ययन कुछ अलग-अलग स्थितियों में चक्र फूल के संभावित उपयोग दिखाते हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं हैं और मानव स्वास्थ्य पर चक्र फूल के फायदों को सही मायनों में साबित करने के लिए अभी और रीसर्च की ज़रूरत है।

चक्र फूल का उपयोग कैसे करें?

चक्र फूल का उपयोग नीचे दिए तरीकों से किया जा सकता है:

चाइनीज़ और भारतीय व्यंजनों को पकाने में चक्र फूल का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। यह ‘गरम मसाले’ का एक मुख्य घटक है। इसका उपयोग खाद्य उद्योग (फ़ूड इंडस्ट्रीज) में न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स के रूप में किया जाता है। तरह-तरह के व्यंजनों, पेय पदार्थों (बेवरेजेस), डेज़र्ट और स्वादिष्ट मुरब्बा बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। गाजर और टमाटर पाउडर, डिहाइड्रेटेड चुकंदर, लहसुन और गोभी के फ्लेक्स जैसे उत्पादों (प्रोडक्ट्स) में चक्र फूल का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, मिठाइयों में इसका उपयोग फ्लेवरिंग एजेंट के रूप में किया जाता है।1

किसी भी प्रकार के हर्बल सप्लीमेंट्स लेने से पहले आपको अपने डॉक्टर से ज़रूर सलाह ले लेना चाहिए। अपने डॉक्टर से सलाह लिए बिना, आपकी चल रहे आधुनिक दवाओं को आयुर्वेदिक/हर्बल तरीकों से तैयार किये दवाओं के साथ बिलकुल ना बदलें। 

चक्र फूल के नुकसान:

चक्र फूल के नुकसान नीचे दिए गए हैं:

आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों (हर्ब्स) से भी साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं और अलग-अलग लोगों पर इसके अलग-अलग प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। इस बात का ध्यान ज़रूर रखें कि इसका उपयोग करने से पहले आप अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले लें। 

चक्र फूल के साथ लेने वाली सावधानियाँ:

हमेशा कुछ बातों का ध्यान रखें:

आपको यही सलाह दी जाती है कि किसी भी बीमारी के लिए आप घरेलू इलाज ना करें। किसी भी चल रहे इलाज को खुद से ना ही बदलें और ना ही बंद करें।

अन्य दवाओं के साथ परस्पर क्रियाएँ (इंटरैक्शन):

चक्र फूल किसी अन्य दवाओं या खाने के साथ परस्पर क्रियाएँ (इंटरैक्शन) करता है या नहीं, अभी इसके बारे में किसी भी प्रकार का सबूत या अध्ययन पर्याप्त (सफिसिएंट) नहीं है। इसलिए, इस विषय पर अभी और अध्ययन की ज़रूरत है। हालाँकि, चक्र फूल का उपयोग करने से पहले हमेशा किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ज़रूर ले लेनी चाहिए। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

चक्र फूल के क्या-क्या उपयोग हैं?

चक्र फूल का कई तरह से उपयोग किया जा सकता है, जिसमें खाना पकाने से लेकर इसके एसेंशियल ऑयल (तेल) का उपयोग सेंट बनाने में किया जा सकता है। इसका उपयोग चाइनीज़ और भारतीय खाना (डिश) बनाने में किया जाता है। यह गरम-मसाला का एक घटक है और मिठाई बनाने में एक फ्लेवरिंग एजेंट के रूप में इसका उपयोग किया जाता है।1

क्या टैमीफ्लू बनाने में इसका उपयोग किया जाता है?

हाँ, चक्र फूल में एक रासायनिक यौगिक होता है, जिसका उपयोग बहुत सी दवा बनाने वाली कंपनियाँ एंटी-इन्फ्लुएंजा दवा, टैमीफ्लू बनाने के लिए करती हैं।1 हालाँकि, इन दावों को सही साबित करने के लिए अभी और रीसर्च की ज़रूरत है।

क्या छोटे बच्चों (इन्फैन्ट्स) को चक्र फूल देना सुरक्षित है?

नहीं, चक्र फूल को छोटे बच्चों (इन्फैन्ट्स) को नहीं देना चाहिए, क्योंकि ये गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और न्यूरोलॉजिकल मेनिफेस्टेशन के साथ विषाक्त (पॉइज़नस) हो सकता है।4 आपको बच्चों को जड़ी-बूटी (हर्ब्स) देने से पहले अधिक सावधानी बरतने की ज़रूरत है और किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से ज़रूर सलाह ले लेनी चाहिए।

क्या चक्र फूल को गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) के समय खाया जा सकता है?

चूँकि अभी तक इसका कोई सबूत नहीं है कि चक्र फूल को गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) के समय खाना सुरक्षित है या नहीं, इसलिए आपको इसे नहीं खाना चाहिए।

क्या मैं चक्र फूल को स्तनपान (ब्रेस्टफीडिंग के समय खा सकती हूँ?

अभी तक इसका कोई सबूत नहीं है कि चक्र फूल को स्तनपान (ब्रेस्टफीडिंग) के समय खाना सुरक्षित है या नहीं। तो अच्छा यही होगा कि आप खुद से सतर्क रहें और चक्र फूल को ना खाये या अगर आप स्तनपान (ब्रेस्टफीडिंग) के दौरान चक्र फूल को खाना चाहते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर ले लें।

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References:

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  3. Yao Shen a b, Teris A. van Beek a, Frank W. Claassen a, Han Zuilhof a, Bo Chen b, Michel W.F. Nielen a c. Rapid control of Chinese star anise fruits and teas for neurotoxic anisatin by Direct Analysis in Real Time high resolution mass spectrometry. ScienceDirect. [Internet]. October 12, 2012. Available from: https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/S0021967312004712?via%3Dihub .
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  5. Veselin Marinov, Stefka Valcheva-Kuzmanova. Review on the pharmacological activities of anethole. ResearchGate. [Internet]. Available from: https://www.researchgate.net/publication/318400242_Review_on_the_pharmacological_activities_of_anethole .
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